Main

चौरासी मंदिर का रहस्य | Horror and suspense podcast | Episode-5 | Horror stories in Hindi

In #horrorstoriesinhindi #hindihorrorstories #hindistorytelling Namskar Doston, Swagat hai aap sabhi ka aapka apne youtube channel horror stories in Hindi Daastaan-e-khau in Hindi Me....ham naya podcast series shuru karne jaa rahe hai jo duniyabhar ke rasmai ghatnaao ya jagahon ko kahaniyon ke madhayam se is series me aaplogo ke saamne prastut karenge ...aasha karte hai aap sabhi ko ye horror podcast pasand aayega ...agar aap sabhi hamare channel pe pehli baar aaye hai to kripya karke channel ko subbscribe jarur kijiye taki aane wali sabhi Ghost stories in Hindi and Horror stories in Hindi Aap sabhi sabse pahle sun paye....aaj ki yah kahani chaurasi mandir ke rahsya pe adharit hai ...agar aapko ye horror suspense kahani achhi lage to like share aiur comments jarur kijiyega @HorrorStoriesHindiUrdu @HindiHorrorStories @ChachaKeFacts Related search Terms New Horror stories Chacha ke facts related video Best horror podcast in Hindi mahesh arya related video All Rights Reserved © HorrorstoriesinHindi Daastaan-e-Khauf

Horror Stories In Hindi ( दास्ताँ-ए -ख़ौफ )

4 months ago

[संगीत] आप सुन रहे हैं राजस्थान में खौफ नमस्कार दोस्तों स्वागत है आप सभी का आपके  अपनी युटुब चैनल हॉरर स्टोरी इन हिंदी [संगीत] कास्ट के सीरीज को जी तरह से आप लोगों ने पसंद किया  हमने काफी खुशी हुई और इसी के साथ एक और मजेदार और रूम कपाट देने वाली वीडियो के साथ उपस्थित थे कहानी  शुरू करने से पहले आप सभी से एक छोटी सी रिक्वेस्ट है अगर आप हमारे चैनल पर पहले बार आए हैं तो कृपया  करके चैनल को सब्सक्राइब जरूर कीजिएगा तो दोस्तों बिना फिल्म विकी चलिए आज की कहानी को शुरू करते हैं  क्या कभी आपने ऐसा सुना ह
ै की आत्माओं की भी कचहरी में पेशी होती है सही गलत का फैसला होता है क्या भला  मृत्यु के बाद भी आत्माओं के लिए कानून हो सकता है यह साड़ी चीज सुनकर आप सभी को भी अजीब लगता होगा  और इन सभी चीजों पर विश्वास करना आप लोगों के लिए हद से ज्यादा मुश्किल भी होगा मगर आज की कहानी एक  सत्य घटना पर आधारित है जहां वाकई हम लोगों ने यह साड़ी चीज अल में महसूस किया और तो और ऐसी कई साड़ी  रहस्यमई चीजों का पर्दाफाश भी किया नमस्कार मेरा नाम सुनील है और मैं देहरादून उत्तराखंड का रहने वाला  हूं मेरे परिवार में ज्यादा सदस
्य नहीं रहते सिर्फ मेरी मां और मेरी पत्नी ज्योति पिताजी 2 साल पहले  ही हार्ट अटैक के करण गुर्जर गए तब से पूरे घर की जिम्मेदारी मां ने अपने कंधों पर ले ली अपनी मां  को केला छोड़कर कहानी नहीं जाना चाहता था इसलिए मैं और मेरी पत्नी ज्योति भी उनकी इस जिम्मेदारी  का बोझ कम करने के लिए केमोन में हाथ बताने लगे ज्योति एक आदर्श बहू की तरह घर का सर कम कर देती और  मैं बाहर का कम और नौकरी करके अपने घर वालों के लिए पैसे कंकर साड़ी चीजों का खर्चा उठा था पीछे से  मैं एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूं और यही देहरादून मे
ं ही एक छोटी सी स्टार्टअप आईटी कंपनी में नौकरी  करता हूं हमारा परिवार बड़ा ही खुशहाल बीट रहा था बाकी तो बस यही चाहती की हम जल्दी से उन्हें बच्चे  की खुशखबरी दे मगर हम दोनों में से कोई भी इस चीज के लिए तैयार नहीं था अभी हम दोनों ने मिलकर सिर्फ  यही सोचा था की एक बार मुझे थोड़ी तनख्वाह अच्छी मिलने ग जाए फिर बच्चे का सोचेंगे ताकि आगे आने  वाली जिंदगी में कभी भी उसके कोई जरूर अधूरी ना र जाए इस बात से मां भी कभी-कभी मां तो जय करते  थे मगर फिर कुछ दोनों बाद उनकी न शुरू हो जाति हमारी जिंदगी एकदम साधारण
सी चल रही थी फिर वो  हुआ जिसकी कल्पना हमने हमारे सपना में भी नहीं की थी उसे घटना ने ना केवल हमें अत्यधिक भाई में  डाला बल्कि हमारी पुरी जिंदगी पर एक खौफनाक छाप छोड़ दी उसे घटना को जब हम आज भी याद करते हैं  ना तो हमारा रूम-रूम शहर उठाता है यह बात कुछ तीन-चार साल पहले की है जब मेरी नई-नई शादी हुई थी  मेरी ही तरह ज्योति को भी भारत की रहस्यमई जगह और चीजों को जानना और उन्हें देखने का बड़ा शौक था एक  करण यह भी था की जी वजह से हम दोनों ने एक दूसरे को पसंद किया था यह बात तो सभी जानते हैं और करते  भी है
ं जब नई-नई शादी होती है तो हर जोड़ा हनीमून पर कोई रोमांटिक जगह ही जाता है मगर हम दोनों कुछ  अलग ही थे हम लोग हमारे हनीमून पर कोई रोमांटिक जगह जगह भरमौर जो की हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में  स्थित है वहां का 84 मंदिर जिसे माना जाता है की इस जगह पर यमराज की कचहरी में आत्माओं के पेशी  होती है ऐसा माना गया है की इस मंदिर में निकॉन आत्माएं रहती है दिन हो या रात इस जगह पर आत्माओं  की मौजूदगी हर वक्त रहती है तो बस थे हम लोग चले किम के इंसान इसलिए एक दिन भर मो के इस 84 मंदिर  में जान का मां बना ही लिया
क्योंकि मेरी हमेशा से एक आदत रही है की मां को कहानी भी बिना बताए नहीं  जाता चाहे शादी हो गई है लेकिन आज तक मेरी यह आदत कभी नहीं गई मां उसे वक्त बरामदे में बैठकर भजन  कीर्तन सुन रही थी मैं तुरंत जाकर उनकी गॉड में सर रखकर नीचे लगी चटाई पर लेट गया नहीं ए रहा था की  एक बार फिर मां से झूठ बोलना पड़ेगा क्योंकि अगर ऐसी जगह छह रहे हैं या कहा तो फिर खामखा चिंता करेगी  इसलिए मैं मां से एकदम शांत भाव से बोला मां सुनो ना कुछ कुछ कहना था आपसे मेरी मां प्यार से मेरी और  देखकर सर्प सहलाते हुए बोली हां बेटा बोल
क्या कहना है मैंने मुस्कुराते हुए मां की तरफ देखते हुए कहा  दरअसल मां मेरी और ज्योति की शादी को कुछ महीने तो बीट गए हैं पर अभी तक मैं उससे कहानी बाहर घूमने  नहीं लेकर आया इसलिए मैं सोच रहा था की मेरी बात को बीच में से काटते हुए मां प्यार से गुस्सा करती  हो बोले पागल यह भी कोई बोलने की बात है मैं तो कब से सोच रही थी की तू ज्योति को कब ले जाएगा भगवान  का लाख-लाख शुक्र है की इस लड़के को डर से ही सही समझ तो आया और मुझे क्या पूछ रहा चल जल्दी जा और  पैकिंग करना शुरू कर इतना उतावला देख मैं खुश तो था ल
ेकिन मां के बीच चिंतसता रही थी ऐसा लगा जैसे  मां ने मेरी मां की बात सुन ली हो वो मेरी और देख कर एकदम ममता से बोली जानती हूं तुझे मेरे फिक्रस्ता  रही लेकिन चिंता मत कर वो पड़ोस वाली शीतल है ना उनके भी पति कहानी बाहर गए हैं तो मैं उन्हें घर  बुला लूंगी और हम दोनों सा लिया बिल्कुल मस्त आराम से रहेंगे इस तरह थोड़ा मुझे भी अपनी सहेली के  साथ समय व्यतीत करने का मौका मिल जाएगा मां के इस सुझाव से मैं थोड़ा बहुत संतुष्ट तो हो गया मगर  कुछ भी कहो अपनों की चिंता तो हर वक्त रहती है इसलिए मैं उन्हें गले से ल
गाकर प्यार से बोला जानता हूं  मेरी मां सब कुछ कर शक्ति है मगर हम तीन-चार दोनों में वापस लोट आएंगे इसलिए चिंता बिल्कुल मत करना  और अपना ख्याल रखना ज्योति आपका सर कम करके जाएगी है और कुछ भी चीज की जरूर हो तो बेझिझक मुझे फोन  कर देना अभी मैं यह सब कहानी रहा था की तभी पीछे से जूते की आवाज आई माझी सुनील जी खाना ग गया है  ए जाइए पेट में तो चूहा दौड़ ही रहते थे ज्योति की आवाज सुन मैं और मां तुरंत दानी केवल पर जाकर बैठ  गए फिर हम तीनों ने साथ में स्वादिष्ट भजन किया और यूं ही थोड़ा इधर-उधर की बातें की खा
ना खाकर मां  कुछ डर और भजन कीर्तन सुनकर सोनी चली गई और मैं और ज्योति भी अपने कमरे में जाकर समाज जमाने लगे कपड़े  रखते हुए ज्योति गंभीर स्वर में बोली सुन लीजिए उसे जगह पर जाना सही तो होगा ना मेरा मतलब है रहस्यमई  जगह जान का शौक तो मुझे भी बहुत है लेकिन ऐसी जगह के बड़े में पहले कभी नहीं सुना ज्योति को परेशान  होता देख मैं उसे साइन से लगा लिया और फिर उसे समझते हुए कहा चिंता ज्योति जो होगा देखा परेशान होने  का क्या फायदा एक बार जाए तो अच्छी की क्या वाकई उसे जगह पर आत्माओं की पेशी होती है थोड़ा लोगों
  से बातचीत करके जानेंगे तभी तो पता चलेगा ना और मैं तुमसे वादा करता हूं थोड़ा भी खतरे का एहसास  होगा हम दोनों फौरन वहां से निकाल पढ़ेंगे ठीक है अब चिंता मत करो मेरे समझने पर ज्योति एक बार में  ही समझ गई और जल्दी-जल्दी पैकिंग करने लगी हम लोगों ने हमारे साथ कुछ दो तीन कैमरा भी रखिए ताकि हर एक  चीज अच्छे से रिकॉर्ड कर सके पैकिंग खत्म करने के बाद हम दोनों ऐसे सो गए जैसे पहाड़ चढ़कर ए रहे हो  सुबह सूरज की खिलखिलाती करने ने हमारे दिल की शुरुआत का कम करने लगी मां भी जल्दी नहा धोकर भगवान की  पूजा अर्चना
कर रही थी हम लोग भी जल्दी से तैयार होकर नाश्ते की टेबल पर ए गए मां को चरण स्पर्श  करके गरम-गरम पोहा और साथ में अदरक वाली चाय की चुस्की के साथ नाश्ता करने लगे नाश्ता करने के बाद  हम कमरे से सर समाज नीचे ले आए तब तक शीतल आंटी भी ए चुकी थी उन्हें प्रणाम करके एक बार फिर मैं मां  से चिंतित स्वर में बोला मां हम चलते ही लोट आएंगे आप अपना ख्याल रखना और समय पर साड़ी चीज करना है ना  किसी भी चीज की जरूर हो तो आपका बेटा 24 घंटे आपके लिए हाजिर है मुझे इस तरह कहता सुन मां की आंखें भर  आई और भी आंसू पूछती हुए
बोली देखा शीतल बेटा होता है ऐसा बेटा मेरी चिंता थोड़ा भी मत कर तू और ज्योति  अच्छे से घूम कर आओ मैं यहां एकदम ठीक रहूंगी और फिर शीतल है हम दोनों एकदम मजे से रहेंगे तुम दोनों आराम  से आओ मेरी मां की बात पर शीतल आंटी ने भी हामी भारी और बस फिर मैं और ज्योति मां को चरण स्पर्श करके  अपनी कर से ही निकाल पड़े बीएमडी उसे वक्त करीब सुबह के 10:30 बाज रहे थे लगभग 13 घंटे की यात्रा  के बाद हम भर मौत गए देखने में तो वह एकदम ग्रामीण इलाका था क्योंकि पहुंचने पहुंचने रात हो चली थी  इसलिए ज्योति और मैंने यही फै
सला किया की आज रात भर एक होटल करके थोड़ा आराम कर लेते हैं क्योंकि  यात्रा से शरीर में थकान भी हो गई थी भरम और के पास ही एक होटल में हमने चेकिंग किया और समाज जमा  कर खाना ऑर्डर कर दिया मुंह हाथ धोकर थोड़ा फ्रेश होकर खाना खाया और फिर थोड़ी डर मां से फोन पर बात  करके हम दोनों पलंग पर लेट गए कुछ डर यूं ही बातें करते-करते हम दोनों कब नींद के आगोश में चले गए  पता ही नहीं चला थकान इतनी ज्यादा थी की सुबह हम दोनों की नींद करीब 10:00 खली नींद से उठाते ही हम  लोग नहाए हुए और खाना भी का लिया फिर अपना कैमरा
लेकर पुरी तरह तैयार होकर भरमौर की तरफ रिक्शा करके  निकाल पड़े भर मौत की सुंदरता बहुत ही लाजवाब थी जो हमें अपनी और आकर्षित कर रही थी गर्मी के मौसम में  पहाड़ों से छानकर ए रही सूरज की रोशनी मां को सुकून दे रही थी रास्ते में सोचा थोड़ा रिक्शा वाले से  मंदिर के बड़े में पूछ लिया जाए इसलिए रिक्शे वाले भैया से जिज्ञासु स्वर में पूछा अरे भैया आप तो  शायद यही के रहवासी मालूम करते हो क्या थोड़ा बताएंगे 84 मंदिर के बड़े में दरअसल हम देहरादून से  यहां इस मंदिर के बड़े में थोड़ा जन के लिए आए हैं इच्छा वाला
काफी अच्छा था इसलिए मेरे इस प्रश्न का  उसने विनम्र भाव से जवाब दिया जी साहब जरूर बताएंगे इस मंदिर की तहकीकात करने वाले बहुत लोग आते हैं  उसे मंदिर में 24 घंटे आत्माएं घूमती रहती है वहां धर्मराज की अदालत में आत्माओं की पेशी होती है और  खुद चित्रगुप्त इंसान के मृत्यु के बाद उनकी कर्मों का हिसाब किताब लिखने हैं कई लोगों ने आत्माओं को  देखा भी है इतना ही जानते हैं साहब हम उसे मंदिर के बड़े में रिक्शा वाले की बात सुनकर हम दोनों एक दम  शब्द र गए वैसे तो इस जगह के बड़े में थोड़ी बहुत जानकारी थी लेकिन ज
ैसे-जैसे मंजिल पास ए रही थी  वैसे-वैसे थोड़ा डर भी ग रहा था क्योंकि थान लिया था की इस रहस्य की यह तक जाना ही है इसलिए थोड़ा  हिम्मत से कम लिया रास्ते में चलते वक्त अचानक से तेज बारिश होने लगी ऐसा ग रहा था मानो कुछ अदृश्य  शक्तियां हमें उसे मंदिर की रहस्यमई चीज जन से रॉक रही हो बारिश के चलते रिक्शावाले ने भी आगे जान से  साफ माना कर दिया अब हमारे पास बस एक ही रास्ता था पैदल चलकर उसे मंदिर तक पहुंच जाए जैसे-तैसे करके  बारिश से बचते बचते मैं और ज्योति लगभग आधे पौन घंटे बाद मंदिर के मुख्य द्वारा पे प
हुंच गए मंदिर  दिखने में काफी सुंदर और विशाल था उसकी खूबसूरती हमको सम्मोहित कर रही थी मगर जी रहस्य के बड़े में  सुनकर पढ़कर हम यहां आए थे वो कहानी ना कहानी मां में डर पैदा जरूर कर रहा था पत्थर से अपना यह मंदिर  अपनी अंदर कई राज समितियां था अंदर प्रवेश करते ही मैं और ज्योति मंदिर की चकाचौंध देखने लगी कई सारे  रास्ते थे जिनके नाम अलग-अलग तरह से दिए गए थे 84 मंदिर में जो धर्मराज की स्थापना की गई थी उसे जगह  का नाम धर्मेश्वर महादेव था क्योंकि धर्मराज का नाम शंकर भगवान के नाम से जुड़ा हुआ है इसलिए शि
वलिंग  रूपी धर्मराज वहां आज भी ब्रिगमैन है कुछ दूर आगे बढ़ाने के बाद जैसे-जैसे हम मंदिर को और करीब से  देख रहे थे वैसे से हमें कई सारे चीजों को पता चल रही थी चलते-चलते जूती मेरा हाथ घुसकर पकड़ सही-सी  आवाज में बोले सुनील जी मुझे थोड़ा डर ग रहा है 24 घंटा यानी दिन हो या रात नहीं हर वक्त भटकती  रहती हैं मतलब क्या अभी भी हम आत्माओं के बीच में खड़े हैं ज्योति के सवाल में मुझे भी डर की चादर  ओढ़ने पर मजबूर कर दिया लेकिन इतना दूर आए थे तो सारे चीज पता करनी ही थी इसलिए मैं ज्योति को हिम्मत  देती हुई कह
ा डरो नहीं ज्योति हमारी तरह यहां पर कई और लोग भी मौजूद है और दूसरी चीज हमें इस रहस्य की  यह तक जाना ही है इसलिए तो हम इतना दूर मां से झूठ बोलकर आए हैं और ठीक है हमने काफी चीज पड़ी और सनी  है अभी भी हम सच क्या है या नहीं जानते हैं ना हो सकता है की यह लोग जो मानते हैं वो महल से कफ हो अभी  तक सच नहीं जानते ना इसलिए जब तक हम अपनी आंखों से देख नहीं लेती तब तक उन साड़ी बटन पर यकीन मत करो  डरो नहीं मेरी इस बात से ज्योति को थोड़ा बहुत समझ तो ए गया और वो एक बात अच्छे से की कैसे भी करके इस  रहस्य की यह तक
जाकर रहेंगे बस इसलिए हम लोग मंदिर को और करीब से समझना लगे मंदिर का नाम भी हम लोगों  को थोड़ा अजीब ही ग रहा था हम दोनों यह समझ नहीं का रहे थे इस मंदिर का नाम 84 ही क्यों रखा गया इसलिए  इस पहेली को सुलझाने के लिए हमें मंदिर की पुजारी से मिलन था और देखो हमारी किस्मत पुजारी जी ठीक  धर्मराज जी के मंदिर के बाहर ही खड़े थे जैसे ही हमने उन पुजारी को देखा तो हम फौरन उनकी तरफ आगे  बढ़ हम ही आधा देख पुजारी जी भी अचरज के भाव लिए हमारी और देखने लगे वहां पहुंचकर मैंने और ज्योति  ने उन पुजारी जी को प्रणाम किय
ा और फिर मैं उसे मंदिर के बड़े में जन के लिए जिज्ञासु भारी आवाज  में बोला प्रणाम पूजा जी दरअसल हम लोग देहरादून तो मैं हमें दे पाएंगे मेरी इस बात से वह पुजारी  थोड़ी डर कुछ सोचा फिर हंसते-हंसते हुए बोला जी जरूर जरूर आपको जो कुछ भी इस मंदिर के बड़े में जानना  है मैं सब बताऊंगा मुझे बस 2 मिनट का समय दीजिए मैं वहां मंदिर में मेरे बेटे को बिठा कर आता हूं  क्योंकि ऐसा खुला छोड़ देना हमको महंगा पद जाएगा बस अभी आया आप लोग वहां परी पर बैठ जाइए हमने उन पुजारी  की बटन में हम ही भारी और फिर वो वहां से चले ग
ए पुजारी जी के बताए गए स्थान पर मैं और ज्योति जाकर  बैठ गए और दोबारा मंदिर की हर एक चीज बड़े ही गौर से देखने लगी कुछ समय बाद वहां पुजारी जी ए गए और हमारे  इस समक्ष बैठ उसे मंदिर के बड़े में बड़े ही रुचि से बताने लगे हां जी मंदिर के बड़े में बात शुरू करने  से पहले मैं आपको अपना परिचय दे डन मेरा नाम सोमनाथ व्यास है तो मैं यही अपने परिवार के साथ भरमौर में  ही राहत हूं गरीब 23 साल से मैं इस मंदिर की देखरेख कर रहा हूं और 23 साल से मैं यहां पुजारी भी हूं वो  काफी घटनाएं मेरे साथ भी घाटी है और काफी लोग
ों के साथ भी इस मंदिर का नाम 84 मंदिर इसलिए है क्योंकि  इसमें एक केंद्र की बाउंड्री पर शिवलिंग पर आधारित 84 मंदिर है यानी 84 सिद्ध नवनाथ बने हुए हैं जिसके  करण इसका नाम पड़ा पहले यह स्थान माता ब्राह्मणी कथा जो ब्रह्मपुत्र थी और पूरे ब्रह्मांड की रानी भी थी  है तो उसे समय शंकर भगवान कैलाश पर्वत पर जा रहे थे एक रात के लिए रुकने के लिए उन्होंने माता ब्राह्मणी  से प्रार्थना की माताजी थोड़ा सा ऊपर गई तो उन्होंने देखा की 84 सिद्ध नवनाथ यहां आकर बैठे हुए हैं इस  बात से माता ब्राह्मणी बहुत नाराज हुई और
बोली यह आपने क्या कर दिया मेरी पुरी जगह पर कब्जा कर लिया  इस बात पर शंकर भगवान बोली की है माता मैं कैलाश पर्वत पर जा रहा हूं और वहीं बैठूंगा जो भी यात्री  मेरी यात्रा के लिए कैलाश पर्वत पर आएगा वह सबसे पहले यहां 84 सिद्ध नवनाथ के दर्शन करेगा फिर आपके  कुंडली में स्नान करेगा फिर मेरे पास पहुंचेगी तभी मैं उसे यात्रा की यात्रा संपूर्ण मानूंगा पुजारी  जी जो जो बात बता रहे थे उन पर मुझे और ज्योति को बहुत दिलचस्प ए रही थी इसलिए मुझे थोड़ी और जिज्ञासा  जागी तो मैं विनम्रता से एक प्रश्न पूछा उच्चारे जी
आपके पास तो ज्ञान का अंबर है अगर मेरे मां में ए  रहा है लोग ऐसा कहते हैं की यहां 24 घंटे आत्माएं भटकती रहती हैं और यहां यमराज जी खुद उन आत्माओं के  अच्छे बुरे कर्मों का हिसाब करते हैं तो क्या यह बात सच है मेरी इस प्रश्न पर पुजारी जी मुस्कुराते हुए  हामी भारते हुए बोली जी हां आपने जो कुछ भी सुना है आई इधर मैं आपको चित्रगुप्त के मंदिर में ले चला  हूं पुजारी जी हमें धर्मराज के मंदिर के ठीक सामने वाले मंदिर ले गए जिसके भीतर एक स्थान रेलिंग से  चारों तरफ से गिरा हुआ था और उसे स्थान पर लिखा हुआ था चित
्रगुप्त की पोथी वहां पहुंचने ही पुजारी  जी में उत्सुकता से समझती हुए बोले ये चित्रगुप्त की पोथी है यानी की चित्रगुप्त की अदालत जहां करने  के बाद इंसानों की अच्छाई और बुराई को सच के तराजू पर कल ए जाता है यहां देखिए इस तरफ दो पैरों के  निशान बनाए गए हैं धर्मराज के पास जान से पहले भी आत्मा यहां खड़ी होती है और जब तक चित्रगुप्त उनका  हिसाब किताब नहीं लिख लेते तब तक वे धर्मराज के मंदिर के सामने पीठ दिखाएं खड़े रहते हैं जब किसी  भी इंसान की मृत्यु होती है तो इसे यही पर मोर के धर्मराज के मंदिर में आना
पड़ता है कुछ लोग यहां  दर्शन करने आते हैं और रुक कर देखते भी हैं जैसे आप लोग खोजबीन कर रहे हैं ना ठीक इस तरह से बहुत  से लोग करते हैं जो रात में रुक जाते हैं वे लोग बताते हैं उन्हें आत्माओं की चीचेन सुने देती है  और आत्माओं के होने का एहसास भी होता है आई यहां दो जगह और है जिनके बड़े में आप सुनकर चौक जाएंगे  पुजारी जी की बटन से अब मुझे और ज्योति को थोड़ा डर लगे लगा था क्योंकि खान कर आए थे की इस रहस्य की यह  तक जाएंगे इसलिए हम लोगों ने हर नहीं मनी और पुजारी द्वारा बताया गया स्थान पर जान लगी वहां प
हुंचकर  हमने देखा की मंदिर के परिसर में साइड की तरफ कुछ सीढ़ियां हैं जहां ऊपर की तरफ एक दरवाजा लगा हुआ  है दरवाजे के पास लिखा था भाई पौड़ी वहां पहुंचकर बेचारी चीनी एक बार फिर आतुर होकर कहा ये देखिए  ये वह स्थान है जहां काल मृत्यु वाली आत्माओं यानी जिन लोगों की मृत्यु अल्प आयु में होती है जैसे की  फैंसी लगाना एक्सीडेंट हो जाना आदि को अपने बच्चे हुए जीवन का हिस्सा काटना पड़ता है और इस के बाद भी  आत्माएं चित्रगुप्त तक पहुंच शक्ति है अपना लेख जोखा लखनी कभी भी यहां आत्माओं की लाइन लगी है मगर हमें  दि
खाई नहीं दे रही जैसी ही पुजारी जी नहीं है कहा की अभी भी आत्माएं मौजूद है कोई छोटी मुझे घिसकर  पकड़ ली ज्योति को इस तरह डरता देखें मैंने उसे शांत किया और आत्माएं कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे  ऐसा कहकर जिसे ज्योति मेरी पुरानी बातें सोच कर शांत हो गई जैसे-जैसे हम उसे मंदिर के रहस्य को  समझ रहे थे वैसे डर हम पर हेवी होता जा रहा था कभी-कभी ऐसा लगता है की यहां से जल्दी भाग निकली  लेकिन फिर वही लक्ष्य याद ए जाता और मां से बोला हुआ झूठ जिसके चलते हम हमारी खोजबीन जारी रखें अब  पुजारी जी हमें किसी नदी की तर
फ ले गए मगर इस बार हम लोग दरवाजा खोल कर अंदर भी गए बल्कि वहीं दरवाजे  के पास रुक कर उसे जगह को देखा जहां पुजारी जी हमें ले गए थे उसे जगह का नाम था बेहतरीन नदी पुजारी जी  ने अब थोड़े द्र सा में लहजी में बोले इस जगह बहुत साड़ी आत्माएं घूमती है रात तो रात दिन के वक्त भी  यहां कोई भी जान की हिम्मत नहीं करता इस नदी के बड़े में गरुड़ पुराण में यह कहा गया है की बेहतरीन नदी  यमलोक में बाटी है वैसे तो हमारी पृथ्वी पर जितनी नदी एक ऐसी जो की खून और मवाद से भारी हुई  है जब किसी इंसान के मृत्यु होती है और जब
यमलोक का रास्ता ते करता है तब उसकी आत्मा  को इस नदी से होकर जाना पड़ता है ऐसा कहा जाता है की इस नदी में भयानक कीड़े मगरमच्छ और  तेज च्चू वाले गिद्ध रहते हैं गरुण पुराण में यह भी लिखा है की जब कोई पापी आत्मा इस नदी  से गुजरती है तो इस नदी का खून खोलना लगता है और इसलिए उसे आत्मा को इस नदी को पर करने  में बहुत पीड़ा सहन करनी होती है यहां तक की ऐसा भी कहा गया है की यमराज उसे पापी की आत्मा  की नाक में कांटा फसाकर उसे खींचते हुए नदी के ऊपर ले जाते हैं मगर जो अच्छी आत्माएं होती है  जिन्होंने अपनी जिंद
गी में अच्छे कर्म किया होते कोई पीड़ा का सामना नहीं करना पड़ता और  यमराज खुद ऐसी आत्माओं को नव में बिठाकर उसे नदी को पर करवाते हैं तो इसीलिए यह  जगह हमारी मंदिर के सबसे खौफनाक जगह है की साड़ी बातें सुनकर ज्योति डरते हुए मुझे आग्रह  करने लगी सुन लीजिए या जगह बहुत खतरनाक है प्लीज हम यहां से चलते हैं अब चाहे धर्मराज के मंदिर के  यहां बैठ जाएंगे लेकिन इस जगह पर नहीं आएंगे ज्योति की बात में दम था इसलिए हम तीनों वहां से निकालना  ही बेहतर समझे वापस धर्मराज के मंदिर में जाकर उसे पुजारी जी ने हमें उनके स
ाथ घाटी 31 से सुनाया एक  गंभीर स्वर में बोले हो सकता है की अभी आपको मेरी बटन पर यकीन नहीं हो रहा होगा लेकिन एक घटना मेरे  साथ भी घाटी थी व्यू की एक दिन सुबह के समय मैं अपनी बाइक से मंदिर के लिए निकाला वो रास्ते में एक  जवान लड़का गरीब उसकी उम्र 20 से 23 साल की होगी वह लड़का मुझे ऐसा हाथ बताते हुए रुकने को बोला अब  किसी को मदद के लिए इस तरह देख मैं भी रुक गया रुकते ही मैंने उसे लड़की से पूछा कहो बेटा कहां  जाना है तो वो बोला 84 मंदिर क्योंकि मैं भी वहीं जा रहा था इसलिए उसको अपनी बाइक के पीछे बिठा
लिया  और वह लड़का भी पुरी यात्रा के दौरान एक बार भी बात नहीं किया 84 मंदिर पहुंचने ही वह मेरी बाइक से उठा  और चुपचाप अंदर चल दिया अभी मैं उसका पीछा करता की तभी मुझे कुछ लोगों की जोर-ज़ोर से चिल्लाने की  आवाज सुने थी अगर आपको नहीं पता तो मैं बता डन की गांव में अगर किसी को इतनी सी भी खर्च ए जाएगी ना तो  वो खबर एकदम आज की तरह फैलेगी तो हुआ ही हूं अब मुझे आवाज आई तो मैंने पीछे मुड़कर देखा और उन लोगों के  पास जाकर पूछा की क्या हुआ इतना चिल्ला क्यों रहे हो खुदकुशी कर ली इस खबर से मैं बहुत दुखी हुआ ले
किन  शर्मा जी के बेटे का चेहरा मुझे प्यार नहीं ए रहा था इसलिए मैं तुरंत शर्मा जी के घर चल दिया शोक सभा  में शामिल होने जैसे ही मैं अंदर गया तो मैंने देखा जी तस्वीर पर हर चड्ढा हुआ था वह और कोई नहीं वही  लड़का था जिसको भी डेड घंटा पहले मैंने मंदिर तक छोड़ था बस फिर क्या मैं सब कुछ समझ गया की वह  जिसे मैंने मंदिर तक छोड़ था वह उसे लड़की की आत्मा थी उसे वक्त मेरी हालात बहुत खराब हो रही थी  और डर के बादल भी मेरी चारों और मंडराने लगी जी वजह से बेहोश हो गया होश में आने के बाद जब लोगों ने  करण पूछा की
अचानक ऐसा क्या हुआ सभी को मेरे साथ घटी घटना के बड़े में बता दिया जिसे सुनकर वह सभी  बहुत ही ज्यादा भयभीत हुई और इस वजह से लोगों का इस मंदिर के रहस्य विश्वास और भी ज्यादा बाढ़ गया  अच्छा क्षमा चाहता हूं इस तरह बीच में कहना लेकिन शाम की आरती का वक्त हो गया है और फिर सूर्यास्त के  पहले आरती खत्म करके मंदिर भी बैंड करना है अब मुझे वैसे तो हमें मंदिर का एक-एक चीज बता चुके थे इसलिए  हम लोगों ने उन्हें आधार के साथ धन्यवाद देती हुए परिणाम किया और आरती प्रारंभ करने के लिए हम ही  भारी कुछ ही डर में आरती श
ुरू हो गई और उसे आरती में मैं और ज्योति भी शामिल हो गए आरती बहुत डर तक  चली जिसके बाद पुजारी जी ने आरती में उपस्थित सारे भक्तों को प्रसाद भी दिया और कुछ ही डर बाद मंदिर  बैंड करने का समय हो गया परंतु मैं और ज्योति उसे मंदिर में सूर्यास्त के बाद कुछ डर और रुकना चाहते  थे इसलिए मैं पुजारी जी से विनम्रता से आग्रह करती हूं बोला पुजारी जी अगर आपकी साड़ी बातें हमने सनी  और इतना सब जानकर हमें बहुत सी चीज मालूम पड़ी आप वाकई बहुत सी चीज का ज्ञान रखते हैं दरअसल मैं यह  का रहा था हम कुछ डर और इस मंदिर में
रुक कर देखना चाहते हैं अगर आपकी इजाजत हो तो अगर हम यहां रख सकते  हैं मेरी इस बात पर एक चिंतित स्वर में बोले रुक तो सकते हो आप दोनों मगर यहां का कोई भरोसा नहीं है  आपको अपनी सुरक्षा का खुद से ध्यान रखना होगा और अगर जरा भी कुछ लगे तो फौरन यहां से चले जाना होगा  उसे पुजारी जी के बाद हम अच्छे से समझ चुके थे और उनकी बटन में हम ही भारते हुए उन्हें प्रणाम करके  हम दोनों अंदर चले गए एक पुजारी जी इतने अच्छे थे की मंदिर की एक चाबी हमको भरोसे के साथ दे दी भला  आजकल की दुनिया में ऐसा कौन करता है रात को रुकन
े से पहले मैंने ज्योति से प्यार से पूछा ज्योति अगर  तुम रुकना नहीं चाहती हो तो मैं तुम्हें होटल छोड़ आऊंगा दिल से बताओ तुम ही रुकने का मां है ना मेरे  इस सवाल पर और थोड़ी डर कुछ सोची और फिर भी शर्म बोली सुनील जी मैं आपके साथ ही रुकूंगी क्योंकि  हम इस चीज के लिए ही तो आए हैं मगर अगर कुछ भी लगेगी तो हम यहां से निकाल चलेंगे है ना बोलो मंजूर  है ज्योति की बात पर मंजरी देते हुए मैंने उसे गले से लगा लिया और फिर हम दोनों ने दो-तीन जगह कैमरा  लगा दिए और फिर वही धर्मराज जी के मंदिर की पट के पास जाकर बैठ
गए देखते ही देखते समय कब पंख लगाएं  उड़ गया पता ही नहीं चला और धीरे-धीरे रात और भी ज्यादा गहरी हुई लगी परंतु अभी तक हम दोनों में से  किसी को भी आत्माओं की उपस्थित महसूस नहीं हुई थी उसे वक्त सिर्फ ठंडी ठंडी हवाएं चल रही थी बीच-बीच  में कभी चित्र गुप्त की बनी गई छोटी सी आदत थी उधर भी चक्कर लगाते तो कभी-कभी हमारे द्वारा लगाएं  गए कैमरे भी देखते जाते मेरा ध्यान हर तरफ था और छुट्टी भी पूरे समय मेरे साथ घूमती क्योंकि सुबह से  हम एक मिनट भी आराम नहीं किया थे इसलिए अब ज्योति थकने लगी तो इसलिए मैंने उसे
वहीं धर्मराज के पट  के बाहर सीडीओ पर बिठा दिया और खुद लगा इधर-उधर फिर से घूम अभी मैं चित्रकूट की पत्थर से बनी गई  पोथी अच्छी रहा था की अचानक मुझे ज्योति सुने दी श्री कृष्णते ही मैं उल्टे पर बेसूद होकर भागते  हुए ज्योति के पास आया वहां पहुंचने मैंने देखा की ज्योति अजीब ढंग से हिल रही है और तो और उसके  हाथ और भी ज्यादा कैंप रहे यह देख मैंने ज्योति गुप्तों कर पकड़ लिया मगर मेरे पकड़ने ही वो अच्छा  नाक बेहोश हो गई उसे इस हालात में देख मैंने तुरंत हमारी बोतल का पानी उसके मुंह पर छिड़कना शुरू कर  दिया
कहानी छिड़कते ही ज्योति को होश आया और वो मुझे लिपट कर रोटी ही खाने लगी सुनील जी जल्दी चलिए  यहां से मुझे बहुत ज्यादा कमजोरी ग रही है ज्योति की ऐसी हालात देख मैं उससे कुछ नहीं पूछा और फौरन  मुझे गॉड में उठाकर उसे मंदिर के बाहर ताला लगाकर निकाल गया क्योंकि समय बहुत अधिक नहीं हुआ था बस  रात के 10:00 बाज रहे थे इसलिए रिक्शावाला कुछ ही दूरी पर खड़े थे उनमें से एक को मैंने जल्दी होटल  चलने को कहा होटल पहुंचने ही सबसे पहले मैंने छुटी को शांत किया और थोड़ा पानी पिलाया और फिर उससे  घबराती हुई पूछा ज्योत
ि तुम ठीक तो हो अचानक से तुम्हें ऐसा क्या हो गया मेरी बात सुन सबसे पहले से  लगाया और फिर मुझे उसके साथ घाटी घटना का दरी हुई आवाज में वर्णन करने लगी सुनील जी जब आप वहां से  गए तो मुझे ऐसा लगा जैसे कोई मेरे अंदर यानी पूरा हर बार गुजर उसके वहां से जाते ही मेरा पूरा शरीर  ठंडा पद गया और हाथ पर ये सभी सुन पद गए सब कुछ बहुत जूर-जोर से काटने लगे शरीर ऐसा हो गया जैसे कोई  जान ही नहीं हो और फिर अचानक कुछ ही पल्लू बात मेरा शरीर बहुत ज्यादा कमजोर पढ़ने लगा जी वजह से मैं  बेहोश होगी और फिर जो आगे हुआ वह आपक
े जानती ही हो ग रहा था मगर एक बात समझ ए गई थी की वाकई 84 मंदिर  में आत्माओं खास है ज्योति को सही सलामत देख चंद में जाना और फिर मैंने उससे प्यार से गली लगा लिया  घर पहुंचने के बाद कुछ दिन तक तो मैं और ज्योति ठीक से सो भी नहीं पे और ना ही किसी कम में मां लगा  पे लेकिन हमारे साथ जो कुछ भी हुआ उसे बड़े में हमने मां से कभी कुछ नहीं कहा कुछ दिन बाद सब  कुछ पहले की तरह नॉर्मल हो गया लेकिन जब कभी भी उसे मंदिर का ध्यान आता तो फिर से मैं और ज्योति  उन्हीं खौफनाक पलों में दोबारा जीने लगता हमारा भारत शहर कि
तनी साड़ी रहस्यमी चीजों से गिरा हुआ है  ना कई जगह के रहस्य तो लोगों ने समझा [संगीत] रहस्य होंगे [संगीत] आत्माओं को महसूस किया मगर कभी  किसी ने सोचा है की करने के बाद क्या-क्या होता है ना जान किन-किन गलतियां के लिए क्या कुछ  नहीं सा रही होगी यही जीवन है और एक दिन शायद हम सब भी उन साड़ी चीजों को जिएंगे  इसलिए कहा जाता है सिर्फ अच्छे कर्म करो क्योंकि पूरे कर्म का वाकई करने के  बाद बहुत बड़ा नतीजा भुगतना पड़ता है

Comments

@anvivyas4844

Humesha ki tarah ek dum badiya story thi sir... Maza aa gaya... 👏👏💛 Fabulous narration as usual..💫🩷👍 keep it up sir...🌈💚