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दोस्तों Nightmare Chronicles 33 पर प्रस्तुत सारी कहानिया केवल मनोरंजन की दृस्टि से बनाया गया है। इसका किसी भी जगह , नाम और घटना से कोई सम्बन्ध नहीं है। यह महज एक कल्पना है जो की कहानी के रूप में प्रस्तुत की गयी है । दर्शक गण इसे सिर्फ मनोरंजन की दृस्टि से ही देखे। इसे आप सच मानने की गलती न करे।
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नमस्कार दोस्तों आप देख रहे हैं नाइटमेयर
क्रॉनिकल्स 33 अभिजीत के साथ तो चलिए बढ़ते हैं आज की कहानी की ओर दोस्तों आज
की कहानी है रामनगर स्टेशन के जहां सुनसान माहौल और अंधेरे की चादर लिपट जाती है
जहां इंसान तो क्या कोई जानवर तक भड़काने की हिमाकत नहीं करता लेकिन राज और दिव्या
दोनों नव विवाहित जोड़े इस स्टेशन पर उतरते हैं और ना केवल सिर्फ उतरते हैं
बल्कि देर रात इस स्टेशन पर रुकने के खौफनाक गलती को भी अंजाम दे देते हैं तो
चलिए जानते हैं कि क्या थी वह असल खौफनाक कहानी राज और दिव्या के जिसे वह आज तक भू
ल
नहीं पाए जब भी दिसंबर की ककरा ठंड की रात पता नहीं उसे रात को क्या मंजूर था आसमान
में तेज बदल गरज रहे थे हवाएं चोरों पर था ऐसा लग रहा था जैसे बारिश और बाहरी तूफान
आने वाला हो राज और दिव्या दोनों ही एक लंबी सफर के बाद अगले घंटे के अंतराल में
अपने पुस्तानी गांव रामनगर पहुंचने वाले थे यह नव विवाहित जोड़ा था और इनके गांव
के नियम अनुसार नव विवाहित जोड़े को वैकुंठ मंदिर के दर्शन करने होते हैं और
मंदिर के अंदर मौजूद एक विशाल पीपल के पेड़ पर धागा बांधना पड़ता है इसी विधि को
पूरा करने दोनों ही अपने पुस्
तानी गांव जा रहे थे वैसे तो वह लोग अकेले ही थे
क्योंकि उनका परिवार शहर में ही था पर उसके कुछ रिश्तेदार गांव में उनके स्वागत
की तैयारी कर रहे थे रेल की भी क्या मजबूरी थी कि रात के करीबन 10 बजे के
आसपास दोनों ही रामनगर स्टेशन पहुंचे वैसे भी राज दिव्या को पहले से ही बहुत सारी
बातें बता चुका था इस स्टेशन के बारे में जैसे कि इस स्टेशन पर कभी किसी की आवाज का
जवाब नहीं देते हैं और ना ही यहां भगवान का नाम लेते हैं और भूलकर भी यहां पर रखे
किसी चीज के साथ में छेड़छाड़ करते हैं कहते हैं कि इस स्टेशन पर बुर
े साया का
राज है राज दिव्या को सब कुछ बता ही चुका था जो उसके घर वालों ने बताया था वैसे आज
भी एक एजुकेटेड पर्सन था जिस कारण वह इन चीजों पर कोई खास विश्वास नहीं रखता था
फिर कुछ पल बाद जब स्टेशन से दोनों उतरने वाले थे तब उन्हें बड़ा अजीब सा लगा
क्योंकि वह ट्रेन का दरवाजा खोलने ही वाले थे कि इससे पहले ही वह दरवाजा अपने आप खुल
गया दोनों ही से थोड़ा घबरा गए पर इसे भी हंसी मजाक में उदा दिया और सोचा शायद हवा
के झोंके के कारण खु गया होगा थोड़ी देर बाद जब दोनों ही अब स्टेशन पर उतरे तब राज
ने अपने दोस्त पु
रुषोत्तम को फोन लगाया क्योंकि पुरुषोत्तम है उन दोनों को स्टेशन
से गांव से लेने के लिए आने वाला था पुरुषोत्तम ने कहा कि वह डेढ़ घंटे में
पहुंचेगी दरअसल गांव में किसी का देहांत हो गया था और इसी कारण बहुत जल्दी ना
पहुंच सका और उसने कहा कि तुम लोग स्टेशन के बाहर चौराहे पर इंतजार करो राज ने सोचा
भला आधी रात के वक्त हम चौराहे के पास जाकर क्या करेंगे क्योंकि यहां तो कम से
कम बैठने और घूमने की तो जगह है वहां तो शायद वो भी ना मिले राज ने यह बात
पुरुषोत्तम को नहीं बोले और दिव्या के साथ वहीं पर उसका इंतजार
करने की सोची रात
काफी गहरी थी और आज आसमान से चांद भी गायब था स्टेशन बिल्कुल वीरान हो गया था राज
अभिक्रिया से कहा कि वह उसका इंतजार करें और तब तक वह वॉशरूम से आता है इसके बाद
राज व रूम की तरफ चला गया और यहां दिव्या अब अकेली हो गई थी फिर कुछ ही मिनट बाद
दिव्या को अब अनहोनी का संकेत मिलना शुरू हो गया था उसे लगातार जल की आवाजें सुनाई
देने लगते हैं पर कोई भी रेल स्टेशन से गुजरते हुए नहीं दिखते इसी तरह कुछ और समय
तक होता रहा और अब दिव्या किसी के रोने की आवाज को भी साफ-साफ संका कर सुन रहे थे
ऐसा लग रह
ा था जैसे कोई पटरी पर सर रखकर रो रहा हो यह आवाज काफी समय से सुन रहे थे
और अब यही आवाज दिव्या को परेशान भी करने लगी थी एक बार अपना बेहेम मिटाने के लिए
दिव्या ने पटरियों की तरफ देखने का शौचालय बेंच से उठी और पटरी की तरफ देखने
गई उसने जैसे ही प्लेटफार्म की तरफ अपनी नजर घूमे की उसका तो पूरा बदन बुरी तरह से
सुन्न पर गया उसने देखा कि एक कुंवारी लड़की पटरी से बिल्कुल चिपके हुए रो रही
है लेकिन जब दिव्या उसे देखा तो शायद वह बड़ी ल ने भी दिव्या को देख लिया था इसलिए
इसके बाद वह पटरी को छोड़कर अपने आप प्लेट
फार्म पर चढ़ने लगे दिव्या उसे देखकर
बहुत ही ज्यादा डर गई वह कुंवारी लड़की अपने आप धीरे-धीरे दिव्या के करीब आ रही
थी लेकिन डर के मारे उसी वक्त उसकी चीख निकल गई उसकी चीख सुनकर राज दौड़ता हुआ
बाहर आ गया और दिव्या के पास पहुंचकर उसे शांत करने लगा राज ने पूछा कि क्या हुआ तो
इस पर उसने उसे कुंवारी लड़की के बारे में दिव्या ने राज को बताया तभी राज ने कहा
मैंने सिर्फ टाइम पास में वह भुतिया बातें तुम्हें बताई थी तुमने उसे सच मान लिया
असल में यह सब थोड़ी होते हैं जो तुमने देखा वह सिर्फ और सिर्फ तुम्हारा वह
म था
दिव्या बहुत ही ज्यादा डर गई थी और लगातार राज को यहां से चलने को कह रही थी लेकिन
राज भी भला क्या करता क्योंकि बाहर वैसे भी बारिश और इतनी ठंडी जो थी उस वक्त एक
मात्र वह स्टेशन ही सहारा था उन दोनों का के बाद दिव्या किसी तरह से राज का हाथ कस
के पकड़कर वहीं बेंच पर बैठ गई इसके बाद दोनों ही उसी बेंच पर बैठे रहे लेकिन
थोड़ी देर पहले जिस चीज का सामना किया था अब उसी चीज का सामना राज को भी करना था
दोनों बेंच पर बैठे थे कि तभी स्मोकिंग की दुर्गंध आने लगे राज को यह समझ नहीं आया
कि भला इस वीरान से स्टेश
न पर इतनी देर रात कौन सिगरेट पी सकता है क्योंकि उन
दोनों के अलावा वहां पर कोई मौजूद ही नहीं था कुछ ही देर बाद राज को एक और झटका लगा
जब उसकी नजर सामने वाले पिलर पर पड़े दरअसल उसे बिल से ठीक सदके किसी का पैर था
उन पैरों को देखकर तो यही लग रहा था जैसे वहां पर कोई खड़ा हो राज समझ गया कि हो ना
हो वह सिगरेट पीने वाला ही खड़ा है वह भी दिव्या की तरह अपना वहम मिटाने के लिए उस
पिलर के नजदीक गया जब राज उसके नजदीक गया तो उसकी भी रूह कांप गए यह देख कर के वहां
कोई शख्स तो मौजूद ही नहीं है पर हाथ और पांव मौजूद
था लेकिन यह कैसे हो सकता था
उसने ठीक से देखा तो पता चला कि वह किसी का कटा हुआ पांव था यह बात दिव्या को
बताना ठीक नहीं समझा नहीं तो वह और भी डर जाती अब वह भी चुपचाप बेंच पर आकर बैठ गया
और पुरुषोत्तम का इंतजार करने लगा फिर कुछ देर बाद दोनों को किसी के चलने के आवाज
सुनाई पड़े जब राज उठकर खड़ा हुआ और थोड़ा आगे जाकर देखा तो पाया कि पुरुषोत्तम आ
चुका है वह सामने की तरफ खड़ा था और इसके बाद राज दौड़ता हुआ पुरुषोत्तम के पास गया
और उससे गले लग गया आखिर इतने सालों बाद जो वो दोनों मिले थे पर पुरुषोत्तम चुप
चाप
खड़ा ही रहा ना तो उसने राज से मिलने की खुशी व्यक्त किया और ना ही कुछ और वह बस
वहां पर ऐसे ही खड़ा हुआ था इसके बाद राज ने उसे फौरन सामान लेकर आने को कहा और
इसके बाद राज और दिव्या दोनों ही स्टेशन से बाहर निकलने लगे अभी राज और दिव्या
स्टेशन से बाहर निकलकर ही देखा कि सामने पुरुषोत्तम गाड़ी में बैठा उनका इंतजार कर
रहा है इसके बाद दोनों को ही झटका लगा दोनों यह सोचने लगे कि इतनी सामान को लेकर
वह भी इतनी जल्दी वह कैसे गाड़ी में आ गया और अगर आया तो उन्हें क्यों नहीं आता दिखा
यह वाकई में बेहद अजीब था
लेकिन इसके बाद दोनों ही गाड़ी में बैठ गए पुरुषोत्तम ने
ड्राइविंग शुरू की फिर राज ने पुरुषोत्तम से ढेर सारी बातें भी की राज पुरुषोत्तम
को बोला अच्छा और बता अब गांव का माहौल कैसा है क्या गांव में आज भी भूत प्रेत के
किस्से सुनने को मिलते हैं और यह बोलकर राज जोर से हंसने लगा पर पुरुषोत्तम की
तरफ से कोई जवाब नहीं आया राज ने और भी कई सारी चीज पूछे पर पुरुषोत्तम तो जैसे बात
करने के मूड में ही नहीं था बस एक ही रफ्तार में गाड़ी चलाई जा रहा था फिर आगे
पालनपुर से पुरुषोत्तम ने सीधे रास्ते ले जाने लगा इस पर
राज ने पूछा अरे
पुरुषोत्तम यह तुम किस रास्ते से निकल रहे हो कोई
शॉर्टकट है क्या फिर पुरुषोत्तम ने मुंडी हिलाते हुए हमें जवाब दिया और इसके थोड़ी
ही देर बाद गाड़ी सीधे खंडार के पास आकर रुके पुरुषोत्तम ने गाड़ी से उतरने का
इशारा किया राज ने घबराहट में पूछा गाड़ी में कोई खराबी आ गई है क्या तो पुरुषोत्तम
ने कहा आप लोग वहां इंतजार करिए मैं थोड़ी देर में आता हूं इतना कहकर पुरुषोत्तम
वहां से निकलता हुआ चला गया अब राज और दिव्या दोनों ही परेशान हो गए थे क्योंकि
दोनों अब एक ऐसी जगह इस अंधेरी रात में आ चुक
े थे जिनका उन्हें कोई अंदाजा भी नहीं
था और ना ही उन्हें व रास्ता मालूम था इसके बाद दोनों चौराहे के पास बैठकर
पुरुषोत्तम की राह देखने लगे फिर कुछ देर बाद राज ने सोचा कि पुरुषोत्तम को फोन
किया जाए वह उसे चौराहे से थोड़ा दूर गया और फिर उसने फिर फोन किया पुरुषोत्तम ने
फोन उठाया तब राज उस पर भड़कते हुए बोला क्या हुआ यार तुम अब तक पहुंचे क्यों नहीं
तो उसने कहा क्या मजाक है यह मैं तो यहां कब से तुम दोनों को ढूंढ रहा हूं पर मुझे
तो कोई दिखाई नहीं दे रहा है राज ने कहा मतलब कि तुम स्टेशन के पास हो तो उसने
कहा
हां वही तो रुकने को कहा था तुम्हें जब तक मैं ना आ जाऊं यह सुनकर राज का तो दिमाग
अब एकदम से सुन्न पर गया था और उसने कहा यह भला कैसे हो सकता है अभी तुम ही तो
हमें यहां तक लाए और अब कह रहे हो कि तुम स्टेशन के पास हो तो उसने इस बात को एकदम
से जानकारी दिया और बोला अरे मैंने कहा तो था कि डेढ़ घंटे में
पंचू उसकी बात सुनकर अब मेरे होश उद गए मैंने उसे अब तक अपने साथ घटा सब कुछ
बताया और इस पर उसका जवाब सुनकर भी मैं दंग रह गया उसने बताया दरअसल स्टेशन पर
भटकते रूह में से किसी ने उसका रूप लेकर रात को भट
कते हुए यहां पर ले आया है और
यहां पर वह दोनों को तबाह करके रख सकता है पुरुषोत्तम ने राज को साफसाफ और सख्त
हिदायत दी कि वह तुरंत दिव्या को लेकर वहां से निकल जाए और वह भी पहुंचता है
इसके बाद राज फोन रखा राज पीछे पलटा तो उसने देखा दिव्या तो यहां से गायब है वह
दिव्या को लगातार आवाज लगाने लगा पर उसे दिव्या कहीं ना मिले वह ढूंढता हुआ वहीं
एक खंडार के एक सुरंग पर जा पहुंचा जहां से किसी की चिल्लाहट सुनाई दे रही थी जब
वह वहां पर पहुंचा तो उसने देखा कि दिव्या की लंबे-लंबे बाल उसके गर्दन से लटके हुए
हैं और
दिव्या जैसे हवा में टहल रही है उसके सामने हैवान खड़ा है कुछ गलत करने
वाला है इसके तुरंत बाद दिव्या सीधा जमीन पर जाकर गिरी और अब वह हैवान धीरे-धीरे
राज की तरफ बढ़ने लगा वह उसकी तरफ बड़ी खुशी भारी निगाहों से बात कर रहा था लेकिन
तभी राज में पता नहीं कहां से इतनी हिम्मत आ गई कि पास ही में रखे एक रोड से उसने उस
हैवान पर प्रहार कर दिया जिससे कुछ समय के लिए वह गायब हो गया उसके बाद राज दिव्या
को लिए तुरंत उस खंडहर से भागने लगा भागते वक्त पीछे से उसे लगातार एक साथ कई सारी
रोने और चिं ढनी की आवाजें सुनाई
दे रही थी लेकिन दोनों किसी तरह सड़क पर आ गए उन
दोनों ने जिंदगी में पहली बार इतना खौफनाक नजर देखा था उन्होंने देखा कि अब खंडहर से
कुछ शायद दौड़ते हुए उनकी तरफ आ रहे हैं हवाएं और बारिश दोनों काफी तेज थी वह
भटकती रूह बड़ी रफ्तार से उनकी तरफ बढ़ रहे थे तभी पीछे से हॉर्न की आवाज सुनाई
पड़े तो उन्होंने देखा पुरुषोत्तम गाड़ी ले आया और उसके बाद दोनों जल्दी से गाड़ी
में बैठ गए पुरुषोत्तम ने गाड़ी को पूरे रफ्तार में भगाया वह साया प्रेत काफी दूर
दूर तक पीछा करते रहे अगर गलती से भी गाड़ी खराब हो जाते तो वह
तीनों आज मौत के
किनारे हो जाते लेकिन किस्मत की मेहरबानी के कारण सब बालबाल बच गए उसके बाद वह लोग
अपने गांव पहुंचे और फिर सबने किसी तरह उन दोनों को संभा
उनका शुद्धिकरण भी हुआ और यह घटना उनके लिए बेहद खौफनाक था दरअसल उस स्टेशन की
सच्चाई यही है कि वहां आत्माओं का बसेरा है जो अकेले आए गए यात्री को वहां से भटका
करर किसी गुप्त स्थान पर ले आती है और वही वह शख्स हमेशा के लिए भटकता रह जाता है आज
भी जब वह दोनों रामनगर का नाम सुनते हैं तो खौफ के मारे बुरी तरह कांपने लग जाते
हैं क्योंकि हर बार किस्मत इतनी म
ेहरबान नहीं होते तो दोस्तों इस कहानी में बस
इतना ही तब तक के लिए बाय एंड टेक केयर
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