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My Second vlog on Chaukhundi Tomb || KHUSHIYOUN K PAL#historical #tomb #entertainment #real#vlog

Chaukhundi Tomb is located around 30km east of Karachi near to National Highway nearr FAST University, Chaukhundi Tombs are in the list of UNESCO World Heritage Center. Vloger: Dr Sobho Chandio Baloch

KHUSHIYOUN K PAL

8 hours ago

कराची के इलाके लांडी के करीब एक तारीखी मकबरा जो कि चकुंडी कब्रस्तान के नाम से जाना जाता है इसका असल नाम क्या है जिसका अभी तक किसी को कोई इल्म नहीं और यह कब्रस्तान तकरीबन 600 से 800 साल कदीम है यहां पे कबर जो हैं वह कुछ छोटी हैं कुछ बड़ी हैं किनके निशानों में जेवरात हैं और कुछ कब जो हैं उनमें पगड़ी के निशान है कुछ में तलवार के हैं और कुछ आम सी कब हैं जो कि मर्द औरत हुक्मरान और गरीब किसान की शना क्त करवाता [संगीत] है [संगीत] [प्रशंसा] [संगीत] [प्रशंसा] [संगीत] [प्रशंसा] [संगीत] [संगीत] आ [संगीत] इ
स स लगता है कि यह जो मकबरे हैं इनमें यह जो कबर है यह औरतों की कब हैं जोक तीन चार एक साथ ही बनाई गई हैं इनमें यह जो कंगन के निशान है वह इसी से जाहिर होता है कि यह जनाना की कबरे हैं यहां पर जो मुख बरे हैं उन पर किसी में कलमा लिखा हुआ है तो नीचे से उनके नाम लिखा हुआ है कहीं पर सिर्फ नाम ही लिखा हुआ [संगीत] है [संगीत] अफसोस की बात यह है कि यह जो कब्रस्तान है जो कि सिंध और हमारी कराची की एक यानी कि तहजीब को जाहिर करता है उसका कोई भी ख्याल नहीं किया गया यहां पर जो मकबरे हैं इनकी जो है चबूतरे उनकी छत च
ली गई यहां पर कब्रों की जो है मरमत होने के लिए कोई भी इंतजाम नहीं [संगीत] [संगीत] है [संगीत] अब हम खड़े हैं में मनीर के इला पशा टाउन के सामने है तान हैबी इनकी ी य है 8 साल पहले जब य इस्लामी त रही थी उस आपको मुली के अंदर भी यहां बली में भी और मेमन कोट के आगे बलूच कस्तान में भी इस तरह की कबर मिलती है और यही कब आपको दरिया के किनारे प पती है बलूचिस्तान लसबेला के आसपास कती है जो हमारी त आईना है असल में मुसलमानों के पास जो तन और तन का अमल है इससे साबित क्या होता है या खुशी की बात ये होती है कि ये जो च
बूतरे आपको नजर आ रहे हैं वो उस जमाने के सरदारों साहिब हैसियत लोगों की जिनको हम सर्दी वाले कहते हैं उनकी कबरे हैं बाकी कइल की कब हैं एक कबर से मालूम होता है कि ये खातून की है पर्दा है किसी प घोड़ा है जिससे पता चलता है कि लश्कर में काम कर रहा था कोई लोहार है कोई मजदूर है तो वो बिल्कुल अगर किसान है तो उसके निशान से पता चलता है मैं कोई 30 साल से किसी कब्रस्तान में आ रहा हूं हां के और भी तेज सिंध के सबसे एक बहुत बड़े आवामी शायर जनाब शमश हैदरी साहब मदार भी है और बेव भी है पाबंदी ी यहां पर फिर उम भी हम
ना हु थे ये इलाका हमारी कल्चर हमारी तहजीब हमारी शानदार रिवायत करता है कि अल्लाह के पास जाने के बाद कोई छोटा कोई बड़ा कोई किसी तरह का नहीं है एक नई दुनिया है और हमारी सिं की तहजीब जो अमन शांति से तालुक रखती है यहां जो जायरीन है सामान है या दुनिया भर से आते रहते हैं और एक मेला का समा लोग कन है हा कयाम के बाद बेहिसाब किम हुए पूरा पाकिस्तान है ज इलाका है इलाका हैका है ये पूरा इलाका हमारी ताकत और कुतों के सामने भी बहुत कबजा कर लेती है जितनी भी माफियाज बनी हुई है मैं समझ रहा कराची में सबसे बड़ा जो बिज
नेस है वो स्टेट का बिजनेस है कि आप छोटे से कंट्रोल कर ले और फ मं इत बना ले नो चेक नो बैलेंस और इस हवाले से डॉक्यूमेंटेशन भी बन जाती है आसानी से कोई मसला नहीं है लेकिन ये एक बहुत बड़ा चैलेंज है तहजीब में जो तब्दीली आ रही है शायद आने वाले दिनों में और भी गंभीर मसाइल जना उ कुछ पता है कौन से क देखिए ली जिला है मेहमान नवा आज भी आप हो [संगीत] यया है ये सारे जोकी फम उस जमाने में भी 800 साल आ सदियों हुकूमत रही है 00 साल पहले भी हमारे मेंलो का तालुक ईरान से है अगर आप व सबसे ज्यादा जो निगरानी होती है या प
्रमोशन होता है अ कि रांग रान इस तरह से आए थे कक व मुसलमान थे लि उन्होने इस तरह की रखी रा सर आपका बहुत बहुत शुक्रिया य बता द न और आर में कब नजर आ रही है एक तरफ हमारे पास जनाब शमश हैदरी है जो के मलंग सिं के सूफी आवामी मिजाज के बंदे थे और मैं 305 बरस से उनके य घर में आना जाना चा जानता हूं उसका क्या मकाम था कितना मकाम था जरा देखिए भो की वाइ के सिंधी अखबार लाल पाकिस्तान में एडिटर रहे और जब वहां से छोड़ के गए तो पीर पागारा ने खुद उसको बुलाया एट कमाल इंग्लिश में भी ख की और शायरी है है तो मुक्तसर लेकिन
उन्होने जबान की हिफाजत की है और यहां जो उ हुए आवामी किम अा जो आज भी आवामी महफिल में पढे जाते हैं लेकिन लोगों को एहसास नहीं सिंदी में उनका एक छोटा सा आजाद न है जो आपको सुना देता हूं को पत्थर ला को पल गे पानी के में लोग करें क्योंकि इनके आपके एक बोल से इनका टूट जाएगा लेकिन हम ऑफिसर के हवाले से पहचान नहीं है आवामी ब पीछे लिखा हुआ हैने का ब इस जबान की बहुत ब में उ में बहुत सारी किताब लिखी है जो बठ का हजार दुखन खा छुटा ये है जनाब काजल बेवस साहब बेवस का पूरा कबीला यहां पर आबाद है मलामा फम य पर आबाद है
छोटा सा इमाम बारका देखिए ये असल में है निंदो शर बदन के लाड़ जो अब वो जहीर न नजर हुसैन हैदरी के भाने बचपन में यतीम हो गए थे और फिर उसने उसको पाला जवान किया बचपन में उसने फलसफा पया वो हमें बताता था मसल साईको में ने कंट्रीब्यूट किया था जंग रिपोर्टर आ रहे हैं कि जब उनसे पूछे सर चाय में चीनी कितनी डाले या उसमें हम दूध कितना डाले तो वो एक जुमला कहते थे कदर अ लुल लुल के ड़ के मुता बो

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