इंदिरा गांधी की बुआ कृष्णा हटी सिंह अपनी
किताब इंदू से प्रधानमंत्री में लिखती हैं कि उड़ीसा में स्वतंत्र दल वालों का दखल
ज्यादा था उन्हें पूरा भरोसा था कि वे बहुमत से जीतेंगे इंदिरा के भाषण से वे
नाराज थे कुछ लोगों ने सभा में हंगामा शुरू कर दिया इंदिरा को बोलते हुए थोड़ी
देर ही हुई थी कि भीड़ से पत्थरों की बरसात होने लगी एक पत्थर इंदिरा की नाक पर
लगा और खून बहने लगा नाक पर रुमाल लगाकर उपद्रवियों को लगभग ललकार हुए इंदिरा ने
कहा यह मेरा नहीं देश का अपमान है क्योंकि मैं प्रधानमंत्री होने के नाते दे
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प्रतिनिधित्व करती हूं इंदिरा जी की नाक से लगातार खून बह रहा था लेकिन अफसोस इस
बात का था कि किसी को भी उनका ब्लड ग्रुप तक नहीं पता था इसके बाद इंदिरा कलकाता
में भी टूटी नाक लेकर ही एक सभा को संबोधित करने गई थी दिल्ली जाकर आंच कराई
तो पता चला कि उनकी नाक टूट गई है
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