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ड्राइवर भाइयों की डरावनी घटना | Horror Kahani BV | Hindi Horror Stories

ड्राइवर भाइयों की डरावनी घटना - डरना मना है | Horror Kahani BV I hope you would have enjoyed and loved the video..... VIDEO EVERY NIGHT AT 08:00 PM DON'T FORGET _________________________________________________ *FAIR USE* Copyright Disclaimer under section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, education and research.Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing. Non-profit, educational or personal use tips the balance in favor of fair use. _______________________________________________________ Subscribe to my other YT CHANNEL fOR ANIMATED horror stories - @Chitti_chudail _________________________________________________ Your Search queries :- Truck driver horror story Truck driver horror story india Truck driver horror story in hindi Truck driver horror story network 33 _________________________________________________ Chapters:- ड्राइवर भाइयों की डरावनी घटना - डरना मना है | Horror Kahani BV 00:00 - Intro 00:31 - First Story -Bishan Singh Driver 24:30 - 2nd Story Rahul aur uska Billu 35:31 - 3rd Story - Mahesh Babu in Uttarakhand Bhimtal 41:13 - 4th Story - Outro

Horror Kahani - BV

8 days ago

में आज की इस एपिसोड में मैं सुनाने वाला हूं ट्रक ड्राइवर्स की कुछ बेहद ही डरावनी घटनाएं इसलिए कहानी को आखिर तक जरूर सुनिए और अगर आपने चैनल अभी तक सब्सक्राइब नहीं किया तो सब्सक्राइब कर लीजिएगा चलिए कहानी शुरू करते हैं यह कहानी बिशन सिंह ड्राइवर की है बिशन सिंह उत्तराखंड के एक पहाड़ी क्षेत्र के रहने वाले हैं अब तो रिटायर हो चुके हैं क्योंकि अब उनकी उम्र हो चुकी है ठीक से दिखाई भी नहीं देता और ऐसे में गाड़ी चलाना उनकी बस का काम नहीं रहा इसलिए वह अब गांव में पोल्ट फार्म चलाते हैं लेकिन एक वक्त था जब
बिशन सिंह पलों की आड़ टेरी घुमावदार सड़कों में अपना क्रक लेकर निकला करते थे बड़ी शान थी बिशन सिंह की क्योंकि उस वक्त ड्राइवरों और फौजियों को बड़ा सम्मान दिया जाता था और बिशन सिंह अपनी मूछों के लिए भी बड़े ही प्रख्यात थे जो उन्हें नाम से नहीं जानते थे वह उन्हें मूछों वाला ड्राइवर के नाम से जानते थे उनकी रौबदार मूछों की शान तब और बढ़ गई जब सबको उनकी एक दांतों तले उंगली दबा देने वाली कहानी के बारे में पता चला यह कहानी थी गोघट वाली औरत के रहस्य की एक दिन बशन सिंह का ट्रक जंगलात के काम में लगा हुआ थ
ा पहाड़ों में चीर के पेड़ों से लीसा निकाला जाता था फिर उन्हें कनस्टर में भरकर ट्रकों में लोड करके लीसा गोदाम तक ले जाया जाता था एक दिन में दो चक्कर लग जाते थे बिशन सिंह के ट्रक के जंगल से गोदाम गोदाम से जंगल बस यही रूड था गोदाम भी सिर्फ 35 किलोमीटर के फासले में था एक दिन सिंह के ट्रक ने अपने दो चक्कर पूरे कर लिए थे तो शाम को लीसर ठेकेदार ने बिशन सिंह से तीसरा चक्कर भी लगाने को कह दिया क्योंकि कुछ एक्स्ट्रा कनस्तर बच गए थे जिन्हें अलग से रखा गया था क्योंकि बाकी के सारे ट्रक्स और मजदूर भी जा चुके
थे और वहां पर सिर्फ दो ही मजदूर बचे थे और बिशन सिंह का ट्रक आखिरी नंबर पर था इसलिए ठेकेदार के पास और कोई ट्रक नहीं था बिशन सिंह तीसरे चक्कर के दो गुने पैसे लेकर काम करने को कह दिया और ठेकेदार मान भी गया ठेकेदार ने बचे हुए लीश के कनस्तर बिशन सिंह के ट्रक में लोड करवा दिए और फिर वह दो मजदूर भी ट्रक में चढ़कर बैठ गए इस तीसरे चक्कर में जंगल से निकलते निकलते रात हो गई थी खैर बिशन सिंह उस जंगल से निकलकर हाईवे में आ गए और मध्यम गति से अपनी मंजिल की ओर बढ़ते चले गए दोनों मजदूर भी बीच रास्ते में कहीं उतर
गए अब ट्रक में बशन सिंह अकेले ही थे लीसा गोदाम पहुंचकर उन्होंने अपने ट्रक को गोदाम के बाहर खड़ किया और वहां के मजदूरों को आवाज दी और कहा कि ट्रक से लीस के बचे हुए कनस्तर उतार ले उसके बाद बिशन सिंह पेशाब करने के लिए गोदाम के पीछे चले गए जब व वापस आए तो उन्होंने देखा ट्रक में अभी भी लीश के कनस्तर रखे पड़े थे उन्हों ने मजदूरों को फिर सेवास दी और कहा कि ये कनस्तर उतार ले नहीं तो वो उन्हें यहीं फेंक कर चला जाएगा मगर बिशन सिंह को कोई जवाब नहीं मिला अब बिशन सिंह का दिमाग खराब हो गया वो गोदाम के अंदर घ
ुसे तो देखा गोदाम में कोई नहीं था गुस्से में वह गोदाम से जैसे ही बाहर निकले तो देखा उनके ट्रक के बगल में एक औरत खड़ी थी जिसने पुरानी सी लाल धोती पहनी हुई थी गोदाम के बाहर एक बल्ब चल रहा था इस वजह से वह औरत तो दिखाई दे रही थी मगर उसका चेहरा नहीं दिख रहा था क्योंकि उसने एक लंबा सा घूंघट डाला हुआ था जैसे गांव देहात में औरतें घूंघट डालती हैं बिल्कुल वैसे ही बिशन सिंह ने बड़े अदब के साथ उस औरत से पूछा कौन हो बहन तुम यहां क्यों खड़ी हो तुम्हारे साथ कोई है नहीं क्या उस औरत ने ना में सिर हिला दिया पर वह
कुछ बोली नहीं वि सिंह बोले अच्छा कहां की रहने वाली हो तुम कहां जाना है तुमको वो औरत फिर से कुछ नहीं बोली पर उसने उंगली से इशारा करते हुए बताया कि उसे उस तरफ जाना है बिशन सिंह ने देखा कि उस औरत को उसी तरफ जाना था जिधर बिशन सिंह का गांव था बिशन सिंह ने उस औरत से कहा अच्छा उधर जाना है आओ ट्रक में बैठो मैं तुम्हें वहां तक छोड़ दूंगा इतना बोलकर बिशन सिंह ट्रक में चढ़ा तो देखा वो औरत पहले से ट्रक के अंदर बैठी हुई थी बिशन सिंह उसे देखकर चौक गए कि आखिर यह औरत इतनी जल्दी ट्रक के अंदर कैसे बैठ गई अभी अभी
तो यह बाहर करी थी फिर उन्होंने सोचा कि शायद उन्हें ही ट्रक में चढ़ने में टाइम लग गया होगा खैर विशन सिंह ने ट्रक स्टार्ट किया और बर गए अपने गांव की तरफ उनके ट्रक में अभी भी लीश के कनस्तर भरे पड़े थे बिशन सिंह सामने की तरफ देखकर ट्रक चला रहे थे पर उन्हें महसूस हो रहा था कि वह औरत गर्दन घुमाकर उन्हीं की तरफ देख रही है पर जब पशन सिंह उस औरत की तरफ देखते तो वह सामने देख रही होती थी बिशन सिंह को बार-बार यही लग रहा था कि वह औरत घूंघट के पीछे से उन्हें ही खोद रही है बिशन सिंह के लिए वो सिर्फ एक औरत थी
जिससे डरने की उनके पास कोई वजह नहीं थी भूत प्रेत पर वह यकीन नहीं करते थे बिन सिंह को मालूम था कि अगर वह उससे कुछ भी पूछेंगे तो वह औरत कोई जवाब नहीं देगी बस कोई इशारा कर देगी इसलिए बिशन सिंह ने उससे कहा बहन यह अगले पुल को पार करने के बाद मेरा गांव आ जाएगा तुम बता दो तुम्हें कहां जाना है मैं तुम्हें वहां तक छोड़ दूंगा उस औरत ने हाथ सामने की ओर उठाकर उंगली से एक गांव की तरफ इशारा किया बिशन सिंह ने उस तरफ देखा जिस तरफ वह पॉइंट कर रही थी ऊपर पहाड़ की तरफ एक गांव था बिशन सिंह को बड़ा आश्चर्य हुआ क्यों
कि वो गांव तो बिशन सिंह का ही था और बिशन सिंह ने उस औरत को कभी अपने गांव में नहीं देखा था जबकि बिशन सिंह अपने छोटे से गांव के हर सदस्य को अच्छी तरह से जानता था बिशन सिंह उस औरत से और सवाल पूछना चाहते थे लेकिन उन सवालों के जवाब सिर्फ बोलकर ही दिए जा सकते थे और वो औरत बोलने वाली तो थी नहीं इसलिए बिशन सिंह चुप रह गए थोड़ी दूर जाकर एक पुलाया और उसके बाद बिशन सिंह का गांव शुरू हो गया बिशन सिंह ने ट्रक सड़क के किनारे लगा लिया और उस औरत से कहा चलो बहन यह रहा तुम्हारा गांव अब जहां जाना चाहती हो चली जाओ
उसके बाद विशन सिंह ने जरा सी उस औरत से नजरें हटाई ही थी कि वो औरत तुरंत नीचे उतर गई ना दरवाजा खुलने की आवाज आई ना ही बंद होने की बस वो औरत ट्रक से नीचे खड़ी दिखाई दी बिशन सिंह को बड़ा अजीब लगने लगा उन्हें लगा शायद देर तक ट्रक चलाने की वजह से उनका दिमाग ठीक से काम नहीं कर रहा वह थक गए हैं बिशन सिंह ने ट्रक के दरवाजे अच्छे से बंद किए और ट्रक से नीचे उतर गए उन्होंने ट्रक के आसपास देखा वो औरत अब उन्हें कहीं दिखाई नहीं दी तब उन्हें लगा शायद उसे जहां जाना था वह वहां चली गई है उसके बाद बशन सिंह पैदल अप
ने गांव की तरफ जाने लगे उनका गांव चई में ऊपर पहाड़ी की तरफ था रास्ते के दोनों तरफ खेत थे बीच में सीमेंट का बना हुआ पक्का रास्ता था रात के 11 बज चुके थे आसमान में चांद पूरा खिला हुआ अपनी रोशनी बिखेर रहा था इसी वजह से उस रास्ते में चलने में उन्हें कोई परेशानी नहीं हो रही थी कुछ दूर जाकर वह रास्ता आम के ढेर सारे पेड़ों के बीच में से होकर गुजरता था फिर एक छोटी सी नदी के बगल से इसी वजह से वहां पर ज्यादा अंधेरा था क्योंकि नदी के किनारे कई सारी ऊंची ऊंची कुरी की झारिया थी खुमानी और आलू बुखारे के पेड़ थ
े वहां पर अंधेरा बहुत था तो बिशन सिंह ने अपनी जेब से एक लाइटर निकाल के जला लिया बस तभी उन्हें अपने पीछे से किसी के के भागते कदमों की आवाज सुनाई दी ऐसा लगा कोई दौड़ कर उनके पीछे आ गया हो बिशन सिंह ने पलटक पीछे देखा तो पाया पीछे वही औरत थी वही घूम घट वाली औरत जिसे उन्होंने अपने ट्रक में लिफ्ट दी थी बिशन सिंह उससे बोले अरे बहम मुझे लगा तुम अपने घर चले गई उस औरत ने कोई जवाब नहीं दिया बिशन सिंह भी सोचने लगे कि मैं भी किससे बात कर रहा हूं इसके मुंह में तो जबान ही नहीं है बिशन सिंह अपने रास्ते चलने लगे
पीछे से वह औरत भी आती रही आगे कुछ दूर जाकर वह रास्ता दो रास्तों में बट जाता था एक रास्ता तो ऊपर पहाड़ी में नोली नाम की जगह की तरफ जाता था जहां बिशन सिंह का घर था और दूसरा रास्ता सेरिया नाम की जगह की तरफ जाता था जहां कई सारे घर थे बिशन सिंह को लगा कि वो औरत उसी तरफ जाएगी क्योंकि उस रास्ते में ढेर सारे मकान थे वह उन्हीं में से किसी में रहती होगी मगर वह औरत उस दूसरे रास्ते में नहीं गई बल्कि बिशन सिंह के पीछे पीछे बिशन सिंह के घर वाले रास्ते में चलने लगी पता नहीं कहां जाना है इस पागल को बिशन सिंह न
े मन में सोचा और अपने रास्ते चलने लगे बिशन सिंह के घर के पीछे से एक और रास्ता दूरे एक गांव की तरफ जाता था बिशल सिंह को लगा कि वो शायद उसी रास्ते में चली जाएगी थोड़ी देर में बिशल सिंह का घर आ गया बिशन सिंह अपने घर के आंगन में गए और पलट कर पीछे देखा तो देखकर फिर हैरान हो गए क्योंकि वह औरत उनके आंगन के बाहर खड़ी थी बिशन सिंह लगभग गुस्सा करते हुए बोले अरे बहन यह मेरा घर है तुम्हारा रास्ता उस तरफ है यहां मैं अकेला रहता हूं जाओ यहां से अपने घर जाओ अजीब पागल औरत है इतना कहकर बिशन सिंह ने अपने घर का ताल
ा खोला और अंदर घुस के दरवाजा बंद कर लिया कुछ देर बाद उन्होंने खिड़की का पर्दा हटाकर बाहर देखा वह औरत अभी भी बाहर ही खड़ी थी चारों तरफ अंधेरा था घर के बाहर जल रहे छोटे से बल्ब की रोशनी में वह औरत खरी बिल्कुल भी नहीं डर रही थी बिशन सिंह ने सोचा भाल में जाए क्योंकि बिशन सिंह उसकी कोई और मदद नहीं कर सकते थे वैसे भी वह घर पर अकेले थे और ऐसे किसी अजनबी औरत को व घर पर नहीं रुकवा सकते थे बिशन सिंह अपने बिस्तर में घुसे और सोने की कोशिश करने लगे अभी उन्हें बिस्तर में लेटे हुए बस कुछ ही मिनट्स हुए थे कि बा
हर से उन्हें उस औरत के कदमों की आवाज सुनाई दी वह चलते हुए दरवाजे के पास आई बिशन सिंह को लगा कि दरवाजे में दस्तक होगी मगर कोई दस्तक नहीं हुई वह औरत दरवाजे के बाहर चुपचाप खड़ी रही कुछ देर तक तो सब शांत रहा फिर अचानक से दरवाजे पर जोर-जोर से दस्तक होने लगी वो औरत दरवाजे पर जोर-जोर से ठोक रही थी विषन सिंह अब गुस्से से उठे और उन्होंने दरवाजा खोला और लगभग वह उस औरत को डांटने ही वाले थे मगर वह एकदम से चुप हो गए क्योंकि दरवाजे पर गांव के दो आदमी खड़े थे बिशन सिंह ने उन दोनों आदमियों के पीछे देखा आंगन के
अंधेरे कोने में वह औरत चुपचाप सिर पर घूंघट डाले खड़ी थी बिशन सिंह ने फिर उन दोनों आदमियों से पूछा कि क्या बात है इतनी रात में यहां क्यों आए हो तो एक आदमी बोला बिशन सिंह जंगल से एक औरत लापता है क्या तूने उसे देखा बिशन सिंह ने एक नजर पीछे आंगन में खड़ी उस औरत को देखा फिर उन दोनों आदमियों से पूछा क्यों क्या बात है तब दूसरा आदमी बोला वो औरत शाम से दिखाई नहीं दे रही है बिशन सिंह और जंगल में लीसा ठेकेदार को किसी ने दरा से काट डाला है बिशन सिंह हैरानी से बोला क्या मैं आज शाम ही तो उस ठेकेदार से मिला था
वो मर गया क्या वो आदमी बोला हां उसका कत्ल हो गया है जंगल में उसकी लाश मिली है सबको शक है कि उसी औरत ने ठेकेदार का खून किया है बशन सिंह बोला शक है तो पुलिस के पास जाओ मेरे पास क्यों आए हो वह आदमी बोला बिशन सिंह मामला पुलिस के पास पहुंच चुका है हम यहां तेरी भलाई के लिए आए हैं बिशन सिंह बीच में बोला मेरी भलाई क्या मतलब है तेरा वो आदमी बोला देख सिंह उस औरत को एक गांव के आदमी ने तेरे ट्रक से नीचे उतरते हुए देखा है तू बस बता दे कि वो औरत कहां है या तूने उसे कहां छोड़ा या फिर वह भी तेरे साथ तेरे घर पर
तो नहीं भीषण सिंह ने एक नजर उस औरत की तरफ देखा वह अभी भी वहीं उस अंधेरे कोने में चुपचाप खड़ी थी दूसरे आदमी ने बिशन सिंह को बार-बार पीछे अंधेरे कोने में देखते हुए देख लिया था तो उसने भी पलटकर उस कोने की तरफ देखा तभी विशन सिंह उन आदमि से बोला देख मेरी बात सुन मैंने उस औरत को नीचे सड़क में छोड़ दिया था उसके बाद वह कहा गई मुझे नहीं मालूम वो दूसरे आदमी को शक हुआ कि बिशन सिंह कुछ तो छुपा रहा है वह उस अंधेरे कोने की तरफ जाने लगा बिशन सिंह ने उस आदमी को उस औरत की तरफ जाते हुए देखा वह आदमी उस अंधेरे कोन
े में जाकर अच्छी तरह से देखकर वापस लौट आया मिशन सिंह को बड़ा आश्चर्य हुआ कि उस आदमी ने उस औरत को क्यों नहीं देखा अब उसको थोड़ी गड़बड़ लगने लगी उसने दूसरे आदमी से कहा तू वहां क्या देखने गया था तो वह आदमी बोला मुझे लगा तूने उस औरत को वहां उस कोने में पेड़ के पीछे छुपा रखा है बशन सिंह उस औरत की तरफ शत भरी निगाह से देखते हुए बोला तो क्या तुझे वह औरत वहां खड़ी दिखाई नहीं थी वह आदमी हैरानी से बोला कहां कहां खड़ी है वह औरत बिशन सिंह ने उंगली से उस अंधेरे कोने की तरफ पॉइंट करते हुए कहा वाह उस उस कोने मे
ं दोनों आदमियों ने उस कोने में देखा फिर एक ने उस कोने में टॉर्च की रोशनी डाली और अच्छे से देखते हुए बोला वहां तो कोई नहीं है बिशन सिंह को बड़ी हैरानी हुई वह बोला अब वो खरी तो है व औरत बिल्कुल उस कोने में तुम्हें दिखाई नहीं दे रही वह आदमी बोला बशन सिंह क्या तू पागल हो गया है या हमें पागल समझ रहा है वहां कोई नहीं है बशन सिंह के माथे पर पसीना आने लगा उस से घबराहट होने लगी कि जिस औरत को वो जीती जागती औरत समझ रहा था वह कोई भूत है बिशन सिंह ने उन दोनों आदमियों से कहा भाई देख जिस औरत को मैं अपने ट्रक म
ें लेकर आया व यही औरत है यह मेरे पीछे पीछे यहां तक आ गई है जिस आदमी ने इसे मेरे ट्रक से नीचे उतरते हुए देखा और जिसने ठेकेदार का कत्ल किया है वह यही औरत है वो दोनों आदमी भी अब तक समझ चुके थे कि कोई भूत प्रेत का चक्कर है एक आदमी बोला यह कैसे हो सकता है बिशन सिंह जिस औरत को हम ढूंढ रहे हैं वो एक जिंदा औरत है कोई भूत नहीं वह वही बाकी औरतों के साथ उस जंगल में पैरों से लीसा जमा करने का काम करती थी बिशन सिंह ने कुछ पल सोचा और थोक निकलते हुए बोला अच्छा एक बात बताओ जिस औरत को तुम ढूंढ रहे हो वह लगभग पा फ
ुट की दुबली पतली औरत है क्या वह हर वक्त सिर पर घूंगत डाल के रखती है वह दूसरा आदमी बोला हां हम उसी औरत के बारे में बात कर रहे हैं शायद तूने भी उसे वहां जंगल में काम करते देखा होगा बशन सिंह बोला जंगल में नहीं देखा लेकिन वह अभी बिल्कुल मेरे सामने खड़ी है मगर वह तुम्हें पता नहीं क्यों नहीं दिखाई दे रही तभी बिशन सिंह ने उस औरत की तरफ देखा उस औरत ने अपना हाथ उठाकर उंगली से नीचे सड़क की तरफ पॉइंट किया हुआ था बिशन सिंह समझ गया था कि वोह औरत उहे नीचे सलकर रही है बिशन सिंह ने दोनों आदमियों से कहा देखो वो
औरत मुझे नीचे सलकर रही है शायद हमें वहां कुछ जवाब मिल जाए उसके बाद वो दोनों आदमी बिशन सिंह के साथ नीचे सरत में जाने को तैयार हो गए क्योंकि अब तक के रहस्य ने उन दोनों का दिमाग भी उलझन में डाल दिया था वो तीनों सेलक में पहुंचे तो बिशन सिंह ने देखा वो औरत ट्रक के पास खड़ी थी उस औरत ने ट्रक के पीछे जहां लीस के कनस्तर रखे हुए थे उस तरफ अपनी उंगली से पॉइंट किया हुआ था शायद वो चाहती थी कि पिशन सिंह ट्रक के पीछे रखे उन कन स्तरों को देखे बिशन सिंह ट्रक में पीछे चहे और उन्होंने अपने साथ आए एक आदमी से टॉर्च
मांगा फिर उन्होंने टॉर्च जलाकर उन लीश के कनस्तर में देखा ली के कनस्तर ऊपर तक लीस से लबालब भरे हुए थे मगर बिशन सिंह को उन कनस्तर में भ लीश का रंग कुछ अजीब लगा वो नॉर्मल लीसा नहीं लग रहा था बिशन सिंह ने चक के बाहर खड़े एक आदमी से एक लकड़ी मांगी उस दूसरे आदमी ने सड़क के किनारे एक पेड़ में से एक पतली सी टहनी तोड़कर बिशन सिंह को दे दी बिशन सिंह ने वह लकड़ी एकएक करके सभी लीश के कनस्तर में डाल के देखा और उसे महसूस हुआ कि उन कनस्तर के अंदर लीश के अलावा कुछ और भी था कुछ ठोस सी चीज उन कन स्तरों में इंसान
ी शरीर के टुकड़े थे जिन्ह देखकर बिशन सिंह की आंखें फटी की फटी रह गई और वह समझ गया कि वह औरत उसे आखिर क्या बताना चाहती थी बिशन सिंह ने बाहर खड़ी उस औरत को ढूंढा वह औरत अब आसपास कहीं दिखाई नहीं दे रही थी बिशन सिंह माथे का पसीना पूछते हुए ट्रक से बाहर कूदा और दोनों आदमियों से कहा जिस औरत को तुम लोग ढूंढ रहे हो वो औरत कन स्तरों में है यह सुनकर उन दोनों आदमियों की आंखें फटी की फटी और मुंह खुले के खुले रह गए दोनों आदमी बोले फिर तो पुलिस तुझ पर शक करेगी बिशन सिंह बिशन सिंह बोला वो देखा जाएगा फिलहाल हमे
ं यह ट्रक पुलिस स्टेशन ले जाना चाहिए उसके बाद वह तीनों ट्रक में चढ़े और बिशन सिंह ने ट्रक स्टार्ट किया और फिर 30 मिनट में वो कोतवाली पहुंच गए बिशन सिंह ने अपना ट्रक पुलिस के हवाले किया और उन्हें पूरी कहानी सुनाई मगर पुलिस ने बिशन सिंह की कहानी पर यकीन नहीं किया पुलिस को यही शक हो रहा था कि बिशन सिंह ने उस औरत को मारकर उसके टुकड़े करके उसी लीश से भरे हुए कनस्तर में छुपा दिया ताकि किसी को कोई शक ना हो लेकिन जब ये दोनों आदमी बिशन सिंह के पास पहुंचे तो बिशन सिंह ने एक मन ग्रंथ कहानी बना ली उस रात बि
शन सिंह और बाकी दोनों आदमियों को पुलिस ने कोतवाली में ही रोक के रखा अगली सुबह गांव के कुछ सयाने लोग कोतवाली पहुंचे सबने बिशन सिंह के चरित्र और व्यक्तित्व के बारे में बताया और कहा कि वह ऐसा काम नहीं कर सकता तब बिशन सिंह ने पुलिस अधीक्षक से कहा साहब अगर मैंने खून किया होता तो मैं उस औरत की लाश के टुकड़ों को अपने ट्रक में लिए लिए नहीं घूमता दूसरा अगर आपको लगता है कि मैंने ही उस औरत के टुकड़े करके उन कनस्तर में छुपाए है तो आप उन कस्तर में मेरे फिंगरप्रिंट्स ढूंढ सकते हैं पुलिस वाला बोला तुम बहुत शात
ि बिशन सिंह तुमने यह काम दस्ताने पहन कर किया होगा बिशन सिंह बोला साहब दस्ताने पहन के किया होगा तो आपको उन कनस्तर में दस्तानों की छाप भी मिल जाएगी पर आपको उनमें सिवाय मजदूरों के फिंगरप्रिंट्स के अलावा और कुछ नहीं मिलेगा इस बात का प्रमाण खुद वह दोनों मजदूर भी दे देंगे और साहब आप मेरी माने तो आपको उन कनस्तर में उस लीसा ठेकेदार के फिंगरप्रिंट्स भी मिल जाएंगे जिसने उस औरत को मारकर उसके टुकड़े टुकड़े करके इन कन स्तरों में डाल के ऊपर से लीसा भर दिया कोतवाली में खड़ सभी लोग बड़ी ही हैरानी से विशन सिंह क
ी बात सुन रहे थे बशन सिंह किसी जासूस की तरह रहस्य के परत दर परत खोले जा रहा था पुलिस वाले भी हैरान थे बशन सिंह आगे बोला साहब जिस औरत को आप कातिल समझ रहे हैं असल में उसका कत्ल पहले हुआ और बाद में उस लीसा ठेकेदार का कत्ल हुआ और उस लीसा ठेकेदार का कत्ल उस औरत ने ही किया है जिसके टुकड़े उन कनस्तर में भरे हुए हैं जी हां आप लोग सही सुन रहे हैं उस ठेकेदार का कत्ल उसी औरत ने किया है यानी कि उसके भूत ने पुलिस वाला बोला बशत सिंह ज्यादा शाना मत बन अपने जून को छुपाने के लिए उल झलू कहानी बना रहा है तू हम पुल
िस वाले हैं कोई सरकस देखने आए हुए बच्चे नहीं बिशन सिंह बोला साहब कत्ल तो हुए हैं मैं से मना नहीं कर रहा मैं बस यह कहना चाहता हूं कि दोनों कत्ल में मेरा कोई हक नहीं है अगर होता तो फिंगरप्रिंट्स जरूर मिल जाएंगे आपको अगर मेरी कहानी पर यकीन नहीं है तो आप गांव के उस आदमी से पूछ सकते हैं जिसने उस औरत को मेरे ट्रक से नीचे उतरते हुए देखा मेरे अलावा सिर्फ एक वही है जिसने उस मरी हुई औरत की आत्मा को देखा है अगर उस औरत की आत्मा मुझे दिखाई नहीं देती तो शायद किसी को पता ही नहीं चलता कि वह औरत मर चुकी है जब तक
लाश के टुकड़े मिलते तब तक शायद उन टुकड़ों से उस औरत की सारी पहचान ही मिट जाती मुझे मुझे मानने के लिए आपके पास कोई सबूत नहीं है मेरे पक्ष में गवाही देने वाले मजदूर भी आपको बता देंगे कि मैं सिर्फ लिसेन स्तरों को जंगल से गोदाम तक पहुंचाता हूं लीस के कनस्तर को मैं छूता तक नहीं आप चाहे तो मेरे हाथ सूंघ सकते हैं मेरे हाथों में आपको लीश की गंध नहीं मिलेगी बाकी मजदूरों के हाथ सुघी हाथ धोने के बाद भी कई दिनों तक उनके हाथों से लीश की महक नहीं जाती पुलिस वाला बोला हां हां ठीक है हम अपने स्तर से जांच कर ले
ंगे पर तुझे हम छोड़ रहे हैं बिशन सिंह जब मामला अदालत में जाएगा तब तुझे सवालों के जवाब देने के लिए अदालत में पेश होना होगा गांव छोड़कर कहीं जाने की कोशिश मत करना विषम सिंह वरना अदालत तुझे ही दोषी मानेगी बशन सिंह और बाकी के दोनों आदमियों से कुछ दस्तावेजों पर साइन करवाए गए और फिर उन्हें छोड़ दिया गया कुछ दिनों बाद पुलिस की जांच में यह पता चला कि लीसा ठेकेदार लीसा जमा करने वाली महिलाओं पर बुरी नजर रखता था खासकर एक नेपाली औरत नीमा पर जिस रात ठेकेदार का कत्ल हुआ उसी दिन दोपहर में ठेकेदार को नीमा के सा
थ छेड़छाड़ करते हुए एक बच्चे ने देखा नीमा शोर मचाने लगी तो ठेकेदार ने नीमा का सिर पत्थर से फोड़ दिया यह देखकर वो बच्चा भागकर अपने घर चला गया डर के मारे उसने उस दिन किसी को कुछ नहीं बताया और खुद घर में कहीं छुप गया फिर उसी रात ठेकेदार की लाश उसी जंगल में मिली उसे किसने मारा यह पता नहीं चला पुलिस से और अदालत से विशन सिंह को क्लीन चीट मिल गई उस घटना के बाद से बिशन सिंह की अकल और उसकी समझदारी के सभी कायल हो गए और बिशन सिंह का रुतबा गांव में और ज्यादा बढ गया बशन सिंह को व औरत फिर कभी दिखाई नहीं दी यह
कहानी मेरे एक सब्सक्राइबर ने मुझे भेजी है जिनका नाम राहुल है यह कहानी उनके साथ घटी एक सच्ची डरावनी घटना के बारे में है तो आगे की कहानी मैं अब राहुल के पॉइंट ऑफ व्यू से ही सुनाऊंगा यह बात 2001 की है उस वक्त मेरे पापा ट्रक चलाते थे गर्मियों के दिन थे और मेरे स्कूल की छुट्टियां पड़ चुकी थी तब मैं नाइंथ क्लास में पढ़ता था गर्मियों की छुट्टियां पड़ चुकी थी तो मेरे पा ने मुझसे कहा कि गांव चलना है तो शाम को तैयार हो जाना शाम को गांव चलेंगे क्योंकि उस रात पापा का ट्रक उसी तरफ जा रहा था जिस तरफ मेरा गां
व था हमारे पास एक पालतू कुत्ता भी था जिसका नाम बिल्लू था शाम को पापा ट्रक लेकर घर के बाहर आए तब तक मैं तैयार होकर बस पापा के आने का इंतजार कर रहा था पापा आए तो मैं अपने सामान और कुत्ते के साथ ट्रक के पास पहुंचा पापा ने कुत्ते को देखा तो बो बोले अरे इसको कहां लेकर जा रहा है गांव में इसको बाग खा जाएगा मैंने कहा कि नहीं खाएगा मैं इसका ख्याल रखूंगा पापा र पापा ने मुझे चक में बिठाया और मेरे कुत्ते को भी उसके बाद हम निकल गए मेरे गांव बागेश्वर के लिए निकलते निकलते शाम हो चुकी थी मैं रात के उस सफर में ब
हुत एक्साइटेड था और मेरा कुत्ता तो मुझसे भी ज्यादा एक्साइटिक था मैं ट्रक की खिड़की के पास बैठकर बाहर से आती ठंडी हवा के झोंकों को अपने चेहरे पर महसूस कर रहा था और कभी मुंह से बाहर जीभ लहराता हुआ मेरा कुत्ता भी खिड़की के पास मुंह बाहर निकाल के हवा के मजे ले रहा था उस वक्त मेरे पापा की एक बुरी आदत थी वह शराब बहुत पीते थे और वह गाड़ी चलाते वक्त भी पी लेते थे और उस रात भी उन्होंने शराब पी हुई थी जिस वजह से उनसे कई बार एक्सीडेंट होते होते भी बचा आखिर में एक वक्त ऐसा आया जब पापा ने खुद ट्रक को सरद के
किनारे रोक दिया व भी समझ गए थे कि आज उनको कुछ ज्यादा ही चढ़ गई है और वह ट्रक आगे नहीं ले जा सकते पापा ट्रक रोक कर सो गए मैंने अपने कुत्ते का मुंह देखा और मेरे कुत्ते ने मेरा मुंह देखा हम समझ चुके थे कि अब पूरी रात हमें यही सड़क के बीच गुजारनी पड़ेगी हम काफी देर तक तो बैठे-बैठे इधर-उधर देखते रहे सड़क के किनारे थोड़ी ही दूरी पर एक नदी थी और वहां तक आसानी से जाया जा सकता था मेरे कुत्ते को भी शायद बाहर जाना होगा सोचकर मैं ट्रक से नीचे उतरा और मेरा कुत्ता भी छलांग मारकर नीचे उतर आया पहले तो उसने इधर
उधर अच्छे से देखा फिर ट्रक के पास जाकर उसके तैर को सूंघने लगा और फिर अपनी टांग उठाकर उसे गीला करने लगा तब तक मैं नदी की तरफ जाने लगा था अपना काम खत्म करने के बाद मेरा कुत्ता भी दौड़ते हुए मेरे पीछे पीछे आ गया सड़क में कभी-कभी इक्क दुक्का गाड़ियां आ जा रही थी और उस वक्त रात के 10:30 या 11 ही बज रहे होंगे मैं चलते चलते थोड़ी ही देर में नदी के पास पहुंच गया मैं बस थोड़ी देर नदी के पानी में खेलना चाहता था इसलिए मैं नदी में चला गया नदी में पानी ज्यादा नहीं था माने डूबने या बहने वाला पानी नहीं था मेरा
कुत्ता तो पानी में जाकर उछल कूद करने लगा मैं भी पानी में पैर डालकर खड़ा हो गया लेकिन तभी मेरा कुत्ता भोगते हुए किसी चीज के पीछे भागते भागते उस नदी के पार चला गया नदी के पार एक जंगल था वो जंगल ज्यादा घना नहीं था कि जिसमें घुसने में मुझे डर लगे पर रात का अंधेरा और मैं अकेला था मैंने अपने कुत्ते को बहुत आवाज दी उसे वापस बुलाया मगर वह वापस आने का नाम ही नहीं ले रहा था बस वो जंगल में घुसकर भोंके जा रहा था उसने कोई तो छोटा जानवर देख लिया था जिसके पीछे पीछे वह उस जंगल में घुस गया अब मरता क्या ना करता
मैंने भी डरते डरते नदी क्रॉस की और कुत्ते को आवाज देता हुआ जंगल में घुस गया कुछ देर बाद मैंने अपने कुत्ते को देखा वह बड़ा ही अग्रेसिव होकर एक पेड़ की तरफ देखकर भोंके जा रहा था मैं थोड़ा और करीब पहुंचा तो मैंने देखा उस भीड़ के तने के पीछे एक बड़ा सा कंबल उस पेड़ की टहनी से लटका हुआ हिल रहा था मेरा कुत्ता उसी कंबल को देखकर भोक रहा था मैंने अपने कुत्ते के गले का पट्टा पकड़ा और उसे जोर से डाट लगाई और उसे उसके गले से पकड़कर मैं वापस नदी की तरफ ले जाने लगा मगर वो बार-बार पीछे मुड़ मुड़कर गुर्रा रहा था
तब मैंने भी एक बार पीछे पलट कर देखा कि आखिर उसने ऐसा क्या देख लिया जो वो बार-बार उस परे गुर्रा रहा है मगर जैसे ही मैंने पलटकर पीछे देखा तो मुझे उसी पेड़ के पास कुछ दिखा वहीं उसी पेड़ के पास जिस पेड़ की तहनी से कंबल लटका हुआ था मैंने जैसे ही पीछे देखा मुझे पेड़ के तने के पीछे किसी का सिर दिखाई दिया और वह जो भी था वह एक झटके में उस पेड़ के पीछे चला गया ऐसा लगा जैसे कोई हमें उस पेड़ के पीछे से छुपकर देख रहा था और फिर वापस पेड़ के पीछे छुप गया मुझे लगा शायद वह आसपास रहने वाला कोई होगा जो कुत्ते के
डर से पेड़ के पीछे छुप रहा है मैंने उसे आवाज दी अब सॉरी भैया मैंने कुत्ता पकड़ रखा है आप डरो मत लेकिन मेरी यह बात सुनकर उस पेड़ के पीछे से एक लड़की की हंसी की आवाज आई मैंने कहा सॉरी दीदी मैं कुत्ते को लेकर जा रहा हूं आप डरो मत इतना कहकर मैं वापस नदी की तरफ जाने लगा लेकिन तभी किसी ने मुझे पीछ से शोर का धक्का मारा और मैं जमीन में गिरते गिरते बचा लेकिन इतने में मेरा कुत्ता उस पर छपता और मैंने जैसे ही पलट कर पीछे देखा तो मेरा कुत्ता किसी काले से साय का पीछा करता हुआ जंगल के और अंदर भागता चला गया मैं
जिस काले साय को कुत्ते के आगे भागता हुआ देख रहा था वह काला साया इंसान के आकार का था मगर उसके पैर नहीं थे वह हवा में उड़ता हुआ सब प्रतीत हो रहा था और वो जोर-जोर से हंस रहा था उसकी हंसी पूरे जंगल में गूज रही थी अब मुझे डर लगने लगा पर मुझे अपने कुत्ते की भी चिंता थी मैं उसे उस जंगल में छोड़कर नहीं जा सकता था तो मैं डरते घबराते हुए उसी दिशा में भागा जिधर मेरा कुत्ता भागा था कुछ देर तक मुझे मेरे कुत्ते के भोकने की आवाज आती रही और फिर वो जोर से चिल्लाया और फिर सब कुछ एकदम शांत हो गया मेरे मन में सिर्
फ एक ख्याल आया कि मेरा कुत्ता मर गया है लेकिन चाहे जो भी हो मुझे मेरे कुत्ते को वापस लाना था किसी भी हाल में चाहे मुझे उसकी डेड बॉडी ही की ना लानी पड़े मैं उसे वापस लाकर ही रहूंगा यह सोचता हुआ मैं जंगल में इधर से उधर भटकता रहा और अपने कुत्ते का नाम पुकारता रहा मगर मुझे उस जंगल में सिवाय मेरी आवाज के और कोई दूसरी आवाज नहीं सुनाई दे रही थी मैं अब हार मानकर रोने लगा मैं समझ चुका था कि अब मैं अपने कुत्ते से कभी नहीं मिल पाऊंगा तभी मुझे मेरे पीछे से आवाज आई राहुल डर मत मैं आ गया हूं यह आवाज सुनकर मैं
ने पीछे पलट कर देखा पीछे मेरे पापा खड़े थे पर अंधेरे की वजह से मुझे कुछ साफ दिखाई नहीं दे रहा था पर वह पापा है यह पता चल पा रहा था मैं दौड़ते हुए उनके पास गया मेरे पापा ने अपनी बाहें फैला ली मैं रोता हुआ उनसे लिपटने ही वाला था कि कभी मेरे ऊपर कोई जोर से छपता और मैं उसके साथ जमीन में गिर गया जमीन में गिरते ही मैंने उसे देखा वो मेरा कुत्ता बिल्लू था फिर बिल्लू मेरे पापा की तरफ देखकर जोर-जोर से भोकने लगा मैंने हैरानी से कुत्ते की तरफ देखा मैं खुश था कि वह जिंदा है पर मुझे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर
वह पाप पापा के ऊपर इस तरह क्यों भौक रहा है तब मेरे पापा अजीब धन से हंसने लगे और तब मैंने गौर किया कि मेरे पापा के पैर नहीं थे इसका मतलब वह कोई छलावा था जिसने मेरे पापा का रूप धर लिया था मैंने लावे से जुड़ी कई कहानियां सुनी हुई थी कि किस तरह से वह आपके परिवार वालों का रूप ठर करर आपको अपने पीछे लेकर जाते हैं और फिर आप कभी जिंदा वापस नहीं आते बस उसी वक्त मैं तुरंत खड़ा उठा और अपने कुत्ते से चिल्लाते हुए कहा कालू भाग और मैं और कालू जंगल से बाहर नदी की तरफ भागने लगे हम पूरी रफ्तार से भाग रहे थे जंगल
में अंधेरा जरूर था मगर हमारे सिर पर मौत मंडरा रही थी इसलिए हम बस अंधा धुंद भागते रहे मैं बस अपने कुत्ते के पीछे भाग रहा था क्योंकि कुत्तों को अंधेरे में इंसानों के मुकाबले साफ दिखाई देता है इसलिए मैं उसी के पीछे भागता रहा और भागते भागते हम दोनों जंगल से बाहर नदी के पास पहुंच गए हमने देखा नदी की दूसरी तरफ मेरे पापा खड़े थे वह हमें ढूंढते हुए वहां तक आ पहुंचे थे हमने तुरंत नदी क्रॉस की और पापा को भी ट्रक की तरफ भागने को कहा पापा भी हमारे साथ भागते हुए ट्रक तक आए उसके बाद मैंने पापा को तुरंत ट्रक व
हां से भगाने के लिए कहा पापा ने ट्रक स्टार्ट किया और हम वहां से निकल गए रास्ते में मैंने पापा को वह जंगल वाली पूरी घटना बताई पापा बोले कि यह उनकी गलती थी कि उन्होंने जंगल के उस इलाके में ट्रक रोका उस इलाके में पहले भी इस तरह की घटनाएं हो चुकी थी वहां से कुछ लोग लापता भी हो चुके हैं जिनके बारे में आज तक कोई खबर नहीं मिली मेरी जान शायद इसलिए बच गए क्योंकि बिल्लू ने एकदम सही समय में आकर मुझे उस शैतान से बचाया वरना मैं तो उस शैतान को अपना बाप समझकर उससे गले मिलने जा रहा था उसके कुछ सालों बाद मेरा कु
त्ता बिल्लू बूढ़ा होकर मर गया लेकिन आज भी उस घटना को याद करता हूं तो डर से मेरे रोमते खड़े हो जाते हैं और बिल्लू को याद करता हूं तो उसके गम से मेरी आंखें गिरी हो जाती हैं अगर आपके पास भी कोई पालतू कुत्ता है तो आप उसका नाम कमेंट में जरूर लिखकर बताएं यह अगली कहानी मुझे महेश बाबू ने भेजी है यह महेश बाबू बिहार से है जो कुछ समय तक उत्तराखंड के भीमताल में एक फूलों की नर्सरी चलाते थे लेकिन एक बार उनके साथ एक ऐसी घटना घटी जिसके बाद वह अपनी नर्सरी पेच बाज कर वापस बिहार चले गए यह घटना 2007 की है जब उत्तरा
खंड के भीमताल में महेश बाबू की एक फूलों की नर्सरी थी और उन्हें दूर दूर के रिसॉर्ट से फूल पौधों की डिमांड आती थी तब महेश बाबू अपने पिकअप ट्रक में पौधों की सपाई करते थे ऐसे ही एक रात महेश बाबू अपने पिकअप ट्रक में सारे पौधे लूट करके निकल गए कौसानी बागेश्वर की तरफ वह गर्मियों के दिन थे इसलिए रात में पौधे सप्लाई करने से पौधों को नुकसान नहीं होता था महेश बाबू अपने पिकअप ट्रक में अकेले ही थे रात के 12:00 बजे तक वो कौसानी पहुंच गए कौसानी में सभी पौधों को अनलोड करने में उन्हें सिर्फ आधा घंटा लगा उसके बाद
महेश बाबू ने अपना ट्रक वापस भीमताल के लिए मोरे लिया अब वह उस सुनसान सड़क में अकेले थे रात का 1 बज रहा था और महेश बाबू बीच जंगल में कहीं पर तो थे कि अचानक से उनका टायर बर्स्ट हो गया टायर फटने की ऐसी आवाज आई मानो जैसे कोई बम फटा हो महेश बाबू का ट्रक डिसबैलेंस होकर सड़क में रपट हुआ खाई से नीचे गिर गया ट्रक ने तीन-चार पटियां खाई तो महेश बाबू छित कर उस ट्रक से बाहर गिर गए और एक कांटेदार झारी मजा करर फस गए जबकि उनका ट्रक उस खाई में बहुत नीचे जाकर नदी में गिर गया महेश बाबू की किस्मत अच्छी थी वरना ट्रक
के साथ नीचे जाते तो शायद बच नहीं पाते महेश बाबू के सिर में चोट लगी थी इसी वजह से उनकी आंखों के सामने सब धुला सा दिखाई दे रहा था एक तो चारों तरफ अंधेरा था मगर चांद की रोशनी काफी थी उस वक्त महेश बाबू के पास एक कीपैड मोबाइल था किस्मत से वह मोबाइल उनकी जेब में अटका हुआ था अच्छा हुआ कि वह जेब से सरक कर नीचे नहीं गिरा महेश बाबू ने मोबाइल निकाल के देखा मगर उसमें नेटवर्क नहीं थे तभी महेश बाबू को उसी खाई में से कहीं से किसी के हंसने की आवाज आई व एक औरत की हंसी थी महेश बाबू ने अपने मोबाइल का टॉर्च ऑन किय
ा और उसकी हल्की सी रोशनी में इधर-उधर देखने लगे तभी महेश बाबू को फिर से वह हंसी सुनाई दी और फिर से महेश बाबू ने अपने टॉर्च की रोशनी एक पेड़ की तरफ घुमाई तब उन्हें उस पेड़ की एक पतली सी डाली के ऊपर एक औरत बैठी हुई पैर हिलाते हुए दिखी महेश बाबू ने जैसे ही उसे देखा उन के रोमते खड़े हो गए क्योंकि वह औरत उस डाली में बैठी हुई पैर हिला रही थी और उसके पैर पीछे को मुरे हुए थे महेश बाबू को समझते देर नहीं लगी कि वह कोई चुड़ैल है महेश बाबू उठकर भाग नहीं सकते थे क्योंकि वह एक झड़ी में फंसे हुए थे अगर वह भागने
की कोशिश करते तो झारी से निकलकर नीचे घाई में जा पहुंचते जहां अभी उनके ट्रक का मलबा पला हुआ था महेश बाबू चुपचाप उसी तरह बैठे रहे वो चुलेल उन्हें बड़ी-बड़ी आंखों से घूरती रही फिर वो उस पेड़ की उस पतली सी डाली के ऊपर चलते हुए आई और छलांग मारकर महेश बाबू के बगल में आ गई महेश बाबू डर से थरथर कांप रहे थे उनकी आंखों में खौफ और आंसू थे और माथे पर पसीना और नीचे पैट में भी उन्हें कुछ गीला गीला महसूस हो रहा था दरअसल वो उनका खून था क्योंकि उनकी कमर में में एक लकड़ी का टुकड़ा घुस गया था जिसने उनकी कमर में ए
क घाव कर दिया था उसी घाव से खून निकल रहा था वह चुड़ैल एक गहरी सांस लेते हुए महेश बाबू को ऐसे सूंघने लगी मानो जैसे महेश बाबू की खुशबू उसे पसंद आ रही हो क्योंकि महेश बाबू फूलों के बीच काम करते थे इसलिए उनके शरीर में से भी फूलों की भीनी सी महकती रहती थी तभी उस औरत ने अपना बड़ा सा मुंह खोला और उसके मुंह के अंदर से उसकी लाल जीभ किसी सांप की तरह लहराते हुए बाहर निकली और वह जीभ महेश बाबू को चाटने ही वाली थी कि तभी ऊपर सड़क में से कुछ लोगों की आवाज आई और किसी ने टज को नीचे खाई की तरफ चमकाया बस तभी उस और
त ने महेश बाबू को गुस्से से देखा मान जय से कह रही हो कि वह वापस जरूर आएगी फिर व फर्ती से वहां से फुदक हुई दूर अंधेरे में कहीं गायब हो गई फिर ऊपर सरत में खरे आदमियों को महेश बाबू ने आवाज दी और बताया कि वह एक झारी में फंसे हुए हैं लोगों ने उन्हें उस खाई से बाहर निकाला और उन्हें अलमोना बेस हॉस्पिटल में भर्ती किया दो दिन बाद ही उन्हें हॉस्पिटल से डिस्चार्ज मिल गया उसके बाद महेश बाबू ने भीमताल में अपनी फूलों की नर्सरी किसी को बेच दी और खुद वापस बिहार चले गए अब महेश बाबू बिहार के एक सरकारी विद्यालय मे
ं अध्यापक लगे हुए हैं कभी-कभी वह अपनी कक्षा के विद्यार्थियों को अपने साथ घटी उस घटना की कहानी सुनाते हैं मगर बच्चों को यह कहानी मन कलंत लगती है और समझदार को यह कहानी एंटरटेनिंग लगती है और लेजेंड्स मेरी कहानियों को लाइक जरूर करते हैं तो लाइक का बटन दबा दीजिए और कमेंट करके कुछ भी तारीफ कर दीजिए अगर यह कहानियां अच्छी लगी तो ऐसी ही दूसरी और कहानियां भी मेरे चैनल में भरी पड़ी है उन्हें भी जरूर सुनिए चैनल सब्सक्राइब नहीं किया तो कर लीजिए मैं जल्द ही एक नई वीडियो के साथ वापस आऊंगा तब तक अपना ख्याल रखें
ताता बाय बाय धन्यवाद

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