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Purpose of Educational Psychology |Purpose| |complete course| |Educational Psychology| |IN URDU|
Psychology is the science of behavior and the mind. In the BS Program, the study of Psychology provides an understanding of the basic processes of sensation, perception, learning, cognition, development, and personality along with the principles of Social Psychology, Clinical Psychology, and Behavioral Neuroscience.
Psychology majors develop a broad understanding of human behavior as well as the skills to understand and interpret research findings concerning human behavior. The psychology curriculum includes courses in cognitive, developmental, behavioral and neural studies, learning, personality, social and clinical psychology
Beyond the natural satisfaction that comes from helping people, psychology careers often offer stability, competitive salaries, and the potential for growth and specialization.
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अस्सलाम वालेकुम स्टूडेंट वेलकम टू माय होते हैं वो दे सकते हैं इसके अलावा हर आम बंदा हमें तालीमी रहनुमाई नहीं दे पा रहा होता और इसीलिए अब हम इसके मकास की बात करते हैं कि क्यों हमें तालीमी रहनुमाई की जरूरत पेश आती है और इसके पर्पसस क्या है तो बात करते हैं इसकी नमोई सलाहियत का फरोग अब अगर हम इसकी बात करें तो रहनुमाई और मिशावर से स्टूडेंट्स की डेवलपमेंट में हेल्प की जाती है ताकि वह पर्सनली जो डेवलपमेंट के साथ-साथ इंडिपेंडेंट भी हासिल कर सके इंडिपेंडेंट हो अब रहनुमाई में महज मसाइल पैदा होने के बाद इन
का प्रॉब्लम का सलूशन हल नहीं किया जाता बल्कि पहले नुकसान का इंतजार करना फिर इसकी तलाफी करना यह चीज अ इंपॉसिबल है और यह चीज मुनासिब नहीं है कि पहले एक इंतजार करें कि नुकसान हो जाए और उसके बाद हम इसकी तलाफी करें इसलिए जरूरी है कि प्रॉब्लम्स के सर उठाने से पहले ही इनको एनालाइज कर लिया जाए फिर उनका आगे से प्रोसेस तैयार किया जाए कि किस तरह गैर हल शुदा मसाइल जो है व बार-बार सर उठाए और जब गैर हल शुदा मसाइल जो है वह बार-बार सर उठाएंगे तो स्टूडेंट्स की जो डेवलपमेंट है वह भी इफेक्ट कर सकती है अब इसी हवाले
से हमारे पास आ जाती है कॉग्निशन का फरोग यानी व कूफी सलाहियत का फरोग अब हम इसकी बात करें अगर तो गाइडेंस का जो एक बहुत अहम पर्पस है वह है इंफॉर्मेशन को डिलीवर करना अब इंफॉर्मेशन को डिलीवर करने में जो एक काउंसलर है वो स्टूडेंट्स को फ्यूचर की जितनी भी क्लासिफिकेशन है मंसूबा बंदी है उसको करने के लिए इंफॉर्मेशन फहम करता है अब स्टूडेंट्स को जो तालीमी क्लास मंसूबा बंदी है उसकी खातिर या फिर सिलेक्शन ऑफ सब्जेक्ट इसके अलावा बहुत तवेल उल मियाद जो मकास द होते हैं उनके हसूल में और मकास की जो डायरेक्शन है उसक
ा तायन करने के लिए भी इंफॉर्मेशन दी जाती है अब आज का ये जो बहुत कंपलेक्स एरा है इसमें फ्यूचर का जो प्रोसेस है पहले से ही तैयार करना जरूरी होता है अपना माइंड सेट बनाना जरूरी होता है कि हमने फ्यूचर में क्या करना है या क्या करने का इरादा रखते हैं अब दौरान तालीम या तालीम मुकम्मल करने के बाद कोई भी कारोबार है या पेश है कोई भी पेश है उसको इख्तियार करने के हवाले से जो गाइडेंस है उसकी अहमियत बहुत ज्यादा बढ़ जाती है इसी तरह मुताबिक की एलिय आ जाती है अब रहनुमाई में तुलबा की इस तरह से मदद की जाती है कि वह
अपने इंस्टिट्यूशन जो है उनमें या उनकी मौजूदा जो सिचुएशन होती है उनसे बेहतरीन एडजस्टमेंट हासिल कर सके अब प्रॉब्लम्स का शिकार होने पर स्टूडेंट्स को अलग से गाइड गाइडलाइन दी जाती है उनको गाइडलाइन फाहम की जाती है अब इस सिलसिले में जो एक्सपर्ट होते हैं एक्सपर्ट रिसर्चर होते हैं वो फर्द को एडजस्टमेंट हासिल करने में हेल्प आउट करते हैं इसके अलावा एनालिसिस ऑफ स्टूडेंट्स आ जाता है यानी तलबा का जायजा अब इसकी बात करें तो काउंसलिंग के दौरान स्टूडेंट्स बारे में तफसील मवाद इकट्ठा किया जाता है डाटा इकट्ठा किया ज
ाता है अब इस सिलसिले में उनके पेरेंट से भी इंफॉर्मेशन ली जाती है स्टूडेंट्स के बारे में अब जितना भी कंप्लीट डाटा होता है उनको हासिल करने के बाद गाइडेंस का जो अमल है वह आसान हो जाता है अब जब गाइडेंस का अमल आसान हो जाता है तो फिर मुख्तलिफ टेक्निक्स और मुख्तलिफ मेजरमेंट स्केल्स जो है उनको इस्तेमाल करके आसानी के साथ उनको हेल्प आउट किया जाता है इसी तरह दाखिले में मावत आ जाती है अब दाखिले में मावत इस तरह आती है कि हायर एजुकेशन के लिए या फिर फनी तालीम के हसूल में खातिर किसी भी तालीम को हासिल करने की खा
तिर जो स्पेसिफिक इंस्टीट्यूशंस होते हैं उनमें एडमिशंस के मरहले पर भी गाइडेंस और काउंसलिंग की जरूरत पेश आती है अब इसीलिए जो आला तालीमी इदार या फनी तालीम से मुताल का जितनी भी ऑर्गेनाइजेशन होती हैं जितनी भी इंस्टीट्यूशंस होते हैं उनमें दाखले और इंटरव्यू के अमल में भी स्टूडेंट्स की मदद की जाती है पेरेंट्स की हेल्प आ जाती है अब तालीमी रहनुमाई का जो अमल है वो पेरेंट्स के लिए भी सहूल पैदा करता है अब पेरेंट्स के लिए सहूल इस तरह से पैदा करता है कि वो जब एक काउंसलर या एक गाइड करने वाला जो होता है वो पेरें
ट्स के साथ इ राबता में रहता है उनके साथ उनकी कम्युनिकेशन होती है अब जब उनके साथ वो राब में होता है तो फिर वह क्या करता है कि पेरेंट्स जो होते हैं वह अपने बच्चों की डेवलपमेंट और उससे मुतालिक जितने भी प्रॉब्लम्स होते हैं उनको समझने में उनके लिए आसानी आ जाती है फिर आ जाते है जो हमारे पास रिसर्च आ जाती है अब जितने भी मुस्त और जितने एक्सपीरियंस वाले रिसर्चस होते हैं वह अपनी गाइडेंस और अपनी काउंसलिंग जो प्रोग्राम है उनके बारे में रिसर्चस करते रहते हैं ताकि वह अपने जो प्रोग्राम है उनको खुद एनालाइज कर स
के वह प्रोग्राम खुद एनालाइज करेंगे तो व अच्छी तरीके से गाइडेंस भी फराम कर सकते हैं अब इस सिलसिले में होता यह है कि जो स्टूडेंट्स हैं उनके बारे में जितना भी डाटा है उसको कलेक्ट किया जाता है अदादो शुमार कलेक्ट किया जाता है कि किस एबिलिटी के जो स्टूडेंट है उनको किस कैटेगरी में रखा जाए कौन सी फील्ड में उनको भेजा जाए और वहां उनकी कामयाबी की जो एवरेज है वह क्या हो सकती है अब ये जो इंफॉर्मेशन है ये नए स्टूडेंट्स के लिए एक बेसिक बिल्डिंग ब्लॉक्स का काम कर करती है अब इसके अलावा जो गाइडेंस के प्रोग्राम है
उनको मजीद बेहतर बनाने में भी मवन होती है अब जो तरक्की याफ्ता ममालाकंडम मिशन के लिए जाते हैं तो उनके लिए मुख्तलिफ कैटेगरी के काउंसलर सामने बैठे होते हैं अब वो काउंसलर क्या करते हैं कि बच्चों का टेस्ट देते हैं बच्चों की एबिलिटीज और उनकी स्किल्स के मुताबिक उनको वो फील्ड चूज करने में उनकी हेल्प करते हैं और वह उस फील्ड में जाते हैं और उसी फील्ड में फिर वह स सफुल होते हैं बात करते हैं प्राइमरी और सानवी तालीमी रहनुमाई में फर्क की तो प्राइमरी और सानवी तालीम जो है इसकी अगर हम बात करें तो जो प्राइमरी सता
के तुलबा होते हैं स्टूडेंट्स होते हैं वह काम उमर होते हैं और ताखी बचपन के दौर से गुजर रहे होते हैं अब इसके बरक्स जो सानवी सता के स्टूडेंट्स होते हैं वह बलद के दौर से गुजर रहे होते हैं इसलिए दोनों की जो गाइडेंस है दोनों की जो काउंसलिंग है उन दोनों में के तकाज मुख्तलिफ होते हैं अब जो प्राइमरी और सानवी सतह के स्टूडेंट उनकी फिजिकल हेल्थ जो है वह भी चेंज होगी उनका सोशल बैकग्राउंड भी चेंज होगा इसके अलावा उनके जो इमोशंस हैं वह भी एक दूसरे से डिफरेंट होंगे क्यक छोटे बच्चे में और एक बड़े बच्चे में इमोशं
स का भी फर्क हो सकता है अब इसी तरह उनकी मैचुरेशन कभी फर का आ सकता है इसमें सानवी जो सता होती है उस पर मुताल डिसिप्लिन सोशल कम्युनिकेशन और जो जितने भी स्कूल में तकरी बात की नयत होती है वह प्राइमरी या जूनियर स्कूल्स से मुख्तलिफ होती है अक्सर आपने देखा होगा एक प्राइमरी स्कूल और एक हाई स्कूल जो होता है उन दोनों में डिफरेंट होता है उनके लेवल भी डिफरेंट होते हैं उन बच्चों की मेंटालिटी भी डिफरेंट होती है और उनका सोशल बैकग्राउंड भी डिफरेंट होता है क्योंकि एज बढ़ने के साथ-साथ जैसे जैसे डेवलपमेंट होती है
उसी तरीके से फिर बच्चा क्या करता है कि वोह जैसे जैसे ग्रूम कर रहा होता है उसकी पर्सनालिटी में भी डिफरेंस आ जाते हैं और जब पर्सनालिटी में डिफरेंस आते हैं तो फिर यही चीज प्राइमरी और सानवी तालीमी रहनुमाई में फर का बाइस बनती है अब जो सीनियर स्कूल के स्टूडेंट्स होते हैं उनसे पढ़ाई के अलावा बहुत सी एक्स्ट्रा एक्सपेक्टेशन जो है वह भी वाबस्ता कर ली जाती है अब इस प्रोसेस के आखिर में इन्हें बेसिक नयत के फैसले करने पड़ते हैं जिनम आला तालीम हो गया फनी तालीम हो गया उनकी कारोबार हो गया या पेशा हो गया उनमें से
किसी एक को उनको चूज करना पड़ता है इसीलिए सानवी और प्राइमरी तालीम जो है उसमें गाइड जो है बहुत इंपोर्टेंट रोल प्ले करती है ताकि बच्चा जो है वह अपनी स्किल्स के मुताबिक सही डायरेक्शन यूज कर सके तो यह था हमारा आज के लेक्चर होप फुली आपको लेक्चर पसंद आया होगा अगर मेरी वीडियो अच्छी लगे तो चैनल को सब्सक्राइब करें लाइक करें फ्रेंड्स के साथ शेयर करें थैंक यू फॉर वाचिंग अल्लाह
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