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चुड़ैल की सच्ची कहानियाँ - डरना मना है | Horror Kahani BV | Hindi Horror Stories

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Horror Kahani - BV

8 hours ago

व में आज मैं आपको सुनाने वाला हूं दो बेहद ही दिलचस्प कहानियां मुझे पूरा यकीन है ये दोनों कहानियां आपको बेहद पसंद आएंगी इसलिए इन दोनों कहानियों को आखिर तक जरूर सुने और हां अगर आप चैनल में नए हैं तो चैनल को याद से सब्सक्राइब कर ले चलिए कहानी शुरू करते हैं यह बात आज से करीब 50 साल पुरानी है उत्तराखंड के गांव में चार दोस्त रहते थे जिनका नाम था सोनू गिरु पप्पू और गोपू पप्पू के दादाजी गांव के प्रधान थे इसलिए वह अपनी टोली का नेता था ज्यादा उसी की चलती थी गिरीश यानी गिरु के पिताजी पंडित थे सोनू और गोपू
के पिताजी किसान थे उन चारों की उम्र कम थी लेकिन शैतानियां में वह सबके बाप थे पूरा गांव उनकी शैतानियां से हमेशा परेशान रहता था वह कभी किसी के बगीचे से फल चुरा के बाजार में में बेच आते तो कभी अपनी गाय बैल बकरियां दूसरों के खेतों में चरने के लिए छोड़ आते गांव के सभी लोग उनके मां-बाप से शिकायत कर कर के थक चुके थे और उन चारों के मां-बाप भी उनको डांट कर समझाकर कूट कर थक चुके थे मगर वह चारों कहा किसी की समझने वाले थे वह तो जैसे कसम खाकर पैदा हुए थे कि सबकी नाक में दम करके रखेंगे एक दिन वो चारों मशान खे
त के जंगल में अपनी गाय बैल बकरियां चरा ने के लिए लेकर गए उनकी गाय बैल बकरियां जंगल में खास चर रही थी और वह चारों बैट बॉल खेल रहे थे पप्पू बल्लेबाजी कर रहा था और गिरु गेंदबाजी सोनू और गोपू फील्डिंग कर रहे थे गिरु की गेंदबाजी में पप्पू चौक के [ __ ] मार रहा था गिरु की एक आसान सी बॉल पर पप्पू ने एक जोरदार [ __ ] लगाया और इस बार उसकी बॉल बहुत दूर जाकर गिरी सोनू और गोपू फील्डिंग कर कर के थक चुके थे इसलिए उन्होंने वो दूर जाकर गिरी हुई बॉल को लाने से साफ मना कर दिया तब गिरु ने कहा कि एक काम करते हैं हम
चारों जाकर उस बॉल को ढूंढते हैं तो फिर वह चारों चल पड़े उस बॉल को ढूंढने उन्होंने उस बॉल को सब जगह ढूंढा मगर उन्हें वह बॉल नहीं मिली मगर जो उन्हें मिला उसे देखकर अच्छे अच्छों के रोंगटे खड़े हो जाए मगर यह चारों थे कि इनके माथे पर जरा सी शिकन नहीं थी बॉल ढूंढते हुए उन्हें वहां पर एक नेपाली औरत की लाश मिली जिसने लाल साड़ी पहनी हुई थी माथे में एक बड़ी सी बिंदी थी और मांग में ढेर सारा सिंदूर उसकी खुली हुई बड़ी-बड़ी आंखों में काजल लगा हुआ था और उसके पैरों में पायल थी उस लाश को देखकर ऐसा लग रहा था कि
उसकी मौत हाल ही में हुई है एक सुनसान जंगल में उस लाश को देखकर अच्छे-अच्छे डर जाते मगर इन चारों के दिमाग में हमेशा की तरह एक फितूर जागा पब्बू जो अपनी टोली का नेता था वह बोला ए चलो इसकी लाश का अंतिम संस्कार करते हैं गिरु जो कि पंडित का बेटा था वह मंत्र पड़ेगा ऐसा तय हुआ सोनू और गोपू भी तैयार हो गए उन चारों को यह सब एक खेल लग रहा था मगर उन्हें नहीं मालूम था कि किसी लाश के साथ ऐसी हरकत करना कितना गलत है सही और गलत से जैसे उनका दूर दूर तक कोई नाता था ही नहीं उन चारों के मन जो आ जाता वो बस उसको करके ह
ी मानते उसके बाद चीता के लिए लकड़ियां इकठा की गई उन्हें आसपास ही कई सारी सूखी लकड़ियां मिल गई उन्होंने लकड़ियों का ढेर लगाया और उसमें सूखा पिर डालकर एक चीता बनाई और फिर उन चारों ने उस औरत के हाथ पैर पकड़े और उसे चीता के ऊपर लिटा दिया अब वक्त आया अंतिम संस्कार का किरू पंडित का बेटा था वह आगे आया उस ने अनाप शनाप मंत्र पढ़े पप्पू ने अपनी जेब से बीड़ी का बंडल निकाला फिर उसने एक बीड़ी जलाई और फिर उसी तीली से उस चीता में आग लगा दी चीड़ की लकड़ियां और ढेर सारा सूखा पिर होने की वजह से वो चिता धू धू करके
जलने लगी और वह चारों उस चिता के सामने खड़े होकर पीड़ी के कश पे कश मारे जा रहे थे उस चिता को पूरी तरह से जलकर राग होने में शाम हो गई थी उनकी गाय दल बकरिया भी अब घर जाने वाले रास्ते पर वापस जाने लगे थी मगर वह चारों अभी भी वहीं थे उसी चिता के पास शाम होते होते चीता की अस्थियां ठंडी हो चुकी थी पप्पू ने एक लकड़ी उठाई और उन अस्थियों को उस लकड़ी से इधर उधर चटकने लगा उसको देखकर बाकी तीनों ने भी लकड़ियां उठाई और उस चिता की अस्थियों को इधर उधर बिखेरने लगे ऐसा करने से उस चिता की राख इधर उधर उड़ लगी और उन
चारों के पैरों में उनके कपड़ों से जाकर चिपकने लगी अब अंधेरा होने लगा था गोपू और सोनू ने कहा कि चलो वापस घर चलते हैं गिरु ने उस चीता की लकड़ियों में से कुछ छिलके उठाए छिलका यानी ची के पेड़ की छिली हुई लकड़ी जिसमें काफी लीसा होता है जो चलने के काम आता है और काफी देर तक जलता रहता है गिरु ने चिता की लकड़ियों में से छिलका उठाया और उसकी मशाल बना ली जंगल में अंधेरा हो चुका था रात होने लगी थी और उन छिलकों के द्वारा उस अंधेरे में रोशनी का इंतजाम हो चुका था पप्पू ने एक और बीड़ी जलाई और उसी तिली से मशाल जल
ा दी अब बारी-बारी उस बीड़ी के कश मारते हुए वह चारों घर की तरफ चलने लगे सबसे आगे सोनू था उसके बाद गरू था उसके पीछे पप्पू और लास्ट में गोपू गिरु मशाल पकड़े हुए था उस घने जंगल के बीच चीर के पेड़ों के बीच बनी संक्री सी पगडंडी पर वो चारों चल रहे थे तभी अचानक से हवा के एक झोके के साथ वह मशाल बुझ गई और चारों तरफ एकदम से घुप अंधेरा हो गया गोपू ने पप्पू से माचिस मांगी और जैसे ही टीडी लगा के वह जला ही रहा था तभी वह मशाल अपने आप ही जल उठी गोपू ने माचीस की डिबिया वापस अपनी जेब में रखी और वह चारों फिर से चलन
े लगे मगर तभी मां जैसे पप्पू के कानों में किसी ने उसका नाम पुकारा हो [संगीत] पप्पू पप्पू तुरंत घबराकर पीछे मुड़ा मगर वहां कोई नहीं था पप्पू ने डरते हुए उन तीनों से कहा अब तुम तुमने वो सुना तीनों ने कहा अब क्या क्या सुना तो पप्पू कांपती आवाज में बोलता है अब किसी ने मेरा नाम पुकारा तब गोप बोलता है अबे चलना यार रा मत तभी एक फूंक की आवाज के साथ वो मशाल बुझ जाती है और अगले ही पल चारों तरफ फिर से घुप अंधेरा छा जाता है और उस घुप अंधेरे में उन चारों को अपने पास पायल की आवाज सुनाई देती है ऐसा लग रहा था क
ोई पायल पहन के उनके करीब आ रहा हो और धीरे-धीरे वो पायल की आवाज तेज होने लगी मानो जैसे कोई दौड़कर उनकी तरफ आ रहा हो मगर तभी उ मशाल फिर से अपने आप जल उठती है और उस मशाल की रोशनी में वह चारों देखते हैं कि उनके पीछे पगडंडी में वही औरत दौड़ती हुई आ रही है वही नेपाली औरत उस भयानक सी औरत को अपने पीछे भागते हुए देखकर सबके रोमते खड़े हो जाते हैं उस औरत को देखकर वह चारों गांव की तरफ भागने की कोशिश करता है मगर पप्पू के पैर तो मानो जैसे जमीन में चिपक ही गए थे गरू और सोनू घर की तरफ भागे गोपू अपने ही पैरों मे
ं लखला करर उस रास्ते से लुड़क हुआ नीचे जा पहुंचा तभी गोपू को ऊपर पगडंडी से पप्पू की एक सोरदार चीख सुनाई देती है और कुछ पल बाद उसकी चीख बंद हो जाती है और पूरे जंगल में सनाता छा जाता है अब उस पूरे जंगल में अंधेरा ही अंधेरा था रास्ते से नीचे गिरा हुआ गोपू दूर अंधेरे में एक रोशनी को गांव की तरफ भागते हुए देखता है वो सोनू और गिरु है जो मशाल लेकर गांव की तरफ भाग रहे हैं गोपू चाहकर भी उन दोनों को आवाज नहीं दे सकता था वो चुपचाप उस जगह से निकलने की कोशिश करने लगा मगर तभी उसे अपने आसपास वही पायल की आवाज स
ुनाई देने लगती है वह कांपते हुए अपने मुंह में हाथ रखता है और दुपक कर एक जगह में बैठ जाता है तभी आसमान से बादल छड़ते हैं और उनके बीच में से चांद बाहर निकल कर आता है उसकी चांदनी उस जंगल में फैलती है और उसकी रोशनी में गोपू अपनी नजर इधर से उधर घुमाता है तो उसे कुछ ही दूरी पर एक मकान दिखता है गोपू चुपचाप दबे कदम बचते बचाते उस घर की तरफ जाता है वहां पहुंचकर गोपू देखता है कि उस घर का दरवाजा खुला था वह खुद की जान बचाने के लिए उसके अंदर घुस जाता है फिर वह एक कमरे के कोने में जाकर दुपक जाता है उस कमरे में
घोप अंधेरा था और उस अंधेरे में गोपू को ऐसा लग रहा था कि मानो जैसे उसके अलावा उस कमरे में कोई और भी है बिल्कुल उसके बगल में गोपू कांपते हाथों से अपनी जेब से माचिस निकालता है और फिर कांपते हाथों से ही माचिस जलाता है माचिस की रोशनी में गोपू जो देखता है व हरस की भी चीख निकल जाती है उसके बगल में कोई और नहीं बल्कि उसके दोस्त पप्पू की लाश होती है पप्पू की आंखें डर के मारे बड़ी थी और उसका निचला जबड़ा बुरी तरह से चीर कर उसकी गोद में रखा हुआ था उसके कपड़े खून से लत पत थे गोपू बुरी तरह से चीखते हुए वहां स
े भागता है मगर जैसे ही वो दरवाजे पर पहुंचता है पीछे से दो हाथ हाकर उसके पैरों को दबोच लेते है गप धराम से मुंह के बल चौखट पर गिरता है और वह दो हाथ गोपू को घसीटते हुए वापस घर के अंदर लेकर जाते हैं एक जोरदार आवाज के साथ उस घर के दरवाजे बंद हो जाते हैं और गोपू भी चीखते चीखते एकदम खामोश हो जाता है दूसरी तरफ सोनू गिरते पड़ते बचते बचाते वापस अपने घर पहुंचता है घर के दरवाजे उसे खुले मिलते हैं वह तुरंत अंदर घुसता है और दरवाजों को बंद कर देता है अंदर पहुंचकर वह देखता है उसके माता-पिता और बहन खा पीकर सो चु
के थे वो उन्हें जगाने की बहुत कोशिश करता है मगर वह तीनों नहीं जागते तभी सोनू को अपने घर के बाहर दरवाजे के करीब आती वही पायल की आवाज सुनाई देती है और तभी दरवाजे पर जोर-जोर से दस्तक होने लगती है सुर भागकर अपने बिस्तर पर जाता है और खुद को कंबल से ढक लेता है बाहर दरवाजे पर हो रही वह दस्तक तो बंद हो जाती है मगर तभी सोनू को अपनी सिरहाने पर बनी एक छोटी सी खिड़की के बाहर से कुछ लोगों के रोने की आवाज सुनाई देती है सोनू धीरे-धीरे कंबल से अपना सिर बाहर निकालता है और डरते डरते उस खिड़की से बाहर देखता है वो
देखता है कि खिड़की से बाहर थोड़ी ही दूरी पर एक खेत के ऊपर सफेद कफन से ढकी हुई एक लाश पड़ी हुई है और उस लाश के पास तीन लोग खड़े हैं और वो तीनों सोनू के माता-पिता और उसकी बहन है जो उस लाश को देखकर बुरी तरह से रो रहे हैं तभी हवा का एक झोंका आता है और उस लाश के चेहरे पर से कफन का कपड़ा हट जाता है और तब सोनू उस लाश के चेहरे को गौर से देखता है और उसे देखते ही सोनू के होश ही उड़ जाते हैं वह किसी और की लाश नहीं बल्कि सोनू की ही लाश थी तभी उसके मां-बाप और बहन का रोना भी बंद हो जाता है सोनू बाहर खड़े अपने
माता-पिता और बहन की तरफ देखता है तो वह देखता है कि उसके माता-पिता और बहन अपनी बड़ी-बड़ी आंखों से घर की तरफ खिड़की पर सोनू को ही देख रहे थे तभी अचानक पीछे से सोनू के कंधे पर एक हाथ आता है और उसकी मां की आवाज आती है बाहर क्या देख रहा सोनू पलटक पीछे अपनी मां की तरफ देखता है मगर पीछे पलटते ही उसकी आंखें खौफ से बरी हो जाती हैं पीछे उसकी मां नहीं बल्कि वही नेपाली औरत होती है उस औरत को अपने चेहरे के एकदम करीब देखकर सोनू की आवाज नहीं निकलती क्योंकि उसकी आवाज हमेशा के लिए बंद हो जाती है अब सिर्फ बचा था
गिरु वह डरते कांपते हुए अपने घर पहुंचता है गिरु का घर गांव के मंदिर के प्रांगण में ही था गिरु के पिताजी उससे पूछते हैं कि क्या हुआ इतना डरा हुआ क्यों है मगर गिरु कुछ नहीं बोलता वह बस दरवाजे की तरफ देखकर कांपता रहता है गिरु के पिताजी गिरु के कपड़ों में लगी हुई राख को देखकर समझ जाते हैं कि इस बार उनका बेटा कुछ बड़ा कांड कर कर आया है गिरु के पिताजी गिरु के सर पर हाथ रख के आंखें मूंद कर कुछ मंत्र पढ़ते हैं और बुबू तो उठाकर उसके माथे पर लगाते हैं बस गिरु वहीं पर बैठे-बैठे मूर्छित हो जाता है और उसके प
िता उसको उठाकर उसके बिस्तर पर लिटा देते हैं अगले दिन गोपू और पप्पू के मां-बाप पुजारी जी के घर के बाहर आते हैं और पुजारी जी को सोनू के मरने की खबर देते हैं और गिरु के बारे में पूछते हैं और यह भी बताते हैं कि पप्पू और गोपू कल से घर वापस नहीं आए हैं सोनू की मौत की खबर सुनकर पुजारी जी की चिंता अब और ज्यादा बढ़ जाती है कि खिर कल रात उनका बेटा गिरीश क्या कुछ करके घर लौटा था पुजारी जी घर के अंदर जाकर गिरीश को जगाते हैं और उससे पूछते हैं कि कल रात क्या हुआ था गिर उन्हें सब कुछ बता देता है कि किस तरह उन्
हें जंगल में एक लावारिस लाश मिली और उन्होंने खेल-खेल में उसका अंतिम संस्कार कर दिया उसके बाद जो कुछ भी हुआ उसने अपने पिताजी को सब कुछ बता दिया उसने बताया कि वो और सोनू तो भागकर सीधा गांव वापस आ गए थे मगर गोपू और पप्पू बिछड़कर जंगल में ही रह गए पुजारी जी ने यानी गिरु के पिताजी ने गिरु की मां से कहा कि गिरु के साथ ही रहे और इसको घर से बाहर ना निकलने दे और वह खुद गोपू और पप्पू के पिताजी के साथ सीधा सोनू के घर पहुंचे सोनू के घर पर लोगों की भीड़ लगी हुई थी सोनू अपने बिस्तर पर मरा हुआ पड़ा था उसका मुं
ह खुला हुआ था और उसकी आंखें फटी हुई थी मानो जैसे उसने मरने ने से पहले कुछ बहुत ही भयानक देखा हो पप्पू के दादाजी गांव के प्रधान थे उन्होंने पुलिस को खबर करने के लिए कुछ लोगों को पहले ही भेज दिया था अब पुजारी जी गांव के कुछ लोगों को लेकर सीधा अपने बेटे गिरु की बताई हुई जगह पर गए तो उन्हें वहां पर वही जगह मिली जहां पर उनके बच्चों ने उस औरत की लाश का अंतिम संस्कार किया था पुजारी जी ने उस औरत की अस्थियां जो इधर-उधर बिखरी पड़ी थी उन अस्थियों को इठा किया और लकड़िया एकत्रित करके एक छोटी सी चिता बनाई और
फिर से सही मंत्र पढ़कर सही तरीके से उसका अंतिम संस्कार किया फिर उन अस्थियों को एक मटकी में रखकर एक लाल कपड़े से ढक दिया कुछ लोगों ने पास ही के उस घर की तलाशी ली जहां गोपू बचने के लिए छिपा था वहां से गोपू और पप्पू की लाश बेहद ही बुरी अवस्था में मिली तब तक पुलिस भी आ चुकी थी पुजारी जी उस औरत की अस्थियों को लेकर के बाहर एक नदी के पास गए और सही तरीके से पूरे रीति रिवाज के साथ उस औरत की अस्थियों को उस नदी में बहा दिया उसके बाद कई दिन बीते इन दिनों गिरु को उस घर से बाहर निकलने नहीं दिया गया सारा दिन व
ह अपने दोस्तों को याद करके रोता रहता और अपनी एक छोटी सी गलती की वजह से खुद को कोसता रहता और बहुत दिनों के बाद एक दिन गिरु अपने घर से बाहर निकलता है और पासी के एक मैदान में जाकर बैठ जाता है यह वही जगह थी जहां व चारों मिलकर कंचे खेला करते थे गिरु की बकरियां आसपास ही खास च रही थी गिरु अपने दोस्तों के ख्यालों में खोया हुआ एक पत्थर के ऊपर बैठा हुआ था कि तभी उसके पीछे से पायल की आवाज आने लगती है उस पायल की आवाज को सुनकर गिरु घबरा जाता है और इससे पहले कि वह उठकर वहां से भागता कि तभी एक बकरी का बच्चा आक
र उसके पैरों से खुद को रगड़ने लगता है तब गिरु उस बकरी के गले में देखता है वो छनछन की आवाज किसी पायल की नहीं बल्कि उस बकरी के बच्चे के गले में बधे हुए गुमरू में से आ रही थी उसका डर खत्म हो जाता है वो उस बकरी के बच्चे को उठाकर अपनी गोद में बिठा है और प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरता है हम सभी के साथ कभी ना कभी कोई ना कोई ऐसी घटना घटती है जिसे याद करके हमारे रोंगटे खड़े हो जाते हैं ऐसी ही एक कहानी है मेरे गांव की दोस्तों जब मैं 1415 साल का था गर्मियों की छुट्टी में अपने गांव गया था बागेश्वर जिले के ए
क छोटे से गांव में मेरे दादा दादी मेरे दो बड़े भाई रहते थे मैं गर्मियों की और सर्दियों की छुट्टी में गांव जाया करता था एक दिन मैं अपनी मम्मी और दोनों भाइयों के साथ अपने ननी हाल गया जो मेरे गांव से 15 किलोमीटर ही दूर था ननी हाल में मेरी नानी बच्चों को एक कहानी सुनाती थी एक छोटी बच्ची की कहानी जो एक दिन अपने माता-पिता के साथ जंगल गई थी और जंगल में कहीं पटक गई और फिर वह बच्ची कभी नहीं मिली कहते हैं कि उस बच्ची को वहां रहने वाली चुड़ैल ने मार डाला और उसको खा गई नानी अक्सर हम सभी बच्चों को यह कहानी स
ुनाया करती थी एक दिन मैं और मेरे दोनों भाई मेरे एक मामा जो हमारी ही उम्र के थे और कुछ बच्चे गाय बैल बकरियों को चराने के लिए जंगल गए जंगल ऊंचे ऊंचे पहाड़ों में थे और नीचे गहरी खाई हमारी गाय बैल बकरियां घास चहर रही थी और हम सभी बच्चे खेल रहे थे तभी हम में से किसी एक ने एक बड़ा पत्थर उठाया और नीचे खाई में फेंक दिया वह पत्थर टप्पे खाते हुए और आवाज करते हुए नीचे खाई में जा गिरा उस पत्थर की आवाज गूज रही थी और हम सभी को मजा आ रहा था तो हम सब ने एक-एक पत्थर उठाया और नीचे खाई में लड़का लगे तभी मुझसे एक ग
लती हो गई जो पत्थर मैं खाई में फेंकने वाला था उस पत्थर के सामने मेरे मामा आ गए और वो पत्थर उनके माथे से जा टकराया पत्थर लुड़क हुआ नीचे खाई में जा गिरा और मामा जी के माथे से बहुत ढेर सारा खून बहने लगा मामा मुझे बहुत अच्छा मानते थे उन्होंने मुझे कुछ नहीं कहा और सीधे घर चले गए उनके पीछे-पीछे बाकी बच्चे भी घर की ओर चल दिए मैं सबसे आखिर में डरते डरते पीछे-पीछे चल रहा था मुझे डर था कि मम्मी मुझे बहुत मारेगी क्योंकि हमारे मामा जिनके सिर में जोट लगी थी वह मेरे मम्मी के बहुत लाडले थे जैसे-जैसे मैं घर के
नजदीक पहुंच रहा था मेरे दिल की धड़कन बरती जा रही थी घर पर सबकी डाट और मम्मी की मार से बचने के लिए मैंने वहां से भागकर पैदल अपने गांव जाने का निश्चय किया वह भी अकेले जंगल के रास्ते मुझे नहीं पता था कि जंगल के रास्ते में अपने गांव पहुंच पाऊंगा कि नहीं मुझे रास्ते का पता नहीं था बस इतना जानता था कि उस ओर मेरा गांव पड़ता है तो उस ओर चलते जाना है यही मेरा आगे का प्लान था मैं जब तक दौड़ सकता था मैं दौड़ा मैं दौड़ते हुए जंगल को पार करना चाहता था क्योंकि मुझे उस जंगल में डर लग रहा था घर से भाग के मैं जं
गल में तो घुस गया लेकिन उस दिन पता चला रोशनी में भी डर लग सकता है पूरे जंगल में झिंगुर की आवाज के अलावा सिर्फ मुझे मेरे हा फने की आवाज और मेरी तेज धरके ने सुनाई दे रही थी दूर दूर तक सिवाय जंगल के कुछ नहीं था जब तक खुला आसमान था रास्ते का अंदाजा लगा पाना आसान था लेकिन जब घने पेड़ों के बीच पहुंचा तो सभी दिशाएं एक हो गई मैं कहां से आया था और कहां को जाना है इसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल था थक हार के मैं एक पेड़ के नीचे जा बैठा और सुस्ताने लगा मेरे माथे से पसीना बहता हुआ मेरे गले से नीचे सरकता हुआ मे
रे टीशर्ट को भिगो चुका था प्यास भी लग रही थी मुझे पेड़ के नीचे बैठे अभी कुछ 810 मिनट ही हुए होंगे कि मुझे पायलों की छनछन सुनाई देने लगी मैंने आसपास देखा तो वहां कोई नहीं था तभी हवा का एक झोंका आया और उसमें एक बहुत प्यारी मदमस्त कर देने वाली खुशबू आई वो खुशबू बहुत अलग थी हवा पीछे से आ रही थी तो मैंने पलट के देखना चाहा कि यह खुशबू कहां से आ रही है मैं पलटा तो मैं क्या देखता हूं उधर से एक बहुत ही सुंदर लड़की चढती हुई मेरी ही तरफ आ रही थी उसका गुलाबी चेहरा काले घने लंबे बाल उसकी भूरी आंखें देखकर मैं
कुछ पल बस उसे ही देखता रहा और वह छनछन करती कब मेरे पास आ गई मुझे पता ही नहीं चला उसके एक हाथ में एक लप्र की छर थी और दूसरे में एक मिट्टी का लोटा उसमें पानी था उसने बिना कुछ बोले मेरी ओर पानी का लोटा बढ़ाया मैं थोड़ा हिच किचा आया तो वो धीमी और बहुत ही प्यारी आवाज में बोली यह लो पानी पी लो तुम्हें प्यास लगी है ना तो मैं बोला मुझे प्यास लगी है यह तुमको कैसे पता तो वो बोली मैंने तुम्हें भागते हुए देखा था फिर तुम यहां पेड़ के नीचे आके हाने लगे तो मुझे लगा तुम्हें प्यास लगी होगी इसलिए मैं पानी ले आई
मेरा घर यही पास में ही है मैंने बिना किसी संकोच लूटा लिया और एक ही सांस में सारा पानी पी लिया मैं थका हुआ था और गर्मी भी बहुत थी उस एक लोटे पानी ने जैसे मेरे अंदर एक अलग ही फूर्ति भर दी एक पल में मेरी सारी थकावट गायब हो गई उसने पूछा तुम कहां से भागे आ रहे थे और कहां को जा रहे हो मैंने कहा कि मैं अपने गांव फट केली जा रहा हूं वो बोली फिर तुम सड़क से क्यों नहीं गए इस जंगल से कोई रास्ता नहीं है यहां कोई आता जाता भी नहीं तुम्हें किसने कहा यहां से जाने के लिए उसकी बात खत्म ही हुई थी कि मैंने एक सवाल प
ूछ लिया अच्छा अगर यहां कोई आता जाता नहीं तो तुम यहां क्या कर रही हो वह बोली मैं यही रहती हूं बचपन से इस जंगल के चप्पे चप्पे से मैं वाकिफ हूं अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हें हमारे घर छोड़ सकती अंधे को क्या चाहिए दो आंखें मैं तुरंत तैयार हो गया मुझे अपने पीछे पीछे चलने को बोल के वह अपने पैरों से छन छन करती अपने इतर की खुशबू फैलाती मेरे आगे आगे चल रही थी उसकी इतर की खुशबू में एक अलग ही नशा था उसकी पीठ में लटक रहे लंबे-लंबे काले बाल हवा में ऐसे लहरा रहे थे जैसे उसके एक एक बार में जान हो मेरी नजर उसके पै
रों की तरफ गई मगर उसने एक लंबा गाउन पहना था जो जमीन में रगड़ता हुआ उसके पीछे-पीछे जा रहा था अब यहां पे मेरा दिमाग ठनका कि कहीं ये वो चुड़ैल तो नहीं जिसकी कहानी हमारी नानी हमें सुनाती थी फिर मैंने सोचा चुड़ैल तो डरावनी और खूंखार होती है यह तो इतनी खूबसूरत है यह चुड़ैल नहीं हो सकती मैंने उससे पूछा सुनो तुमने ये कौन सा इत्र लगाया है मैंने आज तक ऐसी खुशबू नहीं संगी वो बोली नहीं तो मैंने कोई इत्र नहीं लगाया मैं बोला पर तुम में से बहुत अच्छी खुशबू आ रही है वो बोली वो खुशबू फूलों की है जहां मैं रहती हू
ं वहां ढेर सारे अलग-अलग फूलों के पौधे हैं हीं के बीच रहती हूं ना तो वो खुशबू मेरे कपड़ों में बैठ गई है मैं कुछ नहीं बोला मैंने सुना था कि जब चुड़ैल आपके आसपास होती है तो आपको रिझाने के लिए वो अपने शरीर से मदहोश कर देने वाली खुशबू छोड़ती है पर मैं कैसे पता लगाता कि वह चुड़ैल है या कोई इंसान चलते-चलते हम काफी दूर पहुंच गए थे रास्ता कठिन हो गया था एक ओर खाई और दूसरी ओर ऊंचे ऊंचे पहाड़ व लड़की मेरे आगे आगे चल रही थी मैं उसके पीछे पीछे चल रहा था हम दोनों के बीच करीब दो गज की दूरी थी मेरी नजर उसके पैर
ों की ओर थी बस एक बार उसके पैर दिख जाए तो पता चल जाए कि वह चुड़ैल है या फिर मैं ऐसा सोच ही रहा था कि तभी अचानक मेरे सामने एक बड़ी छिपकली उछल के आई और नीचे खाई में कूद ली शायद उस जंगल में हमें देखकर वो डर गई थी लेकिन उसके यूं अचानक मेरे सामने कूदने के मैं चौका और मेरे कदम लरखरावा था कि उस लड़की ने मेरा हाथ थाम लिया और मुझे गिरने से बचा लिया उस लड़की ने बड़ी फूर्ति से और पूरी ताकत से मेरा हाथ पकड़ा कमाल की बात थी क्योंकि उसके हाथ की पकड़ बहुत मजबूत थी मैंने महसूस किया कि उसके हाथ बहुत ठंडे थे इतनी
दोपहरी में मेरा शरीर तप रहा था मगर उसके हाथ एकदम बर्फ के समान ठंडे अब मन में हजार सवाल उठने लगे कि जरूर यह लड़की चुड़ैल ही है उसने मुझे संभाला और मेरी आंखों में देखकर बिना कुछ बोले मेरे हाथ में अपनी लकड़ी की छड़ी दे दी मैंने बिना बोले वह छड़ ले ली क्योंकि मुझे उससे अब कुछ बोलने की हिम्मत नहीं हुई उस खतरनाक रास्ते से चलते-चलते हम एक पहाड़ की चोटी पर पहुंच गए वहां से मेरा गांव दिखाई देने लगा वहीं थोड़ी दूरी पे कुछ गाय और बकरियां घास चर रही थी अपने गांव को देखकर मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा मैंने
उस लड़की की ओर देखा और उस लड़की ने मेरी आंखों में देखा और एक प्यारी सी मुस्कान बिखरती हुई बोली तुम पूरे रास्ते यही सोच रहे थे ना कि कहीं मैं कोई चुड़ैल तो नहीं तुम्हारी नजर मेरे पैरों की ओर थी थी ना मैंने पूछा पर तुम्हें कैसे पता कि मैं तुम्हारे पैरों की तरफ देख रहा था तुम्हारी नजर तो सामने की ओर थी वह बोली चु रहलो के सिर में पीछे भी दो आंखें होती हैं उसकी यह बात सुनकर मेरा चेहरा लटक गया और आंखें डर के मारे फटने लगी मुझे ऐसे देख के व जोर-जोर से हंसने लगी और बोली अरे मैं तो मजाक कर रही थी तुम मेर
े पैर देखना चाहते थे ना तो यह देखो उसने अपना गाउन थोड़ा सा ऊपर उठाया और मैंने उसकी पैरों की तरफ देखा वो पैर एक आम इंसान की तरह सामने की ओर ही थे उसके चेहरे की तरह उसके पैर भी एकदम गुलाबी थे बिल्कुल एक छोटे बच्चे की तरह मुझे अब अपनी बेवकूफी पर शर्म आ रही थी मैंने उससे माफी मांगी वो बोली कोई बात नहीं अब तुम एक काम करो वो अपना वाक्य पूरा करती तभी मेरे पीछे से एक आवाज आई ओए वीरू तू उधर जंगल से कहां से आ रहा है मैंने पलट के देखा थोड़ी दूरी पर मेरे दोस्त कमल और मोनू खड़े थे वो अक्सर अपनी गाय और बकरिया
ं चलाने के लिए जंगल आते थे मैंने उन्हें बताया कि मैं अपनी नानी के घर से आ रहा हूं वो बोले बाप रे तू इस खतरनाक जंगल से आ रहा है वो भी अकेले इस जंगल में तो हम भी नहीं जाते बाप रे कितनी गहरी गहरी खाई है कोई गिरा तो समझो मरा ही मरा मैं बोला अरे नहीं भाई अकेले थोड़ी आ रहा हूं यह थी ना मेरे साथ मैंने ऐसा बोलते बोलते पीछे मुड़कर देखा तो वो लड़की वहां नहीं थी कमल और मोनू बोले क्या तू किसकी बात कर रहा है मैंने कहा यार मेरे साथ एक लड़की थी जिसने मुझे यहां तक छोड़ा अगर वह नहीं होती तो मैं भी खाई में गिर के
मर गया होता वो बोले ओए पागल मत समझ हमें हम बहुत देर से तुझे आते हुए देख रहे थे तू अकेला ही आ रहा था मैंने उन्हें बहुत समझाने की कोशिश की मगर वो नहीं माने मैं उन लोगों के साथ घर वापस आ गया मेरे दिमाग में अब तरह-तरह के सवाल खड़े हो रहे थे कि आखिर वह कौन हो सकते हैं उसने मुझे अपने पैर भी दिखाए थे उसके पैर तो सीधे थे वो भी चुड़ैल नहीं हो सकती फिर वह कौन थी कमल और मोरू ने उसे क्यों नहीं देखा हो सकता है कमल और मोनू को देखकर वह छिप गई हो जंगल में रहने की आदी है तो उस ज्यादा लोगों के बीच आने में शर्मा
गई होगी मेरे मन ने खुद ही सवाल किए और खुद ही जवाब देकर मन शांत हो गया मैं घर पहुंचा तो दादा दादी ने ने बहुत डाटा कि उस जंगल से आने की क्या जरूरत थी कुछ हो जाता तो शाम के 4:00 बज चुके थे व हाथ मुंह धोकर खाना खाकर बिस्तर पर लेट गया और कब मेरी आंख लग गई मुझे पता नहीं चला आधी रात को मेरी नींद खुली मुझे अचानक ध्यान आया कि उस लड़की की वह छड़ी तो मेरे पास ही रह गई थी जिसे मैं घर ले आया था और वह छड़ी मैंने दरवाजे के बाहर आंगन में रख दी थी तभी मुझे घर के बाहर आंगन में किसी के चलने की आवाज आई और वही जानी
पहचानी छन छन की आवाज जो मैंने जंगल में सुनी थी मैंने खिड़की को थोड़ा सा खोला और बाहर देखने की कोशिश की तो बाहर मुझे छड़ी के साथ वापस जाते हुए दो पैर दिखाई दिए यह उसी लड़की के पैर थे वह छड़ी लेने आई थी और वह छड़ी लेकर वापस जा रही थी मेरी नजर धीरे-धीरे उसके पैरों से ऊपर उठी और लंबे बालों से होते हुए उसके सिर की तरफ गई तो जो मैंने देखा वो देखकर मेरे होश उड़ गए बालों के बीच उसकी दो बड़ी-बड़ी आंखें मुझे ही देख रही थी वह चा तो सामने की ओर रही थी मगर उसकी आंखें पीछे की तरफ थी वह बड़ी-बड़ी आंखों से री आ
धी खुली खिड़की की तरफ ही देख रही थी मानो जैसे उसे पता हो कि मैं उस खिड़की से उसे देख रहा हूं मेरे सभी सवालों के जवाब मुझे मिल चुके थे हां वह चुड़ैल थी कुछ दिनों के बाद मैंने अपनी मम्मी से उस बच्ची के बारे में पूछा जिसकी कहानी नानी हमें सुनाया करती थी कि वह जंगल में अपने मां मा बाप से पिछड़ के गुम हो गई थी मां ने बताया वह कहानी नानी सिर्फ हमें डराने के लिए सुनाया करती थी ताकि हम लोग जंगल जाने की जिद ना करें उस दिन की बातें जब भी याद आती है तो शरीर में सिरहन पैदा हो जाती है रोंगटे खड़े हो जाते हैं
वह लड़की दिन के उजालों में जितनी खूबसूरत दिखाई दे रही थी रात के अंधेरे में उतनी ही खौफनाक उसने सही कहा था कि उसकी दो आंखें उसके सिर के पीछे भी है तो दोस्तों थी मेरी कहानी अगर आपको कहानी पसंद आई तो उे लाइक जरूर करें और चैनल को सब्सक्राइब करना ना भूले मेरे पास आपको सुनाने के लिए ढेरू कहानियां है आपको मेरी कहानियां जरूर पसंद आएंगी [संगीत] धन्यवाद

Comments

@BandanaKumari-vm1kd

Oo bhoot ji 😂😂❤💞

@BandanaKumari-vm1kd

Oo bhoot ji kaha gayab hai aap 🙄🙄🙄🙄