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CHANDRAYAAN-3 Sends First Signal On EARTH After Landing🇮🇳🇮🇳 | Pragyaan Rover in moon

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spiritual knowledge1018

6 months ago

एनीमेशन की मदद से आज की इस वीडियो में हम स्टेप बाय  स्टेप यह समझेंगे की जब चंद्रयान तू का विक्रम लैंडर चंद की सात से सिर्फ 335 मी की ऊंचाई पर था तब उसमें  ऐसी क्या गड़बड़ी हुई की वो सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कर पाया और मून के सरफेस में जाकर क्रश लैंडिंग कर गया  उसके अलावा ये भी समझेंगे की चंद्रयान थ्री में इसरो ने इसे क्या-क्या चेंज किया हैं की इस बार पूरा  भारत इतना कॉन्फिडेंट है की चंद्रयान थ्री इजीली सॉफ्ट लैंडिंग कर ही लगा देखो यह मून का सरफेस है  और ये चंद्रहण तू का लैंडर है जिसका नाम है विक्रम यह
विक्रम कैलेंडर जो आज से 4 साल पहले मून के सरफेस  पर क्रश लैंडिंग कर गया था वो इसरो के हिसाब से इस ट्रैक्टर में जाना चाहिए था और काफी हद तक इसने उसे  एक्सपेक्टेड ट्रांजैक्ट को फॉलो भी किया था लेकिन एक तो इस पॉइंट पर और एक इस पॉइंट पर कुछ ऐसी गड़बड़ी  हुई की जो विक्रम ब्लेंडर की ऑब्जर्व्ड ट्रैक्ट्री थी वो कुछ ऐसी निकाल कर आई थी और ओबवियसली इन  दिक्कतों की वजह से विक्रम लंदन के सॉफ्टवेयर में ग्लिच ए गया और इसरो और करोड़ देशवासियों ने जैसा  सोच रखा था वैसा नहीं हुआ आज से 4 साल पहले विक्रम की लैंडिं
ग में जो दिक्कतें आई उनको समझना ऑलमोस्ट  इंपॉसिबल है अगर हम थोड़ा सा पीछे जाकर ये ना समझे की इसरो की विक्रम लैंडर को सॉफ्ट लैंडिंग करवाने  की एग्जैक्ट प्लानिंग क्या थी धरती से ही शुरू करते हैं इंडिया में इस जगह लोकेटेड है आंध्र प्रदेश  और आंध्र प्रदेश में भी इस जगह लोकेटेड है सतीश धवन स्पेस सेंटर चंद्रन तू को ये सतीश धवन स्पेस  सेंटर से ही लॉन्च किया गया था और लॉन्च साइट कुछ ऐसे दिखती है ये जो पूरा का पूरा इतना बड़ा सेटअप आप  देख रहे हो ये एक लॉन्च व्हीकल है इस लॉन्च व्हीकल को एवीएम थ्री बोला जा
ता है जिसका फूल फॉर्म है  लॉन्च व्हीकल मार्क 3 ये इतने बड़े पार्ट्स तो सारे के सारे बूस्टर हैं जो सिर्फ चंद्रयान को स्पेस में  लेकर जाएंगे कम की चीज तो इसमें बस यहां ऊपर राखी रहती है जिसको आप लोग चंद्रयान तू के नाम से जानते  हो चंद्रयान को चंद तक ले जान के लिए सबसे पहले कम है की इस एवीएम 3 को लॉन्च किया जाए इस एवीएम 3 को  लॉन्च करते ही ध्यान रखना स्टार्टिंग में सिर्फ ये जो साइड वाले दो बूस्टर हैं यही एक नाइट होंगे और  एक पर्टिकुलर ऊंचाई तक यही लेकर जाएंगे जैसे ही इनका कम पूरा हो जाएगा ये अपने आप
को सेपरेट कर लेंगे और  समुद्र में जाकर गिर जाएंगे या नीचे पहुंचने पहुंचने फ्रुक्क्शन ऑफ हो जाएंगे इनके सेपरेट होते ही ये  में वाला l110 सेकंड स्टेज रॉकेट इग्नाइट हो जाएगा और अब आगे की जर्नी इसके ऐसे ही होगी यह चंद्रयान को  स्पेस में लेकर बाद चंद्रयान की जो कवरिंग थी वो भी सेपरेट होकर गिर जाएगी फिर ये जो सेकंड स्टेज वाला  बूस्टर अभी तक सवारी करवा रहा था कुछ समय बाद ये भी हटके अलग हो जाएगा और अब जिम्मेदारी सी 25 थर्ड  स्टेज रॉकेट बूस्टर पर ए जाएगी ये थर्ड स्टेज रॉकेट बूस्टर भी एक पर्टिकुलर डिस्टे
ंस तक चंद्रयान की  हेल्प करेगा उसके बाद ये भी अलग हो जाएगा इन शॉर्ट खाने का मतलब ये है की अब हमारे पास सिर्फ कम की चीज  र गई हैं एक तो ये विक्रम लैंडर जो चंद के सरफेस पर लैंड करता अगर ये चंद्र ग्रहण 2 मिशन सक्सेसफुल होता  तो और दूसरा है ये और बेटा खैर लॉन्च व्हीकल के सारे पार्ट्स सेपरेट होने के बाद अब बड़ी है आर्बिटर की  और बटर अपने सैटेलाइट पैनल्स को ओपन करेगा और अर्थ के चारों और चक्कर काटना शुरू कर देगा इस इंद्रियां  तू हो या चंद्रयान ट्रू हो एक शब्द ऐसा है जो आपको बार-बार सुनने को मिलेगा और व
ो शब्द है मैन्युअल  इसका सिंपल सा मीनिंग ये होता है की चंद्रयान के ऑर्बिट में या लैंडर में जो ये रॉकेट सिस्टर लगे  हुए हैं रोशन करने में इनकी हेल्प ली जाएगी और ये आर्बिटल उसे बात पर रहने की कोशिश करेगा जो इसरो  ने इसके सॉफ्टवेयर में फीड किया है इस कॉन्सेप्ट को और ढंग से समझना है तो ऐसे समझो की ये अर्थ है और  मून है और एल्बम 3 या रॉकेट बूस्टर के सारे पार्ट्स हटाने के बाद जो लैंडर और आर्बिटल यहां तक पहुंच  चुका था वो आप कुछ ऐसा पाठ ते करेगा ध्यान से देखो की अर्थ की ऑर्बिट में घूम घूम कर कैसे चंद्र
यान  अर्थ से डिस्टेंस बढ़ता जा रहा है और एक पॉइंट ऐसा आएगा जब ये अर्थ के ऑर्बिट को छोड़कर वो उनकी  ऑर्बिट में इंटर कर जाएगा उसके बाद मुंह उनके चारों तरफ घूमता रहेगा और डिस्टेंस को कम करता रहेगा तब  तक गोल-गोल घूमता रहेगा जब तक 100 किलोमीटर बाय 100 किलोमीटर के ऑर्बिट में नहीं पहुंच जाता क्योंकि  डिस्टेंस बराबर है इसलिए 100 किलोमीटर बाय 100 किलोमीटर का सर्कुलर ऑर्बिट होगा तो जी मैन्युअल  शब्द की हम बात कर रहे थे उसका मीनिंग यही है की थ्रस्टर और सॉफ्टवेयर की मदद से ये आर्बिटल अपने  आप को ऐसे पोजीशन
करता रहेगा की इसरो जी रास्ते और जी जगह को ले जाना चाहता है बस ये उसे जगह सैफ अली  पहुंच जाए बिलाल चंद्रयान तू इस हंड्रेड किलोमीटर बाय 100 किलोमीटर के लूनर ऑर्बिट में है यानी चंद के  ऑर्बिट में है और अभी फिलहाल इसके दो पार्ट्स हैं एक तो ये आर्बिटर और दूसरा है ये विक्रम लैंडर फाइनली  यहां से आर्बिटर और लैंडर एकदम अलग-अलग चले जाएंगे आप साफ-साफ देख का रहे हो की आर्बिटल इस और पेट में  कंटिन्यू कर रहा है जिसमें था लेकिन विक्रम लैंडर अब मून के सरफेस की तरफ बढ़ाने लगा है आर्बिटर इस  ऑर्बिट में आने वाले
7.5 सालों तक चंद्रमा के चारों तरफ घूमते रहेगा और इसरो को बहुत कम का डाटा देता  रहेगा लेकिन विक्रम लैंडर अब मून के सरफेस की और बढ़ाना शुरू कर देगा अब आगे आने वाली दो मिनट में  हमें पता चलेगा की विक्रम लैंडर के साथ एक्जेक्टली क्या गड़बड़ हुई थी जो वो क्रश लैंडिंग कर गया और  एक बार हम चंद्रयान तू के फेलियर को समझ लेने उसके बाद मैं आपको ये भी बताऊंगा की चंद्रयान थ्री को  सक्सेसफुल बनाने के लिए उसमें क्या-क्या मेजर चेंज किया गए हैं देखो ये आपके सामने मून के सरफेस पर  वो लोकेशन है जहां चंद्रहण तू को
सक्सेसफुली लैंड करना चाहिए था अगर इस लोकेशन से मैं 4 किमी दूर चला  जाऊं तो इस एरिया को बोला जाता है फाइन ब्रेकिंग फेस अगर मैं थोड़ा और दूर चला जाऊं तो 4 किमी से 8.3  किलोमीटर का जो ये एरिया होता है इसे बोला जाता है कैमरा कास्टिंग फैज इसके अलावा 8.3 किमी से आगे  का जो एरिया का होता है जहां से विक्रम लैंडर मून के सरफेस को अप्रोच करना शुरू कर देता है उसको बोला  जाता है रफ ब्रेकिंग फेस अब आगे बाढ़ के हम एक बार ये समझे की गलत क्या हुआ उससे पहले एक बार इस चीज पर  नजर मार लेते हैं की चंद्रयान तू के साथ
अगर कुछ गलत ना होता तो वो कौन सा रास्ता अपने वाला था देखो  एक्सपेक्टिवली चंद्रयान तू इस ट्रांजैक्ट्री को फॉलो करने वाला था रेफ ब्रेकिंग फेस की स्टार्टिंग  में वो कुछ ऐसा होता फिर आप ब्रेकिंग फेस के और तक आते-आते वो अपने आप को 55° जरूर क्रिएट करके थोड़ा  सा सीधा हो जाता फिर वो इंटर करता कैमरा कास्टिंग फैज में इस फेस के दौरान जहां उसे लैंड करना है मून  सरफेस के उसे पोर्शन की फोटोस लेट और उनको एनालाइज करता इस कैमरा कास्टिंग फेस के और होते होते ये अपने  आप को थोड़ा सा और सीधा कर लेट और फाइन ब्रेकिं
ग फैज में इंटर कर जाता और सबसे लास्ट में फाइन ब्रेकिंग  फेस की एंडिंग आते आते ये अपने आप को वर्टिकल कर लेट यानी एकदम सीधा कर लेट इसके ये चारों बूस्टर  बैंड हो जाते और सेंटर वाला यानी पांचवा बूस्टर चालू हो जाता जो अभी तक बैंड पड़ा था इसके बाद  विक्रम लैंडर को स्लोली स्लोली नीचे जाना था और अपनी सिर्फ लैंडिंग करवानी थी लेकिन ऐसा कुछ हुआ तो  नहीं तो अब समझते हैं गड़बड़ कहां हुई देखो जी समय विक्रम और बेटा मौजूद है उसे समय उसकी दो वेलोसिटी  होती है एक होरिजेंटल वेलोसिटी और दूसरी होती है वर्टिकल वेलोसि
टी होरिजेंटल वेलोसिटी का मीनिंग  है आर्बिटिंग के डायरेक्शन में ही जो वेलोसिटी कम होती है और पॉलीटिकल वेलोसिटी का मीनिंग है की  मून के सरफेस के डायरेक्शन में जो वेलोसिटी होती है दूसरे शब्दों में वर्टिकल वेलोसिटी को आप यह भी  मां सकते हो की मून के सरफेस पर लैंड करते वक्त जो है फाइनली आज से 4 साल पहले चंद्रन तू का विक्रम  लैंडर जब रफ ब्रेकिंग फेस में इंटर हुआ था तब सबको सही था ये रफ ब्रेकिंग फेस टोटल 10 मिनट 23 सेकंड का  था रफ ब्रेकिंग फेस की जब एंडिंग हुई फॉर्च्यूनर ली वहां तक भी सब कुछ एकदम सही च
ल रहा था लेकिन इसके  बाद शुरू होता है कैमरा कास्टिंग फैज अब ये कैमरा कास्टिंग फैज लगभग 4.3 किलोमीटर का डिस्टेंस था  और 38 सेकंड में पूरा होना चाहिए था यहां आपको ये भी बता डन की विक्रम कैलेंडर जो क्रश हुआ था वो इसी  फेस की वजह से हुआ था ध्यान से समझो कैसे साइंटिफिक स्पेस टर्म्स में एक शब्द उसे होता है एटीट्यूड  इस शब्द का सिंपल सा मीनिंग है ऑरिएंटेशन विक्रम के एटीट्यूड का सिंपल सा मीनिंग है की वो किस तरफ  कितना झुका हुआ है और उसका ओरियंटेशन उसे इंस्टेंस पर कैसा है अब कैमरा कास्टिंग फेस में होना य
े था  की विक्रम लैंडर बोनस सरफेस के या अपनी लैंडिंग साइट के फोटोस खींचना वाला था इसलिए इस रन विक्रम  ब्लेंडर के सॉफ्टवेयर में इस बात को बहुत अच्छे से हार्डकोर किया हुआ था की चाहे कुछ भी हो जाए तुझे  अपना ओरियंटेशन यानी की एटीट्यूड चेंज नहीं होने देना है इसका ओबवियस रीजन ये था की कैमरा कॉस्ट इन  फेस के दौरान विक्रम पर लगे हुए कैमरास अपनी लैंडिंग साइट की बहुत साड़ी तेजस लेने वाले थे और आर्बिटर  में लगा हुआ चर्च यानी आर्बिटल हाय रेजोल्यूशन कैमरा जो डाटा विक्रम लैंडर के पास भेज रहा था  उससे मैचिंग क
रवाने वाले थे तो विक्रम कैलेंडर का एटीट्यूड हार्डकोर करते वक्त इसरो ने ये एक्सपेक्ट  नहीं किया था आईटी डस्टर जितना चाहिए उससे ज्यादा बूस्ट कर जाएंगे और अनफॉर्चूनेटली यही हुआ इन शॉर्ट  इसरो एडम करके चल रहा था थ्रस्ट ने उससे ज्यादा पावर जेनरेट कर दी इसका सिंपल सा मीनिंग यह होता है की  चंद्रयान तू के लैंडर में कर थ्रेस्टर्स लगे हुए थे उसमें से अगर एक उम्मीद से ज्यादा पावर बूस्ट करने  ग गया तो उसे पर ध्यान देने की बजे सॉफ्टवेयर अपना 100% फॉक्स इस बात पर रखेगा की एटीट्यूड में कोई भी  चेंज नहीं होना च
ाहिए क्योंकि लैंडर इस समय कैमरा कास्टिंग फैज में है ऐसा रिजल्ट ऑफ विच एटीट्यूड  को मेंटेन करने के लिए दूसरे बूस्टर को भी पावर अप करना पड़ेगा और फॉलोइंग दिस इसरो के अनुमान के  हिसाब से विक्रम लैंडर की जो एक्सपेक्टेड होरिजेंटल और वर्टिकल वेलोसिटी थी उसकी धज्जियां उड़ जाएगी और  अनफॉर्चूनेटली ऐसा ही हुआ के कैमरा कास्टिंग फेस के और तक आते-आते एरर्स इतने ज्यादा एकम्युलेट हो चुके  थे की सब कुछ हमारे हाथ से बाहर जा चुका था दूसरे इमिटेशन विक्रम कैलेंडर की यह थी की फाइन ब्रेकिंग  फेस के स्टार्ट से एंडिंग
के बीच में जो लैंडर एकदम सीधा हो जाना चाहिए था वो संभव नहीं था क्योंकि  इसरो ने दूसरी चीज जो हार्डकोर कर राखी थी वो ये थी की चाहे जो भी सिचुएशन हो लैंडर 10 डिग्री पर  सेकंड के हिसाब से ही रोते करेगा उससे ज्यादा नहीं ओवरऑल सिचुएशन ये थी की फाइनल ब्रेकिंग फेस का तो  कोई भी हिस्सा विक्रम लैंडर अच्छे से पूरा कर ही नहीं पाया और ऊपर से कैमरा कास्टिंग फेस की एंडिंग  आते-आते इतने ज्यादा एरर्स एकम्युलेट हो चुके थे और स्पीड भी इतनी ज्यादा गड़बड़ हो चुकी थी की टाइम  कम होने की वजह से विक्रम ब्लेंडर तेजी से
लैंडिंग साइट को अप्रोच करने लगा और जी समय विक्रम लैंडर की  स्पीड सबसे कम हनी चाहिए थी उसे समय लैंडिंग साइट को अप्रोच करने के लिए विक्रम लैंडर की स्पीड सबसे  ज्यादा थी तो सॉफ्ट लैंडिंग की उम्मीद तो हम वैसे भी नहीं कर सकते थे तो @ और ये जो फाइनल एक्सपेक्टेड  लैंडिंग साइट आप देख रहे हो इससे 810 मी की दूरी पर विक्रम ब्लेंडर क्रश लैंडिंग कर गया और मून के  साउथ पाल पर सबसे पहले सॉफ्ट लैंडिंग करने का सपना सपना ही र गया अब बात करते हैं की इस रौनक चंद्रयान  थ्री में इस बार ऐसे क्या बदलाव किया हैं की सॉफ
्ट लैंडिंग की पुरी पुरी उम्मीद है देखो सबसे पहले  तो चंद्र तू के कैसे में चंद के सरफेस पर तो सेफ लैंडिंग जॉन इस उन्होंने डिसाइड किया था वो 500 मी  बाय 500 मी का था लेकिन इस बार वो सेफ लैंडिंग जॉन को बढ़कर इसरो ने 4.2 किलोमीटर बाय 2.5 कि का कर  दिया है इसका मतलब ये हुआ की चंद्रयान 3 की लैंडिंग के टाइम पर अगर कोई भी दिक्कत आएगी तो उसे तेजी  से भाग कर एक पर्टिकुलर लैंडिंग स्पॉट चीज करने की जरूर नहीं है इतनी बड़ी रेंज है तो वो कहानी भी  सेफ जॉन ढूंढ के लैंड कर सकता है और जो लोग चंद्रन तू को एक फेलिय
र की नजर से देखते हैं उनको यह भी  बता डन की चंद्रयान तू का जो आर्बिटर था उसने इसरो की हद से ज्यादा मदद की है चंद्रयान थ्री के लिए इस  लैंडिंग साइट को एक्सपेंड करने में दूसरा सबसे बड़ा चेंज चंद्रयान थ्री के कैसे में यह है की जो फिक्स्ड  रेंजर्स लास्ट टाइम थी उनमें थोड़ा सा रिलैक्सेशन दिया गया है इन शॉर्ट लैंडर के डिजाइन में इस तरीके  से इंप्रूवमेंट्स किया गए हैं की आप कैमरा कास्टिंग फैज में चंद्रयान 3 के लैंडर को एटीट्यूड फिक्स  रखना की जरूर नहीं है नीड के हिसाब से ओरियंटेशन चेंज होता रहेगा फिक्स
रेंज में अगर रिलैक्सेशन की  बात चली ही रही है तो आते डी से टाइम ये भी आपको बताना बहुत ज्यादा जरूरी है की जो 10° पर सेकंड के  हिसाब से चंद्रयान तू के विक्रम ब्लेंडर में रोशन की लिमिट सेट की गई थी वो लिमिट अब बढ़कर ₹25 डिग्रीस  पर सेकंड कर दी गई है इनके अलावा 100 ऑफ चेंज किया गए हैं रोवर्स में लैंडर्स में सॉफ्टवेयर अपडेट करके  हार्डवेयर और डिवाइसेज अपग्रेड करके कल मिलकर अगर देखा जाए तो चंद्रयान तू और चंद्रयान3 दोनों ऑलमोस्ट  से है दोनों का मिशन तो स्पीडली से है ही एक बहुत बड़ा जो डिफरेंस है वो इस
बात का है की चंद्रयान  तू में एल्बम के पार्ट्स हटे के बाद लास्ट में जो मून के ऑर्बिट तक गए थे उनमें से एक आर्बिटर था और  एक लैंडर था लेकिन इस बार बस आर्बिटर नहीं जाएगा क्योंकि आर्बिटल तो हम पहले से ही बीच चुके हैं और  वो चंद के चारों तरफ चक्कर लगा भी रहा है और इसरो को कम का डाटा दे भी रहा है अब विक्रम लैंडर अकेला  तो मून के 100 किलोमीटर बाय 100 किलोमीटर के ऑर्बिट में नहीं पहुंच पाएगा इसलिए इसरो ने उसे किया है  ये प्रोपल्शन मोडल ये प्रोपल्शन मोडल 100 किलोमीटर बाय 100 किलोमीटर के ऑर्बिट तक जाएगा
और पिछली  बार की तरह आगे का सफर विक्रम ब्लेंडर को अकेले ही ते करना पड़ेगा अगर सॉफ्ट लैंडिंग हो जाति है तो  स्टार्टिंग के तीन या कर घंटे तक विक्रम कैलेंडर यू ही खड़ा रहेगा और रोवर तब तक बाहर नहीं आएगा सॉफ्ट  लैंडिंग करने के बाद मैं विक्रम कैलेंडर अपनी हेल्थ चेक करेगा और उसके बाद खुद के पेलोड्स को डेप्लॉय  करेगा पर एग्जांपल इस तरीके से इंस्ट्रूमेंट पर लूनर इसमें एक एक्टिविटी यानी आई ल एस ए को डेप्लॉय करेगा  और आफ्टर परी डिफरेंट चेक्स विक्रमलैंडर के इस तरीके से फ्लेक्स ओपन होंगे और ओवर मून के सरफेस
पर लैंड  कर जाएगा सक्सेसफुली चंद की मिट्टी को स्टडी करेगा चंद पर वाटर है इसकी खोज करेगा साथ ही आपको ये  भी बता डन की रोवर की लाइफ सिर्फ 14 दिन की है वो इसलिए क्योंकि ये सोलर पावर है इसका मतलब जब  तक चंद पर दिन रहेगा तब तक ये ओवर स्टडी कर पाएगा उसके बाद नहीं और ये तो हम सबको पता ही है की  अर्थ पर 14 दिन चंद के एक दिन के बराबर होता है

Comments

@babulalchopra6713

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@ras8143

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