आ गई तू हर शाम की तरह आज भी मेरी नर्स
लेट आई और मेरी मां रोज की तरह उसे भाषण देके काम के लिए निकल गई मैं आराम से अपने
बिस्तर में बैठकर किताब पढ़ रही थी और मेरी चाय का इंतजार कर रही थी सॉरी आज भी
मैं बारिश की वजह से लेट हो गई यह कहते हुए मेरी नर्स कमरे में घुसी और मैंने
मुस्कुराते हुए कहा कोई बात नहीं मुझे दिल की बीमारी है मेरा दिल इतना
कमजोर हो चुका है कि आम इंसानों के काम करना भी मेरे लिए काफी मुश्किल है जैसे
चलना फिरना या खुद के लिए कोई भी काम करना पिछले दो महीने से मैं अपने कमरे में एक
खिड़की
एक लैपटॉप मेरी मां और मेरी नर्स के भरोसे गुजार रही थी मेरी मां की शाम की
शिफ्ट होती है इसलिए मेरी नर्स शाम से रात तक मेरी देखभाल करने आती है कभी-कभी मेरी
हालत इतनी बुरी हो जाती है कि मेरे लिए करवट लेना भी मुश्किल हो जाता है इस सबके
डर से मेरी मां ने यह नर्स लगवाई थी पहले मुझे बड़ा अजीब सा लगता था मेरी मां के
अलावा किसी और के साथ वक्त बिताना पर अब मेरी इकलौती दोस्त ही वह बन गई है हर रोज
मेरी नर्स मुझे अपने घर गृहस्ती हॉस्पिटल की गपशप और ना जाने क्याक बताती है उसकी
कहानियां इतनी दिलचस्प होती नहीं
है जितनी मुझे लगती शायद उसके बताने का तरीका
ज्यादा दिलचस्प है ऐसा लगता था जैसे मैं उसकी बताई हुई बातें उसके साथ जी रही हूं
उसके साथ रहकर मुझे कभी एहसास नहीं होता था कि मैं इतनी बीमार हूं शुरुआती दिनों
में मुझे मैं एक बोझ लगती थी खुद के लिए भी और मेरी मां के लिए
भी जब मैं एक साल की थी तब मेरे पापा इसी बीमारी से गुजर गए थे तब से मेरी मां सब
अकेले संभाल और अब जब मुझे भी यह बीमारी हो गई है मेरी
मां सिर्फ मेरी देखभाल और दवाइयों के पैसे कमाने में जुटी रहती है उन्होंने मुझे कभी
सामने से नहीं जताया कि
वह कितने चिंतित है पर मैं जानती हूं कि जैसे मेरा उसके
अलावा कोई नहीं वैसे ही उनका भी मेरे अलावा कोई नहीं है इसलिए उनका मुझे खोने
का डर बहुत ज्यादा है पर जब से मेरी नर्स आई है तब से कभी-कभी मैं मुस्कुरा लेती
हूं कभी-कभी कुछ अच्छा खाने की जिद कर लेती हूं उसके साथ मुझे एक साधारण इंसान
जैसा महसूस होता है जैसे मैं मैं नहीं कोई और हूं कोई लड़की जो बस अपनी दोस्त के साथ
बैठी हो मेरी खुशी देखकर मेरी मां भी उसे कभी-कभी कम डांट है देर से आने पर हर शाम
की तरह मैं और व बैठ के चाय की चुस्कियां के साथ उसके हॉस
्पिटल में काम करने वाली
एक और नर्स की बुराइयां कर रहे थे तभी मुझे बड़ा तेज दर्द हुआ सीने में इतना तेज
कि मेरे हाथ से चाय का कप गिर गया उसने मुझसे पूछने की कोशिश की क्या हो रहा है
मगर दर्द के मारे मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था मैं बस दर्द में कर रही थी उसने
झटके से एक दवाई निकाली इंजेक्शन में भरी और मेरे हाथ को सीधा करके लगा दी दो तीन
मिनट में मेरा दर्द कम हुआ धीरे धीरे मुझे आराम आने लगा उसने मेरा सर सलाया और मेरे
माथे पर हाथ रखा अरे तुमको तो बुखार आ रहा है बड़ी चिंता से उसने कहा फिर उसने दवाई
और
पानी दिया और मेरा ब्लड प्रेशर नापने लगी मैं निढाल बिस्तर में लेटी हुई थी
मुझे कभी-कभी ऐसा दर्द उठता था पर यह कुछ अलग था यह काफी चुभने वाला दर्द था जैसे
मेरी जान ही निकल जाएगी इतने चिल्लाने और मचलने की वजह से मैं बिल्कुल निढाल पड़ी
थी ऊपर से बुखार की वजह से मेरा बदन टूट रहा था ब्लड प्रेशर भी काफी लो आया था
मेरी हालत देखकर मेरी नर्स ने मुझे कुछ और दवाइयां दी खाना खिलाया और मुझे सोने के
लिए कह दिया दवाइयों के नशे में मैं कब सो गई मुझे पता भी नहीं चला एकदम से नींद में
मुझे किसी की बातों की आवाज आ र
ही थी जैसे कोई रो रहा हो या चिल्ला रहा हो इतनी नींद
में मैं हिल भी नहीं पा रही थी मुझे अब भी बुखार महसूस हो रहा था थोड़ी देर बाद मेरी
खिड़की से सायरन की आवाज आने लगी मैं उठना चाहती थी पर ऐसा लग रहा था जैसे मुझ पर
कोई बहुत बोझ हो अचानक मेरी मां की आवाज सुनाई दी मुझे
परिधि परिधि बेटा सो रही हो मुझे लग रहा था जैसे
कुछ गलत हो रहा है पर जैसे ही मेरी मां की आवाज सुनी मैंने मैं समझ गई कि वो घर आ
चुकी है और सब ठीक है उठना तो मैं अब भी चाहती थी पर मैं जानती हूं मेरी मां यहीं
है तो मुझे कुछ नहीं
होगा अगले
दिन मैं काफी ताजा महसूस कर रही थी जैसे एक नई सी ऊर्जा हो मुझ में मैंने
आंखें खोल के देखा तो दोपहर के एक बज रहे थे जो कि काफी अजीब बात है मेरी मां हर
रोज सुबह उठकर 7:00 बजे मुझे उठा के दवाई देती थी आज तक कभी नहीं चूकी तो आज क्या
हो गया मैं धीरे से उठी और देखा मेरी दवाइयों का बैग
मेरे हाथ में लगने वाली ड्रिप और सब इंजेक्शंस मेरे कमरे से जा चुके थे मेरे
दिमाग में उलझन होने लगी ऐसा कैसे हो सकता है मैं दो महीने से बिस्तर से बिना मदद के
नहीं उठ पाई थी पर आज मुझ में इतनी शक्ति थी कि मैं चल फिर पा रही
थी मुझे इस बात
का बेहद उत्साह भी था और मेरी चीजें गायब होने की उलझन भी मैं भाग के अपने दरवाजे
की तरफ मम्मी को पुकारती हुई गई पर ना दरवाजा खुला ना मेरी मम्मी आई मैं बहुत
घबरा गई मेरी सांसे चढ़ने लगी मैं दरवाजे को जितनी क्षमता थी उतने जोर से बजाने लगी
और जोर जोर से मेरी मां को पुकारने लगी बहुत मशक्कत के बाद भी ना दरवाजा खुला ना
मम्मी आई मैं अपने बिस्तर पर जाकर बैठ गई जाहिर है कि मेरी मां अभी घर पर नहीं है
पर वो मुझे कभी अकेला छोड़ के नहीं गई आज यह सब क्या हो रहा है यह सोचते सोचते
मैंने देखा कि मेर
ी खिड़की में से जो गली दिखती है वहां काफी चहल पहल रहती है तो
अगर मैं जोर जोर से चिल्लाऊंगा मेरी इतनी चीख पुकार सुनकर भी
एक इंसान नहीं रुका आखिर ये चल क्या रहा था मैंने उम्मीद छोड़ दी और खिड़की बंद कर
दी रोते-रोते मैं अपने बिस्तर पर बैठ गई मेरी घबराहट बढ़ती ही जा रही थी पिछले
इतने दिनों में मैं कभी अकेली नहीं रही थी हमेशा मेरी मां या मेरी नर्स मेरे साथ
रहती थी आज इतने दिनों में जब मैं बेहतर महसूस कर रही हूं तो मेरे आसपास कोई नहीं
है ना कोई मुझे सुन पा रहा है ना मेरी तरफ देख रहा है मैं वापस खिड़की
के पास जाकर
उसे खोल के बैठ गई एक छोटी सी बच्ची अपने पापा के साथ जा रही थी उसने मेरी तरफ देखा
मैंने उसकी तरफ हाथ हिलाया तो उसने खुशी से वापस मुझे हाय बोलकर हाथ
हिलाया उसके पापा ने मेरी तरफ देखा और उससे पूछा किसको हाय बोल रही थी बेटा उसने
मेरी तरफ इशारा करके कहा उन दीदी को उसके पापा मुझे खिड़की ढूंढने लगे जैसे मैं
उन्हें दिखाई नहीं दे रही हूं मेरे वापस हाथ हिलाने पर भी मैं उन्हें नहीं देखी और
वो आगे बढ़ गए मुझे बहुत आश्चर्य हुआ इतनी छोटी सी बच्ची को मैं दिख गई और उसके पापा
को नहीं मेरे दिमाग की उ
लझने और बढ़ती जा रही थी ऐसा लग रहा था जैसे मेरा अस्तित्व
ही खत्म हो गया हो तभी मेरी मां के कदमों की मुझे आवाज आई मैं उठ के भागी अपने
दरवाजे की तरफ और जोर जोर से उसे पीटने लग फिर मैंने दरवाजे को कान लगा के सुना तो
पता चला मेरी मां अकेली नहीं थी कोई और भी था साथ में धीरे धीरे मेरी मां के कदम
मेरे कमरे की तरफ बढ़ रहे थे उसी वक्त मैंने दरवाजा फिर से पीटना चालू कर दिया
आखिरकार मेरी मां ने दरवाजा खोला और बस दरवाजे पर खड़ी रही ऐसा लग रहा था जैसे वो
घंटों से रो रही हो मैंने बारबार उनको पूछा क्या हुआ है
पर वै
कहीं खोई हुई थी उनको भी मेरी आवाज सुनाई नहीं दे रही थी मैं रोते रोते अपने बिस्तर
पर बैठ गई और वह मेरे बगल में आकर सिसकियां लेते हुए बैठ
गई किचन से मेरी नर्स उनके लिए पानी लेकर आई क्या हुआ है कोई मुझे
बताएगा मैंने उम्मीदों से मेरी नर्स को देखकर पूछा पर व भी बिना मेरी तरफ देखे या
जवाब दिए चली गई जाते जाते उसने मेरी मां को सबको कॉल करने के लिए कहा मेरी मां ने
कांपते हुए मेरी मौसी को कॉल लगाया और उनको कहा सब घर वालों को बता दो कि आज शाम
तक मेरे घर आ जाएं परिधि हमारे बीच में नहीं
रही कल रात को
बुखार की वजह से उसकी हालत खराब हो गई थी वह कोमा में चली गई डॉक्टर
एंबुलेंस सबको बुलाया मैंने पर कोई उसे बचा नहीं
पाया कोमा के कुछ घंटों बाद ही उसने दम तोड़
दिया मुझे मेरे कानों पर विश्वास नहीं हुआ मेरी सारी उलझनों का एक सेकंड में
जवाब मिल गया मैं मर चुकी
थी इसलिए ना कोई मुझे देख पा रहा था ना कोई सुन पा रहा था सिर्फ छोटे बच्चे और
कुत्ते मुझे सुन और देख पाए मेरे दुख मेरे दर्द मेरी जिंदगी तक ही थे इसलिए अब मुझे
कुछ महसूस नहीं हो रहा था मेरी मां कॉल काट के मेरे कमरे से बाहर जाने लगी उनके
पीछे पीछे म
ैं भी जाने लगी दरवाजे की चौखट आते ही मेरी मां उसे पार कर गई पर मैं
नहीं कर पाई मैंने बहुत कोशिश की अपने कमरे से
बाहर कदम निकालने की ऐसा लग रहा था जैसे मेरे सामने एक अदृश्य दरवाजा हो शायद यही
मेरी सीमा थी अब मैं बस इस चार दिवारी तक ही सीमित रह गई हूं अब मुझे कोई दर्द नहीं
महसूस होता अब मैं खुशी से अपने काम खुद करने की ऊर्जा रखती हूं अब मैं अपनी मां
के साथ साधारण इंसान जैसे रह सकती हूं पर अब मैं नहीं हूं
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