भूतपूर्व निरीक्षक वीरेंद्र राजपूत ने
विदेश में रहते हुए अपने निवास स्थान को बेचकर एक बड़ा और पुराना हावेली खरीदा
उनका मकसद यह था कि उनकी पत्नी और उनकी छोटी बेटी को एक सुखद और शांत जगह पर
बिताने का सपना पूरा हो हावेली के आसपास घने जंगल थे जिनमें अनजाने रहस्यमय घटनाओं
की बातें छुपी थी वीरेंद्र के परिवार ने उस हावेली में रहने की तैयारी की परंतु पह
ली रात से ही अजीब और भयंकर घटनाएं शुरू हो गई रात के अंधेरे में उन्हें लगता था
कि हवेली के दीवारों में आवाजें सुनाई दे रही हैं और जंगल से भी अजीब चीखें आ
रही
थी एक रात वीरेंद्र की पत्नी का एक बड़ा खिलौना गायब हो गया वह समझ नहीं पा रही थी
कि खिलौना कहां गायब हो गया और उसे हवेली के भीतर ही ढूंढना था जब उसने उसे खोजने
के लिए हवेली के अंदर जाने का निर्णय लिया तो उसे वहां एक अजीब महसूस होने लगा हवेली
के अंदर उसने खुद को एक अजीब और भयंकर दुनिया में खोया पा
जहां पुरानी किताबों की खिलौने अपने आप में जीवित हो गए थे वहां वह अपने पति और
बेटी को ढूंढने की कोशिश करती रही परंतु उसे विचार आया कि क्या वे अब वापस कभी
नहीं आ सकते वीरेंद्र ने अंत में एक पुरानी पुस्
तक के द्वारा हवेली को मुक्त
किया लेकिन उसका मन व्याकुल और डरा हुआ रह गया वहां से बाहर निकलते ही उसने हवेली को
आग लगा दी क्योंकि वह जानता था कि उसे अपने परिवार को इस अजीब दुनिया से बचाना
होगा वीरेंद्र और उसका परिवार हवेली से भाग गए परंतु उनका अनुभव उनके मन में सदैव
के लिए एक भयंकर छाया छोड़ गया वे कभी भूल नहीं सकते थे कि कैसे उन्हें वहां आत्मा
और रूहों का खोजना पड़ा था और वहां के अंदर कितनी अनजाने भयंकर छुपी हुई थी
वीरेंद्र और उसका परिवार अपने नए निवास स्थान में आनंद से रहने लगे लेकिन उनके मन
में
हावेली की घटना का बोझ था रात को उन्हें अब भी अजीब और डरावने सपने आते और
वे चिन्हित होते कि कहीं ना कहीं उनका वह अनजान दुनिया के साथ कोई ताल्लुक बना रह
गया है एक दिन वीरेंद्र ने अपनी बेटी को एक पुरानी किताब का खिलौना दिया वह खिलौना
बड़ा ही पुराना और रोमांचक था बेटी उसे खेलने लगी और वीरेंद्र भी उसे उसकी
कहानियों का बताने लगे परंतु उनकी अचानक मौत ने परिवार को एक नई सच्चाई सामने लाई
उनकी पत्नी के निधन के बाद वीरेंद्र ने खुद को किसी और कोई से अलग कर लिया उनकी
बेटी के साथ उन्होंने हावेली को छोड़ दिया
और एक नए शहर में नया जीवन बसाने का
निर्णय लिया परंतु हवेली का रहस्य वीरेंद्र के साथ रह गया वह कभी भी भूल
नहीं सकता था कि कैसे उसकी पत्नी की मौत और हवेली में हुए घटनाओं के बीच कोई
ताल्लुक था वीरेंद्र ने नए शहर में अपना जीवन आरंभ किया परंतु उसके अंदर का डर
हमेशा साया बना रहा वह हर दिन उसे लगता था कि हावेली की भूतिया आवाजें और रहस्यमय
साय उसके पीछे हैं उसे अब भी लगता था कि कुछ अनजाने और भयानक उसकी पीछे चले आ रहे
हैं और उसकी सांस थम जाती थी जब भी वह उस दरवाजे के पीछे देखता वीरेंद्र की दिलचस्प
कहानी
और उसके अनुभवों से भरी जिंदगी हर किसी को एक सच्चे सत्य का सामना कराती है
कि कभी-कभी हमारे द्वारा निर्मित कहानियां हमारे अंदर के असली भूतपूर्व सत्य को
छुपाने के लिए हो सकती हैं
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