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Summer Vacation | A Horror Trip | Horror Story In Hindi | #fresheravinash

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Fresher Avinash

2 months ago

पहले के जमाने में जिन लोगों के पास धन रहता था या यूं कहूं कि काफी धन रहता था, तो उस धन की चोरी भी होने की पूरी संभावनाएं बनी रहती थी उस वक्त घरों में डकैतियां हुआ करती थी, तो उस धन को चोरी होने से बचाने के लिए, कुछ खास लोगों ने यह वह लोग थे जिनके पास काफी धन हुआ करता था वो एक खास अनुष्ठान करके उस धन को भटकती आत्माओं के संरक्षण में रख देते थे जिससे वह धन की चोरी नहीं हो, यहां तक कि उस धन को स्वयं उसके मालिक भी छू नहीं सकते थे, जब तक कि वह एक खास मंत्र का उच्चारण करके उस आत्मा को उस धन से अलग ना क
र दे और वह विधि सिर्फ उन्हीं सेठों के पास हुआ करती थी, और वह सेठ उस विधि को एक पत्रिका में लिखकर कहीं गुप्त स्थान पर रखते थे ताकि उस विधि को कोई और ना जान पाए, और आज की यह कहानी उसी पर आधारित है हेलो दोस्तों मैं हूं अविनाश और आप सभी लोगों का स्वागत करता हूं अपने चैनल Fresher Avinash पर, अजीत आर्यन महक और डिंपल यह चार दोस्त थे जो कि एक साथ ही कॉलेज में पढ़ते थे आर्यन महक और डिंपल का घर उसी शहर में था जहां पर उन सबका कॉलेज था लेकिन अजीत का घर उस शहर से करीब 100 किलोमीटर दूर एक गांव में था उस गांव
का नाम देवगढ़ था जब कॉलेज में गर्मी की छुट्टी हुई तो उन चारों दोस्तों ने कहीं घूमने जाने का सोचा फिर अजीत ने अपने तीनों दोस्तों को बोला चलो मैं तुम सबको अपना गांव दिखाता हूं अजीत का यह प्रस्ताव सुनकर उसके बाकी तीनों दोस्त अजीत के गांव घूमने जाने के लिए तैयार हो गए फिर अगले दिन सुबह नाश्ता करके वह चारों देवगढ़ के लिए निकल पड़े, उन लोगों ने देवगढ़ तक की एक टैक्सी बुक कर ली थ अजीत के तीनों दोस्त अजीत के गांव घूमने के लिए पूरा एक्साइटेड थे वह सभी काफी मस्ती करते हुए जा रहे थे रास्ते में जाते समय जब
अजीत का गांव वहां से करीब 15 किलोमीटर बचा था तो उस बीच एक जंगल था जो काफी घना था वह सभी टैक्सी के विंडो से उस जंगल को देखते जा रहे थे तभी उस टैक्सी का ड्राइवर अजीत से बोला अच्छा भैया मैंने सुना है कि इस जंगल में एक कोठी है जिसमें काफी धन भी है अजीत बोला लेकिन और जो है उसके बारे में आपको नहीं पता है टैक्सी का ड्राइवर बोला हां पता तो है लेकिन क्या सच में है अजीत बोला हां हां भाई सच में है अजीत और ड्राइवर की बात अजीत के तीनों दोस्त काफी ध्यान से सुन रहे थे और बड़े रोमांचित हो रहे थे तभी डिंपल ने अज
ीत से बोला अजीत क्या है इस जंगल में इस पर अजीत बोला इस जंगल में कुछ रूहानी ताकत रहती है यह सुनकर आर्जन महाक और डिंपल तीनों एक साथ बोले क्या सच में इतना बोलकर वह तीनों हंसने लगे यह देख अजीत बोला तुम सबको यह मजाक लग रहा है इस पर महक बोले और नहीं तो क्या अजीत तुम्हारे गांव में सब लोग अभी भी भुत, प्रेत पर विश्वास रखते हैं इतना बोलकर वह तीनों फिर हसने लगे इस पर अजीत बोला अगर तुम लोगों को यह मजाक लगता है तो तुम सब इसे मजाक ही समझो तब तक अजीत का घर आ गया सब कोई टैक्सी से उतर गए अजीत के घर में अजीत उसके
मम्मी पापा और दादा दादी रहते थे, अजीत के पिता अकेले भाई थे और अजीत भी एक ही भाई था अजीत ने घर में फोन करके सबको बता दिया था कि उसके साथ एक सप्ताह उसके दोस्त भी छुट्टी बिताने के लिए गांव आ रहे क्योंकि गर्मी का दिन था इसीलिए सबको ई घर के बाहर आंगन में ही खाट पर बैठे अजीत की मम्मी ने सबको चाय दी सब कोई आराम से बैठकर चाय की चुस्कियां ले रहे थे आर्यन महक और डिंपल अजीत के घर और आंगन को बड़े ध्यान से देख रहे थे उन सबको ऐसा वातावरण देखकर काफी अच्छा लग रहा था तभी अजीत की मां सबके लिए नाश्ता लेकर आ गई फि
र सबने नाश्ता किया उस टैक्सी का ड्राइवर भी उन सबके साथ नाश्ता किया जब सबका नाश्ता हो गया तब अजीत ने उस टैक्सी वाले को पैसे देने लगा तभी आर्यन बोलता है अरे भाई अजीत मैंने इनको पैसे दे दिए यह सुनकर अजीत के दादाजी बोले अरे तुम क्यों पैसे दिए भाई अजीत दे देता ना यह सुनकर आर ने बोला अरे दादा जी अजीत दे या मैं दूं बात एक ही है आखिर दोनों आपका पोता जो हू आर्यन की यह बातें सुनकर सब कोई हंसने लगा फिर टैक्सी का ड्राइवर बोलता है अच्छा भैया मैं जाता हूं यह सुनकर अत बोला अच्छा ठीक है तभी अजीत के दादाजी बोले
अरे बेटे अजीत यह क्या बोल रहे हो उनको भी आज भर रोको और वैसे भी शाम हो गया है उस रास्ते यह अकेले कैसे जाएंगे यह सुनकर टैक्सी ड्राइवर और अजीत के तीनों दोस्त दादाजी की ओर हैरानी से देखने लगे यह सुनकर टैक्सी का ड्राइवर दादा जी से पूछा क्यों दादा जी अगर मैं अभी जाऊंगा तो कोई दिक्कत है क्या तब दादाजी बोले हां शायद आप सभी को उस रास्ते पड़ने वाले जंगल के बारे में कुछ नहीं पता है इतना सुनते ही डिंपल बोल पड़ी हां दादा जी आते समय अजीत ने हम लोगों को उसके बारे में बताया था लेकिन हम लोगों को विश्वास नहीं हुआ
क्या सच में उस जंगल में कोई आत्मा का वास है यह सुनकर दादा जी बोले हां मेरी बच्ची यह बात बिल्कुल सच है फिर महक ने दादाजी से बोली अच्छा दादा जी आखिर उस जंगल की कहानी क्या है आप हमें बताएंगे? यह सुनकर दादाजी बोले हां क्यों नहीं तुम लोग आराम से बैठो उन्होंने ड्राइवर को भी बैठ जाने के लिए कहा उस समय शाम के करीब 6 बज रहे थे फिर दादाजी उन सब को उस जंगल की कहानी के बारे में बताने लगते हैं दादा जी कहते हैं कि गजेंद्र दास नाम का एक बहुत बड़ा सेठ था पूरा इलाका में उसके जैसा बड़ा व्यापारी नहीं था परंतु वह
कंजूस भी बहुत था एक दिन उसके घर कुछ चोर घुस आए और थोड़ा बहुत धन चुरा ले गए जब सुबह हुई और सेठ को पता चला कि उसके घर चोरी हुई है तो उसको बहुत बड़ा झटका लगा मानो उससे सब कुछ लुट गया हो जबकि उन चोरों ने सेठ के घर से कुछ ज्यादा चोरी नहीं किया था वह चोर सेठ के तिजोरी के पास पहुंचा भी नहीं था वह चोर बाहर से ही थोड़ा बहुत सामान लेकर भाग गए थे लेकिन फिर भी वह सेठ काफी चिंतित हो गए थे अब उनको लगने लगा था कि वह चोर फिर आएंगे और फिर उसका धन चुरा ले जाएगा यही सब सोचकर वह काफी चिंतित था उसको कोई काम करने में
मन ही नहीं लग रहा था एक दिन वह अपने घर में बैठा था चिंतित अवस्था में कि तभी उसके दरवाजे पर एक भिक्षु भिक्षा मांगने आया उस भिक्षु की आवाज सुनकर सेठ उसके पास गया और बोला अरे बाबा क्यों शोर कर रहे हो पहले से ही मैं सोच सोच कर परेशान हूं कि मैं अपनी धन की रक्षा कैसे करूं चोरों से और आप मुझसे मेरा धन ही मांगने आ गए जब वह साधु ने यह सुना तो उसने सेठ से कहा मेरे पास इसका हल है बल्कि मैं जिस उपाय के बारे में बात कर रहा हूं उस से उत्तम उपाय और कुछ हो भी नहीं सकता जब साधु के मुंह से सेठ ने यह सुना तो मान
ो उसके खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा उसने साधु से उस उपाय के बारे में पूछा और बदले में वह सेठ उस साधु को काफी भेंट देगा ऐसा बोला तब वो साधु ने उस सेठ से बोला कि मैं आपकी धन की सुरक्षा भटकती आत्माओं से करवाऊंगा जिससे उस धन को छूना तो दूर बल्कि कोई हाथ भी नहीं लगा सकता लेकिन बाकी लोगों के तरह आप भी उस धन को छू नहीं सकते जब तक कि एक खास अनुष्ठान के द्वारा और एक मंत्र के द्वारा उस आत्मा को आप उस धन से अलग नहीं कर लेते यह सुनकर से बोला मुझे मंजूर है आप जल्दी से उस अनुष्ठान को करके मेरा धन को सुरक्षित क
रिए फिर वह साधु बोला इसके लिए आपको अपना धन कोष एक सुनसान जगह पर बनाना होगा ताकि वह आत्माएं शीघ्र उस घर को अपना ठिकाना बना सके फिर सेठ ने उसी जंगल में अपना एक कोठी बनवाया जिसमें वह अपना सारा धन रखता था उसको जब भी धन को उस में धन रखना या धन निकालना होता था तो वह एक मंत्र का उच्चारण करता जिससे वह आत्माएं धन से दूर हो जाती और फिर वह सेठ उस धन कोश में धन रखकर वापस से उस आत्मा को बुला लेता था इतना बोलकर दादा जी चुप हो गए उनकी बातों को वहां सब कोई बड़े ध्यान पूर्वक सुन रहे थे तभी उधर से अजीत की मां आई
और बोली चलो बच्चों हाथ मुंह धोलो मैं खाना लगा रही हूं और फिर सब कोई खाना खाने लगा लेकिन आर्यन महक और डिंपल को अभी भी उस जंगल की कहानी पर विश्वास नहीं हो रहा था लेकिन टैक्सी ड्राइवर को दादा जी के बात पर विश्वास था और उसको उस धन के प्रति लालच भी आ गया था अब वह वहां जाना चाहता था लेकिन अकेले नहीं उन सबके साथ क्योंकि उसको डर भी लग रहा था फिर सब को ई खाना पीना खा पीकर सोने चले गए अगले दिन वह टैक्सी ड्राइवर आर्यन से पूछता है कि आप लोग वापस कब जाएंगे इस पर आर्यन बोला चार पाच दिन के बाद क्योंकि मैं यहां
चार पांच दिन घूमूँगा, यह सुन वह ड्राइवर बोला आर्यन भैया क्या आपको उस जंगल की क पर विश्वास हुआ इस पर आर्यन बोला नहीं फि ड्राइवर बोला क्यों ना हम लोग वहां घूमने चले यह सुनकर आर्यन बोला हां यह आईडिया सही है लेकिन आप तो जाने वाले थे आर्यन ने ड्राइवर से बोला य सुनकर ड्राइवर बोला भैया मैं पहले वह जगह घूमना चाहता हूं उसके बाद चला जाऊंगा इस पर आर्यन बोला अच्छा ठीक है मगर मैं आपको इसके लिए पैसे नहीं दूंगा ड्राइवर बोला हां ठीक है कोई बात नहीं फिर उस दिन वह सभी दोस्त और ड्राइवर दूसरे जगह घूमने गए वहीं मौक
ा देखकर ड्राइवर और आर्य ने अजीत से बोला कि भाई अजीत कल हम लोग कहां घूमने जा रहे हैं अजीत बोला कि है एक जगह अर्जन बोला कहां बोलो ना यह सुनकर अजीत बोला वही जंगल जहां पर वह भुतहा हवेली है यह सुनकर ड्राइवर और आर्यन एक साथ बोले क्या सच में अजीत बोला हां सच में तुम लोगों को विश्वास नहीं ना हो रहा है तो मैं कल तुम सबको वहां ले चलूंगा फिर आर्यन ने डिंपल और महक को भी यह बात बताई वह भी यह सुनकर काफी खुश हो गए अगले दिन सुबह के करीब 9 बजे वे सभी नाश्ता करके उस जंगल की ओर निकल पड़े वह जंगल अजीत के घर से 15 क
िलोमीटर की दूरी पर था वह सभी उसी टैक्सी से जा रहे थे लेकिन रास्ते में टैक्सी की टायर पंचर हो गई अब उसके मैकेनिक को खोजने और उसे ठीक कराने में करीब दोपहर के एक बज गए फिर वो सब आखिरकार जंगल पहुंच गए जैसे ही गाड़ी जंगल के पास रुकी महक फट से कार से बाहर आकर आगे बढ़ने लगे और उसके पीछे पीछे बाकी सब लेकिन जैसे-जैसे वह लोग जंगल के अंदर की ओर बढ़ते जा रहे थे उन सबको उस गर्मी के दिन में भी सर्दी और एक अजीब सी घबराहट होने लगी थी तभी उस टैक्सी ड्राइवर की नजर उस भुता कोठी पर पड़ी उसने जोर से कहा वो वो रहा क
ोठी सब कोई उस कोठी के नजदीक पहुंच गए उस कोठी को देखने से प्रतीत हो रहा था कि वह काफी पुराना था उस कोठी को बाहर से ही देखने पर डर लग रहा था फिर सब कोई उस कोठी के अंदर प्रवेश करता है अंदर घुसते ही एक अजीब सी बदबू ने सबका सर चकरा दिया वह सब फिर धीरे-धीरे उस कोठी के अंदर घुसते गए वहां काफी अंधेरा था और सर्दी भी काफी लग रही थी उस कोठी के चारों ओर दीवारों पर अजीब सी आकृति बनी हुई थी तभी उन सबको लगा कि कोई परचाई उसके चारों ओर चक्कर काट रही है उन सब ने मोबाइल से टॉर्च जलाया हुआ था यह सब देखकर उन चारों द
ोस्त को लगा कि वह अभी वहां से भाग जाए लेकिन ड्राइवर बोला अरे भैया कुछ नहीं है यहां वह परछाई हम लोगों का भ्रम था तभी डिंपल बोली नहीं नहीं सच में यहां कोई है दोस्तों हमें यहां से चलना चाहिए और वह मेन गेट की इधर दौड़ी लेकिन वह दरवाजा बंद हो गया था डिंपल के काफी कोशिश करने के बाद भी वह दरवाजा नहीं खुल रहा था यह देखकर उन सबको यहां आने का काफी अफसोस हो रहा था धीरे-धीरे रात होने लगी थी वह सभी उस कोठी के अंदर फस चुके थे और उन लोगों को वहां कोई धन भी नहीं दिख रहा था तभी एक भयानक चीख सुनाई दी जिसे सुनकर म
हक हड़बड़ा कर जमीन पर गिर गई अब उन सबकी मानो सांसे अटक सी गई धीरे-धीरे उस कोठी के सभी सामान अपने आप हिलने और गिरने लगे यह सब देख उन सबको लगने लगा कि यह रात उनकी आखिरी रात होगी लेकिन तभी एक फर्नीचर की रैक गिरने पर ड्राइवर ने देखा कि उसके पीछे एक और दरवाजा है उसने सबसे बोला भैया वह देखिए उधर कोई दरवाजा है हम लोगों को वहां चलना चाहिए शायद बाहर निकलने का कोई रास्ता मिले यह सुनकर सभी दबे पांव उस कमरे की ओर बढ़ने लगे और अंदर जैसे ही वह लोग दाखिल हुए कि उन सबने अंदर का नजारा जो देखा उन सबके मानो होश उड
़ गए वहां उस कमरे में सच में सोने चांदी जवाहरात से भरे हुए बक्से थे लेकिन फिर उस कमरे का दरवाजा अपने आप बंद हो गया अब वह पांचों उस कमरे में भी फस चुके थे और उन सबको ऐसा प्रतीत होने लगा कि मानो उस कमरे का सभी दीवारें चारों ओर घूम रही है और धीरे से उन सबके कानों में किसी की फुसफुसाने की आवाज आ रही थी मानो वहां कोई उससे कुछ बोल रहा हो यह सब देख और सुनकर वह सभी जमीन पर गिर पड़े सब कोई रो रहे थे और अपने घर वालों को याद कर रहे थे तभी रोते रोते ड्राइवर की नजर एक किताब पढ़ पड़ी जिसका जिक्र दादा जी किए थ
े उस आत्मा को वहां से दूर करने का मंत्र वह जल्दी से उस किताब को ले आया और उसका पन्ना पलटने लगा लेकिन जिस पन्ना में उस आत्मा को दूर करने का मंत्र था वह आधा फटा हुआ था लेकिन एक पन्ने में एक और मंत्र था जिसे पढ़ने पर एक मिनट के लिए वह आत्मा वहां से चली जाएगी लेकिन उस मंत्र को मात्र 30 सेकंड के अंदर पढ़ना था उस ड्राइवर ने उसके बारे में अजीत और बाकी लोगों को बताया उस डर के माहौल में उस मंत्र को 30 सेकंड में पढ़ना काफी मुश्किल जान पड़ रहा था लेकिन अजीत ने बोला मैं पढ़ूंगा और जैसे ही मेरे मंत्र पढ़ने प
र दरवाजा खुलेगा तुम लोग जल्दी से बाहर भाग जाना लेकिन तभी फिर से एक जोरदार चीखने की आवाज सुनाई पड़ी और डर के कारण अजीत के हाथ से वह किताब गिर पड़े फिर उसने जल्दी से वह किताब उठाया और वह मंत्र जोर जोर से पढ़ दिया मंत्र के पढ़ते ही एक तेज रोशनी हुई और सभी दरवाजा खुल गया वो सभी जल्द से गिरते पड़ते उस कोठी से बाहर निकला और जोर-जोर से रो रहा था आज का दिन उन सबके लिए कभी ना भुलाया जाने वाला दिन बन गया था फिर वह सभी दौड़ते हुए उस जंगल से बाहर निकले और गाड़ी में बैठकर भगवान को धन्यवाद दिया, उन सबको अपनी
गलती पर काफी पछतावा हो रहा था सच कहते हैं कि आदमी को इन सब मामलों में हठी नहीं होना चाहिए क्योंकि धुआ वही उठता है जहां आग लगी होती है, चलिए दोस्तों आज की यह कहानी यही खत्म होती है अगर आपको यह पसंद आई हो तो एक लाइक और अगर इस तरह की कहानियों को सुनना आप पसंद करते हैं तो हमारे चैनल को सब्सक्राइब लीजिए मिलते हैं अगली कहानी के साथ तब तक के लिए धन्यवाद

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