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bhangarh horror story । भानगढ़ का किला । horror story podcast

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kahani old

3 days ago

[संगीत] भानगढ़ का किला सूरज की आखिरी किरणें अरावली की पहाड़ियों की पीछे लुप्त हो चुकी थी आसमान में तारों का जलसा शुरू हो चुका था लेकिन भानगढ़ के किले में अंधकार का एक अलग ही साम्राज्य छाया हुआ था हवा में एक अजीब सी शेरन थी मानो कोई अदर से शक्ति आसपास मंडरा रही हो वीर सिंह पुरातत्व विभाग का एक युवा अधिकारी अपने कैमरे के साथ किले की टूटी फूटी दीवारों के बीच खड़ा था दिन में किए गए शोध के बाद अब वह रात में किले की वास्तुकला को कैद करना चाहता था अचानक उसे दूर से हल्की सी हंसी सुनाई दी एक स्त्री की हं
सी जो मीठी थी पर साथ ही किसी अजीब से दुख से भरी हुई थी वीर सिंह चौक गया उसने चारों तरफ देखा लेकिन अंधेरे में कुछ भी जन नहीं आया हसी फिर गूंजी इस बार और पास से वीर सिंह को लगा मानो कोई उसके पीछे खड़ा हो उसने धीरे से घूम करर देखा उसकी नसों में खून जम गया एक खूबसूरत सी राजकुमारी हरे रंग की साड़ी पहने हवा में तैरती हुई उसके सामने थी उसकी आंखें चमक रही थी पर चेहरे पर गहरा दुख छाया हुआ था राजकुमारी ने धीमी आवाज में कहा कहा मुझे बचाओ और हवा में विलीन हो गई वीर सिंह घबराकर पीछे हटा क्या मैं सपना देख रहा
था या फिर नहीं यह तो भानगढ़ की राजकुमारी रत्नावली की आत्मा थी जो किले में आज भी कैद है वीर सिंह को अचानक याद आया वह कहानी जो उसके दादा ने उसे बचपन में सुनाई थी राजकुमारी रत्नावली अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर थी एक आंतरिक सिं उस पर मोहित हो गया उस और उसे पाने के लिए जादू टोना करने लगा लेकिन रत्नावली ने उसे ठुकरा दिया गुस्से में सिंगिया ने पूरे किले को श्राप दे दिया कि यहां कोई भी शख्स 30 साल से ज्यादा जी नहीं पाएगा वीर सिंह को लगा मानो किले की हवा में सिंघिया का क्रोध और रत्नावली का दुख गुल चुका ह
ै वह कैमरा पटक कर बाग खड़ा हुआ अंधेरे में उसे यह सास हुआ कि कोई अदरे से हाथ उसे खींच रहा है उसने चीखने की कोशिश की लेकिन उसकी आवाज गले में अटक [संगीत] गई अगली सुबह किले के बाहर वीर सिंह की लाश मिली उसकी आंखें खुली थी चेहरे पर दहशत जमी हुई थी उसकी मौत का कारण अज्ञात रहा पर सबको पता था कि भानगढ़ के भूतों का बाग एक और सिका ले चुका था मधुमती एक महत्व कांशी वृत चित्र फिल्म निर्माता भानगढ़ किले के भयानक इतिहास को कैद करने के लिए निकली थी उसके दल में दो कैमरामैन आकाश और राहुल और एक धवनी अभियंता सौरभ शा
मिल थे सूर्या से पहले ही वे किले में प्रवेश कर गए ताकि रात में होने वाली असामान्य गतिविधियों को फिल्मा सके साम डलने के साथ किले का माहौल भयानक हो गया हवा में एक अजीब सी शीतलता आ गई और हवाओं में किसी के पुस पुसाने की आवाज सुनाई देने लगी मधुमती ने आकाश को कैमरा चालू करने का इशारा किया अचानक सौरभ चिल्लाया मेरे माइक्रोफोन में किसी के रोने की आवाज आ रही है उन्होंने आवाज को रिकॉर्ड करना शुरू किया य एक छोटी बच्ची के रोने की आवाज थी जो दूर से आ रही थी वे धीरे-धीरे आवाज की तरफ बढ़ने लगे आवाज उन्हें एक अं
दर तहखाने की ओर ले गई सौरभ ने माइक्रोफोन को आगे बढ़ाया और आवाज अब साफ सुनाई दे रही थी य एक छोटी बच्ची कह रही थी मैं खो गई हूं मुझे कोई नहीं ढूंढ सकता मधुमती को लगा यह कोई शानदार फुटेज है उन्होंने आकाश को रोशनी करने का इशारा किया तहखाने में घुसते ही उन्हें एक नन्ना सा खिलौना गुड़िया मिला उसी समय आवाज अचानक बंद हो गई जैसे ही कैमरे की रोशनी उस गुड़िया पर पड़ी उसका चेहरा खिल उठा मानो वह मुस्कुरा रही हो एक सिहरन मधुमती की रीड की हड्डी पर दौड़ गई वह तुरंत वहां से निकलना चाहती थी लेकिन दरवाजा अचानक बंद
हो गया वे अंधेरे में फसे हुए थे केवल कैमरे की रोशनी उनके सहारे थी रोने की आवाज फिर से शुरू हुई लेकिन अब मैं गुस्से से भरी हुई थी आकाश ने घबरा कर कहा मुझे लगता है हमने कोई गलती कर दी है तभी सौरभ चिल्लाया देखो दीवार पर अस्पष्ट सी आकृतियां उभरने लगी एक क्रोधित राजकुमारी और एक तांत्रिक वे धीरे-धीरे साफ होते जा रहे थे मधुमती को याद आया भानगढ़ के सांप की कहानी वे किले की आत्माओं को परेशान कर रहे थे अचानक कैमरे की रोशनी चली गई वे अंधकार में चीखने लगे लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला अगली सुबह किले के ब
ाहर उनका कैमरा उपकरण पाया गया फिल्म का कोई सबूत नहीं था मधुमती और उसका दल गायब हो चुके थे अजय एक इतिहास का शौकीन छात्र भानगढ़ किले के रहस्य को सुलझाने के लिए बेताब था कि वदंति के अनुसार किला श्रापित था लेकिन अजय को वैज्ञानिक प्रमाण चाहिए था प्राथ में किले में प्रवेश करने के लिए उसने स्थानीय गाइड विष्णु को मना लिया रात के गहरे अंधकार में वे टूटी हुई दीवारों और खंडों के बीच से गुजरे अजय ने अपने नोट्स लेने के लिए टोर्च जलाई अचानक टॉर्च की रोशनी एक कमरे में पड़े बड़े शीशे पर पड़ी शीशा टूटा हुआ था ले
किन टुकड़ों में अजय की छवि नहीं बल्कि एक अजन भी चेहरा दिखाई दे रहा था यह क्या है अजय ने चौक कर पूछा विष्णु ने पुस फसाया वह रानी रत्नावली है अजय ने हसते हुए कहा बकवास मत करो लेकिन जैसे ही उसने टॉर्च हटाई शीशे में फिर से उस अजनबी चेहरे की छवि दिखाई दी अजय को लगा मानो वह चेहरा उसे घूर रहा है उसने फिर से टोर्च जलाई लेकिन इस बार शीशा पूरी तरह खाली था अजय घबरा गया उसने विष्णु से पूछा यह कैसा जादू है विष्णु ने जवाब दिया यह जादू नहीं भ्रम है कि टूटे हुए शी से लोगों के दिमाग से छवियां खींच लेते हैं और उन
्हें वापस दिखाते हैं अजय को भरोसा नहीं हुआ लेकिन वह बहस करने के मूड में भी नहीं था वे आगे बढ़े लेकिन हर कमरे में उन्हें टूटे हुए शीशे मिले और हर शीशे में वह अजनबी चेहरा दिखाई दे रहा था धीरे-धीरे अजय को लगा कि वह चेहरा उसका पीछा कर रहा है हर जगह हर छाया में उसे वही चेहरा दिखाई दे रहा था उसने विष्णु को खो दिया और खुद को अकेला पाया अचानक उसने किसी के असने की आवाज सुनी व मीठी हंसी थी पर साथ ही किसी अजीब दुख से भरी हुई थी हंसी करीब आती जा रही थी और अजय को अजनबी चेहरा साफ दिखाई दे रहा था अजय चीख उठा औ
र भागने लगा लेकिन उसे रास्ता नहीं मिल रहा था वह भटकता रहा असशी उसे पागल बनाती जा रही थी आखिरकार वह थककर एक टूटे हुए शीश के सामने गिर पड़ा शीशे में उसका अपना चेहरा था लेकिन उसकी आंखें खाली थी मानो उसकी आत्मा खो चुकी हो अगली सुबह विष्णु ने अजय को मृत पाया उसकी आंखें खुली थी और उसके सामने एक टूटा हुआ शीशा था किले के भूतों ने एक और आत्मा को अपने टूटे हुए शीशे में कैद कर लिया था

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