हाथ पैर सही सलामत में फिर भी भीख मांग
रहे हो तुम्हें शर्म नहीं आती अरे दीदी थोड़ी अंधी हो क्या भीख कौन मांग रहा है
दिख नहीं रहा किताब बेच रहा हूं अच्छा बचपन में अगर किताब पढ़ ली होती ना तो आज
बेचनी ना पढती बड़ा इंसान बनना था मेरे को ठीक है ना इसीलिए अनपढ़ रह गया सही बोला
भाई बड़ा बनना है इसलिए नहीं पढ़ा और ये बात
100% सही है बहनचौड़ लिखा हु वो भी बड़ा बना जो पढ़ लिख के भी
बड़ा नहीं बना है अनपढ रह के कौन सा इस देश में बड़ा काम किया जा रहा है नेता
बनना था नेता नगरी का चक्कर छोड़ो और कोई
सरकारी नौक
री की तैयारी करो बस यही सोचते रहो तुम हमारे देश की यूथ की सबसे बड़ी और
गंदी सोच यही है कि एक सरकारी नौकरी मिल जाए बस जिंदगी पार है लेकिन कोई यह सोच ही
नहीं रहा कि जिंदगी जीने का असली मजा तो बिजनेस करके जीने में है अच्छा इतना ज्ञान
दे रहे हो और खुद गरीब हो किसने कहा मैं गरीब हूं किताब जो बेच रहे हो गाजियाबाद
में 150 गज का प्लॉट लिया है 70000 की बस दो किस्त बाकी है
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