Main

भगवान शिव देवी पार्वती से बताते हैं कि मासिक धर्म में स्त्री को छूने से क्या होता है || Vastu Tips.

भगवान शिव देवी पार्वती से बताते हैं कि मासिक धर्म में स्त्री को छूने से क्या होता है || Vastu Tips. #gyanvandna #vastutips #divyadarbar #vastushastra #bageshwardhamsarkar YOUR QUEARY भगवान शिव देवी पार्वती से बताते हैं कि मासिक धर्म में स्त्री को छूने से क्या होता है || Vastu Tips. भगवान शिव देवी पार्वती से बताते हैं कि मासिक धर्म में स्त्री को छूने से क्या होता है || Vastu Tips. vastu shastra, vastu shastra movie, vastu shastra full movie, vastu shastra ke anusar ghar ka naksha, vastu shastra for home in marathi, vastu shastra tips, vastu shastra ke anusar, vastu shastra anusar, vastu shastra for home in kannada, vastu shastra for homevastu tips, vastu tips for home, vastu tips for money, vastu tips shorts, vastu tips for bedroom, vastu tips short video, vastu tips for kitchen, vastu tips in kannada, vastu tips for students, vastu tips channel#vastutips #shreekrishna #motivational #bageshwardhamsarkar #divyadarbar #hamarisadhna #women #motivational #Shiv #Shrimad #Shiv #aadhyatmik #nai #purane #purani #Khatu #bageshwardhamsarkar #bageshwar #bageshwardhamkeupay #divyadarbar #santonkivani #garudpuran #mahabharatstory #ramayan #bageshwardhamsarkardarbar #pauranikkatha #story #hamarisadhna #bageshwardhambalaji #hamariaastha एक समय की बात है भगवान शिव और माता पार्वती कैलाश पर्वत पर बैठे थे तभी माता पार्वती ने भगवान शिव से कहा स्वामी मेरे मन में दो प्रश्न उठ रहे हैं जिनके उत्तर मैं आपसे जानना चाहती हूं तब भगवान शिव ने कहा पूछो देवी आपके मन में क्या प्रश्न उठ रहे हैं तब माता पार्वती कहती है स्वामी किस श्राप के कारण स्त्रियों को मासिक धर्म की पीड़ा सहन करनी पड़ती है और मेरा दूसरा प्रश्न यह है प्रभु एक रजस्वला स्त्री को कौन से कार्य नहीं करने चाहिए जिससे उन्हें पाप लगता है भगवान शिव कहते हैं हे देवी आज तुमने मानव जाति के कल्याण के लिए बहुत ही उत्तम प्रश्न किया है तुम्हारे इन सभी प्रश्नों का उत्तर माधव ब्राह्मण की इस प्राचीन कथा से प्राप्त हो जाएंगे इस महान कथा का श्रवण करने मात्र से ही समस्त पापों का नाश होता है जो भी पति पत्नी इस कथा को ध्यानपूर्वक सुनते हैं उन्हें सौभाग्य की प्राप्ति होती है इसीलिए हे देवी आप भी इस कथा को ध्यानपूर्वक सुनिए माता पार्वती कहती हैं हे प्रभु यह माधव ब्राह्मण कौन थे उनका आचार विचार कैसा था मैं इस कथा को अवश्य सुनना चाहती हूं कृपया आप इस कथा को मुझसे कहिए मैं इसे ध्यानपूर्वक पूरा अवश्य सुनूंगी भगवान शिव कहते हैं हे देवी पूर्व काल की बात है मध्य देश में एक अत्यंत सुंदर नगरी थी उस में माधव नाम के ब्राह्मण रहा करते थे माधव को समस्त शास्त्रों और वेदों का ज्ञान था वे परम बुद्धिमान गुणवान तथा धर्म कार्य में तत्पर रहता था सभी वर्गों के लोग उन्हें बड़ा सम्मान देते थे वह प्रतिदिन यज्ञ दान धर्म तथा संध्या उपासना किया करते थे वे पशु पुत्र बंधु बांधव तथा धन संपत्ति से संपन्न थे उसकी पत्नी का नाम सजता था वह भी अत्यंत रूपवान चरित्रवान गुणवान तथा पतिव्रता स्त्री थी फिर एक दिन उस पंडित ने अपने घर बहुत बड़े यज्ञ का अनुष्ठान करवाया और अनेक ऋषि मुनियों को स्वयं जाकर निमंत्रण दिया और उस नगरी में निवास करने वाले समस्त मनुष्यों और ब्राह्मणों को उसने यज्ञ तथा भोजन के लिए बुलाया फिर उस दिन अनेक ऋषि मुनि और उस नगरी के समस्त ब्राह्मण उसके घर पर आए उस पंडित ने सभी का आदर सत्कार किया फिर उसने सभी को घर के अंदर बुलाया और आसन पर बिठाकर भोजन कराया ऋषि मुनि और ब्रह्मणों को भोजन कराने के बाद उसने भगवान शिव का स्मरण करते हुए सभी को कपड़ों आदि का दान करके विदा किया वे सभी माधव पंडित को आशीर्वाद देकर वहां से चले गए उसके बाद उसने अपने परिवार के बंधु बांधव तथा अनेक गरीब और भूखे लोगों को भोजन करवाया इस प्रकार से सभी को भोजन कराने के बाद और अनुष्ठान से निवृत होकर जब व पंडित अपने घर के द्वार के सामने खड़ा था तो उसने देखा कि उसके घर के सामने एक बकरी और सांड बातें कर रहे थे उस पंडित ने उस बकरी और सांड की पूरी बात सुनी तो उसे बड़ा आश्चर्य हुआ वह बकरी और सांड उसके माता-पिता ही थे जो पिछले जन्म के पाप के कारण इस जन्म में बकरी और सांड बन गए थे तब वह पंडित मन ही मन सोचने लगा यह दोनों तो साक्षात मेरे

Gyan Vandna

3 days ago

भगवान शिव देवी पार्वती से बताते हैं कि मासिक धर्म में स्त्री को छूने से क्या होता है नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपके अपने चैनल ज्ञान वंदना पे तो आइए जानते हैं एक समय की बात है भगवान शिव और माता पार्वती कैलाश पर्वत पर बैठे थे तभी माता पार्वती ने भगवान शिव से कहा स्वामी मेरे मन में दो प्रश्न उठ रहे हैं जिनके उत्तर मैं आपसे जानना चाहती हूं तब भगवान शिव ने कहा पूछो देवी आप के मन में क्या प्रश्न उठ रहे हैं तब माता पार्वती कहती है स्वामी किस श्राप के कारण स्त्रियों को मासिक धर्म की पीड़ा सहन करनी पड़ती
है और मेरा दूसरा प्रश्न यह है प्रभु एक रजस्वला स्त्री को कौन से कार्य नहीं करने चाहिए जिससे उन्हें पाप लगता है भगवान शिव कहते हैं हे देवी आज तुमने मानव जाति के कल्याण के लिए बहुत ही उत्तम प्रश्न किया है तुम्हारे इन सभी प्रश्नों का उत्तर माधव ब्राह्मण की इस प्राचीन कथा से प्राप्त हो जाएंगे इस महान कथा का श्रवण करने मात्र से ही समस्त पापों का नाश होता है जो भी पति-पत्नी इस कथा को ध्यानपूर्वक सुनते हैं उन्हें सौभाग्य की प्राप्ति होती है इसीलिए हे देवी आप भी इस कथा को ध्यानपूर्वक सुनिए माता पार्वती
कहती हैं हे प्रभु यह माधव ब्राह्मण कौन थे उनका आचार विचार कैसा था मैं इस कथा को अवश्य सुनना चाहती हूं कृपया आप इस कथा को मुझसे कहिए मैं इसे ध्यानपूर्वक पूरा अवश्य सुनूंगी भगवान शिव कहते हैं हे देवी पूर्व काल की बात है मध्य देश में एक अत्यंत सुंदर नगरी थी उसमें माधव नाम के ब्राह्मण रहा करते थे माधव को समस्त शास्त्रों और वेदों का ज्ञान था वे परम बुद्धिमान गुणवान तथा धर्म कार्य में तत्पर रहता था सभी वर्गों के लोग उन्हें बड़ा सम्मान देते थे वह प्रतिदिन यज्ञ दान धर्म तथा संध्या उपासना किया करते थे व
े पशु पुत्र बंधु बांधव तथा धन संपत्ति से संपन्न थे उसकी पत्नी का नाम सजता था वह भी अत्यंत रूपवान चरित्रवान गुणवान तथा पतिव्रता स्त्री थी फिर एक दिन उस पंडित ने अपने घर बहुत बड़े यज्ञ का अनुष्ठान करवाया और अनेक ऋषि मुनियों को स्वयं जाकर निमंत्रण दिया और उस नगरी में निवास करने वाले समस्त मनुष्यों और ब्राह्मणों को उसने यज्ञ तथा भोजन के लिए बुलाया फिर उस दिन अनेक ऋषि मुनि और उस नगरी के समस्त ब्राह्मण उसके घर पर आए उस पंडित ने का आदर सत्कार किया फिर उसने सभी को घर के अंदर बुलाया और आसन पर बिठाकर भोजन
कराया ऋषि मुनि और ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद उसने भगवान शिव का स्मरण करते हुए सभी को कपड़ों आदि का दान करके विदा किया वे सभी माधव पंडित को आशीर्वाद देकर वहां से चले गए उसके बाद उसने अपने परिवार के बंधु बांधव तथा अनेक गरीब और भूखे लोगों को भोजन करवाया इस प्रकार से सभी को भोजन कराने के बाद और अनुष्ठान से निवृत होकर जब वह पंडित अपने घर के द्वार के सामने खड़ा था तो उसने देखा कि उसके घर के सामने एक बकरी और सांड बातें कर रहे थे उस पंडित ने उस बकरी और सांड की पूरी बात सुनी तो उसे बढ़ आश्चर्य हुआ
वह बकरी और सांड उसके माता-पिता ही थे जो पिछले जन्म के पाप के कारण इस जन्म में बकरी और सांड बन गए थे तब वह पंडित मन ही मन सोचने लगा यह दोनों तो साक्ष शाक मेरे माता-पिता ही हैं जो मेरे घर पर पशु बनकर आए हैं किस कारण से इन दोनों को पशुओं का शरीर प्राप्त हुआ है अब इनके उद्धार के के लिए मैं क्या करूं इस प्रकार मन में विचार करते हुए उस पंडित को रात भर नींद नहीं आई और वह रात भर भगवान शिव का स्मरण करते हुए सोच विचार करने लगा उसने सोचा मेरे माता-पिता की मुक्ति का उपाय केवल ऋषि श्रृंगी ही बता सकते हैं फिर
सुबह होते ही माधव पंडित स्नान आदि कार्य से निवृत होकर ऋषि श्रृंगी के आश्रम पहुंच गया आश्रम पर पहुंचते ही ऋषि श रंगी नेने माधव पंडित का स्वागत किया और कहने लगे हे पंडित जी आज किस कारण से आपका हमारे आश्रम में आगमन हुआ है आपके मुख मंडल पर यह कैसी उदासी छाई हुई है बताओ आपके दुख का क्या कारण है फिर माधव पंडित कहता है हे गुरुदेव आपके श्री चरणों में सादर प्रणाम आपके दर्शन से आज मेरा जन्म सफल होगा गया है हे गुरुदेव आज मैं आपके पास एक जटिल प्रश्न लेकर आया हूं कृपया आप ही मुझे इस कष्ट से बाहर निकाल सकते
हैं मैं अत्यंत दुखी और दुर्बल हो गया हूं ऋषि कहते हैं पंडित जी चिंता ना करो तुम्हारा जो भी प्रश्न है निसंकोच होकर पूछो मैं अवश्य तुम्हारी समस्या का समाधान करूंगा फिर माधव पंडित कहता है हे गुरुदेव कल मैंने अपने घर पर शिव चर्चा रखी तथा अनेक ब्राह्मण को और भूखे लोगों को भोजन करा विधि पूर्वक भगवान शिव का पूजन किया फिर मेरे द्वार के ठीक सामने एक बकरी और सांड आया फिर दोनों मेरे घर के सामने खड़े होकर बातें कर रहे थे सबसे पहले बकरी उस सांड से इस प्रकार से कहने लगी है स्वामी आज जो घटना घटी उसे ध्यान से स
ुनिए हमारे पुत्र के घर में ब्राह्मणों के भोजन के लिए जो दूध रखा हुआ था उस दूध में एक सांप ने अपना जहर उकल दिया था जिसे देखकर मुझे बड़ी चिंता होने लगी इस दूध से भोजन बनने वाला था अगर सभी लोग उस दूध को खा लेते तो उनकी मृत्यु हो जाती इसलिए मैंने उस बर्तन से सारा दूध पी लिया और जब बहू की दृष्टि मुझ पर पड़ी तो उसने मुझे खूब पीटा जिससे मेरा अंग भंग हो गया मुझे बहुत पीड़ा हो रही है इसी कारण से मैं लड़खड़ाते हुए चल रही हूं और मुझसे यह पीड़ा सहन नहीं हो रही है बकरी की बात सुनकर वह सांड बहुत दुखी हुआ और व
ह खुद का वृतांत सुनाने लगा है प्रिय अब मैं तुम्हें अपने दुख का कारण सुनाता हूं मैं पूर्व जन्म में इस माधव पंडित का पिता था आज उसने सभी ऋषि मुनियों और ब्राह्मणों को भोजन कराया किंतु इसने मेरे सामने थोड़ी सी भी घास नहीं डाली और ना मुझे जल पिलाया इसी कारण से मैं बहुत दुखी हो गया हूं फिर माधव पंडित कहता है इस प्रकार से अपने माता-पिता को बकरी और सांड के रूप में ऐसी बातें करते हुए देखकर मुझे बड़ा दुख हुआ और मुझे रात भर नींद नहीं आई हर क्षण मुझे चिंता सता रही है मैंने कभी कोई पाप नहीं किया है हमेशा ही
मैंने धर्म के कार्य किए हैं फिर भी मेरे माता-पिता को ऐसे कष्ट झेलने पड़ रहे हैं इसी कारण से आज मैं आपके पास आया हूं कृपया आप अपनी योग शक्ति से पता करके मुझे बताइए किस कारण से मेरे माता-पिता की ऐसी दुर्दशा हुई है और उनकी मुक्ति के लिए मुझे कौन सा कर्म करना चाहिए फिर ऋषि शृंगी ध्यान लगा कर उस पंडित के माता-पिता के पूर्व जन्म के कर्मों को देखते हैं और पंडित से कहने लगते हैं हे पंडित तुम्हारे माता-पिता ने पिछले जन्म में घोर पाप किया है इस पाप के कारण आज उनकी ऐसी दुर्दशा हुई है फिर पंडित कहता है हे ग
ुरुदेव किस पाप के कारण मेरे माता-पिता की ऐसी दुर्दशा हुई है कृपया विस्तार से बताइए मैं जानना चाहता हूं फिर ऋषि श्रृंगी कहते हैं हे पंडित तुम ध्यान से सुनो यह सांज तुम रे पिता हैं यह पिछले जन्म में रामनगर के श्रेष्ठ पंडित रहे हैं इन्होंने एक दिन पूर्णिमा का व्रत करके भोजन किया था पूर्णिमा के व्रत के दिन इसने दान धर्म भी नहीं किया इसने अपने द्वार पर आए हुए भूखों को कभी भोजन नहीं खिलाया उसने अपने पित्रों का श्राद्ध तर्पण भी विधि पूर्वक नहीं किया तुम्हारे पिता ने पिछले जन्म में मासिक धर्म के दौरान ह
ी तुम्हारी माता के साथ संबंध बनाया था और इसी पाप के कारण इस जन्म में सांड का रूप प्राप्त हुआ है अब तुम्हारी माता के बारे में सुनो तुम्हारी माता ने रजस्वला होते वे भी भोजन बनाया मासिक धर्म के दौरान ही इसने भगवान की पूजा की तुलसी को जल चढ़ाया रजस्वला होते हुए भी उसने भगवान को भोग लगाया इसी कारण से इसे महापाप लगा है मासिक धर्म के दौरान स्त्री तीन दिन के लिए अपवित्र हो जाती है मासिक धर्म के दौरान स्त्री को पूजा पाठ नहीं करना चाहिए स्त्री को इन तीन दिनों में अपने बाल भी नहीं धोने चाहिए इससे पति की आय
ु कम होती है मासिक धर्म के दौरान पेड़-पौधों को भी स्पर्श नहीं करना चाहिए रजस्वला स्त्री के साथ संबंध भी नहीं बनाना चाहिए जो पुरुष रजस्वला के साथ संबंध बनाता है उसे ब्रह्मा हत्या का पाप लगता है जो पुरुष रजस्वला के वस्त्रों को स्पर्श करता है उसे भी घोर पाप लगता है रच 16 स्त्री के शरीर में तीन दिनों तक ब्रह्मा हत्या का पाप निवास करता है और चौथे दिन ही वह स्नान करके पवित्र हो जाती है चौथे दिन स्नान करने के पश्चात रज सोला स्त्री को अपने पति का मुख देखना चाहिए अन्य किसी पुरुष का मुख नहीं देखना चाहिए य
दि पति समीप ना हो तो सूर्यदेव के दर्शन करने चाहिए ऋषि श्रृंगी कहते हैं हे पंडित इसी पाप के कारण तुम्हारे पिता को सांड और तुम्हारी माता को बकरी का जन्म प्राप्त हुआ है माधव पंडित कहता है हे गुरुदेव अब आप मुझे अपने माता-पिता की मु मुक्ति के लिए उपाय बताइए ऋषि शृंगी कहते हैं हे पंडित तुम किसी भी अमावस्या के दिन अपने माता-पिता की मुक्ति के लिए राध तथा तर्पण करो और दान धर्म करो गायों की सेवा करो और अपने माता-पिता की मुक्ति के लिए भगवान से प्रार्थना करो फिर वह पंडित वही करता है फिर उसके माता-पिता को सम
स्त पापों से मुक्ति मिलती है फिर भगवान शिव माता पार्वती से कहते हैं हे देवी मैंने तुम्हें रजस्वला स्त्री को कौन से कार्य नहीं करने चाहिए इस विषय में बता दिया अब मैं तुम्हें बताता हूं किस कारण से स्त्री को मासिक धर्म से गुजरना पड़ता है सतयुग में कालकूट नाम के प्रसिद्ध असुर हुआ करते थे दानव होने के कारण उनका स्वभाव उग्र था और वे हमेशा ही युद्ध करने के लिए तत्पर रहते थे फिर एक दिन सभी दानव वृता सुर के साथ मिलकर स्वर्ग लोक पर चढ़ाई करने लगे उन असुरों के पास भयंकर शक्ति शक्तिशाली अस्त्र शस्त्र थे जिन
का देवता का सामना ना कर सके और भागकर ब्रह्मा जी के पास चले गए फिर ब्रह्मा जी ने उन असरों को परास्त करने का उपाय बताते हुए कहा हे देवराज इंद्र तुम इसी क्षण महर्षि दधीच के पास जाओ वे उनके शरीर की हड्डियों से तुम्हें अस्त्र शस्त्र प्रदान करेंगे उन अस्त्र शस्त्रों का प्रयोग करके तुम उन अरों का वध कर सकोगे फिर सभी देवता महर्षि दधीच के आश्रम पर जाते हैं और उनसे प्रार्थना करके अस्त्र शस्त्र प्रदान करने की विनती करने लगते हैं फिर संसार के कल्याण के लिए महर्षि दधीच अपने शरीर की हड्डियों से अस्त्र शस्त्रो
ं का निर्माण करते हैं और उन्हीं अस्त्रों में से एक वज्र नाम का अस्त्र होता है जिन्हें देवराज इंद्र धारण कर लेते हैं फिर सभी देवता उन असरों से युद्ध करने के लिए निकल जाते हैं देवता और असरों के बीच भीषण युद्ध होता है सभी देवता आकाश में असरों से युद्ध के लिए इकट्ठे हो जाते हैं और प्रहार करने लगते हैं इ देव अग्नि के प्रहार से दैत्यों को जलाने लगते हैं फिर अग्नि के प्रभाव से असरों के शरीर जलने लगते हैं फिर वरुण देव जल की वर्षा से असुरों को डुबो देते हैं जिससे असुर त्रा ही त्रा करने लगते हैं अनेक दिनो
ं तक इस प्रकार से देवताओं और असरों में भीषण युद्ध चलने लगता है फिर देव राजेंद्र और वृता सुर आमने-सामने आ जाते हैं इन दोनों के बीच भीषण युद्ध होने लगता है और फिर देव राजेंद्र अपने ने वज का प्रहार करके वृता सुर को मार डालते हैं वृता सुर की मृत्यु होते ही उसके शरीर से ब्रह्मा हत्या बाहर निकलती है और देवराज इंद्र का पीछा करने लगती है फिर वह ब्रह्मा हत्या इंद्र के शरीर में प्रवेश कर जाती है जिससे इंद्र को ब्रह्मा हत्या का पाप लगता है फिर देव राजेंद्र ब्रह्मा जी के पास जाते हैं और उनसे ब्रह्मा हत्या स
े छुटकारा पाने के लिए कहते हैं फिर ब्रह्मा जी उस ब्रह्मा हत्या को देवराज इंद्र के शरीर से बाहर निकालने की आज्ञा देते हैं और वह ब्रह्मा हत्या इंद्र के शरीर से बाहर निकलकर ब्रह्मा जी से कहने लगती है हे परमपिता अभी तक मैं वृता सुर के शरीर में निवास कर रही थी क्योंकि उसने अनेक ब्रह्मा हत्याएं की थी जब इंद्र ने उसकी हत्या कर दी तो मैं इंद्र के शरीर में निवास करने लगी अब आप ही मुझे उचित स्थान दीजिए जहां पर मैं रह सकूं फिर ब्रह्मा जी कहने लगे ब्रह्मा हत्या में तुम्हें उचित स्थान देता हूं फिर ब्रह्मा जी
ने ब्रह्मा हत्या के चार भाग कर दिए और कहा ब्रह्मा हत्या तुम्हारा एक भाग अग्नि के भीतर रहेगा जो भी मनुष्य अग्नि को आहुति नहीं देगा तो उसके शरीर में प्रवेश कर जाना तुम्हारा दूसरा भाग जल के भीतर रहेगा जो भी जल में गंधक फैलाए अथवा मल मूत्र का त्याग करेगा तो उसके शरीर में प्रवेश कर जाना तुम्हारा तीसरा भाग पेड़ पौधों में रहेगा जो भी मनुष्य बिना कारण ही वृक्षों को काटे उसे भी ब्रह्मा हत्या का पाप लगेगा फिर ब्रह्मा जी ने अप्सराओं को अपने पास बुलाया और कहा है अप्सराओं इस ब्रह्मा हत्या का एक चौथाई भाग तु
म ग्रहण करो अप्सराएं कहने लगी है प्रभु आपकी आज्ञा से हम इसे ग्रहण करने के लिए तैयार हैं किंतु हमें भी इससे मुक्ति का उपाय बताइए फिर ब्रह्मा जी कहने लगे हैं अप्सराओं जो भी पुरुष र सला स्त्री के साथ संबंध बनाएगा उसके अंदर यह ब्रह्मा हत्या प्रवेश कर जाएगी इस प्र प्रकार से ब्रह्मा हत्या के चार भाग हो गए एक अग्नि में दूसरा जल में तीसरा पेड़ पौधों में और चौथा स्त्रियों के अंदर प्रवेश कर गया इस ब्रह्मा हत्या के पाप के कारण स्त्रियों को मासिक धर्म होता है जो भी पुरुष मासिक धर्म के दौरान स्त्रियों को स्प
र्श करता है अथवा उनके साथ संबंध बनाता है उसे ब्रह्मा हत्या का पाप लगता है भगवान शिव कहते हैं हे देवी इस प्रकार से मैंने आपको स्त्री के रजस्वला होने के पीछे के कारण और रजस्वला स्त्री को कौन से कार्य नहीं करने चाहिए आदि के विषय में बता दिया है फिर माता पार्वती कहती हैं हे स्वामी आज आपने मुझे बहुत ही महत्त्वपूर्ण ज्ञान दिया है मैं भी आपको वचन देती हूं जो भी स्त्री मासिक धर्म के दौरान पूजा पाठ करेगी और पति के साथ संबंध रखेगी उसके घर में मैं कदापि प्रवेश नहीं करूंगी दोस्तों वीडियो पसंद आई हो तो लाइक
कीजिए चैनल को सब्सक्राइब कीजिए ताकि आने वाली हर एक वीडियो की नोटिफिकेशन आपको मिल सके मिलते हैं दोस्तों नेक्स्ट वीडियो के साथ अपना ख्याल रखिए अपनों के साथ खुश रहिए मुस्कुराते रहिए धन्यवाद

Comments