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LALCHI RAJA | HINDI KAHANIYA | COMEDY FUNNY STORIES

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Sohan bavne

16 hours ago

[संगीत] [संगीत] बहुत समय पहले की बात है तीन भिक्षुक हिमालय की चोटियों को पार करते हुए एक अनोखी और सुंदर नगरी में पहुंच [संगीत] गए [संगीत] यह नगरी तो देखने में बहुत ही सुंदर मालूम पड़ रही है आपने बिल्कुल सही कहा गुरुजी इतनी सुंदर नगरी तो मैंने सिर्फ सपनों में देखी है गुरुजी भिक्षा मांगते मांगते आप तो हमें हिमालय की चोटियों तक ले आए मुझे तो लग रहा था कि हम तीनों ठंड से हिमालय में ही जमकर रह जाएंगे यह जरूर ईश्वर की ओर से हमारे लिए पुरस्कार है गुरुजी प्रेमपाल हम सिर्फ भिक्षुक ही नहीं बल्कि मार्ग दर्
शक भी है पहले जाकर हमें इस सुंदर नगरी को देखना चाहिए गुरुजी प्रेमपाल और वीरपाल को लेकर उस सुंदर नगरी में चले जाते हैं जहां पर बहुत अच्छे अच्छे सुंदर घर बने होते हैं और वहां सभी व्यक्ति बस अपना काम करने में लीन होते हैं पता नहीं मुझे इस नगरी में कुछ अजीब सा लग रहा है यह कैसी बातें कर रहे हैं गुरुजी न जाने कितने दिन बाद हम तीनों को ठंड से राहत मिली है देखिए कितनी ताजा ताजा हवा चल रही है और यहां धूप भी कितनी अच्छी निकल रही है प्रेमपाल सही बोल रहा है गुरुजी मुझे लगता है कि हां हमें किसी धर्मशाला में
रहकर आराम करना चाहिए वीरपाल हम भिक्षुक है कोई व्यापारी नहीं जो हम धर्मशाला में बैठकर आराम करेंगे मैं वहां उस टीले पर जा रहा हूं तुम दोनों अलग-अलग दिशा में बट जाओ और शाम तक मुझे पता करके बताओ कि इस नगरी में लोगों का स्वभाव कैसा है क्या यह नगरी कुछ दिन रुकने के काबिल है भी या नहीं गुरुजी के आदेश पर प्रेमपाल और वीरपाल अलग अलग दिशाओं में चले जाते हैं वीरपाल नगरी में घूमने लगता [संगीत] है इस नगरी में तो बहुत ही स्वादिष्ट व्यंजनों की महक आ रही है subscribe to my YouTube channel आ और मुझे भूख भी बहुत
ज्यादा लग रही है मुझे जरूर कोई अपने लिए भोजनालय तलाशना होगा हां वीरपाल भोजनालय को तलाशने लगता है अचानक वीरपाल की नजर एक भोजनालय पर पड़ती है [संगीत] कुछ खाने को मिलेगा कौन हो तुम इस नगरी में तुम्हारी आवाज मैं पहली बार सुन रहा हूं मैं एक भिक्षुक हूं भिक्षुक यह कौन होते हैं जो भिक्षा मांग कर खाते हैं समझ गया तुम कोई काम धंधा नहीं नहीं करते और मांग कर खाते हो नहीं आप मुझे गलत समझ रहे हैं मेरा कहने का मतलब वो नहीं है तो फिर क्या मतलब है तुम हमें मार्गदर्शक कह सकते हो मार्ग दिखाने वाला तब तो तुम्हारे
लिए यह सारा भोजन मुफ्त है इसका मतलब तुम देख सकते हो देख सकते हो से क्या मतलब क्या तुम नहीं देख सकते नहीं सिर्फ मैं ही नहीं बल्कि इस नगरी का कोई इंसान नहीं देख सकता तुम हमारे राजा से जाकर मिलो वह तुम्हें बहुत सारा इनाम देंगे इस नगरी में तुम किसी से भी बोल देना कि तुम मार्गदर्शक हो वो तुम्हें मुफ्त में भोजन कपड़े मकान यहां तक कि सुंदर कन्या से तुम्हारा विवाह भी कर [संगीत] देंगे अरे अरे अरे मजा आ गया मजा आ गया बगैर भिक्षा के भोजन कपड़ा अच्छा घर वाह वाह वाह वाह वाह वीरपाल काश सं सार के सभी राज्य ऐसे
ही हो जाए तभी उसकी नजर एक मिठाई की बड़ी सी दुकान पर पड़ती है वहां पर बहुत स्वादिष्ट स्वादिष्ट भोजन मिलता है वीरपाल वहां जाकर बोलता [संगीत] है अरे यह मिठाई तो बहुत ही स्वाद दिष्ट मालूम पड़ रही है यह मिठाई मेरी पत्नी ने अपने हाथों से बनाई है मेरे हाथों की बनाई हुई मिठाई जो है इस नगरी में प्रसिद्ध है भैया क्या तुम मुझे मिठाई दे सकते हो बिल्कुल दे सकता हूं अगर तुम्हारे पास इसे खरीदने के लिए मुद्राएं हैं तो शायद तुम मुझे जानते नहीं हो हो मैं मैं एक मार्गदर्शक हूं तो तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया
तुम्हारे लिए तो यह सारी मिठाइयां मुफ्त की है तुम्हारी जितनी मर्जी हो उतनी ले जाओ [संगीत] भैया मगर याद रखना शाम के समय राज महल में जरूर आना राजा तुम्हें ढेर सारा इनाम [संगीत] देगा वीरपाल बहुत सी मिठाई लेकर सीधा एक ऊंचे टीले की ओर चला जाता है जहां पर गुरुजी प्रेमपाल के साथ उसका ही इंतजार कर रहे होते हैं प्रेमपाल अब तुम बताओ तुम्हें यह नगरी कैसी लगी गुरुजी मुझे य नगरी बहुत ही अजीब सी लगी यहां के वासी अजीब अजीब तरह की बातें कर रहे थे कई बार तो मुझे ऐसा लगा जैसे कि वह मुझे देख ही ना रहे हो क्या तुम्ह
ें वहां पर किसी ने भिक्षा नहीं दी मैंने जिस किसी से भी भिक्षा मांगी उसने मुझे भिक्षा देने से मना कर दिया और साथ ही साथ मुझे बहुत ज्यादा अपमानित भी किया वीरपाल अब तुम बताओ तुम्हें नगरी कैसी लगी क्या प्रेमपाल सही बोल रहा है नहीं गुरुजी मुझे लगता है कि प्रेमपाल इस नगरी को समझ नहीं पाया मैंने तो इतनी सुंदर नगरी कभी नहीं देखी गुरुजी मैं तुम्हारी बात का मतलब नहीं समझा गुरुजी मैंने भी भोजनालय से कुछ भिक्षा मांगी थी और उसने भिक्षा देने से इंकार कर दिया मगर जैसे ही मैंने बताया कि मैं एक मार्गदर्शक हूं उस
ने मुझे सारा भोजन मुफ्त में खिला दिया गुरुजी यह कैसी बात कर रहे हो तुम तुम रे मार्गदर्शक बताने से उसने तुम्हें भोजन मुफ्त में खिला दिया यह तो यह तो कुछ भी नहीं गुरु जीी उसने मुझे यह भी कहा कि इस नगरी में तुम किसी के भी सामने कह दो कि तुम एक मार्गदर्शक हो तो वह तुम्हें मुफ्त के कपड़े भोजन सभी कुछ देगा और हां गुरुजी एक बात बताना तो तो मैं भूल ही गया इस नगरी में जितने भी इंसान है ना वो सब के सब अंधे हैं हमें यहां से अभी और इसी वक्त वापस जाना होगा यह नगरी हमारे लिए खतरों की नगरी है यह कैसी बातें कर
रहे हैं आप गुरुजी यहां सब कुछ मुफ्त में मिल रहा है और आप है कि यहां से जाने की बातें कर रहे हैं वीरपाल पिछली बार तू अंधेर नगरी में फस गया था पर इस बार तू अंधों की नगरी में फस जाएगा मेरी बात मान यहां से चलते हैं मैं अब कहीं नहीं जाने वाला गुरुजी हां आपको जाना है तो आप जा सकते हैं मैं मैं तो अपना सारा जीवन जो है यही व्यतीत करूंगा हां इतना कहकर वीरपाल वहां से चला जाता है और एक पेड़ के नीचे जाकर अपने आप से बोलता है शाम के समय राज महल में जाकर राजा के ढेर सारे इनाम लूंगा उसके बाद गुरुजी को दिखाऊंगा त
ब उन्हें पता लगेगा कि वीरपाल मूर्ख नहीं [संगीत] है [संगीत] शाम के समय वीरपाल महल चला जाता है जहां वह देखता है कि उस नगरी के बहुत से वासी वहां पर पहले से जमा थे तुम कौन हो मैं एक मार्गदर्शक हो महाराज आपकी प्रजा ने मुझे बताया कि आप मार्ग दर्शकों को बहुत से इनाम देते हैं तो तुम इनाम लेने के लिए यहां पर आए हो क्यों नहीं आओ आओ पहले हमारा न्याय देखो अरे इतना सम्मान तो मुझे कहीं भी नहीं मिला यह राजमहल कितना सुंदर है और उससे कहीं अधिक सुंदर तो इस राजा का दिल है मेरी तो हो गई बल्ले बल्ले कुछ देर बाद राजा
के महल में एक बूढ़ा व्यक्ति आता है महाराज मैं एक कपड़ों का कारीगर हूं कंबल बनाता हूं और कंबल बनाकर बेचता हूं तो क्या तुम सिर्फ यह बताने के लिए मेरे महल आए हो अ नहीं महाराज बात असल में यह है कि कल रात मैंने बड़ी मेहनत से एक कंबल तैयार किया और अगली सुबह मेरे बगल में रहने वाला व्यक्ति बाबू लोहार उस कंबल को चुराकर ले गया महाराज तुम कैसे कह सकते हो कि यह चोरी तुम्हारे पड़ोसी बाबू लोहार ने की है महाराज बाबू लोहार लोहे के जूते पहनता है और सुबह मैंने उसके जूतों की आवाज सुनी ऐसे मुझे यकीन हो गया कि चोरी
बाबू लोहार ने ही की है जाओ जाकर बाबू लोहार को पकड़ कर लेकर आओ ने कुछ ही देर में बाबू लोहार को पकड़ कर ले आते हैं क्या तुमने ही इसका कंबल चुराया है हां महाराज मैंने ही चुराया है लेकिन क्यों क्योंकि कल रात मैंने देखा यह दूसरा कंबल ओड़कर सो रहा था जबकि इसके पास उस कंबल से अधिक मोटा और गर्म कंबल रखा हुआ था मुझे लगा कि यह कंबल बेकार का है इसीलिए मैं इसे यहां पर उठाकर ले आया महाराज जब तुम्हारे पास मोटा कंबल था तो तुम उसे भी ओढ सकते थे तुमने बहुत बड़ा अपराध किया है महाराज मैं कुछ समझा नहीं तुम्हें तुम
्हारे अपराध की सजा मिलेगी इतना बोलकर राजा बाबू लोहार से बोलता है तुमने इसका कंबल चोरी कर लिया लेकिन तुम चाहते तो झूठ बोल सकते थे और अपनी जान बचा सकते थे तुम्हें भी सजा मिलेगी सैनिकों इन दोनों को फांसी पर चढ़ा दो य देख वीरपाल को चक्कर आते हुए महसूस होने लगते हैं अब तुम मुझे बताओ तुम किस तरह के मार्गदर्शक हो महाराज मुझे लगता है मुझे यहां से जाना चाहिए नहीं नहीं अभी तो हमें तुम्हारा स्वागत भी करना है अब मुझे बताओ कि क्या तुमने कभी सूरज देखा है हां देखा है चांद देखा है हां देखा है क्या तुमने आकाश मे
ं बहुत सारे तारे देखे हैं हां हां देखे इसे पकड़ कर ले जाओ और इसे भी फांसी पर चढ़ा दो बहुत समय पहले एक ऐसा ही पागल व्यक्ति मेरी प्रजा को भड़का रहा था बोल रहा था कि इस धरती के ऊपर नीला आकाश है और वहां पर बहुत से तारे टिमटिमाते हैं और तो और वह मूर्ख यह भी बोल रहा था कि दिन के समय एक बहुत बड़ा सूरज भी चमकता है क्या तुमने कभी उजाला देखा है क्या नहीं महाराज उजाला क्या होता है यह जरूर कोई मूर्ख व्यक्ति है धरती पर तो हमेशा त रहती है सुना तुमने इस धरती पर हमेशा रात रहती है महाराज यह सभी लोग तो अंधे हैं भ
ला अंधा क्या जाने कि उजाला क्या होता है लेकिन आपकी बातों से मुझे ऐसा लग रहा है जैसे कि आप देख सकते हैं हां मैं बिल्कुल देख सकता हूं तो फिर आप मुझे क्यों सजा दे रहे हैं वीरपाल की बात सुनकर अपने सिंहासन से उठकर खड़ा हो जाता है और वीरपाल के कान में बोलता है बरसों पहले मैं भी यहां तुम्हारी ही तरह भटक गया था मैंने इन सबको बहुत समझाने की कोशिश की मगर इनमें से कोई नहीं माना और अब इनकी ही तरह मुझे भी विश्वास हो गया है कि उजाला नाम की को कोई चीज नहीं होती इस संसार में ना ही आकाश है ना सूरज है और ना टिमटि
माते हुए तारे इसे गिरफ्तार करके फांसी पर चढ़ा दो सैनिक वीरपाल को गिरफ्तार करने वाले ही होते हैं कि तभी वहां पर गुरुजी और प्रेमपाल आ जाते हैं मुझे बचा लो गुरु जीी मुझे आपकी बात माननी चाहिए थी ये मेरा प्रिय शिष्य है राजन इसे छोड़ दीजिए नामुमकिन है यह यह मूर्ख झूठ बोलता है कहता है कि इस धरती के ऊपर आकाश है तारे हैं सूर्य है मेरे राज्य में इन सब बातों की सजा मृत्यु दंड है आपका आदेश सरा आंखों पर मैं आपके न्याय के विपरीत नहीं जा सकता लेकिन मैं आप से कुछ कहना चाहता हूं कहो क्या कहना चाहते हो महाराज मैं
आपके कान में कुछ कहना चाहता हूं अगर आपकी आज्ञा हो तो ऐसी क्या बात है वह आपके बहुत काम की बात है राजा गुरुजी को इशारा करके गुरु जी को अपने नजदीक बुलाता है गुरु राजा के कान में कुछ बोलते हैं ठीक है आज तो तुमने कुछ ऐसा कह दिया पर आज के बाद कभी भी लोगों को मूर्ख मत बनाना तुम जा सकते हो और दोबारा यहां पर कभी नजर मत आना वीरपाल जल्दी से उठकर गुरुजी के साथ निकलकर उस नगरी से बाहर भाग जाता है [संगीत] यह सब आपने कैसे किया गुरुजी उस राजा ने मुझे छोड़ कैसे दिया वह सब जन्म जात अंधे थे उनकी पीढ़ियों में कोई भ
ी देखने वाला व्यक्ति नहीं था तुम्हारे जाने के बाद मैंने जब इस राज्य के बारे में पता किया तब मुझे लगा कि वर्षों पहले यह राजा भी यहां पर आकर भटक गया था राजा ने उस समय लोगों को बहुत समझाने की कोशिश की मगर कोई भी इसकी बात नहीं माना लेकिन वह एक चतुर व्यक्ति था उसने बड़ी आसानी से यहां के राजा को मारकर सिंहासन हथिया लिया लेकिन आपने यह नहीं बताया कि उसने मुझे क्यों छोड़ दिया क्योंकि मैंने उसके कान में कहा था कि अगर तुमने मेरे शिष्य को नहीं छोड़ा तो मैं सारी प्रजा को बता दूंगा कि तुम भी देख सकते हो और तु
मने ही उनके पुराने राजा का कत्ल किया था अगर उसकी प्रजा को यह पता लग जाता कि वह राजा भी देख सकता है तो उसके प्रजा बगावत कर देती लेकिन मेरी एक बात समझ में नहीं आई गुरुजी वह राजा उल्टे सीधे न्याय क्यों कर रहा था उसके न्याय पर प्रजा सवाल क्यों नहीं उठा रही थी क्योंकि उन्हें लगता है कि न्याय यही है राजा का न्याय सर्वोत्तम है इसलिए मैंने प्रेमपाल से कहा था कि नगरी हमारे लिए खतरे से खाली नहीं गुरुजी महाराज अब मैं आपकी बात कभी नहीं टा लूंगा राम राम राम राम अंधी प्रजा पागल राजा सभी मुस्कुराने लगते [संगीत
] हैं

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