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Chandrayaan-3: Why South Pole Of Moon Is Important

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Misbah Khan

5 months ago

अस्सलाम वालेकुम नाजरीन चंद पर जान की दौड़ इंडिया की चंद्रयान3 की चंद पर कामयाब लैंडिंग से कुछ रोज पहले रूस ने भी चंद पर लैंडिंग की कोशिश की थी नासा अपने मिशन में मुख्तलिफ मुल्कों के साथ मिलकर इंसान को चंद पर भेजना और वहां लूनर बेस बनाने की तैयारी कर रहा है इसके अलावा चीन और जापान भी चंद पर पहुंचने की इस दूर में शामिल है आखिर क्या वजह है की दुनिया भर के मलिक चंद को एक्सप्लोर करने की टाको दो में मसरूफ हैं अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा चंद के बड़े में कहती है एक ऐसी जगह जो पूर्व इस्लरिया साइंस और मोमो
से भरपूर है लिहाजा इसमें हैराने वाली तो कोई बात नहीं की बरसों से मूमलिक चंद पर पहुंचने की कोशिश करें खासतौर पर साउथ पाल पर लेकिन इतने महंगे मिशन से आखिर वो क्या हासिल करना छह रहे हैं आज की इस वीडियो में हम यही समझना की कोशिश करते हैं मैं हूं इस बखान वीडियो पसंद आए तो लाइक करें और चैनल को लास्ट में सब्सक्राइब करें नाजरीन इसका सदा सा जवाब तो ये है की मलिक अपने लूनर मिशन के जारी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं की वहां बेस बनाया जा सकता है क्या वहां रहा जा सकता है और इसके अलावा कुछ बुनियादी मालूमात
जरूरी है चंद पर पानी की तलाश इन मिशन का बुनियादी मकसद है 1960 की डीआई में नील आर्मस्ट्रांग के चंद पर कम रखना से पहले ही सजदा वहां अपने की मौजूदगी की उम्मीद रख रहे हैं लेकिन ई साड़ी से पहले इस बड़े में कोई खास कामयाबी हाथ नहीं ग साकी 2008 में चंद्रयान मां मिशन में पहले बार पानी के असर मिले थे और फिर नासा की एक तहकीख ने में भी चंद की सात के नीचे बर्फ की मौजूदगी के असर मिले जाहिर है की बरफ्ताह की के लिए बहुत बी है और अगर वाकई वहां बर्फ ज्यादा मतदान में मौजूद है तो फिर इसका मतलब हुआ की वहां पर पीने
के पानी की जरे यानी जिंदगी और मुस्ताक बिल में रिहाइश की इनका नाम भी मौजूद है इस्किम के मिशन हमें चंद पर आतिश पहाड़ों सिलसिले की उनका नाम दर्ज हरात और चंद पर मौजूद मिनरल्स के बड़े में भी बहुत कुछ बता सकते हैं और फिर क्या पता एक दिन रॉकेट उड़ने के लिए हाइड्रोजन ईंधन भी तैयार किया जा सके नाजरीन चंद पर बेस बनाने और वहां इंसानों को भेजना का मिशन इसलिए भी हम है की अगर वहां लियोनार्ड बेस तैयार हो जाता है तो इसमें मैरिज पर इंसानों की भेजना के मिशन और दूसरे स्पेस मिशन में भी मदद मिल शक्ति है लेकिन एक मस
ाला है चंद का साउथ पाल यानी भी जो गानों से ढाका हुआ है और इन्हीं घरे की वजह से यहां लैंडिंग आसन नहीं होती तो इंडिया का चंद्रकांत थ्री साउथ पाल पर कामयाबी से लैंड तो हो गया है लेकिन अब वो वहां करेगा क्या संस्थान इस बड़े में क्या बताते हैं दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर आकाश सिंह के मुताबिक किसी भी स्पेस मिशन का फाइनल आउटपुट है की वो किसी रोवर से ही आता है तो आप रोवर का कम यहां से शुरू होता है रोवर को बहुत स्मार्टली डिजाइन किया गया है की वो चंद पर सैंपल कठे कर सके चंद पर नेविगेट कर सके और रोवर एक
ड्राइवरलेस कर की है और खुद बी खुद मूव करता है और इसे डिसाइड करना है की सामने कोई गधा तो नहीं है सामने कोई पत्थर तो नहीं है नाजरीन चंद से इंसान का प्यार और इसकी जुस्तजू कोई ढकी छुपी नहीं है तभी तो आखिरकार इसकी कोश से बेवर साबित हुई चंद के मदर में रॉकेट भेजना की पहले कोशिश 1958 में अमेरिका ने की जो कलाकार रही इसके बाद अब तक बारह मुंह मलिक ने मुख्तलिफ नवत के 146 लूनर मिशन रावण की जिम से 71 कामयाब रहे कामयाब और नाकाम मिशन मिलकर अमेरिका ने 59 स्वत यूनियन ने 58 जापान ने 6 चीन ने पांच और इंडिया ने तीन
और कई दूसरे मलिक ने एक-एक मिशन रावण किया लेकिन जान की सात पर सिर्फ अमेरिका सोवियत यूनियन चीन और अब इंडिया कामयाबी के साथ सॉफ्ट लाइनिंग करने में कामयाब हुआ नाजिन इंडिया के लूनर मिशन चंद्रयान 3 पर 75 मिलियन डॉलर्स की लागत आई है या मैं खिलाड़ी और तरक्की का कम सिर्फ सरकारी एजेंसी इसरो ही नहीं कर रही बल्कि मुल्क में होलिया बरसों में स्पेस टेक्नोलॉजी की बहुत सी निजी कंपनियां भी वजूद में आई हैं ये स्टार्टअप कंपनियां खिलाई चौबे में बानो लुकवामी अहमियत भी हासिल कर रही हैं नाजरीन चंद पर चंद्रियंत्री की का
मयाब लैंडिंग के बाद इसरो के डायरेक्टर ने इस कामयाबी के लिए आईीस्ट्रो के संस्थाओं का शुक्रिया अदा करने के साथ-साथ बहुत ही प्राइवेट कंपनियां की भी तारीफ की इन कंप्यूटर इस मिशन में हम किरदार अदा किया था कुछ साल पहले था खिलाएं थे की का कम सिर्फ इसरो और इससे मूंगफली केडर के पास था लेकिन 2020 में मोदी हुकूमत ने खिलाई टेक्नोलॉजी का शोभा प्राइवेट कंपनियां के लिए खोल दिया गुजरिष्ठा 4 वर्षों में तकरीबन 150 कंपनियां मौजूद में ए चुकी हैं ये कंपनियां तेजी से आगे बाढ़ रही हैं और इनमें तेजी से अर्बन रुपए की शर
्मयकारी हो रही है 2022 में कंपनी ने अपनी रॉकेट से सैटेलाइट हिल में भेजो था नाजरीन अमेरिका और यूरोप के मुकाबला में इंडिया से सैटेलाइट भेजना ज्यादा आसन और सस्ता पड़ता है इसलिए हाथ से इन कंपनियां की अहमियत और भी बाढ़ गई है झांसी वजू हाथ की बिना पर चीन और रूस खिलाई तिजारत में कुछ हद तक पीछे र गए हैं इन हालात में इसरो के साथ-साथ ये प्राइवेट कंपनियां भी दुनिया की तवज्जो अपनी तरफ खींच रही हैं चंद ही नहीं इंडिया की स्पेस टेक्नोलॉजी एक्सप्लोरेशन के लिए आदित्य l1 मिशन लॉन्च करने का ऐलान कर चुकी है इंडिया
अपने इस मिशन में कामयाब हो जाता है तो वो सूरज का मुटाला करने के लिए सैटेलाइट भेजना वाला दुनिया का चौथ मुल्क बन जाएगा और यहां तक का सफर इंडिया ने कई बरसों की लगन से हासिल किया है इंडिया के खिलाड़ी जानसी हर किम के सैटेलाइट रॉकेट और खिलाड़ियों डिजाइन करती है इन्हें तैयार और लॉन्च करने के अलावा इनको ऑपरेट और ट्रैक भी करती है इंडिया का अगला टारगेट है तीन मिला बड़ों को मिला में भेजना इसके अलावा इंडिया मैरिज की जब भी मिशन भेजना की तैयारी कर रहा है इंडिया की चंद्रयान थ्री मिशन की कामयाबी के सब बात यह सव
ाल भी हो रहा है की क्या इंडिया जहां एक बड़ी शादी के लिए बुनियादी जरूर आई जिंदगी भी महिया नहीं कर का रहा इसी अपना मिशन चंद पर भेजना चाहिए था शायद बड़े सांसी मिशन के साथ यह सवाल हमेशा इसे जुड़ा रहा है क्या इस तहकीक पर पैसा खर्च किया जाना चाहिए या नहीं या इस रकम को कहानी और लगाना चाहिए था वगैरा वगैरा नाजरीन समझना की बात ये है की हमेशा किसी ना किसी हवाले से इंसानी तार के लिए ही की जाति है जरूरी नहीं की हर साइंस की तजुर्बा कामयाब हो लेकिन फिर भी कोई संहिता जब नाकाम नहीं होता हर तो जार्विस इंसान नई ची
ज सीखना है नहीं रहे तलाश करता है और नई खोज में निकाल पड़ता है जरा सोचें अगर ये सांसी ते की कट ना होती तो क्या हम इंसान इतनी एडवांस लाइफस्टाइल में जी रहे होते आज के लिए बस इतना ही वीडियो पसंद आई हो तो लाइक करें चैनल को सब्सक्राइब करें और बेल आईकॉन लाजमी प्रेस

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