Antarctica is the world's southernmost continent. It is also the driest, windiest, coldest, and iciest continent. It is the world's highest continent, with an average elevation of about 7,200 feet (2,200 meters) above sea level.
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यहां की धरती जिंदगी की दुश्मन है लाखों मील तक फैली बर्फ ही बर्फ तेज और खौफनाक बर्फीले तूफान और खून जमा देने वाली ठंड जी हां यह है अंटार्कटिका साउथ पर
मौजूद दुनिया का यह अजीबोगरीब हिस्सा 1820 में दरयाफ्त किया गया यहां सारा साल
टेंपरेचर -50 से -90 के दरमियान रहता है और - 89.2 डिग्री सेंटीग्रेड वो कम से कम
दर्जा हरारत है जो वक स्टेशन पर थर्मामीटर से रिकॉर्ड किया गया और हमारी पूरी धरती
पर इससे कम टेंपरेचर और कहीं भी नहीं देखा गया यहां अक्सर तेज और खौफनाक बर्फीले
तूफान 320 किमी फ घंटा की रफ्तार से चल
ते रहते हैं गर्मियों के 6 महीने मुसल सल दिन
और सर्दियों के छ महीने मुसलसल रात रहती है अगर इन खौफनाक कंडीशंस को देखा जाए तो
यहां जिंदगी इंपॉसिबल लगती है लेकिन इसके बावजूद कुछ लोग यहां सारा साल रहते हैं
यहां 25 मुल्कों के 70 रिसर्च स्टेशंस मौजूद हैं अंटार्कटिका में बर्फ की गहराई
5 किमी तक है और एक अंदाजे के मुताबिक अगर यहां की सारी बर्फ पिघल जाए पूरी दुनिया
के समुद्रों में पानी की सतह 210 फुट तक इंक्रीज हो जाएगी धरती का यह हिस्सा बहुत
मिस्टीरियस है और आए दिन कोई ना कोई अकल को दांग करने वाली मिस्ट्
री सामने आई रहती
है यहां किसी भी कंट्री का कोई कब्जा नहीं है और ना ही यहां कोई टाइम जोन फॉलो किया
जाता है यहां आने वाले रिसर्चस अपने-अपने कंट्री के हिसाब से टाइम को फॉलो करते हैं
2014 में तीन इंसानी खोपड़ यां मिलती हैं जो देखने में तो इंसान की लगती हैं लेकिन
यह आज की इंसानी खोपड़ी से बहुत मुख्तलिफ और ड्रोनी है 2009 में बर्फ की खुदाई के
दौरान एक पुर असरार ढांचा मिला तहकीक से पता चला कि यह लाखों साल पहले यहां रहने
वाली किसी बिल्ली का ढांचा था लेकिन इन पुर असरार ढांचे से यह साबित हो गया कि
लाखों सा
ल पहले यहां इंसान और जानवर आबाद थे लेकिन फिर खतरनाक मौसम की वजह से
जिंदगी खत्म हो गई 1911 में रिसर्च के दौरान एक मेटियोरॉइड मिला मेटियोरॉइड्स वो
सख्त पत्थर होते हैं जो किसी और प्लेनेट से टूटकर हमारी धरती पर आ गिरते हैं जब इन
मेटियोरॉइड्स पर तहकीक की गई तो पता चला कि ये कहीं और से नहीं बल्कि मुरी से टूट
करर आए हैं पिछले 50 सालों में अंटार्कटिका से 10 हजार मेटियोरॉइड्स
दरयाफ्त हो चुके हैं कहा जाता है कि अटलांटिस का गुमशुदा शहर जो हजारों साल
पहले पानी में गर्क हो गया था इसी बर्फ के नीचे कहीं है लेक
िन यह मिस्ट्री आज तक
सॉल्व नहीं हो सकी 1911 में टेलर नाम के एक साइंटिस्ट को ईस्ट अंटार्कटिका में एक
अजीबोगरीब वाटरफॉल मिली जिससे वाटर नहीं ब्लड फॉल होता था इस दरयाफ्त ने पूरी
दुनिया के होश उड़ा दिए थे क्योंकि ऐसे महसूस होता था जैसे ग्लेशियर का खून बह
रहा हो लिहाजा इसको ब्लड फॉल्स का नाम दे दिया गया और यह पूरे 100 साल तक एक
मिस्ट्री बना रहा लेकिन फिर आखिरकार 2017 में इसको सॉल्व कर लिया गया रिसर्च से पता
चला कि इस पानी में आयरन ऑक्साइड बहुत ज्यादा मिक में मौजूद है जिसकी वजह से इस
पानी का कलर रेड ह
ो गया है यानी यह कोई ब्लड नहीं सिर्फ एक कलर था डॉन जन पंड यह
दुनिया की सबसे ज्यादा साल्ट एस्ट लेक है और इसमें साल्ट की मिक दार 40 पर है इसके
अलावा 400 से ज्यादा छोटी-बड़ी अंडरग्राउंड लेक्स अब तक डिस्कवर हो चुकी
हैं खूबसूरत पेंग्विंस यहां के मुस्तकिल रिहायशी हैं इनके अलावा वेल्स की भी
मुख्तलिफ अक्साम अंटार्कटिक वाटर्स में देखी गई हैं आप यह जानकर हैरान होंगे कि
हमारी धरती का सबसे खुश्क तरीन हिस्सा भी अंटार्कटिका ही पर मौजूद है यह एरिया 1903
में डिस्कवर किया गया और इसको ड्राई वैलीज के नाम से जाना ज
ाता है अगरचे ये
अंटार्कटिका के कुल रकबे का सिर्फ 2 फीसद है लेकिन यह इस कदर खुश्क है कि यहां
लाखों साल से बारिश नहीं हुई यहां पर ह्यूमिडिटी बहुत कम है और हवाएं 300 40
किमी फी घंटा की रफ्तार से चलती रहती हैं इन ड्राइव वलीज का क्लाइमेट मुरी के
क्लाइमेट से काफी मिलता जुलता है चारों तरफ हैरान कुन हद तक बर्फ से ढकी इस धरती
पर क्या कोई आग का तसवर भी कर सकता है जी हां बर्फ में डूबे इस कॉन्टिनेंट पर बहुत
सारे वोल्केनो भी मौजूद हैं और माउंट एरे बस एक एक्टिव वोल्केनो है धरती का यह
हिस्सा बेशुमार अजा बात से
भरा पड़ा है इसमें लाखों राज पोशीदा हैं जिनसे अभी तक
हम इंसान बहुत दूर हैं
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