आसमान में यह गर्जना जमीन पर य जाबाजी चारों दिशाओं में ता है विजय घोष यह नए भारत का आह्वान है यही प्रो है जो भारत की परमाणु शक्ति का सा रहा है और यहीं पर हम आज स्वदेशी करण से सशक्तीकरण उसका दम भी देख रहे [संगीत] हैं भारत शक्ति का यह उत्सव शौर्य की भूमि राजस्थान में हो रहा है लेकिन इसकी गुंज पूरी दुनिया में सुनाई दे रही विकसित भारत की कल्पना आत्मनिर्भर भारत के बिना संभव ही नहीं है रक्षा जरूरतों में आत्मनिर्भर होता भारत सेनाओं में आत्मविश्वास की भी गारंटी है
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