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कब्रिस्तान में एक रात ☠️ | Horror Story | Scary Stories | Bhoot ki kahani | Spine Chilling Stories

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Jas Ki Kahaniyan - Horror Stories

1 hour ago

हेलो दोस्तों आज की कहानी 18561 दोस्तों की है जो एक दूसरे से शर्त लगाते हैं कब्रिस्तान में एक रात बिताने का आइए जानते हैं आगे क्या होता है विश्वविद्यालय के लाल बहादुर शास्त्री के हॉस्टल में पढने वाले तीन दोस्त मोनू मनोज रॉकी के बीच शर्त लगी कि किसमें इतनी हिम्मत है जो कब्रिस्तान के अंदर एक रात बिता सके क्योंकि यहां वो कब्रिस्तान है जिसमें 1800 56 में मारे गए अंग्रेजों को दफनाया गया था और उन दोस्तों में से मनोज ने हिम्मत दिखाई और शर्त मान ली अगले दिन तीनों दोस्त विश्वविद्यालय से निकले और कॉलेज और
पक्का पुल के रास्ते से होते हुए कब्रिस्तान के पास पहुंचे रात के करीब 12 बज चुके थे सन्नाटा छाया हुआ था और सड़क पर भी एक दो गाड़ी वाले नजर आ रहे थे तीनों दोस्त कब्रिस्तान में पहुंचे कब्रिस्तान के चारों ओर दीवार टूटी हुई थी कोई भी आसानी से अंदर जा सकता था अब रात के करीब एक बज चुके थे मोनू बोला ठीक है मनोज कल मिलते हैं अगर तुम जिंदा रहे तो मनोज बोला अरे जिंदा क्यों नहीं रहूंगा मुझे भूत से डर नहीं लगता है और जब डर ही नहीं लगता फिर डर किस बात का इतना कहकर मनोज जोर जोर से हंसने लगा मोनू और मनोज आपस मे
ं बातें कर रहे थे पर रोकि आस पास की कब्रों को बड़े गौर से देख रहा था और कब्रों के ऊपर लिखे नामों को बारी बारी से पढ़ते हुए बड़बड़ा रहा था मोनू बोला रोहित तू कब्रों को इस तरह से क्यों देख रहा है यहां सारी मर्दों की लाश है किसी लड़की की नहीं है ठरकी इंसान मनोज बोला इसका बस चले तो लड़की को कब्र से निकाल कर बोले आप बहुत सुंदर लग रही हैं क्या आप मेरी गर्लफ्रेंड बनोगी मोनू और मनोज जोर-जोर से हंसने लगे थे जो हंसी पूरे कब्रिस्तान में गूंज रही थी रोकी बोला अरे नहीं मोनू मैं तो इन कब्रों पर लिखे नाम को पढ
़ रहा था क्योंकि पिछले हफ्ते जब मैं नीलम के साथ यहां घूमने आया था तो इस थॉमस की कब्र इस कब्रिस्तान के सबसे आखिरी में थी और मुझे इसलिए याद है क्योंकि मैंने इसी कब्र के पास से फूलों को तोड़कर नीलम को दिया था रोहित की बात सुन के मोनू और मनोज भी एक पल के लिए सोच में पड़ गए सबके मन में सिर्फ यही सवाल था कि आखिर कब्र एक जगह से दूसरी जगह कैसे जा सकती है और इस बात की पुष्टि इस बात से भी हो रही थी कि रोकी के तोड़े फूलों की पत्ती अभी भी मुरझाई हुई कब्र के पास ही थी मनोज बोला अच्छा ठीक है अब मुझे और उल्लू
मत बनाओ मुझे डराने की तुम्हारी कोशिश किसी काम की नहीं है समझ गए मैं इस कब्रिस्तान से अब कल सुबह ही आऊंगा वो भी जिंदा चलो जाओ अब तुम दोनों मुझे अकेला छोड़ दो मनोज की बात सुन के मोनू और रॉकी कुछ नहीं बोले और आपस में बात करते हुए कब्रिस्तान से बाहर आ गए और मनोज अपने दोस्तों को कब्र से से जाते शांत देख रहा था और उनके जाने के बाद मनोज उसी थॉमस की कब्र के ऊपर बैठ गया और वहीं पर जमी घास को नोचने लगा उसकी नजरें पूरे कब्रिस्तान को देख ही रही थी तभी जमीन से एक हाथ निकला और मनोज के हाथ को पकड़कर उसे कब्र स
े नीचे गिरा दिया उसने जब आसपास देखा तो कोई नहीं था और जब उसकी नजर अपने हाथ पर गई तो हाथ पर किसी के नाखूनों से नचा हुआ था जिससे खून निकल रहा था उसने खुद को संभालकर एक एक बार फिर कब्रिस्तान को देखा तो उसे धुआं ही धुआं उठता हुआ दिखा जो उसी को घेरने उसी की तरफ बढ़ रहा था इससे पहले वह कुछ समझ पाता धुए ने उसे घेर लिया जिसकी वजह से उसका दम घुटने लगा और फिर अगले ही पल उसे गोली और तलवारों की आवाजें आने लगी और ठीक उसकी आंखों के सामने स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजी हुकूमत के सिपाहियों को उन्हीं की बंदूक
से उन्हीं का सीना छल्ली कर रहे थे वारों से उनका जिस्म और उनकी गर्दन दोनों को काट रहे थे और यह सब मनोज के सामने हो रहा था इतना सारा खून मौत की चीखें सुनते हुए मनोज की सांसों की गर्माहट बढ़ गई थी पर उससे पहले वह कुछ समझ पाता या इस सदमे से निकल पाता अचानक ही किसी ने मनोज को पीछे से धक्का दिया और उसे जमीन पर गिरा दिया उसने जब पीछे मुड़कर देखा तो कोई नहीं बल्कि मोनू और रोकी ही थे और सारा धुआं एक पल में गायब हो गया मोनू बोला अबे देख कितना फट्टू है यह रोकी बोला अबे जब इतना डर लगता है तो यहां अकेले आने
के लिए हां ही क्यों किया जरा अपने चेहरे का रंग देख डर के मारे कितना उतरा हुआ है मोनू और रोकी जोर से नसने लगे क्योंकि अचानक से धक्का लगने की वजह से वह डर गया था मनोज बोला बंद करो तुम लोग अपनी ये नौटंकी और चलो यहां से मुझे और नहीं रहना इस कब्रिस्तान में तुम अंदाजा भी है मैं अभी क्या देख रहा था मनोज जनता था कि जो उसने अभी देखा है वह कभी अपने दोस्तों को समझा नहीं पाएगा इसलिए हक लाता हुआ दोनों से कहकर बाहर जाने को हुआ ही था तभी रोकी ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया रोकी बोला अबे तू अकेला कहां चल दिया
चिंता मत कर तेरे साथ साथ अब हम भी इस कब्रिस्तान में रुकेंगे फिर तो ठीक है ना मनोज बोला पर रुकना ही क्यों है जब से मैं आया हूं अजीब सी ठंड लग रही है और तुम दोनों के हाथ भी तो बर्फ की तरह ठंडे हो चुके हैं मैं कहता हूं चलो मनोज रकी से हाथ छुड़ाकर कब्रिस्तान की बाहर की ओर चल ही रहा था कि अचानक ही मोनू ने उसके गले में रस्सी डाल केर वापस से उसे कब्रिस्तान में घसीट लगा मनोज बोला मोनू यह तुम क्या कर रहे हो मैं मनोज हूं तुम्हारा दोस्त तुम मेरे साथ ये क्या कर रहे हो मनोज चीख चीख के मोनू से कहे जा रहा था प
र मोनू ने उसकी एक नहीं सुनी और घसीट हुआ एक पेड़ के पास ले आया फिर रस्सी को पेड़ की दाल पर फेंक दूसरी तरफ से खींचता हुआ मनोज को फांसी चढ़ाने लगा मनोज बोला मोनू यह तू क्या कर रहा है रोकी तू मोनू को रोकता क्यों नहीं तुम दोनों मेरे साथ क्या कर रहे हो मनोज के इतना चीखने पर भी उन्होंने उसकी एक ना सुनी और देखते ही देखते मनोज फांसी की वजह से झटपट आने लगा इतने में ही उन दोनों में से एक बोलता है जब तू मर ही रहा है तो सुनता जा हम वह हैं ही नहीं जो तू समझ रहा है मैं हूं थॉमस और यह मेरा सिपाही था तुम भारतीय
हमेशा से ही अंग्रेजी हुकूमत के गुलाम थे और गुलाम रहोगे इतना कहकर उन दोनों का शरीर धीरे-धीरे अंग्रेजी हुकूमत के सिपाहियों की पोशाक से डक गया जिनकी आंखों के सामने मनोज फांसी पर लटका तड़प रहा था मनोज के इतना तड़पने पर भी उन सिपाहियों को फैन नहीं आया उन्होंने अपने हाथ में पकड़ी बंदूक और तलवार से मनोज के शरीर को छल्ली करना शुरू कर दिया जिससे मनोज की मौके पर ही मौत हो गई अगली सुबह जब उसके दोस्त उसे लेने कब्रिस्तान आए तब कब्रिस्तान के बाहर पुलिस और मीडिया की भीड़ लगी हुई थी जिन्हें देख दोनों की सांसें
तेज हो गई थी रकी ने जब भीड़ के बीच जाकर देखा तो उसे कब्रिस्तान के कोने में पेड़ पर झूलती मनोज की लाश दिखी जिसे देख दोनों चीखने लगे थे इंस्पेक्टर भी उनकी चीख से समझ गया था कि यह दोनों लाश के जानने वाले हैं इसलिए दोनों को लाश की पहचान करने के लिए अंदर बुलाया गया मोनू और रकी ने जब मनोज की लाश को गौर से देखा तो उनकी भी रूह कांप गई गला जोर से दबने की वजह से मनोज की आंखों की पुतलियां बाहर आ गई थी आंखों की जगह दो काले गड्ढे दिखाई दे रहे थे और नीचे जमीन पर खून ही खून बिखरा हुआ था साथ ही गोलियों के खाली
कारतूस भी बिखरे हुए थे पर मनोज के जिस्म पर कट का एक भी निशान नहीं था दोनों ने लाश को पहचान तो लिया था पर अब यह केस पुलिस को भी समझ नहीं आ रहा था पर पोस्टमास्टर से यह बात साबित हो चुकी थी कि बाहर से भले ही उसके शरीर में कोई खरोच ना हो लेकिन अंदर से उसका शरीर गोलियों से छल्ली पड़ा था और अंदर से मांस नशे

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