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Rashmirathi Manoj Muntasir| Ramdhari Singh Dinkar| Indian African Reaction

Donate : https://paypal.me/IndianAfricanReactio?country.x=ZA&locale.x=en_US Rashmirathi Manoj Muntasir |Ramdhari Singh Dinkar| Indian African Reaction Original Link : https://youtu.be/c5VaFyKhGs8 Writer :Ramdhari Singh Dinoar Narrator : Monoj Muntasir DISCLAIMER: This Following Audio/Video is Strictly meant for Promotional Purpose. We Do not Wish to make any Commercial Use of this & Intended to Showcase the Creativity Of the Artist Involved, The original Copyright(s) is (are) Solely owned by the Companies/Original-Artist(s)/Record-label(s).All the contents are intended to Showcase the creativity of the artist involved and is strictly done for a promotional purpose *DISCLAIMER: As per 3rd Section of Fair use guidelines Borrowing small bits of material from an original work is more likely to be considered fair use. Copyright Disclaimer Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for fair use. #Ramdhari Singh Dinkar #Manoj Muntasir poetry #Rashmirathi #krishna #Duryodhan #Hindi Poetry #krishna Chetavani Ramdhari Singh Dinkar #Reaction video #Reaction channel #First time watching #Foreigner reaction #Pakistani reaction #foreigner #pakistani reaction on india #pakistan reaction

Indian African Reaction

9 months ago

तो भारत का रहने वाला हूं भारत की बात बताता  हूं एक मां की पीड़ा है जो हम सभी व्यक्त नहीं कर पाते वो तो प्रभु थे भगवान कृष्णा थे हर  बार हरि जो आएंगे हम मां उसके मुख दिखलाएंगे तो आज 2023 में हम भारतीय क्यों नहीं कारण  अपने आप रोकना पड़ता है जोश भर देते हैं हेलो नमस्कार वंदे मातरम जय हिंद आप सभी का स्वागत  हमारे रिएक्शन में तो मित्रों आज हम लेकर आए हैं आपके पास रामधारी सिंह दिनकर की लिखित महाकाव्य  रश्मिरथी महाकाव्य ये दो भागन में है भाग एक भाग दो जिसमें पहले भाग जो है की महाभारत के ऊपर है  और दूस
रा भाग जो है रामायण से प्रेरित है कान के चरित्र को दर्शाता है रामधारी सिंह दिनकर ने इनके  चरित्र को ऐसा दर्शाया के फिर उनसे भी प्रेम हो गया यह महाकाव्य जीवन के संघर्षों और टकराव को दर्शाता  है इस महाकाव्य को जो प्रेजेंट कर रहे हैं वो है मनोज मुंतशिर बोलने की शालू की बहुत ही अलग है जब  बोलते हैं तो अंदर स्वयं रक्त संचालित होने लगता है और बहुत मजा आने वाला है आगे लेकिन इसके पहले  आप शुरू करें प्लीज आप जो हमारे चैनल पर ए रहे हैं और आगे से निकाल जा रहे हैं प्लीज हमारे आई मिल बैठ  के कुछ बातें करते ह
ैं सब्सक्राइब कीजिए लाइक कीजिए और कमेंट्स भी दीजिए आपको कोई बात अच्छी ना लगे वो  भी आप हमें बताइए हम कोशिश पुरी हमारी रहेगी की हम आगे आने वाले समय में और एपिसोड में उसको कलेक्शन  करें वैसे हमारे पास बहुत अच्छे-अच्छे कमेंट्स ए रहे हैं उसके लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद रहे दिल  से शुक्रिया ऐसे ही मिलते रहिए आई वीडियो को शुरू करते हैं रश्मिरथी अगर नहीं सुन तो लिंक नीचे दे  रहा हूं जरूर सुनिए करण नीर रंगभूमि में अर्जुन को ललकार दुर्योधन ने उसे अंग देश का राजा बनाया  और करण रन विद्या सीखने परशुराम के आ
श्रम आया उसने परशुराम से झूठ बोला की वो ब्राह्मण है  परशुराम पर उसका झूठ खुला गया और उन्होंने श्राप दिया की मेरी सिखाई हुई ब्रह्मास्त्र विद्या तू इस  पाल भूल जाएगा जब तुझे उसकी सबसे ज्यादा जरूर होगी आज हम रश्मिरथी का तीसरा सर्ग और उसका पहले भाग  सुनेंगे पांडवों का अज्ञातवास समाप्त हो चुका है कृष्णा हस्तिनापुर आए हैं वो दुर्योधन को  प्रस्ताव देते हैं की आधार राज्य नहीं देना तो ना दो पांडवों को गुर्जर बसर के लिए सिर्फ  पांच गांव दे दो पांच पांडव दुर्योधन इस पर भी राजी नहीं होता वह श्री कृष्णा को क
ैद करने के लिए  आगे बढ़ता है और कृष्णा अपना विराट स्वरूप दिखाई हैं कश्मीरा थी संगति [संगीत] हो गया पूर्ण अज्ञातवास पांडव लौटे वन से साहस पावन  में कनक सदस्य तप कर विरत्व लिए कुछ और प्रखर नस-नस में तेज प्रवाह लिए कुछ और नया उत्साह लिए सच है  विपत्ति जब आई है कर को ही दहलाती है सुरमा नहीं विचलित होते क्षण एक नहीं धीरज कोट विघ्नों  को गले लगाते हैं कांटों में र बनाते हैं मुख से ना कभी ऑफ कहते हैं संकट का चरण एन कहते हैं  जो वहां पड़ता सब सते हैं उद्योग निर्यात नृत्य रहते हैं सोलों का मूल नसते को बा
द खुद विपत्ति  पर चने को है कौन वाइन ऐसा जग में टिक सके वीर न के नगमे खाम तोक धेलता है जब न पर्वत के जाते पाओ  उखाड़ मानव जब जोर लगता है पत्थर पानी बन जाता है वह बत्ती जो नहीं जलना है रोशनी नहीं वो पता है पीस  जाता जब एक्सीडेंट झाड़ती रस की धारा अखंड मेहंदी जब सहती है प्रहार बंटी ललनाओं का श्रृंगार जब फूल बॉय  जाते हैं हम उनको गले लगाते हैं वसुधा का नेता कौन हुआ भूखंड विजेता कौन हुआ अतुलित यश क्रेटा कौन  हुआ नव धर्म प्रणेता कौन हुआ जिसने एन कभी आराम किया विघ्नों में रहकर नाम किया जब वाइन सामने आ
ते  हैं सोते से हमें जागते हैं मां को मरोड़ते हैं पाल पाल तन को झंझोड़ते हैं पाल पाल शतपथ की और लगाकर  ही जाते हैं हमें जगह पर ही वाटिका और वन एक नहीं आराम और रन एक नहीं वर्षा के हैं साधन प्रचंड वन  में प्रसून तो खेलने हैं बैगन में शाल ना मिलते हैं कांकरिया जिनकी तेज शुगर छाया देता केवल अंबर समय  दूध पिलाता हैं लोरी आंधियां सुनती हैं जो लाक्षागृह में जलते हैं वही सुरमा निकलते हैं बढ़कर विपत्तियां  पर छ जा मेरे किशोर मेरे ताज जीवन का रस छाप जान दे तन को पत्थर बन जान दे तू स्वयं तेज भयकारी है क्या
  कर शक्ति चिंगारी है वर्षों तक वन में घूम घूम बड़ा विघ्नों को छुम छुम सा धूप गम पानी पत्थर पांडव  आए कुछ और निखार सौभाग्य एन सब दिन सता है देखें आगे क्या होता है मैत्री की र बताने को सबको सुमाग  पर लाने को दुर्योधन को समझने को भीषण विद्वान से बचाने को भगवान हस्तिनापुर आए पांडव का संदेश लाई  दो न्याय अगर तो आधा दो पर इसमें भी यदि बड़ा हो तो दे दो केवल पांच ग्राम रखो अपनी धरती तमाम हम वहीं  खुशी से खाएंगे परिजन पर हसीना उठाएंगे दुर्योधन वह भी दे एन सका कुछ समाज की ले एन सका उल्टे हरि  को बांधने च
ला जो था असाध्य साधने चला जब नस मनोज पर छाता है पहले विवेक मा जाता है हर इन्हें भीषण  हुंकार किया अपना स्वरूप विस्तार किया डगमग डगमग दिग्गज डॉल भगवान कुपित होकर बोले जंजीर बढ़कर साध  मुझे हां हां डूरंड मुझे ये देख गगन मुझे मिले है यह देख पवन मुझमें में ले है मुझमें में विलेन  झंकार सकल मुझमें में ले है संसार सकल अमृत को फूलत है मुझमें में सहर जूल है मुझमें उदयाचल मेरा  दीप्तभाई भूमंडल वक्षस्थल विशाल भोज परिधि बैंड को घेर हैं मैनाक मेर पग मेरे हैं डिप्टी जो ग्रहण  नक्षत्र निकाल सब हैं मेरे मुख के
अंदर द्रव्य हो तो दृश्य कांड देख मुझमें में सर ब्रह्मांड देख  चार-चार जीव जग चर अक्षर नश्वर मनुष्य सूर्य शत कोटी वीरेंद्र शत कोटी सारिड सर सिंधु मंदिर शतकों  विष्णु ब्रह्मा महेश शतकों विष्णु जनपति धनेश शत कोटी रुद्रा शत कोटी कलशतकोट डांडधार लोकपाल  जंजीर बढ़कर ज्यादा इन्हें हां हां दुर्योधन बंदी थी वह भूलोक एथल पाताल देख और अंगत कल देख यह  देख जगत का आदि सृजन यह देख महाभारत का रन मृतकों से फटी हुई भा पहचान कहां इसमें तू है अंबर में  कुंतल दाल देख पद के नीचे पाताल देख मुट्ठी में तीनों कल देख मेर
ा स्वरूप विकराल देख सब जन्म  मुझे से पाते हैं फिर लोट मुझे में आते हैं जीभ्य से कड़ती सांसों में पता जन्म पवन प्रजाति  मेरी दृष्टि जिधर हंसने लगती है सृष्टि उधर मैं बांधने मुझे तो आया है जंजीर बड़ी क्या लाया  है यदि मुझे बांधना चाहे मां पहले तो बंद अनंत गगन सुन को साधना सकता है वो मुझे बंद कब  सकता है हिट वचन नहीं तूने माना मैत्री का मूल्य ना पहचाना तो ले मैं भी अब जाता हूं अंतिम  संकल्प सुनता हूं याचना नहीं अब रन होगा जीवन जय या के मरण होगा टकराएंगे नक्षत्र निकाल बरसेगी  भूपर बन्नी प्रखर हूं शे
षनाग का डोलेगा विकराल कलमुख खोलेगा दुर्योधन रन ऐसा होगा फिर कभी  नहीं जैसा होगा भाई पर भाई टूटेंगे विश्वास बूंद से छूटेंगे सुख लूटेंगे सौभाग्य मनुष्य के  फूटेंगे आखिर तू शाही होगा हिंसा का पर्दा ही होगा निर्भय दोनों पुकारते थे जय जय क्या बात बहुत सुंदर बहुत ही सुंदर वह वह मुंतशिर जी  वह मनोज मंठेश्वर इनकी शैली इनकी वाणी जो है और यह जब यह बोलते जाते हैं तो धीरे-धीरे धीरे-धीरे इनका  प्रभाव ऐसा होता है की अपने आप को रोकना पड़ता है जोश भर देते हैं जो हमारे रामधारी सिंह दिनकर जी  हैं उनकी जो शैली उन्
होंने जी तरह से लिखा है इस महाकाव्य को सबसे उत्कृष्ट महाकाव्य यह रहा है  इन्होंने जी तरह से बोला और मैंने एक बार खाता आशुतोष राणा जी का भी है तो ऐसा लगा की वीर रस की के  एकदम डगमग डॉल गया था मैं तो उनको सुनने के बाद उनका भी बड़ा अच्छा रहा है लेकिन मनोज इनकी तो मतलब बात  ही कुछ और है बहुत ही अलग बहुत ही अद्भुत दुर्योधन एक ऐसा योद्धा था अपनी अपनी मित्र के लिए उसने  सब कुछ किया लेकिन उसके अंदर एक अहंकार था और वही अहंकार उसको लेट हुआ आजकल के परिपेक्ष में देखा जाए  तो यही आजकल हो रहा है जो उसे समय हु
आ था एक मां की पीड़ा है जो हम सभी व्यक्त नहीं कर पाते तो प्रभु थे  भगवान कृष्णा के मैं भी आपके साथ एक छोटा एक छोटी सी कविता शेर करना चाहूंगा जो मेरी खुद की लिखी हुई  है और यह तब लिखी है जब बार-बार एक ही चीज एक ही कांड कहीं स्वभाव तरह की बातें होती हैं और आप कुछ  कर नहीं पाते हैं आपके मां की है उसको दर्शाता है तो उसे कविता का शीर्षक है मां की पीड़ा मां की पीड़ा  करें ये पुकार मुख से मैं डन ऐसी दहाड़ हर बूंद रक्त का उमड़ पड़े और श्वास निकलते उखाड़ पड़े हुंकार  भरूच झंकार करूं शब्दों से ध्वनि टैंकर
कर डन ऐसा विकराल रूप भयभीत करें सा स्वरूप दोस्तो की धृष्टता  पर पचराहार मैच जाए ऐसी हाहाकार हर नीचे नीचे को खींच जीवा को उनकी खींच खींच शब्दों का बहन कराऊं  मैं जो लक्ष्मण रेखा पर हुई उसका प्रताप दिखलाओ मैं हर बार हरि जो आएंगे अब जो होगा देखा जाएगा जो  देगा सो ही मिलेगा धोखे और मक्कारी का हर बार पलट के आएगा हो गई बहुत अब प्रार्थना अनुरोध अज अभियान होगा  जीवन जय की मरण होगा ये छोटी सी चीज है मां की व्यथा है जो आपके सामने मैंने प्रस्तुत की है क्योंकि हम  सभी लोग जीते हैं भारत के प्रति एक प्रेम है
और उसे प्रेम को तो देखिए हम भूल नहीं सकते भले आप विदेश  में रहते हो लेकिन हर वक्त आपके हम तो न्यूज़ चैनल भी भारत का ही देखते हैं हर चीज भारत की चलती है तो  अच्छा नहीं लगता बड़ा लगता है जब हमारे यहां के कुछ देवदूत ऐसे हैं जो बोलते कुछ है करते कुछ है एक मां  की पीड़ा है और ये पीड़ा को दर्शाता है ये मेरी तरफ से है आपको आपको अगर अच्छा लगेगा तो प्लीज कमेंट  में बोलिएगा जैसा की 1970 में पूर्व पश्चिम आई थी महेंद्र कपूर ने गया था मनोज कुमार का अभिनय रहा  है तो भारत का रहने वाला हूं भारत की बात बताता हू
ं 1970 में जब वो ऐसी बात कर रहे थे तो आज के समय में  तो हम हमारे अंदर वो बात होगी धरती पर मैंने जन्म लिया यह सोच के मेरी तरह 1970 में महेंद्र कपूर  इत्र सकते थे और मनोज कुमार भी इतराती थे तो आज 2023 में हम भारतीय क्यों नहीं कराएंगे इतनी ममता  नदियों को भी जहां माता का के बुलेट हैं इतना आधार इंसान तो क्या पत्थर भी पूज जाते हैं मुझे याद ए रहा  है रामायण आता था भगवान राम और सीता जब भी टीवी पे आते थे वेस्टर्न के टीवी हुआ करते थे हम लोग के घर  में वो ब्लैक और व्हाइट और हमारे घर में क्या भीड़ होती थी
जब भगवान राम और सीता का जब भी जब मां हमारी  हमारी अम्मा जब पूजा करती थी तो टीवी के सामने आके आरती लेकर ऐसे-ऐसे घूमती तो हम ये क्या कर रही है  भगवान की भी करूंगी ऐसी श्रद्धा भगवान का जो रूप है हमने तो देखा नहीं है हमको तो जो भी रूप मिलता है  हम उसको देख लेते हैं इस को मां लेते हैं प्रभु ऐसे ही दिखते होंगे रसखान की वो बात रसखान के जो चांदो  में है जो मैंने सुना तो रसखान जब चैनल पादुका भगवान कृष्णा की लेकर घूम रहे थे बाल रूप उनके मां में था  तुझे भगवान ने उनको दर्शन दिए थे वह मंदिर में बाहर उन्हें
तो पता नहीं था की बाल रूप है कौन वो ए के  जब उनके पास उनकी गॉड में बैठे उसे बालक को देख के उन्होंने कहा ये तो यही बालक है जिसकी मैं जिसको  मैं ढूंढ रहा था क्योंकि मां मंदिर में जो उनके छवि थी वो कृष्णा भगवान की जो थी इस रूप में वो  आए थे तो जब आए तो उनके पैरों में चले थे पैरों में चले निकाल रहा था जब रसखान देखें तो उनके आंख  से आंसू निकाल गए मैं तो यह चैनल पादुका लेकर घूम रहा था तुम्हारे पैरों को क्या हो गया और वो भगवान  कृष्णा पैरों को देखकर रन लगे उन्हें कहा की तुमने मुझे इसी रूप में पहचाना इस
ी रूप में देखा तुमने इसी  रूप में मुझे चाहा तो जी रूप में तुमने चाहा मैं इस रूप में तुम्हारे साथ समक्ष ए गया तो कहते हैं ना की  क्या की रही भावनाएं जैसी प्रभु मूरत अच्छी तीन तैसी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद हमें सुनने और देखने के लिए  और अपना प्यार देने के लिए हमारी वजह से ही बरकरार रहेगी जैसे-जैसे आपके मैसेज आते हैं हमने भगवान को  देखा नहीं आपको देखा नहीं लेकिन आपकी बटन से हम आपको देख रहे हैं आपको पहचान रहे हैं कोशिश कर रहे हैं हर  मूरत को हम देखने की कोशिश कर रहा है मैं बड़ा मजा आता है आपकी बातें स
ुनकर तो मुझे पता है आपके प्रेम  का कोई अंत नहीं आई अनंत है और ये अनंत सागर में जब हम कूद पड़े हैं तो अभी तो हमारे पास एक लोटा पानी  भी नहीं आया है आपके सागर से हम तो चाहेंगे ये सागर ही हमें मिल जाए प्लीज सब्सक्राइब कीजिए इस चैनल को  लाइक कीजिए और जहां तक हो सकता है इसे आगे भी बधाई

Comments

@kshitiz12345

Can you do "krishna ki chetavni" by ashutosh rana ... There is some other feel in his voice... If possible with your kids ..if you watch 10 seconds in his voice you'll be his fan .

@Bahubali0007

आपको मैं कोई भी समझ के नहीं देखता | अपना बड़ा भाई समझ के देखता हूँ भइया | आप जैसे भाई बहन लोग ही तो विदेशो मे हमारे एम्बेसडर के रूप में हैं | जो हमारे देश की कला और संस्कृत को प्रदर्शित कर रहे हैं | Big respect bro🙏❤ जय हिंद 🇮🇳🇮🇳🇮🇳

@JGJMD-rv7ls

Ram Ram sir. I appreciate your efforts even you are in abroad but connected to your motherland india ❤❤ love from Rajasthan sir mujhe yad rakhna bcz abhi to aapka channel chota h but bhagwan ki kripa se jaldi hi lakho and millions tak pahunche ga. Reply by writing my name in comment.

@ArpitaDas-lb9pc

What a poem sir,,, fantastic 😀❤️

@SUNIL-ox2vx

जय शिया राम जी ❤🙏🙏🙏🙏

@shrikantagre5150

Great! Beautiful writing by a great poet! Ati Sundar!

@thondupandrugtsang

Excellent video choice🕉🇮🇳. Didn't know you were poet at heart😊👍

@sanatanibrigade

सर रश्मिरथी आशुतोष राणा जी की वीडियो लाओ वो बहुत अच्छे से बोलते है ये

@BikramKumar-uo6wr

What a beautiful poem ❤ sir ji nice👍

@skprasad3993

Nice poem❤

@user-dg4ct8ke2t

Great poem by you bro,,,,, love it ❤❤😊 11:14

@ompalsingh7190

Jai shree ram jai hind

@haAC9102

Jai shree Krishna 🙏

@neelayboche3945

Rashmirathi Ashitosh Rana ji jab sunate hai toh goosebumps ate hai aap uspe bhi ek bar react kare

@mandeepparmar7020

jai shri ram 🙏🙏

@ravindermann3887

Sir ji Love from haryana ❤️❤️

@user-hf9md5uu7r

Nameste from India 🇮🇳🇮🇳🇮🇳 lot's of love

@bhatiavinod294

Jai Hind Jai Bharat Vande mataram just wait for Oct 31, 2024, we all Nationalists will witness a Great Event!!

@Rkumar91-cu3nr

Bahut khoobhsurat bhai saheb😊 Jai ho 🚩🚩🚩🚩🙏

@abhishekrai-bs3nm

JAI SREE SIYARAM JAI HINDURASHTRA🙏🚩