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Ghost horror story | Hindi Horror Story

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Stalkey

1 day ago

बात उन दिनों की है जब मैं कॉलेज का स्टूडेंट था अपने कॉलेज की ओर से हम सभी कैंप के लिए एक जंगल में गए थे हालांकि ठंड थी लेकिन रात में हमने पूरी रात कैंप फायर के साथ डांस करने गाना गाने का प्रोग्राम तय किया मुझे और सभी साथियों को कैंप फायर के लिए लकड़ियां इकट्ठे करने का काम सौंपा गया मैं निकला तो सबके साथ ही लेकिन जंगल की प्राकृतिक सौंदर्य में भटकता हुआ अकेले बहुत ही दूर निकल गया अचानक आसमान बादलों से भर गया और गरज के साथ बारिश होने लगी बादलों के लगातार गरजने में पेड़ के नीचे खड़ा रहना मुश्किल था
मैं आसपास किसी घर की तलाश में एक दिशा में भागने लगा मुझे कुछ ही दूरी पर लाल ईटों से बनी शानदार बिल्डिंग नजर आई बिल्डिंग रोशनी से नहाई हुई थी और उसमें ढेर सारे लोग थे ऐसा दूर से ही लग रहा था मैं तेजी से भागते हुए उस बिल्डिंग में जा घुसा और सामने से आती हुई खूबसूरत नर्स सेट टकराते टकराते बचा नर्स ने मुझे घूर कर देखते हुए कहा बहुत अधिक भीग गए हो सर्दी लग जाएगी उधर बाई ओर एक स्टोर रूम है वहां जाकर जो भी मिले उससे कहना सिस्टर जूलिया ने दूसरे सूखे कपड़े और साफ कपड़े मुझे देने को कहा है वह तुम्हें कपड़
े दे देंगे मैं हक्का बक्का मुंह फाड़े सिस्टर जूलिया को देखता रहा मुझे एकदम समझ नहीं आया कि मैं क्या करूं मेरी स्थिति देख सिस्टर जूलिया खिलखिला करर हंस पड़ी और बोली पहले तुम अपना मुंह बंद करो वरना मुंह में मच्छर घुस जाएंगे अब जाकर वैसा ही करो जैसा मैंने कहा मैं हल्के से हां में सर हिलाकर सिस्टर की बताई हुई दिशा में जाने लगा मैं मैं कुछ ही दूर चला होंगा कि मेरे कंधे पर किसी ने हाथ रखा मैं चौक कर पीछे मुड़ा और अपने सामने आर्मी की वर्दी में एक युवक को मुस्कुराता खड़ा पाया मेरे चेहरे पर आश्चर्य के बा
दल बन चुका था जिसे देखते ही उस युवक को हंसी आ गई उसने धी में किंतु दणा स्वर में कहा मैं कैप्टन विनोद हूं और य हमारे देश की आर्मी का हॉस्पिटल है कैप्टन विनोद की बातों ने मुझे अस्वस्थ किया मैं अब धीरे-धीरे सामान्य हो गया और और मैंने कैप्टन विनोद को सिस्टर जूलिया की कई बातें बताई बात सुनकर कैप्टन विनोद के चेहरे पर रहस्यमय मुस्कान फैल गई और वे बोले तो सिस्टर जूलिया से भी मिल चुके जी क्या मतलब आपका कुछ नहीं चलो मैं तुम्हें सूखे कपड़े देता हूं चेंज कर लो नहीं तो सच में सर्दी लग जाएगी मैं कैप्टन विनोद
के पीछे-पीछे एक बड़े से कमरे में पहुंच गया कमरे के चारों ओर हरे रंग के पर्दे लगे हुए थे एक और बड़ा सा बैड पड़ा हुआ था और उसके सामने एक सोपा था बीच में एक टेबल था जिस पर दो गिलास एक बड़ी बोतल ब्रांडी की और एक या दो न्यूज़ पेपर पड़े हुए थे कमरे के एक कोने पर एक बड़ी सी अलमारी थी जिसमें से कैप्टन विनोद ने एक आसमानी रंग का कुर्ता पैजामा निकाल कर मुझे दिया और कमरे से लगे बाथरूम की ओर इशारा किया मैं बाथरूम से कपड़े चेंज करके जैसे ही निकलने लगा मेरी नजर बाथरूम की दीवार पर पड़ी वह खून के छीट से भरी हुई
थी यह देखकर मैं घबरा गया और जल्दी से बाहर ही निकलने लगा कि बाथरूम में लगे आईने में खुद को ही देखकर चौक गया आईने मेरा पूरा शरीर तो नजर आ रहा था लेकिन मेरे शरीर पर से मेरा सर ही गायब था अब मुझे डर लगने लगा और मैं हड़बड़ा करर बाथरूम से निकलने लगा मुझे इस तरह बाहर निकलते देख कैप्टन विनोद ने हंसकर पूछा क्या हुआ अरे हां अब तुमने तो अब तक मुझे अपना नाम ही नहीं बताया कहां जाओगे बाहर बहुत तेज बारिश हो रही है लेकिन तुम यहां से क्यों जाने लगे अचानक यह मैं समझ नहीं पा रहा हूं कैप्टन विनोद आपकी बाथरूम की एक
दीवार खू म के छीट से भरी हुई है और आपके बाथरूम में लगा आईना भी कुछ अजीब सा है मुझे उसमें मेरा पूरा शरीर तो दिखाई दे रहा था लेकिन मेरा शरीर गायब था अब मैं बिल्कुल भी नहीं रुकूंगा बारिश में भीगता हुआ मैं अपने कैंप तक पहुंच जाऊंगा यह कहते हुए मैं कमरे से बाहर जाने वाले दरवाजे की ओर बढ़ा रुको और तभी कैप्टन विनोद की कड़कती हुई आवाज गूंजी तो तुमने सब कुछ देख ही लिया जी क्या मतलब है आपका मेरी आवाज में डर भर गया था मतलब चाहे जो हो तुम तब तक यहां से नहीं जा सकते जब तक मैं तुम्हें सब कुछ बता ना दूं क्या क
्या बताना चाहते हैं आप जो आज तक कोई नहीं जान सका जो आज तक कोई नहीं जान सका वो मैं जान कर क्या करूंगा प्लीज मुझे यहां से जाने दें मैं डर से रुहासा सा हो गया नहीं बिल्कुल भी नहीं और तुम्हें मुझसे डरने की कोई जरूरत नहीं है सैनिक सबकी रक्षा के लिए होते हैं मैं भी तुम्हारी रक्षा ही कर रहा हूं कैप्टन विनोद की आवाज में कोमलता थी आओ मेरे साथ इस सोपे पर बैठ जाओ मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूं कहानी खत्म होते ही मैं तुम्हारे कैंप तक अपनी जीभ से छोड़ दूंगा वैसे भी तुम अपने साथियों से काफी आगे निकल आए हो वह
ां तक चलते हुए शायद पहुंच ना पाओ मैं कैप्टन विनोद के बगल में जाकर बैठ गया कैप्टन विनोद ने कहना शुरू किया दुश्मनों ने धोखे से हमारे अस्पताल को अपना निशाना बनाया दुश्मन देश के दो सैनिक हमारे सैनिकों के वेश में एक हमारे ही घायल सैनिक को लेकर आए वह घायल था और हमारे देश की सेना ने उसे बहुत ढूंढा लेकिन वह नहीं मिला शायद साजिश के तहत उसे घायल होते ही घुसपैठियों ने कहीं छुपा दिया अचानक अपने खोए सैनिकों को अपने हॉस्पिटल में पास सभी खुश हो गए और बिना किसी जांच पड़ताल के घायल को लेकर आने वाले दूसरे देश के
सैनिकों को ठहरने की इजाजत दे दी अभी उस सैनिकों का इलाज चल ही रहा था कि जोरों से एक ब्लास्ट हुआ और पूरा हॉस्पिटल एक पल में खंडरई में खड़ा है मेरी बातों का अनसुना कर पर कैप्टन विनोद ने अपनी बातें जारी रखी कोई नहीं बस सका उस ब्लास्ट में दीवाल पर पड़े खून के छींटे उसी ब्लास्ट में मारे गए हॉस्पिटल के कर्मचारियों के हैं हां पर यह हॉस्पिटल मुझे खंडन नहीं दिखता जवाब में कैप्टन विनोद के चेहरे पर रहस्य भरी मुस्कान फैल गई और उ उनका चेहरा अजीब से भाव से भर गया मैं उनके चेहरे को देखकर अंदर ही अंदर दहल गया फि
र भी मैंने हिम्मत कर पूछा आप उस ब्लास्ट में कैसे बच गए सुनते ही कैप्टन बो ठा का लगाकर हंस पड़े और मुझ पर एक भरपूर नजर डालते हुए कहा यह कहानी आज से मात्र 10 वर्ष पहले की है और मैं तो आज से 50 वर्ष पहले ही मर चुका हूं मुझे कुछ नहीं मालूम मेरे चेहरे पर पानी के कुछ छींटे पड़े जिससे मैं नींद से जाग गया मुझे घेर हुए मेरे सभी सिपाही और टीचर खड़े थे मेरे आंख खोलते ही मेरे सर ने कहा थैंक गॉड तुम होश में आ गए तो क्या मैं बेहोश था हां तुम जंगल में जाने कहां भटक गए थे जब हम सभी लौट कर आए और तुम नहीं आए तो ह
म सभी मिलकर तुम्हें ढूंढने निकल गए काफी दूर जाने के बाद हमें एक जीप आती हुई दिखाई दी जिसमें एक आर्मी मैन तुम्हें पीछे वाली सीट पर सुला हमारे कैंप को ढूंढते हुए आ रहे थे उन्होंने हम सबको अपनी जीब पर बिठाया और कैंप तक छोड़ा हमने उन्हें रोकने की बहुत कोशिश की वे कहते हुए चलते गए अभी नहीं रुक सकता एक जरूरी काम है जब हमने तुम्हें बेहोश हो जाने और उन तक पहुंचाने के बारे में पूछा तो वो क्या बोले ये तो सुमेश ही बताएगा और जो भी बताएगा वो बिल्कुल सच होगा क्या उनका नाम कैप्टन विनोद था सर ने हां मैं सर हिला
या मैंने सबको उधर चलने को कहा जिधर से सबने जी पाती हुई देखी पहले तो सर तैयार नहीं हुए लेकिन मेरे बहुत कहने पर सभी राजी हो गए सुबह होते ही हम उधर की ओर निकल गए और उस जगह पर पहुंचकर गहरे आश्चर्य में डूब गए वहां एक अथ जला खंडरई आर्मी हॉस्पिटल आज की वीडियो के लिए इतना ही मिलते हैं किसी अगली हॉरर स्टोरी पर तब तक के लिए बाय आज जो मैं आपको किस्सा बताने जा रहा हूं वो हमारे गांव के भूतिया हॉस्पिटल का है सारे कस्बे के लोग इस अस्पताल को भूतिया हॉस्पिटल कहते हैं इस हॉस्पिटल का असली नाम विक्टोरिया हॉस्पिटल ह
ै इस हॉस्पिटल को आज से करीबन 100 साल पहले अंग्रेजों द्वारा बनवाया गया था उस अस्पताल के सामने एक कब्रस्तान है मेरे दादाजी मुझे बताया करते थे कि आज से 60 वर्ष पहले इस अस्पताल में ऑपरेशन के दौरान एक लड़की की मौत हो गई थी तब से उस लड़की की आत्मा उस अस्पताल पर भटकती रहती है रात चलते ही कोई इंसान उस रास्ते से नहीं गुजरता क्योंकि उस लड़की की आत्म राहगीरों को परेशान करती है हालांकि मैं दादाजी की बताई हुई पुरानी भूतिया कहानियों में ज्यादा विश्वास नहीं करता था एक रात में अपने दोस्त अंकित और राजू के साथ एक
बाइक पर घूम रहा था तभी मेरे दोस्त मुझसे विक्टोरिया हॉस्पिटल के रास्ते चलने को कहते हैं हम में से कोई भी ज्यादा भूत प्रेत पर विश्वास नहीं करते थे और हमने उस रास्ते से जाने का तय किया उस समय रात के 10:00 बज चुके थे हम तीनों यह बात परिवार वालों को ना बताने का वादा किया और उस रास्ते पर निकल पड़े जैसे ही हम उस रास्ते पर निकले रास्ते पर रेत होने की वजह से हमारी बाइक फिसल गई और हम तीनों धड़ाम से बाइक से गिर गए अच्छा यह था कि हम तीनों को कोई चोट नहीं आई थी बाइक चला रहे दोस्त अंकित ने बोला कि इसका तो बै
लेंस बराबर था फिर ये बाइक कैसे फिसल गई हालांकि वो थोड़ा डर गया था तो मेरे दूसरे दोस्त राजू ने बाइक चलाने को कहा अब राजू बाइक चला रहा था हम 1 किलोमीटर ही चले थे अचानक हमारी गाड़ी का टायर पंचर हो गया और गाड़ी की स्पीड तेज होने के कारण गाड़ी इस बार पिछली बार से बहुत दूर फिसल जाती है इस बार हमें कोहनी और घुटने पर थोड़ी चोट आई थी अंकित फिर से बोला इस जगह पर जरूर कोई कोई गड़बड़ है हम लोग यहां से वापस लौट जाते हैं लेकिन मैंने और राजू ने उनकी बात नहीं मानी और बाइक उठाकर पैदल चलना शुरू कर दिया हम थोड़ी द
ूर ही चले थे कि अचानक किसी लड़की के चीखने की आवाज सुनाई दी ये आवाज सुनकर हम रुक गए और अंकित बोला यार तुम लोगों को चीखने की आवाज सुनाई दी क्या हमने उसकी बातों का अनसुना कर दिया और कहा कि जानवर की आवाज होगी पाच मिनट चलने के बाद वही चिक दोबारा सुनाई दी इस बार तो हम दोनों को भी थोड़ा डर लगने लगा था हम तीनों वापस चलने के बारे में सोच ही रहे थे लेकिन हम रास्ते के बीच में आ गए थे पीछे जाने पर 3 किमी और आगे जाने पर 2 किलोमीटर ही बाकी थे हम लोगों ने आगे जाने का सोचा थोड़ा आगे चलने पर हमें एक बरगद के पेड़
के नीचे एक औरत दिखाई दी इतनी रात को औरत को देखकर हमारे रोंगटे खड़े हो गए हम लोगों ने पीछे मुड़ने का सोचा तभी वो बुढ़िया औरत चिल्लाई बेटा रुको मुझे हाईवे का रास्ता बता दो हमने पूछा कि इतनी रात को आप इस रास्ते से कैसे निकल रहे हो तो बुढ़िया ने कहा मैं पड़ोस के गांव में रहने वाली और मेरे पास पैसे नहीं है इसलिए मैं पैदल निकल पड़ी हाईवे के उस पार मेरा गांव है हमने उस बुढ़िया की बात का विश्वास कर लिया और आगे निकल पड़े रास्ते में बुढ़िया हमसे सारी बातें पूछने लगी बुढ़िया हम तीनों के पीछे चल रही थी हम
तीनों अपनी बातें कर रहे थे तभी राजू बोला कि लो मांजी आपका रास्ता आ गया और वो जैसे ही मुड़ा तो वहां कोई नहीं था हम तीनों की तो सिट्टी पिट्टी गुल हो गई थी हम बाइक को धक्का मारते हुए जोर से भागने लगे भागते भागते अंकित ठोकर खाकर गिर गया हमने भी बाइक को वहीं पटक करर अंकित को साथ लेकर दौड़ने लगे और अस्पताल के पास के अभ स्थान तक पहुंच गए इतना सब होने पर रात के 12:00 बज चुके थे हम पसीने से तरबतर हो गए थे और कब्रिस्तान पार कर एक मंदिर में रुक गए क्योंकि अगर बिना बाइक के घर जाते तो जूते पड़ते इसलिए उस रात
को हम मंदिर में ही रुक गए और सुबह होते ही बाइक लेकर अपने-अपने घर आ गए और घर वालों को दोस्त के यहां रुकने का बहाना बना दिया उस रात के बाद हम उस रास्ते पर कभी नहीं गए मुझे आज भी सपनों में वह भूतिया बुढ़िया और चीखने की आवाजें सुनाई देती हैं आपको कहानी पसंद आए तो वीडियो को लाइक कर देना चैनल पर नए हो चैनल को सब्सक्राइब कर देना और मिलते हैं ऐसे ही भूतिया स्टोरी में तब तक के लिए बाय i

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