[संगीत] नमस्ते दोस्तों मैं हूं निहारिका और आज हम
चर्चा करेंगे एक ऐसे सफर की जिसमें हम आज हमारे बच्चों के बारे में बात करेंगे जो
खेलते हैं पढ़ते हैं लेकिन सबसे ज्यादा स्क्रीन में ही रहते [संगीत]
हैं बचपन में हम सब याद करते हैं वो दिन जब स्मार्ट फोनस और स्मार्ट टीवीज नहीं थे
बच्चे मां-बाप के साथ अपनी किताबें लेकर बैठकर पढ़ा करते थे बी फॉर
बॉल सी फॉर कैट डी फॉर डॉग ई फॉर एलिफेंट एफ फॉर फिश आज के बच्चे जैसे कि
आप देख रहे हैं घंटों तक स्क्रीन के सामने टाइम बिता रहे हैं लेकिन क्या यह असर उनकी
सेहत पर
नहीं पड़ता आजकल के बच्चे जब से मोबाइल निकला है तब से बहुत बिगड़ गए हैं
पढ़ाई लिखाई में जरा सा भी मन नहीं लगता है पहले के बच्चे पढ़ाई लिखाई छोड़ के
थोड़ा खेलते थे पढ़ाई भी करते थे खेलने में मन लगता था उनका पढ़ाई में भी मन लगता
था आजकल के बच्चे नहीं जब से फोन मिला है मां-बाप का बात नहीं सुनने का कुछ भी टीवी
पे देखने का कुछ भी फोन पे आता रहता है बच्चे लोग बिगड़ गए देख देख देख के पढ़ाई
जरा सा भी नहीं करते हैं मां-बाप से भी लड़ने के लिए तैयार हो जाते हैं फोन लेके
फोन को लेके वो लोग के मन में बहुत कड़
वाहट हो गया है कुछ एप्स ने तो सच में
शिक्षा को आसान और रोचक बनाया है लेकिन क्या यह बच्चों को सच में सिखा रहे हैं
उन्हें शिक्षा दे रहे हैं जितना हो सकता है उतना कोशिश किया बच्चे लोग को खेलने का
सामान मंगा दिया कैरम लोडो बच्चे लोग को टीवी देखने के लिए बोल दिया बच्चे लोग
टीवी देखो ये बना के देती हूं ये खाओ वो खाओ ऐसा करो नहीं वो लोग को आदत ही बन गया
अपने आप को ना बहुत गुस्सा करते हैं वो लोग कुछ भी बोलो टीवी नहीं देख मोबाइल
नहीं देखने का है नहीं अपने आप को गुस्सा करते हैं मारने लगते हैं नोचने लगते ह
ैं
गुस्सा करते हैं नहीं घर से निकल जाएंगे गुस्से में होके पढ़ाई नहीं करेंगे कुछ भी
फेंगे नोच छीना झपटी करेंगे लेकिन फोन चाहिए तो चाहिए ऐसा हो जाता है वो लोग के
साथ में अब हमें सोचने की जरूरत है क्या यह डिजिटल दुनिया हमारी बच्चों को सही
दिशा में ले जा रही है आज के बच्चे जैसे कि आप देख रहे हैं
घंटों तक स्क्रीन के सामने टाइम बिता रहे हैं लेकिन क्या यह असर उनकी सेहत पर नहीं
पड़ता [संगीत] एक्सपर्ट्स की भी यही मान्यता है कि वह भी
देख रहे हैं बच्चों की फिजिकल हेल्थ पर भी असर पड़ रहा है बैठकर स्क्रीन दे
खना उनके
लिए बिल्कुल ठीक नहीं है मेंटल हेल्थ भी एक बड़ी चिंता है कंपैरिजन नोटिफिकेशन सब
कुछ स्ट्रेस क्रिएट कर देता [संगीत] है एक्सपर्ट्स भी कहते हैं कि स्टडीज और
स्क्रीन का बैलेंस होना बहुत जरूरी है लेकिन यह बच्चे नहीं समझ पा रहे हैं
डिजिटल डिस्ट्रक्शन और कंसंट्रेशन कम हो रही है पढ़ाई में भी असर पड़ रहा है बच्च
को अगर फोन नहीं देंगे ना तो वो लोग जबरदस्ती जी करते हैं और अननेसेसरी रो के
या अपनी बात मनवाने के लिए मतलब मैं खाना नहीं खाऊंगा हां इस तरह से ले लेते हैं
पहले कैसा होता था कि अपने टाइम की
बात लेंगे हम लोग तो हम लोग कैसा है बाहर भी
टाइम स्पेंड करते थे खेलने जाते थे बाहर की एक्टिविटी करते थे स कैसा होता था
फिजिकली बच्चे और मेंटली दोनों स्ट्रांग होते थे अभी कैसा है इनको जबसे आदत लगा है
फोन का वो फोन में ही अ लगे पड़े रते हैं उसम गेम खेलेंगे उसमें वीडियोस देखेंगे सो
अगर उनको बोला जाए कि बाहर जाके खेलो तो उस चीज में भी वो भाग नहीं लेते हैं सो वो
मेंटली और बोला जाए फिजिकली दोनों तरह से वीक हो रहा है फोन यूज करने से बच्चे का
जो भी ग्रोथ है और रहा जैसे की हम लोग बच्चे को फोन नहीं देते है
ं तो वो लोग
क्या करते हैं जबरदस्ती रोने लगेंगे खाना नहीं
खाएंगे इस तरह से ब्लैकमेल भी करते हैं पेरेंट्स को सो एक चीज है कि डिसएडवांटेज
है इसका फोन का फिलहाल के हिसाब [संगीत]
से एक्सपर्ट्स की भी यही मान्यता है कि बच्चों की फिजिकल हेल्थ पर भी असर पड़ रहा
है बैठकर स्क्रीन देखना उनके लिए बिल्कुल ठीक नहीं
है [संगीत] स्टडीज और स्क्रीम्स का बैलेंस होना बहुत
जरूरी है लेकिन लगता है बच्चों को यह समझ में नहीं आ रहा तो यह है हमार बच्चों का डिजिटल सफर
लेकिन हमें यह सोचना पड़ेगा क्या यह सफर उनके लिए सच में खु
शी भरा [संगीत] है
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