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Swatantra veer savarkar full movie hindi dubbed| Veer savarkar full movie|Veer savarkar movie review

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Review Corner

1 day ago

आज के इस नए वीडियो में दोस्तों हम ऐसे एक फिल्म के बारे में बात करने वाले हैं जो फिल्म बताती है दोस्तों आजादी के समय कैसे वीर सावरकर ने अपनी मुहिम चलाई थी तो उसी के ऊपर दोस्तों यहां पर रणदीप हुड्डा स्ट रर मूवी स्वतंत्र वीर सावरकर वर्ल्ड वाइड बॉक्स ऑफिस प 22 मार्च को दस्तक दे चुकी है तो आज का यह वीडियो यहां पे उसी मूवी के ऊपर पूरी डिटेल में आपको बताने वाले हैं ए टू जड स्टोरी कास्ट रिलेटेड इस मूवी के जो भी यहां पे रिव्यूज निकल के आ रहे हैं और पूरी हेडलाइन आपको बताने वाले हैं साथ ही साथ इस मूवी के ब
ारे में पूरी डिटेल में जानकारी इस वीडियो में आपको देखने को मिलने वाली है तो चलिए दोस्तों वीडियो को स्टार्ट करते हैं जहां तक की बात करें तो दोस्तों स्वतंत्र वीर सावरकर की मूवी यहां पे रिलीज हुई है उसी के टैग लाइन के साथ जहां पे दोस्तों अगर बात करें तो स्टार में रणदीप हुड्डा मेन लीडिंग स्टारिंग में देखने को मिलेंगे साथ ही साथ दोस्तों उनके साथ अंकिता लोखंडे भी इस फिल्म में आपको देखने को मिलने वाली हैं वहीं पे मूवी को 20 करोड़ के बजट में बनाया गया है अब बात करते हैं जहां पे दोस्तों रणदीप हुड्डा अभिन
ेता से दोस्तों यहां पे निर्माता निर्देशक यानी कि सब कुछ इन्होंने ही इस फिल्म में किया है और लेखक भी यहां पे बन गए हैं प्रदीप हुड्डा फिल्म को स्वतंत्र वीर सावरकर इतिहास के दोस्तों उन पन्नों को विस्तार से लिखने की इस फिल्म में पूरी तरह से कोशिश की गई है जिसे बनाने वालों के मुताबिक एक योजना के तहत दोस्तों इस फिल्म को मार दिए गए हु किल्ड हिज स्टोरी के टैग लाइन से इस मूवी को सिनेमा घरों में रिलीज किया गया है वहीं पे दोस्तों अगर फिल्म भारतीय स्वतंत्र संग्राम के नायकों में शामिल जो कि दामोदर सावरकर के
जीवन पे यह फिल्म यहां पे उनकी क्रांति नीतियों का पूरी तरह से खुलासा करती हुई दिखाई देने वाली है वहीं पर रणदीप हुड्डा ने फिल्म में सावरकर की भूमिका निभाई है वहीं पर फिल्म बताती है कि कैसे अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए सावरकर के सोच के साथ आगे बढ़ रहे थे उनके संगठन को मजबूत कर रहे थे साथ ही साथ उसने सफल होते हुए कई सारे यहां पे कार्य किए वई फिल्म स्वतंत्र वीर सावरकर की कहानी जो है आपको प्लेग महामारी से यहां पे शुरू होती नजर आएगी सावरकर के पिता दोस्तों प्लेग महामारी से संक्रमित है और यह
फिल्म आपको अंग्रेज पुलिस अधिकारी सावरकर के पिता सहित यहां पे दोस्तों प्लैग महा जो कि यहां पे बीमारी फैली हुई थी उस समय महामारी से संक्रमित जो कि हम इस फिल्म की कहानी आपको बता रहे हैं कि आपको ऐसे की जो हिस्टोरिकल फिल्म आपको य देखने को मिलेगी महामारी से दोस्तों यहां पे संक्रमित तमाम लोग यहां पे जिंदा जला देते हैं और साथ ही साथ दोस्तों यहां पे अंग्रेज हुकूमत के जो कि प्रती सावरकर का यहां पे बचपन से ही काफी ज्यादा द्वेष देखने को मिलता है वहीं पे दोस्तों बड़े होने के के बाद देश की आजादी के लिए अभिनव
भारत सीक्रेट सोसाइटी का यहां पे भी ये यहां पे गठन भी करते हैं संगठन में दोस्तों यहां पे देश के उन युवाओं को यहां पे जोड़ा जाता है जो भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराना चाहते हैं इस फिल्म के वजह से वकालत की पढ़ाई के लिए वह लंदन भी जाते हैं वहां से दोस्तों अपने संगठन को काफी ज्यादा मजबूत करने की कोशिश करते हैं वजह से दोस्तों वहां पे उनकी काला पानी की सजा हो जाती है वहीं पे दोस्तों काला पानी से सजा काटकर आने के बाद उन्हें महात्मा गांधी की हत्या की साजिश में शामिल होने के जुर्म में गिरफ्तार भ
ी यहां पे कर लिया जाता है लेकिन दोस्तों सबूत के अभाव में उनको यहां पे रिहा भी कर दिया जाता है उसके बाद यहां पे सावरकर के जीवन के अंश ने पहेलियों की दिखाने की काफी ज्यादा कोशिश इस फिल्म में की गई है जोर से इस बात की है कि गांधी की अहिंसा विचारधारा से बिल्कुल प्रभावित ये नहीं थे वह गांधी की इज्जत करते थे लेकिन उनकी विचारधारा का वो बिल्कुल यहां पे विरोध करते हुए नजर आते हैं जहां पे फिल्म में सुभाष चंद्र बोस और सावर की विचारधारा के साथ यह भी बताया गया है कि कैसे राष्ट्रवाद की राजनीति विचारधारा को यह
ां पर विकसित करने का बहुत बड़ा वीर सावरकर को जाता है वहीं पर कहानी में रणदीप हुड्डा ने उत्कर्ष के साथ मिलकर लिखी है इस फिल्म को जिस तरह से हुड्डा ने शोट किया है उसका पूरा असर इस फिल्म को आपको देखने को मिलने वाला है वहीं पे पूरी फिल्म रणदीप हुड्डा के कंधे पर यहां पे टिकी हुई है स्वतंत्र वीर सावार करर जो कि भूमिका में यहां पे रड डीफ हुड्डा है और वहीं पे काया परिवर्तन करते हुए नजर आ र वो बहुत यहां पे प्रभावी हैं जब भी वे यहां पे पर्दे पर आते हैं वह अपना एक अलग यहां पे प्रभाव छोड़ते हुए नजर आते हैं
वही सावरकर की भूमिका को उनके पर्दे पर पूरी तरह से जीवंत यहां पे कर दिया है फिल्म में सावरकी की पत्नी यशोदाबाई की भूमिका में जहां पे अंकिता लोखंडे आपको देखने को मिलने वाली है क्योंकि ऑन स्क्रीन का इनको मौका मिल गया है इस फिल्म के तहत उन्होंने दोस्तों अपनी भूमिका के साथ पूरी तरह से न्याय करने की कोशिश भी इस फिल्म के द्वारा की है चावरकर के बड़े भाई की भूमिका की बात करें तो अमित शियाल जो है वहां पे अभिनय करते हुए आपको इस फिल्म में देखने को मिलेंगे वहीं पे हुड्डा मानते भी है कि बाबा सावरकर की कहानी अ
पने आप में एक अलग फिल्म बनती रहती है और वहीं पे दोस्तों सबसे कमजोर कड़ी की बात करें तो सहायक काल जो कि यहां पे एक्टर्स हैं उनकी कास्टिंग है जैसे कि वहां पे गांधी नेहरू जिन्ना की भूमिका निभाने वाले कई सारे कलाकार बिल्कुल यहां पे गांधी नेहरू और जिन्ना जैसे नहीं लगते हैं इसमें कई ये बड़ी यहां पे दोस्तों मिस्टेक कह सकते हैं कि खराब कास्टिंग इस फिल्म के लिए यहां पे की गई है जो कि बाकी कलाकारों के लिए कहानी जो है आपको प्लेग महामारी से यहां पे शुरू होती नजर आएगी सावरकर के पिता दोस्तों प्लेग महामारी से
संक्रमित है और यह फिल्म आपको अंग्रेज पुलिस अधिकारी सावरकर के पिता सहित यहां पे दोस्तों प्लैग महा जो कि यहां पे बीमारी फैली हुई थी उस समय महामारी से संक्रमित जो कि हम इस फिल्म की कहानी आपको बता रहे हैं कि आपको ऐसे की जो हिस्टोरिकल फिल्म आपको य देखने को मिलेगी महामारी से दोस्तों यहां पे संक्रमित तमाम लोग यहां पे जिंदा जला देते हैं और साथ ही साथ दोस्तों यहां पे अंग्रेज हुकूमत के जो कि प्रति सावरकर का यहां पे बचपन से ही काफी ज्यादा द्वेष देखने को मिलता है वहीं पे दोस्तों बड़े होने के बाद देश की आजाद
ी के लिए अभिनव भारत सीक्रेट सोसाइटी का यहां पे भी ये यहां पे गठन भी करते हैं संगठन में दोस्तों यहां पे देश के उन युवाओं को यहां पे जोड़ा जाता है जो भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराना चाहते हैं इस फिल्म के वजह से वकालत की पढ़ाई के लिए वह लंदन भी जाते हैं वहां से दोस्तों अपने संगठन को काफी ज्यादा मजबूत करने की कोशिश करते हैं वजह से दोस्तों वहां पे उनकी काला पानी की सजा हो जाती है वहीं पे दोस्तों काला पानी से सजा काटकर आने के बाद उन्हें महात्मा गांधी की हत्या की साजिश में शामिल होने के जुर्म
में गिरफ्तार भी यहां पे कर लिया जाता है लेकिन दोस्तों सबूत के अभाव में उनको यहां पे रिहा भी कर दिया जाता है उसके बाद यहां पे सावरकर के जीवन के अंश ने पहेलियों की दिखाने की काफी ज्यादा कोशिश इस फिल्म में की गई है जोर से इस बात की है कि गांधी की अहिंसा विचारधारा से बिल्कुल प्रभावित ये नहीं थे वह गांधी की इज्जत करते थे लेकिन उनकी विचारधारा का वो बिल्कुल यहां पे विरोध करते हुए नजर आते हैं जहां पे फिल्म में सुभाष चंद्र बोस और सावरकर की विचारधारा के साथ यह भी बताया गया है कि कैसे राष्ट्रवाद की राजनीत
ि विचारधारा को यहां पे विकसित करने का बहुत बड़ा वीर सावरकर को जाता है वहीं पर कहानी में रणदीप हुड्डा ने उत्कर्ष के साथ मिलकर लिखी है इस फिल्म को जिस तरह से हुड्डा ने शोध किया है उसका पूरा असर इस फिल्म को आपको देखने को मिलने वाला है वहीं पे पूरी फिल्म रणदीप हुड्डा के कंधे पर यहां पे ट हुई करोड़ के बजट में बनाया गया है अब बात करते हैं जहां पे दोस्तों रणदीप हुड्डा अभिनेता से दोस्तों यहां पे निर्माता निर्देशक यानी कि सब कुछ इन्होंने ही इस फिल्म में किया है और लेखक भी यहां पे बन गए हैं रणदीप हुड्डा फ
िल्म को स्वातंत्र वीर सावरकर इतिहास के दोस्तों उन पन्नों को विस्तार से लिखने की इस फिल्म में पूरी तरह से कोशिश की गई है जिसे बनाने वालों के मुताबिक एक योजना के तहत दोस्तों इस फिल्म को मार दिए गए हु किल्ड हिज स्टोरी के टैग लाइन से इस मूवी को सिनेमा घरों में रिलीज किया गया है वहीं पर दोस्तों अगर फिल्म भारतीय स्वतंत्र संग्राम के नायकों में शामिल जो कि दामोदर सावरकर के जीवन पे यह फिल्म यहां पे उनकी क्रांति नीतियों का पूरी तरह से खुलासा करती हुई दिखाई देने वाली है वहीं पर रणदीप हुड्डा ने फिल्म में सा
वरकर की भूमिका निभाई है वहीं पर फिल्म बताती है कि कैसे अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए सावरकर के सोच के साथ आगे बढ़ रहे थे उनके संगठन को मजबूत कर रहे थे साथ ही साथ उने सफल होते हुए कई सारे यहां पे कार्य किए हुए फिल्म स्वतंत्र वीर सावरकर की कहानी जो है आपको प्लेग महामारी से यहां पे शुरू होती नजर आएगी सावरकर के पिता दोस्तों प्लेग महामारी से संक्रमित हैं और यह फिल्म आपको अंग्रेज पुलिस अधिकारी सावरकर के पिता सहित यहां पे दोस्तों प्लैग महा जो कि यहां पे बीमारी फैली हुई थी उस समय महामारी से स
ंक्रमित भी करते हैं संगठन में दोस्तों यहां पे देश के उन युवाओं को यहां पे जोड़ा जाता है जो भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराना चाहते हैं इस फिल्म के वजह से वकालत की पढ़ाई के लिए वह लंदन भी जाते हैं वहां से दोस्तों अपने संगठन को काफी ज्यादा मजबूत करने की कोशिश करते हैं वजह से दोस्तों वहां पे उनकी काला पानी की सजा हो जाती है वहीं पे दोस्तों काला पानी से सजा काटकर आने के बाद उन्हें महात्मा गांधी की हत्या की साजिश में शामिल होने के जुर्म में गिरफ्तार भी यहां पे कर लिया जाता है लेकिन दोस्तों सब
ूत के अभाव में उनको यहां पे रिहा भी कर दिया जाता है उसके बाद यहां पे सावरकर के जीवन के अंश ने प की दिखाने की काफी ज्यादा कोशिश इस फिल्म में की गई है जोर से इस बात की है कि गांधी की अहिंसा विचारधारा से बिल्कुल प्रभावित यह नहीं थे वह गांधी की इज्जत करते थे लेकिन उनकी विचारधारा का व बिल्कुल यहां पे विरोध करते हुए नजर आते हैं जहां पे फिल्म में सुभाष चंद्र बोस और सावरकर की विचारधारा के साथ यह भी बताया गया है कि कैसे राष्ट्रवाद की राजनीति विचारधारा को यहां पर विकसित करने का बहुत बड़ा वीर सावरकर को जात
ा है वहीं पर कहानी में रड दई हुड्डा ने उत्कर्ष के साथ मिलकर लिखी है इस फिल्म को जिस तरह से हुड्डा ने शोध किया है उसका पूरा असर इस फिल्म को आपको देखने को मिलने वाला है वहीं पे पूरी फिल्म रणदीप हुड्डा के कंधे पर यहां पे टिकी हुई है स्वतंत्र वीर सावकर जो कि भूमिका में यहां पे रणदीप हुड्डा है रणदीप हुड्डा फिल्म को स्वतंत्र वीर सावरकर इतिहास के दोस्तों उन पन्नों को विस्तार से लिखने की इस फिल्म में पूरी तरह से कोशिश की गई है जिसे बनाने वालों के मुताबिक एक योजना के तहत दोस्तों इस फिल्म को मार दिए गए हु
किल्ड हिज स्टोरी के टैग लाइन से इस मूवी को सिनेमा घरों में रिलीज किया गया है वहीं पर दोस्तों अगर फिल्म भारतीय स्वतंत्र संग्राम के नायकों में शामिल जो कि दामोदर सावरकर के जीवन पे यह फिल्म यहां पे उनकी क्रांति नीतियों का पूरी तरह से खुलासा करती हुई दिखाई देने वाली है वहीं पर रणदीप हुड्डा ने फिल्म में सावरकर की भूमिका निभाई है वहीं पर फिल्म बताती है कि कैसे अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए सावरकर के सोच के साथ आगे बढ़ रहे थे उनके संगठन को मजबूत कर रहे थे साथ ही साथ उने सफल होते हुए कई सारे
यहां पे कार्य किए हुई फिल्म स्वतंत्र वीर सावरकर की कहानी जो है आपको प्लेग महामारी से यहां पे शुरू होती नजर आएगी सावरकर के पिता दोस्तों प्लेग महामारी से संक्रमित है और यह फिल्म आपको अंग्रेज पुलिस अधिकारी सावरकर के पिता सहित यहां पे दोस्तों प्लैग महा जो कि यहां पे बीमारी फैली हुई थी उस समय महामारी से शक्र मती जो कि हम इस फिल्म की कहानी आपको बता रहे हैं कि आपको ऐसे कि जो हिस्टोरिकल फिल्म आपको ये देखने को मिलेगी महामारी से दोस्तों यहां पे संक्रमित तमाम लोग यहां पे जिंदा जला देते हैं और साथ ही साथ द
ोस्तों यहां पे अंग्रेज हुकूमत के जो कि प्रति सावरकर कहां पे बचपन से ही काफी ज्यादा त कराना चाहते हैं इस फिल्म के वजह से वकालत की पढ़ाई के लिए वह लंदन भी जाते हैं वहां से दोस्तों अपने संगठन को काफी ज्यादा मजबूत करने की कोशिश करते हैं वजह से दोस्तों वहां पे उनकी काला पानी की सजा हो जाती है वहीं पे दोस्तों काला पानी से सजा काटकर आने के बाद उन्हें महात्मा गांधी की ह हत्या की साजिश में शामिल होने के जुर्म में गिरफ्तार भी यहां पे कर लिया जाता है लेकिन दोस्तों सबूत के अभाव में उनको यहां पे रिहा भी कर द
िया जाता है उसके बाद यहां पे सावरकर के जीवन के अंश ने पहेलियों की दिखाने की काफी ज्यादा कोशिश इस फिल्म में की गई है जोर से इस बात की है कि गांधी की अहिंसा विचारधारा से बिल्कुल प्रभावित यह नहीं थे वह गांधी की इज्जत करते थे लेकिन उनकी विचारधारा को व बिल्कुल यहां पे विरोध करते हुए नजर आते हैं जहां पे फिल्म में सुभाष चंद्र बोस और सावरकर की विचारधारा के साथ यह भी बताया गया है कि कैसे राष्ट्रवाद की राजनीति विचारधारा को यहां पर विकसित करने का बहुत बड़ा वीर सावरकर को जाता है वहीं पर कहानी में रणदीप हुड्
डा ने उत्कर्ष के साथ मिलकर लिखी है इस फिल्म को जिस तरह से हुड्डा ने शोध किया है उसका पूरा असर इस फिल्म को आपको देखने को मिलने वाला है वहीं पे पूरी फिल्म रणदीप हुड्डा के कंधे पर यहां पे टिकी हुई है स्वतंत्र वीर सावार करर जो कि भूमिका में यहां पे रड डीप हुड्डा है और वहीं पे काया परिवर्तन करते हुए नजर आ र वो बहुत ही यहां पे प्रभावी हैं जब भी वे यहां पे पर्दे पर आते हैं वह अपना एक अलग यहां पे प्रभाव छोड़ते हुए नजर आते हैं वहीं सावरकर की भूमिका को उनके पर्दे पर पूरी तरह से जीवंत यहां पे कर दिया है फि
ल्म सावरकी की पत्नी यशोदाबाई की भूमिका में जहां पे अंकिता लोखंडे आपको देखने को मिलने वाली है इसे बनाने वालों के मुताबिक एक योजना के तहत दोस्तों इस फिल्म को मार दिए गए हु किल्ड हिज स्टोरी के टैग लाइन से इस मूवी को सिनेमा घरों में रिलीज किया गया है वहीं पे दोस्तों अगर फिल्म भारतीय स्वतंत्र संग्राम के नायकों में शामिल जो कि दामोदर सावरकर के जीवन पे यह फिल्म यहां पे उनकी क्रांति नीतियों का पूरी तरह से खुलासा करती हुई दिखाई देने वाली है वहीं पर रणदीप हुड्डा ने फिल्म में सावरकर की भूमिका निभाई है वहीं
पर फिल्म बताती है कि कैसे अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए सावरकर के सोच के साथ आगे बढ़ रहे थे उनके संगठन को मजबूत कर रहे थे साथ ही साथ उने सफल होते हुए कई सारे यहां पे कार्य किए हुए फिल्म स्वतंत्र वीर सावरकर की कहानी जो है आपको प्लेग महामारी से यहां पर शुरू होती नजर आएगी सावरकर के पिता दोस्तों प्लेग महामारी से संक्रमित है और यह फिल्म आपको साथ ही साथ दोस्तों यहां पे अंग्रेज हुकूमत के जो कि प्रति सावरकर का यहां पे बचपन से ही काफी ज्यादा द्वेष देखने को मिलता है वहीं पे दोस्तों बड़े होने क
े बाद देश की आजादी के लिए अभिनव भारत सीक्रेट सोसाइटी का यहां पे भी ये यहां पे गठन भी करते हैं संगठन में दोस्तों यहां पे देश के उन युवाओं को यहां पे जोड़ा जाता है जो भारत को अंग्रेजों की गुलाम से आजाद कराना चाहते हैं इस फिल्म के वजह से वकालत की पढ़ाई के लिए वह लंदन भी जाते हैं वहां से दोस्तों अपने संगठन को काफी ज्यादा मजबूत करने की कोशिश करते हैं वजह से दोस्तों वहां पे उनकी काला पानी की सजा हो जाती है वहीं पे दोस्तों काला पानी से सजा काट कर आने के बाद उन्हें महात्मा गांधी की हत्या की साजिश में शा
मिल होने के जुर्म में गिरफ्तार भी यहां पे कर लिया जाता है लेकिन दोस्तों सबूत के अभाव में उनको यहां पे रिहा भी कर दिया जाता है उसके बाद यहां पे सावरकर के जीवन के अंशु ने पहेलियों की दिखाने की काफी ज्यादा कोशिश इस फिल्म में की गई है जोर से इस बात की है कि गांधी की अहिंसा विचारधारा से बिल्कुल प्रभावित यह नहीं थे वह गांधी की इज्जत करते थे लेकिन उनकी विचारधारा का व बिल्कुल यहां पे विरोध करते हुए नजर आते हैं जहां पर फिल्म में सुभाष चंद्र बोस और सावरकर की विचारधारा के साथ यह भी बताया गया है कि कैसे राष
्ट्रवाद की राजनीति विचारधारा को यहां पे विकसित करने का बहुत बड़ा वीर सावरकर को जाता है वहीं पर कहानी में रड दवी हुड्डा ने उत्कर्ष के साथ मिलकर लिखी है इस फिल्म को जिस तरह से हुड्डा ने शूट किया है उसका पूरा असर इस फिल्म को आपको देखने को मिलने वाला है वहीं पे पूरी फिल्म रणदीप हुड्डा के कंधे पर यहां पे टिकी हुई है स्वतंत्र वीर सावार करर जो कि भूमिका में यहां पे रणदीप हुड्डा है और वहीं पे काया परिवर्तन करते हुए नजर आ र वो बहुत यहां यानी कि सब कुछ इन्होंने ही इस फिल्म में किया है और लेखक भी यहां पे ब
न गए हैं रणदीप हुड्डा फिल्म को स्वतंत्र वीर सावरकर इतिहास के दोस्तों उन पन्नों को विस्तार से लिखने की इस फिल्म में पूरी तरह से कोशिश की गई है जिसे बनाने वालों के मुताबिक एक योजना के तहत दोस्तों इस फिल्म को मार दिए गए हु किल्ड हिज स्टोरी के टैग लाइन से इस मूवी को सिनेमा घरों में रिलीज किया गया है वहीं पे दोस्तों अगर फिल्म भारतीय स्वतंत्र संग्राम के नायकों में शामिल जो कि दामोदर सावरकर के जीवन पे यह फिल्म यहां पे उनकी क्रांति नीतियों का पूरी तरह से खुलासा करती हुई दिखाई देने वाली है वहीं पर रणदीप
हुड्डा ने फिल्म में सावरकर की भूमिका निभाई है वहीं पर फिल्म बताती है कि कैसे अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए सावरकर के सोच के साथ आगे बढ़ रहे थे उनके संगठन को मजबूत कर रहे थे साथ ही साथ उन्होंने सफल होते हुए कई सारे यहां पे कार्य किए वई फिल्म स्वतंत्र वीर सावरकर की कहानी जो है आपको प्लेग महामारी से यहां पे शुरू होती नजर आएगी सावरकर के पिता दोस्तों प्लेग महामारी से संक्रमित है और यह फिल्म आपको अंग्रेज पुलिस अधिकारी सावरकर के पिता सहित यहां पे दोस्तों महा जो कि यहां पे बीमारी फै ये यहां प
े गठन भी करते हैं संगठन में दोस्तों यहां पे देश के उन युवाओं को यहां पे जोड़ा जाता है जो भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराना चाहते हैं इस फिल्म के वजह से वकालत की पढ़ाई के लिए वह लंदन भी जाते हैं वहां से दोस्तों अपने संगठन को काफी ज्यादा मजबूत करने की कोशिश करते हैं वजह से दोस्तों वहां पे उनकी काला पानी की सजा हो जाती है वहीं पे दोस्तों काला पानी से सजा काटकर आने के बाद उन्हें महात्मा गांधी की हत्या की साजिश में शामिल होने की जो में गिरफ्तार भी यहां पे कर लिया जाता है लेकिन दोस्तों सबूत के
अभाव में उनको यहां पे रिहा भी कर दिया जाता है उसके बाद यहां पे सावरकर के जीवन के अंश ने पहेलियों की दिखाने की काफी ज्यादा कोशिश इस फिल्म में की गई है जोर से इस बात की है कि गांधी की अहिंसा विचारधारा से बिल्कुल प्रभावित यह नहीं थे वह गांधी की इज्जत करते थे लेकिन उनकी विचारधारा का व बिल्कुल यहां पे विरोध करते हुए नजर आते हैं जहां पे फिल्म में सुभाष चंद्र बोस और सावरकर की विचारधारा के साथ यह भी बताया गया है कि कैसे राष्ट्रवाद की राजनीति विचारधारा को यहां पे विकसित करने का बहुत बड़ा वीर सावरकर को ज
ाता है वहीं पे कहानी में रड दुई हुड्डा ने उत्कर्ष के साथ मिलकर लिखी है इस फिल्म को जिस तरह से हुड्डा ने शोध किया है उसका पूरा असर इस फिल्म को आपको देखने को मिलने वाला है वहीं पे पूरी फिल्म रणदीप हुड्डा के कंधे पर यहां पे टिकी हुई है स्वतंत्र वीर सावार करर जो कि भूमिका में यहां पे रणदीप हुड्डा है और वहीं पे काया परिवर्तन करते हुए नजर आ रहे वो बहुत यहां पे प्रभावी हैं जब भी वे यहां पे पर आते हैं वह अपना एक अलग यहां पे प्रभाव छोड़ते हुए नजर आते हैं वही सावरकर की भूमिका को उनके पर्दे पर पूरी तरह से
जीवंत यहां पे कर दिया है फिल्म सावरकी की पत्नी यशोदाबाई की भूमिका में जहां पे अंकिता लोखंडे आपको देखने को मिलने वाली है क्योंकि ऑन स्क्रीन का इनको मौका मिल गया है इस फिल्म के तहत उन्होंने दोस्तों अपनी भूमिका के साथ पूरी तरह से बन गया है रणदीप हुड्डा फिल्म को स्वातंत्र वीर सावरकर इतिहास के दोस्तों उन पन्नों को विस्तार से लिखने की इस फिल्म में पूरी तरह से कोशिश की गई है जिसे बना आने वालों के मुताबिक एक योजना के तहत दोस्तों इस फिल्म को मार दिए गए हु किल्ड हिज स्टोरी के टैग लाइन से इस मूवी को सिनेमा
घरों में रिलीज किया गया है वहीं पे दोस्तों अगर फिल्म भारतीय स्वतंत्र संग्राम के नायकों में शामिल जो कि दामोदर सावरकर के जीवन पे यह फिल्म यहां पे उनकी क्रांति नीतियों का पूरी तरह से खुलासा करती हुई दिखाई देने वाली है वहीं पर रणदीप हुड्डा ने फिल्म में सावरकर की भूमिका निभाई है वहीं पर फिल्म बताती है कि कैसे अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए सावरकर के सोच के साथ आगे बढ़ रहे थे उनके संगठन को मजबूत कर रहे थे साथ ही साथ उन्हें सफल होते हुए कई सारे यहां पे कार्य किए हुए फिल्म स्वतंत्र वीर सावरक
र की कहानी जो है आपको प्लेग महामारी से यहां पे शुरू होती नजर आएगी सावरकर के पिता दोस्तों प्लेग महामारी से संक्रमित है और यह फिल्म आपको अंग्रेज पुलिस अधिकारी सावरकर के पिता सहित यहां पे दोस्तों प्लैग महा जो कि यहां पे बीमारी फैली हुई थी उस समय महामारी से शक्र मति जो कि हम इस फिल्म की कहानी आपको बता रहे हैं कि आपको ऐसे की जो हिस्टोरिकल फिल्म आपको यह देखने को मिलेगी महामारी से दोस्तों यहां पे संक्रमित तमाम लोग यहां पे जिंदा जला देते हैं और साथ ही साथ दोस्तों यहां पे अंग्रेज हुकूमत के जो कि प्रजात क
राना चाहते हैं इस फिल्म के वजह से वकालत की पढ़ाई के लिए वह लंदन भी जाते हैं वहां से दोस्तों अपने संगठन को काफी ज्यादा मजबूत करने की कोशिश करते हैं वजह से दोस्तों वहां पे उनकी काला पानी की सजा हो जाती है वहीं पे दोस्तों काला पानी से सजा काट कर आने के बाद उन्हें महात्मा गांधी की हत्या की साजिश में शामिल होने के जुर्म में गिरफ्तार भी यहां पे कर लिया जाता है लेकिन दोस्तों सबूत के अभाव में उनको यहां पे रिहा भी कर दिया जाता है उसके बाद यहां पे सावरकर के जीवन के अंश ने पहेलियों की दिखाने की काफी ज्यादा
कोशिश इस फिल्म में की गई है जोर से इस बात की है कि गांधी की अहिंसा विचारधारा से बिल्कुल प्रभावित ये नहीं थे वह गांधी की इज्जत करते थे लेकिन उनकी विचारधारा का व बिल्कुल यहां पे विरोध करते हुए नजर आते हैं जहां पर फिल्म में सुभाष चंद्र बोस और सावरकर की विचारधारा के साथ यह भी बताया गया है कि कैसे राष्ट्रवाद की राजनीति विचारधारा को यहां पर विकसित करने का बहुत बड़ा वीर सावरकर को जाता है वहीं पे कहानी में रड दुवी हुड्डा ने उत्कर्ष के साथ मिलकर लिखी है इस फिल्म को जिस तरह से हुड्डा ने शूट किया है उसका
पूरा असर इस फिल्म को आपको देखने को मिलने वाला है वहीं पर पूरी फिल्म रणदीप हुड्डा के कंधे पर यहां पे टिकी हुई है स्वतंत्र वीर सावार करर जो कि भूमिका में यहां पे रदी हुड्डा है और वहीं पे काया परिवर्तन करते हुए नजर आ रहे वो बहुत यहां पे प्रभावी हैं जब भी वे यहां पे पर्दे पर आते हैं वह अपना एक अलग यहां पे प्रभाव छोड़ते ता से दोस्तों यहां पे निर्माता निर्देशक यानी कि सब कुछ इन्होंने ही इस फिल्म में किया है और लेखक भी यहां पे बन गया हैं रणदीप हुड्डा फिल्म को स्वतंत्र वीर सावरकर इतिहास के दोस्तों उन पन
्नों को विस्तार से लिखने की इस फिल्म में पूरी तरह से कोशिश की गई है जिसे बनाने वालों के मुताबिक एक योजना के तहत दोस्तों इस फिल्म को मार दिए गए हु किल्ड हिज स्टोरी के टैग लाइन से इस मूवी को सिनेमा घरों में रिलीज किया गया है वहीं पे दोस्तों अगर फिल्म भारतीय स्वतंत्र संग्राम के नायकों में शामिल जो कि दामोदर सावरकर के जीवन पे यह फिल्म यहां पे उनकी क्रांति नीतियों का पूरी तरह से खुलासा करती हुई दिखाई देने वाली है वहीं पर रणदीप हुड्डा ने फिल्म में सावरकर की भूमिका निभाई है वहीं पर फिल्म बताती है कि कै
से अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए सावरकर के सोच के साथ आगे बढ़ रहे थे उनके संगठन को मजबूत कर रहे थे साथ ही साथ उने सफल होते हुए कई सारे यहां पे कार्य किए हुए फिल्म स्वतंत्र वीर सावरकर की कहानी जो है आपको प्लेग महामारी से यहां पे शुरू होती नजर आएगी सावरकर के पिता दोस्तों प्लेग महामारी से संक्रमित है और यह फिल्म आपको अंग्रेज पुलिस अधिकारी सावरकर के पिता सहित यहां पे दोस्तों प्लैग महा जो कि यहां पे बीमारी फैली हुई थी उस समय महामारी से संक्रम जो कि हम इस फिल्म की कहानी आपको ब जो भारत को अं
ग्रेजों की गुलाम से आजाद कराना चाहते हैं इस फिल्म के वजह से वकालत की पढ़ाई के लिए वह लंदन भी जाते हैं वहां से दोस्तों अपने संगठन को काफी ज्यादा मजबूत करने की कोशिश करते हैं वजह से दोस्तों वहां पे उनकी काला पानी की सजा हो जाती है वहीं पे दोस्तों काला पानी से सजा काट कर आने के बाद उन्हें महात्मा गांधी की हत्या की साजिश में शामिल होने के जुर्म में गिरफ्तार भी यहां पे कर लिया जाता है लेकिन दोस्तों सबूत के अभाव में उनको यहां पे रिहा भी कर दिया जाता है उसके बाद यहां पे सावरकर के जीवन के अंश ने पहेलियो
ं की दिखाने की काफी ज्यादा कोशिश इस फिल्म में की गई है जोर से इस बात की है कि गांधी की अहिंसा विचारधारा से बिल्कुल प्रभावित यह नहीं थे वह गांधी की इज्जत करते थे लेकिन उनकी विचारधारा का व बिल्कुल यहां पे विरोध करते हुए नजर आते हैं जहां पर फिल्म में सुभाष चंद्र बोस और सावरकर की विचारधारा के साथ यह भी बताया गया है कि कैसे राष्ट्रवाद की राजनीति विचारधारा को यहां पे विकसित करने का बहुत बड़ा वीर सावरकर को जाता है वहीं पर कहानी में रणदीप हुड्डा ने उत्कर्ष के साथ मिलकर लिखी है इस फिल्म को जिस तरह से हुड
्डा ने शूट किया है उसका पूरा असर इस फिल्म को आपको देखने को मिलने वाला है वहीं पे पूरी फिल्म रणदीप हुड्डा के कंधे पर यहां पे टिकी हुई है स्वतंत्र वीर सावार करर जो कि भूमिका में यहां पे रणदीप हुड्डा है और वहीं पे काया परिवर्तन करते हुए नजर आ रहे है वो बहुत यहां पे प्रभावी हैं जब भी वे यहां पे पर्दे पर आते हैं वो अपना एक अलग यहां पे 20 करोड़ के बजट में बनाया गया है अब बात करते हैं जहां पे दोस्तों रणदीप हुड्डा अभिनेता से दोस्तों यहां पे निर्माता निर्देशक यानी कि सब कुछ इन्होंने ही इस फिल्म में किया
है और लेखक भी यहां पे बन गए हैं रणदीप हुड्डा फिल्म को स्वातंत्र वीर सावरकर इतिहास के दोस्तों उन पन्नों को विस्तार से लिखने की इस फिल्म में पूरी तरह से कोशिश की गई है जिसे बनाने वालों के मुताबिक एक योजना के तहत दोस्तों इस फिल्म को मार दिए गए हु किल्ड हिज स्टोरी के टैग लाइन से इस मूवी को सिनेमा घरों में रिलीज किया गया है वहीं पे दोस्तों अगर फिल्म भारतीय स्वतंत्र संग्राम के नायकों में शामिल क्योंकि दामोदर सावरकर के जीवन पर यह फिल्म यहां पर उनकी क्रांति नीतियों का पूरी तरह से खुलासा करती हुई दिखाई द
ेने वाली है वहीं पर रणदीप हुड्डा ने फिल्म में सावरकर की भूमिका निभाई है वहीं पर फिल्म बताती है कि कैसे अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए सावरकर के सोच के साथ आगे बढ़ रहे थे उनके संगठन को मजबूत कर रहे थे साथ ही साथ उन्हे सफल होते हुए कई सारे यहां पे कार्य किए हुए फिल्म स्वतंत्र वीर सावरकर की कहानी जो है आपको प्लेग महामारी से यहां पे शुरू होती नजर आएगी सावरकर के पिता दोस्तों प्लेग महामारी से संक्रमित है और यह फिल्म आपको अंग्रेज पुलिस अधिकारी सावरकर के पिता सहित यहां पे दोस्तों प्लैग महा जो
कि यहां पे बीमारी फैली हुई थी उस समय महामारी से संक्रम की जो कि हम इस फिल्म की कहानी आपको बता रहे हैं कि आपको ऐसे की जो हिस्टोरिकल फिल्म आपको ये देखने को मिलेगी महामारी से दोस्तों यहां पे संक्रमित तमाम लोग यहां पे जिंदा जला देते हैं और साथ ही साथ दोस्तों यहां पे अंग्रेज हुकूमत के जो कि प्रति सावरकर का यहां पे बचपन से ही काफी ज्यादा द्वेष देखने को मिलता है वहीं पे दोस्तों बड़े होने के बाद देश की आजादी के लिए अभिनव भारत सीक्रेट सोसाइटी का यहां पे भी ये यहां पे गठन भी दोस्तों काला पानी से सजा काट क
रर आने के बाद उन्हें महात्मा गांधी की हत्या की साजिश में शामिल होने के जुर्म में गिरफ्तार भी यहां पे कर लिया जाता है लेकिन दोस्तों सबूत के अभाव में उनको यहां पे रिहा भी कर दिया जाता है उसके बाद यहां पे सावरकर के जीवन के अंश ने पहेलियों की दिखाने की काफी ज्यादा कोशिश इस फिल्म में की गई है जोर से इस बात की है कि गांधी की अहिंसा विचारधारा से बिल्कुल प्रभावित यह नहीं थे वह गांधी की इज्जत करते थे लेकिन उनकी विचारधारा का वह बिल्कुल यहां पे विरोध करते हुए नजर आते हैं जहां पे फिल्म में सुभाष चंद्र बोस औ
र सावकर की विचारधारा के साथ यह भी बताया गया है कि कैसे राष्ट्रवाद की राजनीति विचारधारा को यहां पे विकसित करने का बहुत बड़ा वीर सावरकर को जाता है वहीं पे कहानी में रड दवी हुड्डा ने उत्कर्ष के साथ मिलकर लिखी है इस फिल्म को जिस तरह से हुड्डा ने शोट किया है उसका पूरा असर इस फिल्म को आपको देखने को मिलने वाला है वहीं पर पूरी फिल्म रणदीप हुड्डा के कंधे पर यहां पे टिकी हुई है स्वतंत्र वीर सावार करर जो कि भूमिका में यहां पे रडी हुड्डा है और वहीं पे काया परिवर्तन करते हुए नजर आ रहा वो बहुत यहां पे प्रभावी
हैं जब भी वे यहां पे पर्दे पर आते हैं वह अपना एक अलग यहां पे प्रभाव छोड़ते हुए नजर आते हैं वही सावरकर की भूमिका को उनके पर्दे पर पूरी तरह से जीवंत यहां पे कर दिया है फिल्म में सावरकी की पत्नी यशोदाबाई की भूमिका में जहां पे अंकिता लोखंडे आपको देखने को मिलने वाली है क्योंकि ऑन स्क्रीन का इनको मौका मिल गया है इस फिल्म के तहत उन्होंने दोस्तों अपनी भूमिका के साथ पूरी तरह से न्याय करने की कोशिश भी इस फिल्म के द्वारा की है सावरकर के बड़े भाई की भूमिका की बात करें तो अमित टीप हुड्डा मेन लीडिंग स्टारिंग
में देखने को मिलेंगे साथ ही साथ दोस्तों उनके साथ अंकिता लोखंडे भी इस फिल्म में आपको देखने को मिलने वाली हैं वहीं पे मूवी को 20 करोड़ के बजट में बनाया गया है अब बात करते हैं जहां पे दोस्तों रणदीप हुड्डा अभिनेता से दोस्तों यहां पे निर्माता निर्देशक यानी कि सब कुछ इन्होंने ही इस फिल्म में किया है और लेखक भी यहां पे बन गए हैं रणदीप हुड्डा फिल्म को स्वतंत्र वीर सावरकर इतिहास के दोस्तों उन पन्नों को विस्तार से लिखने की इस फिल्म में पूरी तरह से कोशिश की गई है जिसे बनाने वालों के मुताबिक एक योजना के तह
त दोस्तों इस फिल्म को मार दिए गए हु किल्ड हिज स्टोरी के टैग लाइन से इस मूवी को सिनेमा घरों में रिलीज किया गया है वहीं पर दोस्तों अगर फिल्म भारतीय स्वतंत्र संग्राम के ना नायकों में शामिल जो कि दामोदर सावरकर के जीवन पर यह फिल्म यहां पर उनकी क्रांति नीतियों का पूरी तरह से खुलासा करती हुई दिखाई देने वाली है वहीं पर रणदीप हुड्डा ने फिल्म में सावरकर की भूमिका निभाई है वहीं पर फिल्म बताती है कि कैसे अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए सावरकर के सोच के साथ आगे बढ़ रहे थे उनके संगठन को मजबूत कर रहे
थे साथ ही साथ उन्होने सफल होते हुए कई सारे यहां पे कार्य किए हुए फिल्म स्वतंत्र वीर सावरकर की कहानी जो जो है आपको प्लेग महामारी से यहां पे शुरू होती नजर आएगी सावरकर के पिता दोस्तों प्लेग महामारी से संक्रमित है और यह फिल्म आपको अंग्रेज पुलिस अधिकारी सावरकर के पिता सहित यहां पे दोस्तों प्लैग महा जो कि यहां पे बीमारी फैली हुई थी उस समय महामारी से संक्रमित जो कि हम इस फिल्म की कहानी आपको बता रहे हैं कि आपको ऐसे की जो हिस्टोरिकल फिल्म आपको ये देखने को मिलेगी महामारी से दोस्तों यहां पे संक्रमित तमाम ल
ोग यहां पे जिंदा जला देते हैं जैसे वकालत की पढ़ाई के लिए वह लंदन भी जाते हैं वहां से दोस्तों अपने संगठन को काफी ज्यादा मजबूत करने की कोशिश करते हैं वजह से दोस्तों वहां पे उनकी काला पानी की सजा हो जाती है वहीं पे दोस्तों काला पानी से सजा काटकर आने के बाद उन्हें महात्मा गांधी की हत्या की साजिश में शामिल होने के जुर्म में गिरफ्तार भी यहां पे कर लिया जाता है लेकिन दोस्तों सबूत के अभाव में उनको यहां पे रिहा भी कर दिया जाता है उसके बाद यहां पे सावरकर के जीवन के अंश ने पहेलियों की दिखाने की काफी ज्यादा
कोशिश इस फिल्म में की गई गई है जोर से इस बात की है कि गांधी की अहिंसा विचारधारा से बिल्कुल प्रभावित यह नहीं थे वह गांधी की इज्जत करते थे लेकिन उनकी विचारधारा का वो बिल्कुल यहां पे विरोध करते हुए नजर आते हैं जहां पे फिल्म में सुभाष चंद्र बोस और सावरकर की विचारधारा के साथ यह भी बताया गया है कि कैसे राष्ट्रवाद की राजनीति विचारधारा को यहां पे विकसित करने का बहुत बड़ा वीर सावरकर को जाता है वहीं पर कहानी में रणदीप हुड्डा ने उत्कर्ष के साथ मिलकर लिखी है इस फिल्म को जिस तरह से हुड्डा ने शोध किया है उसक
ा पूरा असर इस फिल्म को आपको देखने को मिलने वाला है वहीं पे पूरी फिल्म रणदीप हुड्डा के कंधे पर यहां पे टिकी हुई है स्वतंत्र वीर सावार करर जो कि भूमिका में यहां पे रप हुड्डा है और वहीं पे काया परिवर्तन करते हुए नजर आ रहे वो बहुत यहां पे प्रभावी हैं जब भी वे यहां पे पर्दे पर आते हैं वह अपना एक अलग यहां पे प्रभाव छोड़ते हुए नजर आते हैं वही सावरकर की भूमिका को उनके पर्दे पर पूरी तरह से जीवंत यहां पे कर दिया है फिल्म सावरकी की पत्नी यशोदाबाई की भूमिका में जहां पे अंकिता लोखंड को देखने को मिलने वाली है
क्योंकि ऑन स्क्रीन का इनको मौका मिल गया है इस फिल्म के तहत उन्होंने दोस्तों अपनी भूमिका के साथ पूरी तरह से न्याय करने की कोशिश भी इस फिल्म के द्वारा की है सावरकर के बड़े भाई की भूमिका की बात करें तो अमित शियाल जो है वहां पे अभिनय करते हुए आपको इस फिल्म में देखने को मिलेंगे वहीं पे हुड्डा मानते भी है कि बाबा सावरकर की कहानी अपने आप में एक अलग फिल्म बनती रहती है और वहीं पे दोस्तों सबसे कमजोर कड़ी की बात करें साथ ही साथ दोस्तों उनके साथ अंकिता लोखंडे भी इस फिल्म में आपको देखने को मिलने वा वाली हैं
वहीं पे मूवी को 20 करोड़ के बजट में बनाया गया है अब बात करते हैं जहां पे दोस्तों रणदीप हुड्डा अभिनेता से दोस्तों यहां पे निर्माता निर्देशक यानी कि सब कुछ इन्होंने ही इस फिल्म में किया है और लेखक भी यहां पे बन गए हैं रणदीप हुड्डा फिल्म को स्वातंत्र वीर सावरकर इतिहास के दोस्तों उन पन्नों को विस्तार से लिखने की इस फिल्म में पूरी तरह से कोशिश की गई है जिसे बनाने वालों के मुताबिक एक योजना के तहत दोस्तों इस फिल्म को मार दिए गए हु किल्ड हिज स्टोरी कि टैग लाइन से इस मूवी को सिनेमा घरों में रिलीज किया ग
या है वहीं पर दोस्तों अगर फिल्म भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नायकों में शामिल जो कि दामोदर सावरकर के जीवन पे यह फिल्म यहां पे उनकी क्रांति नीतियों का पूरी तरह से खुलासा करती हुई दिखाई देने वाली है वहीं पर रणदीप हुड्डा ने फिल्म में सावरकर की भूमिका निभाई है वहीं पर फिल्म बताती है कि कैसे अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए सावरकर के सोच के साथ आगे बढ़ रहे थे उनके संगठन को मजबूत कर रहे थे साथ ही साथ उने सफल होते हुए हमारी से संक्रमित जो कि हम इस फिल्म की कहानी आपको बता रहे हैं कि आपको ऐसे की
जो हिस्टोरिकल फिल्म आपको ये देखने को मिलेगी महामारी से दोस्तों यहां पे संक्रमित तमाम लोग यहां पे जिंदा जला देते हैं और साथ ही साथ दोस्तों यहां पे अंग्रेज हुकूमत के जो कि प्रति सावरकर का यहां पे बचपन से ही काफी ज्यादा द्वेष देखने को मिलता है वहीं पे दोस्तों बड़े होने के बाद देश की आजादी के लिए अभिनव भारत सीक्रेट सोसाइटी का यहां पे भी ये यहां पे गठन भी करते हैं संगठन में दोस्तों यहां पे देश के उन युवाओं को यहां पे जोड़ा जाता है जो भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराना चाहते हैं इस फिल्म के वजह
से वकालत की पढ़ाई के लिए वह लंदन भी जाते हैं वहां से दोस्तों अपने संगठन को काफी ज्यादा मजबूत करने की कोशिश करते हैं वजह से दोस्तों वहां पे उनकी काला पानी की सजा हो जाती है वहीं पे दोस्तों काला पानी से सजा काटकर आने के बाद उन्हें महात्मा गांधी की हत्या की साजिश में शामिल होने के जुर्म में गिरफ्तार भी यहां पे कर लिया जाता है लेकिन दोस्तों बूत के अभाव में उनको यहां पर रिहा भी कर दिया जाता है उसके बाद यहां पर सावरकर के जीवन के अंश ने पहेलियों की दिखाने की काफी ज्यादा कोशिश इस फिल्म में की गई है जोर
से इस बात की है कि गांधी की अहिंसा विचारधारा से बिल्कुल प्रभावित यह नहीं थे वह गांधी की इज्जत करते थे लेकिन उनकी विचारधारा का वो बिल्कुल यहां पे विरोध करते हुए नजर आते हैं जहां पे फिल्म में सुभाष चंद्र बोस और सावरकर की विचारधारा के साथ यह भी बताया गया है कि कैसे राष्ट्रवाद की राजनीति विचारधारा को यहां पर विकसित कर ने का बहुत बड़ा वीर सावरकर को जाता है वहीं पर कहानी में रड दुई फड्डल के साथ मिलकर लिखी है इस फिल्म को जिस तरह से हुड्डा ने शोध किया है उसका पूरा असर इस फिल्म को आपको देखने को मिलने वा
ला है वहीं पर पूरी फिल्म रणदीप हुड्डा के कंधे पर यहां पे टिकी हुई है स्वतंत्र वीर सावार करर जो कि भूमिका में यहां पे रडी हुड्डा है और वहीं पे काया परिवर्तन करते हुए नजर आ र वो बहुत यहां पे प्रभावी है जब भी वे यहां पे पर्दे पर आते हैं वह अपना एक अलग यहां पे प्रभाव छोड़ते हुए नजर नजर आते हैं वहीं सावरकर की भूमिका को उनके पर्दे पर पूरी तरह से जीवंत यहां पे कर दिया है फिल्म में सावरकर की पत्नी यशोदाबाई की भूमिका में जहां पे अंकिता लोखंडे आपको देखने को मिलने वाली है क्योंकि ऑन स्क्रीन का इनको मौका मि
ल गया है इस फिल्म के तहत उन्होंने दोस्तों अपनी भूमिका के साथ पूरी तरह से न्याय करने की कोशिश भी इस फिल्म के द्वारा की है सावरकर के बड़े भाई की भूमिका की बात करें तो अमित शियाल जो है वहां पे अभिनय करते हुए आपको इस फिल्म में देखने को मिलेंगे वो देखने को मिलने वाली हैं वहीं पे मूवी को 20 का करोड़ के बजट में बनाया गया है अब बात करते हैं जहां पे दोस्तों रणदीप हुड्डा अभिनेता से दोस्तों यहां पे निर्माता निर्देशक यानी कि सब कुछ इन्होंने ही इस फिल्म में किया है और लेखक भी यहां पे बन गए हैं रणदीप हुड्डा फ
िल्म को स्वतंत्र वीर सावरकर इतिहास के दोस्तों उन पन्नों को विस्तार से लिखने की इस फिल्म में पूरी तरह से कोशिश की गई है जिसे बनाने वालों के मुताबिक एक योजना के तहत दोस्तों इस फिल्म को मार दिए गए हु किल्ड हिज स्टोरी के टैग लाइन से इस मूवी को सिनेमा में रिलीज किया गया है वहीं पर दोस्तों अगर फिल्म भारतीय स्वतंत्र संग्राम के नायकों में शामिल जो कि दामोदर सावरकर के जीवन पर यह फिल्म यहां पर उनकी क्रांति नीतियों का पूरी तरह से खुलासा करती हुई दिखाई देने वाली है वहीं पर रणदीप हुड्डा ने फिल्म में सावरकर क
ी भूमिका निभाई है वहीं पर फिल्म बताती है कि कैसे अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए सावरकर के सोच के साथ आगे बढ़ रहे थे उनके संगठन को मजबूत कर रहे थे साथ ही साथ उन्हे सफल हो होते हुए कई सारे यहां पे कार्य किए हुए फिल्म स्वतंत्र वीर सावरकर की कहानी जो है आपको प्लेग महामारी से यहां पे शुरू होती नजर आएगी सावरकर के पिता दोस्तों प्लेग महामारी से संक्रमित हैं और यह फिल्म आपको अंग्रेज पुलिस अधिकारी सावरकर के पिता सहित यहां पे दोस्तों प्लैग महा जो कि यहां पे बीमारी फैली हुई थी उस समय महामारी से सं
क्रमित जो कि हम इस फिल्म की कहानी आपको बता रहे हैं कि आपको ऐसे की जो हिस्टोरिकल फिल्म आपको ये देखने को मिलेगी आदी के लिए भिन्नो भारत सीक्रेट सोसाइटी का यहां पे भी ये यहां पे गठन भी करते हैं संगठन में दोस्तों यहां पे देश के उन युवाओं को यहां पे जोड़ा जाता है जो भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराना चाहते हैं इस फिल्म के वजह से वकालत की पढ़ाई के लिए वह लंदन भी जाते हैं वहां से दोस्तों अपने संगठन को काफी ज्यादा मजबूत करने की कोशिश करते हैं वजह से दोस्तों वहां पे उनकी काला पानी की सजा हो जाती है
वहीं पे दोस्तों काला पानी से सजा काटकर आने के बाद उन्हें महात्मा गांधी की हत्या की साजिश में शामिल होने के जुर्म में गिरफ्तार भी यहां पे कर लिया जाता है लेकिन दोस्तों सबूत के अभाव में उनको यहां पे रिहा भी कर दिया जाता है उसके बाद यहां पे सावरकर के जीवन के अंश ने पहेलियों की दिखाने की काफी ज्यादा कोशिश इस फिल्म में की गई है जोर से इस बात की है कि गांधी की अहिंसा विचारधारा से बिल्कुल प्रभावित ये नहीं थे वह गांधी की इज्जत करते थे लेकिन उनकी विचारधारा का वो बिल्कुल यहां पे विरोध करते हुए नजर आते है
ं जहां पर फिल्म में सुभाष चंद्र बोस और सावरकर की विचारधारा के साथ यह भी बता बताया गया है कि कैसे राष्ट्रवाद की राजनीति विचारधारा को यहां पर विकसित करने का बहुत बड़ा वीर सावरकर को जाता है वहीं पे कहानी में रणदीप हुड्डा ने उत्कर्ष के साथ मिलकर लिखी है इस फिल्म को जिस तरह से हुड्डा ने शूट किया है उसका पूरा असर इस फिल्म को आपको देखने को मिलने वाला है वहीं पे पूरी फिल्म रणदीप हुड्डा के कंधे पर यहां पे टिकी हुई है स्वतंत्र वीर सावार करर जो कि भूमिका में यहां पे रड डीफ हुड्डा है और वहीं पे काया परिवर्त
न करते हुए नजर आ रहे वो बहुत यहां पे प्रभावी हैं जब भी वे यहां पे पर्दे पर आते हैं वह अपना एक अलग यहां पे प्रभाव छोड़ते हुए नजर आते हैं वहीं सावरकर की भूमिका को उनके पर्दे पर पूरी तरह से जीवंत यहां पे कर दिया है फिल्म में सावरकी की पत्नी यशोदाबाई की भूमिका में जहां पे अंकिता लोखंडिया में बनाया गया है अब बात करते हैं जहां पे दोस्तों रणदीप हुड्डा अभिनेता से दोस्तों यहां पे निर्माता निर्देशक यानी कि सब कुछ इन्होंने ही इस फिल्म में किया है और लेखक भी यहां पे बन गया हैं रणदीप हुड्डा फिल्म को स्वातंत्
र वीर सावरकर इतिहास के दोस्तों उन पन्नों को विस्तार से लिखने की इस फिल्म में पूरी तरह से कोशिश की गई है जिसे बनाने वालों के मुताबिक एक योजना के तहत दोस्तों इस फिल्म को मार दिए गए हु किल्ड हिज स्टोरी के टैग लाइन से इस मूवी को सिनेमा घरों में रिलीज किया गया है वहीं पे दोस्तों अगर फिल्म भारतीय स्वतंत्र संग्राम के नायकों में शामिल जो कि दामोदर सावरकर के जीवन पे यह फिल्म यहां पे उनकी क्रांति नीतियों को पूरी तरह से खुलासा करती हुई दिखाई देने वाली है वहीं पर रणदीप हुड्डा ने फिल्म में सावरकर की भूमिका न
िभाई है वहीं पे फिल्म बताती है कि कैसे अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए सावरकर के सोच के साथ आगे बढ़ रहे थे उनके संगठन को मजबूत कर रहे थे साथ ही साथ उन्होंने सफल होते हुए कई सारे यहां पे कार्य किए वहीं फिल्म स्वतंत्र वीर सावरकर की कहानी जो है आपको प्लेग महामारी से यहां पे शुरू यानी आपको बता रहे हैं कि आपको ऐसे कि जो हिस्टोरिकल फिल्म आपको ये देखने को मिलेगी महामारी से दोस्तों यहां पे संक्रमित तमाम लोग यहां पे जिंदा जला देते हैं और साथ ही साथ दोस्तों यहां पे अंग्रेज हुकूमत के जो कि प्रति स
ावरकर का यहां पे बचपन से ही काफी ज्यादा द्वेष देखने को मिलता है वहीं पे दोस्तों बड़े होने के बाद देश की आजादी के लिए अभिनव भारत सीक्रेट सोसाइटी का यहां पे भी ये यहां पे गठन भी करते हैं संगठन में दोस्तों यहां पे देश के उन युवाओं को यहां पे जोड़ा जाता है जो भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराना चाहते हैं इस फिल्म के वजह से वकालत की पढ़ाई के लिए वह लंदन भी जाते हैं वहां से दोस्तों अपने संगठन को काफी ज्यादा मजबूत करने की कोशिश करते हैं वजह से दोस्तों वहां पे उनकी काला पानी की सजा हो जाती है वहीं
पे दोस्तों काला पानी से सजा काटकर आने के बाद उन्हें महात्मा गांधी की हत्या की साजिश में शामिल होने के जुर्म में गिरफ्तार भी यहां पे कर लिया जाता है लेकिन दोस्तों सबूत के अभाव में उनको यहां पे रिहा भी कर दिया जाता है उसके बाद यहां पे सावरकर के जीवन के अंश ने पहेलियों की दिखाने की काफी ज्यादा कोशिश इस फिल्म में की गई है जोर से इस बात की है कि गांधी की अहिंसा विचारधारा से बिल्कुल प्रभावित यह नहीं नहीं थे वह गांधी की इज्जत करते थे लेकिन उनकी विचारधारा का वो बिल्कुल यहां पे विरोध करते हुए नजर आते है
ं जहां पे फिल्म में सुभाष चंद बोस और सावरकर की विचारधारा के साथ यह भी बताया गया है कि कैसे राष्ट्रवाद की राजनीति विचारधारा को यहां पे विकसित करने का बहुत बड़ा वीर सावरकर को जाता है वहीं पर कहानी में रड दुई हुड्डा ने उत्कर्ष के साथ मिलकर लिखी है इस फिल्म को जिस तरह से हुड्डा ने शोध किया है उसका पूरा असर इस फिल्म को आपको देखने को मिलने वाला है वहीं पर पूरी फिल्म रणदीप हुड्डा के कंधे पर यहां पे टिकी हुई है स्वतंत्र वीर सावार करर जो कि भूमिका में यहां पे रणदीप हुड्डा है और वहीं पे काया परिवर्तन करते
हुए नजर आ र है वो बहुत यहां पे प्रभावी हैं जब भी वे यहां पे पर्दे पर आते हैं वो अपना एक अलग यहां पे प्रभाव छोड़ते हुए नजर आते हैं वही सावरकर की भूमिका को उनके पर्दे पर पूरी तरह से जीवंत यहां पे कर दिया है फिल्म में सावरकर की पत्नी यशोदाबाई की भूमिका में जहां पे अंकिता लोखंडे आपको देखने को मिलने वाली है क्योंकि ऑन स्क्रीन का इनको मौका मिल गया है इस फिल्म के तहत ऋदीप हुड्डा मेन लीडिंग स्टारिंग में देखने को मिलेंगे साथ ही साथ दोस्तों उनके साथ अंकिता लोखंडे भी इस फिल्म में आपको देखने को मिलने वाली
हैं वहीं पे मूवी को 20 करोड़ के बजट में बनाया गया है अब बात करते हैं जहां पे दोस्तों रणदीप हुड्डा अभिनेता से दोस्तों यहां पे निर्माता निर्देशक यानी कि सब कुछ इन्होंने ही इस फिल्म में किया है और लेखक भी यहां पे बन गए हैं रणदीप हुड्डा फिल्म को स्वातंत्र वीर सावरकर इतिहास के दोस्तों उन पन्नों को विस्तार से लिखने की इस फिल्म में पूरी तरह से कोशिश की गई है जिसे बनाने वालों के मुताबिक एक योजना के तहत दोस्तों इस फिल्म को मार दिए गए हु किल्ड हिज स्टोरी के टैग लाइन से इस मूवी को सिनेमा घरों में रिलीज किय
ा गया है वहीं पे दोस्तों अगर फिल्म भारतीय स्वतंत्र संग्राम के नायकों में शामिल जो कि दामोदर सावरकर के जीवन पे यह फिल्म यहां पे उनकी क्रांति नीतियों का पूरी तरह से खुलासा करती हुई दिखाई देने वाली है वहीं पर रणदीप हुड्डा ने फिल्म में सावरकर की भूमिका निभाई है वहीं पर फिल्म बताती है कि कैसे अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए सावरकर के सोच के साथ आगे बढ़ रहे थे उनके संगठन को मजबूत कर रहे थे साथ ही साथ उने सफल होते हुए कई सारे यहां पे कार्य किए वई फिल्म स्वतंत्र वीर सावरकर की यहां पे दोस्तों प्
लैग महा जो कि यहां पे बीमारी फैली हुई थी उस समय महामारी से संक्रमित जो कि हम इस फिल्म की कहानी आपको बता रहे हैं कि आपको ऐसे की जो हिस्टोरिकल फिल्म आपको यह देखने को मिलेगी महामारी से दोस्तों यहां पे संक्रमित तमाम लोग यहां पे जिंदा जला देते हैं और साथ ही साथ दोस्तों यहां पे अंग्रेज हुकूमत के जो कि प्रति सावरकर का यहां पे बचपन से ही काफी ज्यादा द्वेष देखने को मिलता है वहीं पे दोस्तों बड़े होने के बाद देश की आजादी के लिए अभिनव भारत सीक्रेट सोसाइटी का यहां पे भी ये यहां पे गठन भी करते हैं संगठन में द
ोस्तों यहां पे देश के उन युवाओं को यहां पे जोड़ा जाता है जो भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराना चाहते हैं इस फिल्म के वजह से वकालत की पढ़ाई के लिए वह लंदन भी जाते हैं वहां से दोस्तों अपने संगठन को काफी ज्यादा मजबूत करने की कोशिश करते हैं वजह से दोस्तों वहां पर उनकी काला पानी की सजा हो जाती है वहीं पे दोस्तों काला पानी से सजा काटकर आने के बाद उन्हें महात्मा गांधी की हत्या की साजिश में शामिल होने के जुर्म में गिरफ्तार भी यहां पे कर लिया जाता है लेकिन दोस्तों सबूत के अभाव में उनको यहां पे रिह
ा भी कर दिया जाता है उसके बाद यहां पे सावरकर के जीवन के अंश ने पहेलियों की दिखाने की काफी ज्यादा कोशिश इस फिल्म में की गई है जोर से इस बात की है कि गांधी की अहिंसा विचारधारा से बिल्कुल प्रभावित ये नहीं थे वह गांधी की इज्जत करते थे लेकिन उनकी विचारधारा का व बिल्कुल यहां पर विरोध करते हुए नजर आते हैं जहां पे फिल्म में सुभाष चंद्र बोस और सावरकर की विचारधारा के साथ यह भी बताया गया है कि कैसे राष्ट्रवाद की राजनीति विचारधारा को यहां पे विकसित करने का बहुत बड़ा वीर सावरकर को जाता है वहीं पर कहानी में र
ड दवी हुड्डा ने उत्कर्ष के साथ मिलकर लिखी है इस फिल्म को जिस तरह से हुड्डा ने शोध किया है उसका पूरा असर इस फिल्म को आपको देखने को मिलने वाला है वहीं पर पूरी फिल्म रणदीप हुड्डा के कंधे पर यहां पे टिकी हुई है स्वतंत्र वीर सावार करर जो कि भूमिका में यहां पे रणदीप हुड्डा है और वहीं पे काया परिवर्तन करते हुए नजर आ रहे वो बहुत यहां पे प्रभावी हैं जब भी वे यहां पे पर्दे पर आते हैं वोह अपना एक अलग यहां पे प्रभाव छोड़ते हुए नजर आते हैं वही सावरकर की भूमिका को वीर सावरकर इतिहास के दोस्तों उन पन्नों को विस
्तार से लिखने की इस फिल्म में पूरी तरह से कोशिश की गई है जिसे बनाने वालों के मुताबिक एक योजना के तहत दोस्तों इस फिल्म को मार दिए गए हु किल्ड हिज स्टोरी के टैग लाइन से इस मूवी को सिनेमा घरों में रिलीज किया गया है वहीं पे दोस्तों अगर फिल्म भारतीय स्वतंत्रा संग्राम के नायकों में शामिल जो कि दामोदर सावरकर के जीवन पे यह फिल्म यहां पे उनकी क्रांति नीतियों का पूरी तरह से खुलासा करती हुई दिखाई देने वाली है वहीं पर रणदीप हुड्डा ने फिल्म में सावरकर की भूमिका निभाई है वहीं पर फिल्म बताती है कि कैसे अंग्रेज
ों की गुलामी से आजाद कराने के लिए सावरकर के सोच के साथ आगे बढ़ रहे थे के संगठन को मजबूत कर रहे थे साथ ही साथ उन्होने सफल होते हुए कई सारे यहां पे कार्य किए ई फिल्म स्वतंत्र वीर सावरकर की कहानी जो है आपको प्लेग महामारी से यहां पे शुरू होती नजर आएगी सावरकर के पिता दोस्तों प्लेग महामारी से संक्रमित है और यह फिल्म आपको अंग्रेज पुलिस अधिकारी सावरकर के पिता सहित यहां पे दोस्तों प्लैग महा जो कि यहां पे बीमारी फैली हुई थी उस समय महामारी से संक्रम ती जो कि हम इस फिल्म की कहानी आपको बता रहे हैं कि आपको वै
से की जो हिस्टोरिकल फिल्म आपको ये देखने को मिलेगी महामारी से दोस्तों यहां पे संक्रमित तमाम लोग यहां पे जिंदा जला देते हैं और साथ ही साथ दोस्तों यहां पे अंग्रेज हुकूमत के जो कि प्रति सावरकर का यहां पे बचपन से ही काफी ज्यादा द्वेष देखने को मिलता है वहीं पे दोस्तों बड़े होने के बाद देश की आजादी के लिए अभिनव भारत सीक्रेट सोसाइटी का यहां पे भी ये यहां पे गठन भी करते हैं संगठन में दोस्तों यहां पे देश की सजा हो जाती है वहीं पे दोस्तों काला पानी से सजा काटकर आने के बाद उन्हें महात्मा गांधी की हत्या की स
ाजिश में शामिल होने के जुर्म में गिरफ्तार भी यहां पे कर लिया जाता है लेकिन दोस्तों सबूत के अभाव में उनको यहां पे रिहा भी कर दिया जाता है उसके बाद यहां पे सावरकर के जीवन के अंश ने पहेलियों की दिखाने की काफी ज्यादा कोशिश इस फिल्म में की गई है जोर से इस बात की है कि गांधी की अहिंसा विचारधारा से बिल्कुल प्रभावित ये नहीं थे वह गांधी की इज्जत करते थे लेकिन उनकी विचारधारा का वो बिल्कुल यहां पे विरोध करते हुए नजर आते हैं जहां पे फिल्म में सुभाष चंद्र बोस और सावर के की विचारधारा के साथ यह भी बताया गया है
कि कैसे राष्ट्रवाद की राजनीति विचारधारा को यहां पर विकसित करने का बहुत बड़ा वीर सावरकर को जाता है वहीं पे कहानी में रणदीप हुड्डा ने उत्कर्ष के साथ मिलकर लिखी है इस फिल्म को जिस तरह से हुड्डा ने शोध किया है उसका पूरा असर इस फिल्म को आपको देखने को मिलने वाला है वहीं पे पूरी फिल्म रणदीप हुड्डा के कंधे पर यहां पे टिकी हुई है स्वतंत्र वीर सावार करर जो कि भूमिका में यहां पे रड डी हुड्डा है और वहीं पे काया परिवर्तन करते हुए नजरा र वो बहुत यहां पे प्रभावी हैं जब भी वे यहां पे पर्दे पर आते हैं वोह अपना
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ं पे हुड्डा मानते भी हैं कि बाबा शह लेखक भी यहां पे बन गए हैं रणदीप हुड्डा फिल्म को स्वातंत्र वीर सावरकर इतिहास के दोस्तों उन पन्नों को विस्तार से लिखने की इस फिल्म में पूरी तरह से कोशिश की गई है जिसे बनाने वालों की मुताबिक एक योजना के तहत दोस्तों इस फिल्म को मार दिए गए हु किल्ड हिज स्टोरी के टैग लाइन से इस मूवी को सिनेमा घरों में रिलीज किया गया है वहीं पे दोस्तों अगर फिल्म भारतीय स्वतंत्र संग्राम के नायकों में शामिल जो क कि दामोदर सावरकर के जीवन पर यह फिल्म यहां पर उनकी क्रांति नीतियों का पूरी
तरह से खुलासा करती हुई दिखाई देने वाली है वहीं पर रणदीप हुड्डा ने फिल्म में सावरकर की भूमिका निभाई है वहीं पर फिल्म बताती है कि कैसे अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए सावरकर के सोच के साथ आगे बढ़ रहे थे उनके संगठन को मजबूत कर रहे थे साथ ही साथ उने सफल होते हुए कई सारे यहां पे कार्य किए हुए फिल्म स्वतंत्र वीर सावरकर की कहानी जो है आपको प्लेग महामारी से यहां पे शुरू होती नजर आएगी सावरकर के पिता दोस्तों प्लेग महामारी से संक्रमित है और यह फिल्म आपको अंग्रेज पुलिस अधिकारी सावरकर के पिता सहित य
हां पे दोस्तों प्लैग महा जो कि यहां पे बीमारी फैली हुई थी उस समय महामारी से संक्रमित जो कि हम इस फिल्म की कहानी आपको बता रहे हैं कि आपको ऐसे की जो हिस्टोरिकल फिल्म आपको ये देखने को मिलेगी महामारी से दोस्तों यहां पे संक्रमित तमाम लोग यहां करते हैं संगठन में दोस्तों यहां पे देश के उन युवाओं को यहां पे जोड़ा जाता है जो भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराना चाहते हैं इस फिल्म के वजह से वकालत की पढ़ाई के लिए वह लंदन भी जाते हैं वहां से दोस्तों अपने संगठन को काफी ज्यादा मजबूत करने की कोशिश करते है
ं वजह से दोस्तों वहां पे उनकी काला पानी की सजा हो जाती है वहीं पे दोस्तों काला पानी से सजा काट करर आने के बाद उन्हें महात्मा गांधी की हत्या की साजिश में शामिल होने के जुर्म में गिरफ्तार भी यहां पे कर लिया जाता है लेकिन दोस्तों सबूत के अभाव में उनको यहां पे रिहा भी कर दिया जाता है उसके बाद यहां पे सावरकर के जीवन के अंश ने पहेलियों की दिखाने की काफी ज्यादा कोशिश इस फिल्म में की गई है जोर से इस बात की है कि गांधी की अहिंसा विचारधारा से बिल्कुल प्रभावित यह नहीं थे वह गांधी की इज्जत करते थे लेकिन उनक
ी विचारधारा का वह बिल्कुल यहां पे विरोध करते हुए नजर आते हैं जहां पे फिल्म में सुभाष चंद्र बोस और सावरकर की विचारधारा के साथ यह भी बताया गया है कि कैसे राष्ट्रवाद की राजनीति विचारधारा को यहां पे विकसित करने का बहुत बड़ा वीर सावरकर को जाता है वहीं कहानी में रणदीप हुड्डा ने उत्कर्ष के साथ मिलकर लिखी है इस फिल्म को जिस तरह से हुड्डा ने शोध किया है उसका पूरा सर फिल्म को आपको देखने को मिलने वाला है वहीं पे पूरी फिल्म रणदीप हुड्डा के कंधे पर यहां पे टिकी हुई है स्वतंत्र वीर सावार करर जो कि भूमिका में
यहां पे रणदीप हुड्डा है और वहीं पे काया परिवर्तन करते हुए नजर आ र है वो बहुत यहां पे प्रभावी हैं जब भी वे यहां पे पर्दे पर आते हैं वोह अपना एक अलग यहां पे प्रभाव छोड़ते हुए नजर आते हैं वहीं सावरकर की भूमिका को उनके पर्दे पर पूरी तरह से जीवंत यहां पे कर दिया है फिल्म में सावरकी की पत्नी यशोदा को मिलेंगे साथ ही साथ दोस्तों उनके साथ अंकिता लोखंडे भी इस फिल्म में आपको देखने को मिलने वाली हैं वहीं पे मूवी को 20 करोड़ के बजट में बनाया गया है अब बात करते हैं जहां पे दोस्तों रणदीप हुड्डा अभिनेता से दोस्
तों यहां पे निर्माता निर्देशक यानी कि सब कुछ इन्होंने ही इस फिल्म में किया है और लेखक भी यहां पे बन गए है रणदीप हुड्डा फिल्म को स्वातंत्र वीर सावरकर इतिहास के दोस्तों उन पन्नों को विस्तार से लिखने की इस फिल्म में पूरी तरह से कोशिश की गई है जिसे बनाने वालों के मुताबिक एक योजना के तहत दोस्तों इस फिल्म को मार दिए गए हु किल्ड हिज स्टोरी के टैग लाइन से इस मूवी को सिनेमा घरों में रिलीज किया गया है वहीं पे दोस्तों अगर फिल्म भारतीय स्वतंत्रा संग्राम के नायकों में शामिल जो कि दामोदर सावरकर के जीवन पे यह
फिल्म यहां पे उनकी क्रांति नीतियों का पूरी तरह से खुलासा करती हुई दिखाई देने वाली है वहीं पर रणदीप हुड्डा ने फिल्म में सावरकर की भूमिका निभाई है व फिल्म बताती है कि कैसे अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए सावरकर के सोच के साथ आगे बढ़ रहे थे उनके संगठन को मजबूत कर रहे थे साथ ही साथ उन्होने सफल होते हुए कई सारे यहां पे कार्य किए वहीं फिल्म स्वतंत्र वीर सावरकर की कहानी जो है आप साथ ही साथ दोस्तों यहां पे अंग्रेज हुकूमत के जो कि प्रति सावरकर का यहां पे बचपन से ही काफी ज्यादा द्वेष देखने को मिल
ता है वहीं पे दोस्तों बड़े होने के बाद देश की आजादी के लिए अभिनव भारत सीक्रेट सोसाइटी का यहां पे भी ये यहां पे गठन भी करते हैं संगठन में दोस्तों यहां पे देश के उन युवाओं को यहां पे जोड़ा जाता है जो भारत को अंग्रेजों की गुलाम से आजाद कराना चाहते हैं इस फिल्म के वजह से वकालत की पढ़ाई के लिए वह लंदन भी जाते हैं वहां से दोस्तों अपने संगठन को काफी ज्यादा मजबूत करने की कोशिश करते हैं वजह से दोस्तों वहां पे उनकी काला पानी की सजा हो जाती है वहीं पे दोस्तों काला पानी से सजा काटकर आने के बाद उन्हें महात्म
ा गांधी की हत्या की साजिश में शामिल होने के जुर्म में गिरफ्तार भी यहां पे कर लिया जाता है लेकिन दोस्तों सबूत के अभाव में उनको यहां पे रिहा भी कर दिया जाता है उसके बाद यहां पे सावरकर के जीवन के अंश ने पहेलियों की दिखाने की काफी ज्यादा कोशिश इस फिल्म में की गई है जोर से इस बात की है कि गांधी की अहिंसा विचारधारा से बिल्कुल प्रभावित ये नहीं थे वह गांधी की इज्जत करते थे लेकिन उनकी विचारधारा का वो बिल्कुल यहां पे विरोध करते हुए नजर आते हैं जहां पर फिल्म में सुभाष चंद्र बोस और सावरकर की विचारधारा के सा
थ यह भी बताया गया है कि कैसे राष्ट्रवाद की राजनीति विचारधारा को यहां पर विकसित करने का बहुत बड़ा वीर सावरकर को जाता है वहीं पर कहानी में रड दुवी हुड्डा ने उत्कर्ष के साथ मिलकर लिखी है इस फिल्म को जिस तरह से हुड्डा ने शोध किया है उसका पूरा असर इस फिल्म को आपको देखने को मिलने वाला है वहीं पर पूरी फिल्म रणदीप हुड्डा के कंधे पर यहां पे टिकी हुई है स्वतंत्र वीर सावार करर जो कि भूमिका में यहां पे रणदीप हुड्डा है और वहीं पे काया परिवर्तन करते हुए नजर आ रहे वो बहुत यहां पे प्रभावी हैं जब भी वे यहां पे प
र्दे पर आते हैं वह अपना एक अलग यहां पे प्रभाव छोड़ते हुए नजर आते हैं वही सावरकर की भूमिका को उनके पर्दे पर पूरी तरह से जीवंत यहां पे कर दिया है फिल्म सावरकी की पत्नी यशोदाबाई की भूमिका में जहां पे अंकिता लोखंडे आपको देखने को मिलने वाली है वहीं पे मूवी को 20 करोड़ के बजट में बनाया गया है अब बात करते हैं जहां पे दोस्तों रणदीप हुड्डा अभिनेता से दोस्तों यहां पे निर्माता निर्देशक यानी कि सब कुछ इन्होंने ही इस फिल्म में किया है और लेखक भी यहां पे बन गए हैं रणदीप हुड्डा फिल्म को स्वतंत्र वीर सावरकर इति
हास आज के दोस्तों उन पन्नों को विस्तार से लिखने की इस फिल्म में पूरी तरह से कोशिश की गई है जिसे बनाने वालों के मुताबिक एक योजना के तहत दोस्तों इस फिल्म को मार दिए गए हु किल्ड हिज स्टोरी के टैग लाइन से इस मूवी को सिनेमा घरों में रिलीज किया गया है वहीं पे दोस्तों अगर फिल्म भारतीय स्वतंत्र संग्राम के नायकों में शामिल जो कि दामोदर सावरकर के जीवन पे यह फिल्म यहां पे उनकी क्रांति नीतियों का पूरी तरह से खुलासा करती हुई दिखाई देने वाली है वहीं पर रणदीप हुडा ने फिल्म में सावरकर की भूमिका निभाई है वहीं पर
फिल्म बताती है कि कैसे अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए सावरकर के सोच के साथ आगे बढ़ रहे थे उनके संगठन को मजबूत कर रहे थे साथ ही साथ उने सफल होते हुए कई सारे यहां पे कार्य किए ई फिल्म स्वतंत्र वीर सावरकर की कहानी जो है आपको प्लेग महामारी से यहां पे शुरू होती नजर आएगी सावरकर के पिता दोस्तों प्लेग महामारी से संक्रमित है और यह फिल्म आपको अंग्रेज पुलिस अधि अधिकारी सावरकर के पिता सहित यहां पे दोस्तों प्लैग महा जो कि यहां पे बीमारी फैली हुई थी उस समय महामारी से संक्रमित जो कि हम इस फिल्म की क
त सीक्रेट सोसाइटी का यहां पे भी ये यहां पे गठन भी करते हैं संगठन में दोस्तों यहां पे देश के उन युवाओं को यहां पे जोड़ा जाता है जो भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराना चाहते हैं इस फिल्म के वजह से वकालत की पढ़ाई के लिए वह लंदन भी जाते हैं वहां से दोस्तों अपने संगठन को काफी ज्यादा मजबूत करने की कोशिश करते हैं वजह से दोस्तों वहां पे उनकी काला पानी की सजा हो जाती है वहीं पे दोस्तों काला पानी से सजा काट करर आने के बाद उन्हें महात्मा गांधी की हत्या की साजिश में शामिल होने के जुर्म में गिरफ्तार भी
यहां पे कर लिया जाता है लेकिन दोस्तों सबूत के अभाव में उनको यहां पे रिहा भी कर दिया जाता है उसके बाद यहां पे सावरकर के जीवन के अंश ने पहेलियों की दिखाने की काफी ज्यादा कोशिश इस फिल्म में की गई है जोर से इस बात की है कि गांधी की अहिंसा विचारधारा से बिल्कुल प्रभावित ये नहीं थे वह गांधी की इज्जत करते थे लेकिन की विचारधारा का वो बिल्कुल यहां पर विरोध करते हुए नजर आते हैं जहां पर फिल्म में सुभाष चंद्र बोस और सावरकर की विचारधारा के साथ यह भी बताया गया है कि कैसे राष्ट्रवाद की राजनीति विचारधारा को यहा
ं पर विकसित करने का बहुत बड़ा वीर सावरकर को जाता है वहीं पर कहानी में रणदीप हुड्डा ने उत्कर्ष के साथ मिलकर लिखी है इस फिल्म को जिस तरह से हुड्डा ने शोध किया है उसका पूरा सर फिल्म को आपको देखने को मिलने वाला है वहीं पर पूरी फिल्म रणदीप हुड्डा के कंधे पर यहां पर टिकी हुई है स्वतंत्र वीर सावरकर जो कि भूमिका में यहां पे रडी हुड्डा है और वहीं पे काया परिवर्तन करते हुए नजर आ रहे वह बहुत यहां पे प्रभावी हैं जब भी वे यहां पे पर्दे पर आते हैं वह अपना एक अलग यहां पे प्रभाव छोड़ते हुए नजर आते हैं वहीं सावर
कर की भूमिका को उनके पर्दे पर पूरी तरह से जीवंत यहां पे कर दिया है फिल्म में सावरकी की पत्नी यशोदाबाई की भूमिका में जहां पे अंकिता लोखंडे आपको देखने को मिलने वाली है क्योंकि ऑन स्क्रीन का इनको मौका मिल गया है इस फिल्म के तहत उन्होंने दोस्तों अपनी भूमि संग्राम के नायकों में शम मिल जो कि दामोदर सावरकर के जीवन पर यह फिल्म यहां पर उनकी क्रांति नीतियों का पूरी तरह से खुलासा करती हुई दिखाई देने वाली है वहीं पर रणदीप हुड्डा ने फिल्म में सावरकर की भूमिका निभाई है वहीं पर फिल्म बताती है कि कैसे अंग्रेजों
की गुलामी से आजाद कराने के लिए सावरकर के सोच के साथ आगे बढ़ रहे थे उनके संगठन को मजबूत कर रहे थे साथ ही साथ उन्हे सफल होते हुए कई सारे यहां पे कार्य किए हुए फिल्म स्वतंत्र वीर सावरकर की कहानी जो है आप आपको प्लेग महामारी से यहां पे शुरू होती नजर आएगी सावरकर के पिता दोस्तों प्लेग महामारी से संक्रमित है और यह फिल्म आपको अंग्रेज पुलिस अधिकारी सावरकर के पिता सहित यहां पे दोस्तों प्लैग महा जो कि यहां पे बीमारी फैली हुई थी उस समय महामारी से संक्रमित जो कि हम इस फिल्म की कहानी आपको बता रहे हैं कि आपको
ऐसे की जो हिस्टोरिकल फिल्म आपको ये देखने को मिलेगी महामारी से दोस्तों यहां पे संक्रमित तमाम लोग यहां पे जिंदा जला देते हैं और साथ ही साथ दोस्तों यहां पे अंग्रेज हुकूमत के जो कि प्रति सावरकर का यहां पे बचपन से ही काफी ज्यादा द्वेष देखने को मिलता है वहीं पे दोस्तों बड़े होने के बाद देश की आजादी के लिए अभिनव भारत सीक्रेट सोसाइटी का यहां पे भी ये यहां पे गठन भी करते हैं संगठन में दोस्तों यहां पे देश के उन युवाओं को यहां पे जोड़ा जाता है जो भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराना चाहते हैं इस फिल्म
के वजह से वकालत की पढ़ाई के लिए वह लंदन भी जाते हैं वहां से दोस्तों अपने संगठन को काफी ज्यादा मजबूत करने की कोशिश करते हैं वजह से दोस्तों वहां पे उनकी काला पानी की सजा हो जाती है वहीं पे दोस्तों काला पानी से सजा काटकर आने के बाद उन्हें महात्मा गांधी की हत्या की साजिश में शामिल होने के जुर्म में गिरफ्तार भी यहां पे कर लिया जाता है लेकिन दोस्तों सबूत के अभाव में उनको यहां पे रिहा भी कर दिया जाता है उसके बाद यहां पे सावरकर के जीवन के अंश ने पहेलियों की दिखाने की काफी ज्यादा कोशिश इस फिल्म में की ग
ई है जोर से इस बात की है कि गांधी की अहिंसा विचारधारा से बिल्कुल प्रभावित ये नहीं थे वह गांधी की इज्जत करते थे लेकिन उनकी विचारधारा का वो बिल्कुल यहां पे विरोध करते हुए नजर आते हैं जहां पे फिल्म में सुभाष चंद्र बोस और सावरकर की विचारधारा के साथ यह भी बताया गया है कि कैसे राष्ट्रवाद की राजनीति विचारधारा को यहां पे विकसित करने का बहुत बड़ा वीर सावरकर को जाता है वहीं लीज हुई है उसी के टैग लाइन के साथ जहां पे दोस्तों अगर बात करें तो स्टारिंग में रणदीप हुड्डा मेन लीडिंग स्टारिंग में देखने को मिलेंगे
साथ ही साथ दोस्तों उनके साथ अंकिता लोखंडे भी इस फिल्म में आपको देखने को को मिलने वाली हैं वहीं पे मूवी को 20 करोड़ के बजट में बनाया गया है अब बात करते हैं जहां पे दोस्तों रणदीप हुड्डा अभिनेता से दोस्तों यहां पे निर्माता निर्देशक यानी कि सब कुछ इन्होंने ही इस फिल्म में किया है और लेखक भी यहां पे बन गया हैं रणदीप हुड्डा फिल्म को स्वतंत्र वीर सावरकर इतिहास के दोस्तों उन पन्नों को विस्तार से लिखने की इस फिल्म में पूरी तरह से कोशिश की गई है जिसे बनाने वालों के मुताबिक एक योजना के तहत दोस्तों इस फिल्म
को मार दिए गए हु किल्ड हिज स्टोरी के टैग लाइन से इस मूवी को सिनेमा घरों में रिलीज किया गया है वहीं पे दोस्तों अगर फिल्म भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नायकों में शामिल जो कि दामोदर सावरकर के जीवन पे यह फिल्म यहां पे उनकी क्रांति नीतियों का पूरी तरह से खुलासा करती हुई दिखाई देने वाली है वहीं पर रणदीप हुड्डा ने फिल्म में सावरकर की भूमिका निभाई है वहीं पर फिल्म बताती है कि कैसे अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए सावरकर के सोच के साथ आगे बढ़ रहे थे उनके संगठन को मजबूत कर रहे थे साथ ही साथ उन्हो
ने सफल होते हुए कई सारे यहां पे कार्य किए हुई फिल्म स्वतंत्र वीर सावरकर की कहानी जो है आपको प्लेग महामारी से यहां पे शुरू सावरकर का यहां पे बचपन से ही काफी ज्यादा द्वेष देखने को मिलता है वहीं पे दोस्तों बड़े होने के बाद देश की आजादी के लिए अभिनव भारत सीक्रेट सोसाइटी का यहां पे भी ये यहां पे गठन भी करते हैं संगठन में दोस्तों यहां पे देश के उन युवाओं को यहां पे जोड़ा जाता है जो भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराना चाहते हैं इस फिल्म के वजह से वकालत की पढ़ाई के लिए वह लंदन भी जाते हैं वहां से
दोस्तों अपने संगठन को काफी ज्यादा मजबूत करने की कोशिश करते हैं वजह से दोस्तों वहां पे उनकी काला पानी की सजा हो जाती है वहीं पे दोस्तों काला पानी से सजा काटकर आने के बाद उन्हें महात्मा गांधी की हत्या की साजिश में शामिल होने के जुर्म में गिरफ्तार भी यहां पे कर लिया जाता है लेकिन दोस्तों सबूत के अभाव में उनको यहां पे रिहा भी कर दिया जाता है उसके बाद यहां पे सावरकर के जीवन के अंश ने पहेलियों की दिखाने की काफ ज्यादा कोशिश इस फिल्म में की गई है जोर से इस बात की है कि गांधी की अहिंसा विचारधारा से बिल्क
ुल प्रभावित यह नहीं थे वह गांधी की इज्जत करते थे लेकिन उनकी विचारधारा का वो बिल्कुल यहां पे विरोध करते हुए नजर आते हैं जहां पे फिल्म में सुभाष चंद्र बोस और सावरकर की विचारधारा के साथ यह भी बताया गया है कि कैसे राष्ट्रवाद की राजनीति विचारधारा को यहां पर विकसित करने का बहुत बड़ा वीर सावरकर को जाता है वहीं पर कहानी में रड दवी हुड्डा ने उत्कर्ष के साथ मिलकर लिखी है इस फिल्म को जिस तरह से हुड्डा ने शोध किया है उसका पूरा असर इस फिल्म को आपको देखने को मिलने वाला है वहीं पर पूरी फिल्म रणदीप हुड्डा के कं
धे पर यहां पे टिकी हुई है स्वतंत्र वीर सावार करर जो कि भूमिका में यहां पे रडी हुड्डा है और वहीं पे काया परिवर्तन करते हुए नजर आ र है वो बहुत यहां पे प्रभावी हैं जब भी वे यहां पे पर्दे पर आते हैं वह अपना एक अलग यहां पे प्रभाव छोड़ते हुए नजर आते हैं वही सावरकर की भूमिका को उनके पर्दे पर पूरी तरह से जीवंत यहां पे कर दिया है फिल्म में सावरकी की पत्नी यशोदाबाई की भूमिका में जहां पे अंकिता लोखंडे आपको देखने को मिलने वाली है क्योंकि ऑन स्क्रीन का इनको मौका मिल गया है इस फिल्म के तहत उन्होंने दोस्तों अप
नी भूमिका के साथ पूरी तरह से न्याय करने की कोशिश भी इस फिल्म के द्वारा की है चावरकर के बड़े भाई की भूमिका की बात करें तो अमित शियाल जो है वहां पे अभिनय करते हुए उन पन्नों को विस्तार से लिखने की इस फिल्म में पूरी तरह से कोशिश की गई है जिसे बनाने वालों के मुताबिक एक योजना के तहत दोस्तों इस फिल्म को मार दिए गए हु किल्ड हिज स्टोरी के टैग लाइन से इस मूवी को सिनेमा घरों में रिलीज किया गया है वहीं पे दोस्तों अगर फिल्म भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नायकों में शामिल जो कि दामोदर सावरकर के जीवन पे यह फिल्म
यहां पे उनकी क्रांति नीतियों का पूरी तरह से खुलासा करती हुई दिखाई देने वाली है वहीं पर रणदीप हुड्डा ने फिल्म में सावरकर की भूमिका निभाई है वहीं पर फिल्म बताती है कि कैसे अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए सावरकर के सोच के साथ आगे बढ़ रहे थे उनके संगठन को मजबूत कर रहे थे साथ ही साथ उने सफल होते हुए कई सारे यहां पे कार्य किए हुए फिल्म स्वतंत्र वीर सावरकर की कहानी जो है आपको प्लेग महामारी से यहां पे शुरू होती नजर आएगी सावरकर के पिता दोस्तों प्लेग महामारी से संक्रमित है और यह फिल्म आपको अंग्र
ेज पुलिस अधिकारी सावरकर के पिता सहित यहां पे दोस्तों प्लैग महा जो कि यहां पे बीमारी फैली हुई थी उस समय महामारी से संक्रमित जो कि हम इस फिल्म की कहानी आपको बता रहे हैं कि आपको ऐसे की जो हिस्टोरिकल फिल्म आपको यह देखने को मिलेगी महामारी से दोस्तों यहां पे संक्रमित तमाम लोग यहां पे जिंदा जला देते हैं और साथ ही साथ दोस्तों यहां पे अंग्रेज हुकूमत के जो कि प्रति सावरकर कहां पे बचपन से के लिए वह लंदन भी जाते हैं वहां से दोस्तों अपने संगठन को काफी ज्यादा मजबूत करने की कोशिश करते हैं वजह से दोस्तों वहां प
े उनकी काला पानी की सजा हो जाती है वहीं पे दोस्तों काला पानी से सजा काटकर आने के बाद उन्हें महात्मा गांधी की हत्या की साजिश में शामिल होने के जुर्म में गिरफ्तार भी यहां पे कर लिया जाता है लेकिन दोस्तों सबूत के भाव में उनको यहां पे रिहा भी कर दिया जाता है उसके बाद यहां पे सावरकर के जीवन के अंश ने पहेलियों की दिखाने की काफी ज्यादा कोशिश इस फिल्म में की गई है जोर से इस बात की है कि गांधी की अहिंसा विचारधारा से बिल्कुल प्रभावित ये नहीं थे वह गांधी की इज्जत करते थे लेकिन उनकी विचारधारा का वो बिल्कुल
यहां पे विरोध करते हुए नजर आते हैं जहां पे फिल्म में सुभाष चंद्र बोस और सावरकर की विचारधारा के साथ यह भी बताया गया है कि कैसे राष्ट्रवाद की राजनीति विचारधारा को यहां पे विकसित करने का बहुत बड़ा वीर सावरकर को जाता है वहीं पर कहानी में रद हुड्डा ने उत्कर्ष के साथ मिलकर लिखी है इस फिल्म को जिस तरह से हुड्डा ने शोट किया है उसका पूरा असर इस फिल्म को आपको देखने को मिलने वाला है वहीं पे पूरी फिल्म रणदीप हुड्डा के कंधे पर यहां पे टिकी हुई है स्वतंत्र वीर सावार करर जो कि भूमिका में यहां पे रडी हुड्डा है
और वहीं पे काया परिवर्तन करते हुए नजर आ रहा है वो बहुत यहां पे प्रभावी हैं जब भी वे यहां पे पर्दे पर आते हैं वह अपना एक अलग यहां पे प्रभाव छोड़ते हुए नजर आते हैं वही सावरकर की भूमिका को उनके पर्दे पर पूरी तरह से जीवंत यहां पे कर दिया है फिल्म सावरकर की पत्नी यशोदाबाई की भूमिका में जहां इस करोड़ के बजट में बनाया गया है अब बात करते हैं जहां पे दोस्तों रणदीप हुड्डा अभिनेता से दोस्तों यहां पे निर्माता निर्देशक यानी कि सब कुछ इन्होंने ही इस फिल्म में किया है और लेखक भी यहां पे बन गए हैं रणदीप हुड्डा
फिल्म को स्वतंत्र वीर सावरकर इतिहास के दोस्तों उन पन्नों को विस्तार से लिखने की इस फिल्म में पूरी तरह से कोशिश की गई है जिसे बनाने वालो के मुताबिक एक योजना के तहत दोस्तों इस फिल्म को मार दिए गए हु किल्ड हिज स्टोरी के टैग लाइन से इस मूवी को सिनेमा घरों में रिलीज किया गया है वहीं पे दोस्तों अगर फिल्म भारतीय स्वतंत्र संग्राम के नायकों में शामिल जो कि दामोदर सावरकर के जीवन पे यह फिल्म यहां पे उनकी क्रांति नीतियों का पूरी तरह से खुलासा करती हुई दिखाई देने वाली है वहीं पर रणदीप हुड्डा ने फिल्म में साव
रकर की भूमिका निभाई है वहीं पर फिल्म बताती है कि कैसे अंग्रेजों की गुलामी से आज जाद कराने के लिए शावती से संक्रम की जो कि हम इस फिल्म की कहानी आपको बता रहे हैं कि आपको ऐसे की जो हिस्टोरिकल फिल्म आपको यह देखने को मिलेगी महामारी से दोस्तों यहां पे संक्रमित तमाम लोग यहां पे जिंदा जला देते हैं और साथ ही साथ दोस्तों यहां पे अंग्रेज हुकूमत के जो कि प्रति सावरकर का यहां पे बचपन से ही काफी ज्यादा द्वेष देखने को मिलता है वहीं पे दोस्तों बड़े होने के बाद देश की आजादी के लिए अभिनव भारत सीक्रेट सोसाइटी का य
हां पे भी ये यहां पे गठन भी करते हैं संगठन में दोस्तों यहां पे देश के उन युवाओं को यहां पे जोड़ा जाता है जो भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराना चाहते हैं इस फिल्म के वजह से वकालत की पढ़ाई के लिए वह लंदन भी जाते हैं वहां से दोस्तों अपने संगठन को काफी ज्यादा मजबूत करने की कोशिश करते हैं वजह से दोस्तों वहां पे उनकी काला पानी की सजा हो जाती है वहीं पे दोस्तों काला पानी से सजा काटकर आने के बाद उन्हें महात्मा गांधी की हत्या की साजिश में शामिल होने के जुर्म में गिरफ्तार भी यहां पे कर लिया जाता है
लेकिन दोस्तों सबूत के अभाव में उनको को यहां पे रिहा भी कर दिया जाता है उसके बाद यहां पे सावरकर के जीवन के अंश ने पहेलियों की दिखाने की काफी ज्यादा कोशिश इस फिल्म में की गई है जोर से इस बात की है कि गांधी की अहिंसा विचारधारा से बिल्कुल प्रभावित ये नहीं थे वह गांधी की इज्जत करते थे लेकिन उनकी विचारधारा का वो बिल्कुल यहां पे विरोध करते हुए नजर आते हैं जहां पे फिल्म में सुभाष चंद्र बोस और सावरकर की विचारधारा के साथ यह भी बताया गया है कि कैसे राष्ट्रवाद की राजनीति विचारधारा को यहां पे विकसित करने का
बहुत बड़ा वीर सावरकर को जाता है वहीं पे कहानी में रड दवी हुड्डा ने उत्कर्ष के साथ मिलकर लिखी है इस फिल्म को जिस तरह से हुड्डा ने शोध किया है उसका पूरा असर इस फिल्म को आपको देखने को मिलने वाला है वहीं पे पूरी फिल्म रणदीप हुड्डा के कंधे पर यहां पे टिकी हुई है स्वतंत्र वीर सावार करर जो कि भूमिका में यहां पे रड डीफ हुड्डा है और वहीं पे काया परिवर्तन करते हुए नजर आ र वो बहुत यहां पे प्रभावी हैं जब भी वे यहां पे पर्दे पर आते हैं वह अपना एक अलग यहां पे प्रभाव छोड़ते हुए नजर आते हैं वही सावरकर की भूमिक
ा को उनके पर्दे गया है रणदीप हुड्डा फिल्म को स्वातंत्र वीर सावरकर इतिहास के दोस्तों उन पन्नों को विस्तार से लिखने की इस फिल्म में पूरी तरह से कोशिश की गई है जिसे बनाने वालों के मुताबिक एक योजना के तहत दोस्तों इस फिल्म को मार दिए गए हु किल्ड हिज स्टोरी के टैग लाइन से इस मूवी को सिनेमा घरों में रिलीज किया गया है वहीं पे दोस्तों अगर फिल्म भारतीय स्वतंत्र संग्राम के नायकों में शामिल जो कि दामोदर सावरकर के जीवन पे यह फिल्म यहां पे उनकी क्रांति नीतियों को पूरी तरह से खुलासा करती हुई दिखाई देने वाली है
वहीं पर रणदीप हुड्डा ने फिल्म में सावरकर की भूमिका निभाई है वहीं पर फिल्म बताती है कि कैसे अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए सावरकर के सोच के साथ आगे बढ़ रहे थे उनके संगठन को मजबूत कर रहे थे साथ ही साथ उन्होने सफल होते हुए कई सारे यहां पे कार्य किए हुए फिल्म स्वतंत्र वीर सावरकर की कहानी जो है आपको प्लेग महामारी से यहां पे शुरू होती नजर आएगी सावरकर के पिता दोस्तों प्लेग महामारी से संक्रमित है और यह फिल्म आपको अंग्रेज पुलिस अधिकारी सावरकर के पिता सहित यहां पे दोस्तों प्लग महा जो कि यहां पे
बीमारी फैली हुई थी उस समय महामारी से संक्रम ती जो कि हम इस फिल्म की कहानी आपको बता रहे हैं कि आपको ऐसे की जो हिस्टोरिकल फिल्म आपको ये देखने को मिलेगी महामारी से दोस्तों यहां पे संक्रमित तमाम लोग यहां पे जिंदा जला देते हैं और साथ ही साथ दोस्तों यहां पे अंग्रेज हुकूमत के जो कि प्रति सावरकर का यहां पे बचपन से ही काफी ज्यादा द्वेष देखने को मिलता है है वहीं पे दोस्तों बड़े होने के बाद देश की आजादी के लिए अभिनव भार करने की कोशिश करते हैं वजह से दोस्तों वहां पे उनकी काला पानी की सजा हो जाती है वहीं पे
दोस्तों काला पानी से सजा काटकर आने के बाद उन्हें महात्मा गांधी की हत्या की साजिश में शामिल होने के जुर्म में गिरफ्तार भी यहां पे कर लिया जाता है लेकिन दोस्तों सबूत के अभाव में उनको यहां पे रिहा भी कर दिया जाता है उसके बाद यहां पे सावरकर के जीवन के अंश ने पहेलियों की दिखाने की काफी ज्यादा कोशिश इस फिल्म में की गई है जोर से इस बात की है कि गांधी की अहिंसा विचारधारा से बिल्कुल प्रभावित यह नहीं थे वह गांधी की इज्जत करते थे लेकिन उनकी विचारधारा का वो बिल्कुल यहां पे विरोध करते हुए नजर आते हैं जहां प
े फिल्म में सुभाष चंद्र बोस और सावरकर की विचारधारा के साथ यह भी बताया गया है कि कैसे राष्ट्रवाद की राजनीति विचारधारा को यहां प विकसित करने का बहुत बड़ा वीर सावरकर को जाता है वहीं पर कहानी में रणदीप हुड्डा ने उत्कर्ष के साथ मिलकर लिखी है इस फिल्म को जिस तरह से हुड्डा ने शोध किया है उसका पूरा असर इस फिल्म को आपको देखने को मिलने वाला है वहीं पे पूरी फिल्म रणदीप हुड्डा के कंधे पर यहां पे टिकी हुई है स्वतंत्र वीर सावार करर जो कि भूमिका में यहां पे रड डीप हुड्डा है और वहीं पे काया परिवर्तन करते हुए नज
र आ र है वो बहुत यहां पे प्रभावी हैं जब भी वे यहां पे पर्दे पर आते हैं वह अपना एक अलग यहां पे प्रभाव छोड़ते हुए नजर आते हैं वही सावरकर की भूमिका को उनके पर्दे पर पूरी तरह से जीवंत यहां पे कर दिया है फिल्म सावरकी की पत्नी यशोदाबाई की भूमिका में जहां पे अंकिता लोखंडे आपको देखने को को मिलने वाली है क्योंकि ऑन स्क्रीन पर इनको म में देखने को मिलेंगे साथ ही साथ दोस्तों उनके साथ अंकिता लोखंडे भी इस फिल्म में आपको देखने को मिलने वाली हैं वहीं पे मूवी को 20 करोड़ के बजट में बनाया गया है अब बात करते हैं ज
हां पे दोस्तों रणदीप हुड्डा अभिनेता से दोस्तों यहां पे निर्माता निर्देशक यानी कि सब कुछ इन्होंने ही इस फिल्म में किया है और लेखक भी यहां पे बन गए हैं रणदीप हुड्डा फिल्म को स्वतंत्र वीर सावरकर इतिहास के दोस्तों उन पन्नों को विस्तार से लिखने की इस फिल्म में पूरी तरह से कोशिश की गई है जिसे बनाने वालों के मुताबिक एक योजना के तहत दोस्तों इस फिल्म को मार दिए गए हु किल्ड हिज स्टोरी के टैग लाइन से इस मूवी को सिनेमा घरों में रिलीज किया गया है वहीं पे दोस्तों अगर फिल्म भारतीय स्वतंत्र संग्राम के नायकों मे
ं शामिल जो कि दामोदर सावरकर के जीवन पे यह फिल्म यहां पे उनकी क्रांति नीतियों का पूरी तरह से खुलासा करती हुई दिखाई देने वाली है वहीं पर रणदीप हुड्डा ने फिल्म में सावरकर की भूमिका निभाई है वहीं पर फिल्म बताती है कि कैसे अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए सावरकर के सोच के साथ आगे बढ़ रहे थे उनके संगठन को मजबूत कर रहे थे साथ ही साथ उने सफल होते हुए कई सारे यहां पे कार्य किए वहीं फिल्म स्वतंत्र वीर सावरकर की कहानी जो है आपको प्लेग महामारी से यहां पे शुरू होती नजर आएगी सावरकर के पिता दोस्तों प्ल
ेग महामारी से संक्रमित है और यह फिल्म आपको अंग्रेज पुलिस अधिकारी सावरकर के पिता सहित यहां पे दोस्तों प्लैग महा जो कि यहां पे बीमारी फैली हुई थी उस समय महामारी से संक्रम जो कि हम इस फिल्म की कहानी आपको बता रहे हैं कि आपको ऐसे की जो हिस्टोरिकल फिल्म आपको ये देखने को मिलेगी महामारी से दोस्तों यहां पे संक्रमित तमाम लोग यहां पे जिंदा जला देते हैं और साथ ही साथ दोस्तों यहां पे अंग्रेज हुकूमत के जो कि प्रति सावरकर का यहां पे बचपन से ही काफी ज्यादा द्वेष देखने को मिलता है वहीं पे दोस्तों बड़े करते हैं व
जह से दोस्तों वहां पे उनकी काला पानी की सजा हो जाती है वहीं पे दोस्तों काला पानी से काट करर आने के बाद उन्हें महात्मा गांधी की हत्या की साजिश में शामिल होने के जुर्म में गिरफ्तार भी यहां पर कर लिया जाता है लेकिन दोस्तों सबूत के अभाव में उनको यहां पे रिहा भी कर दिया जाता है उसके बाद यहां पे सावरकर के जीवन के अंश ने पहेलियों की दिखाने की काफी ज्यादा कोशिश इस फिल्म में की गई है जोर से इस बात की है कि गांधी की अहिंसा विचारधारा से बिल्कुल प्रभावित यह नहीं थे वह गांधी की इज्जत करते थे लेकिन उनकी विचार
धारा का वो बिल्कुल यहां पर विरोध करते हुए नजर आते हैं जहां पर फिल्म में सुभाष चंद्र बोस और सावरकर की विचारधारा के साथ यह भी बताया गया है कि कैसे राष्ट्रवाद की राजनीति विचारधारा को यहां पर विकसित करने का बहुत बड़ा वीर सावरकर को जाता है वहीं पर कहानी में रड दुवी हुड्डा ने उत्कर्ष के साथ मिलकर लिखी है इस फिल्म को जिस तरह से हुड्डा ने शोध किया है उसका पूरा असर इस फिल्म को आपको देखने को मिलने वाला है वहीं पर पूरी फिल्म रणदीप हुड्डा के कंधे पर यहां पे टिकी हुई है स्वतंत्र वीर सावार करर जो कि भूमिका मे
ं यहां पे रणदीप हुड्डा है और वहीं पे काया परिवर्तन करते हुए नजर आ रहे वो बहुत यहां पे प्रभावी हैं जब भी वे यहां पे पर्दे पर आते हैं वह अपना एक अलग यहां पे प्रभाव छोड़ते हुए नजर आते हैं वहीं सावरकर की भूमिका को उनके पर्दे पर पूरी तरह से जीवंत यहां पे कर दिया है फिल्म में सावरकर की पत्नी यशोदाबाई की भूमिका में जहां पे अंकिता लोखंडे आपको देखने को मिलने वाली है क्योंकि ऑन स्क्रीन का इनको मौका मिल गया है इस फिल्म के तहत उन्होंने दोस्तों अपनी भूमिका के साथ पूरी तरह से न्याय करने की कोशिश भी इस उन पन्न
ों को विस्तार से लिखने की इस फिल्म में पूरी तरह से कोशिश की गई है जिसे बनाने वालों के मुताबिक एक योजना के तहत दोस्तों इस फिल्म को मार दिए गए हु किल्ड हिज स्टोरी के टैग लाइन से इस मूवी को सिनेमा घरों में रिलीज किया गया है वहीं पे दोस्तों अगर फिल्म भारतीय स्वतंत्र संग्राम के नायकों में शामिल जो कि दामोदर सावरकर के जीवन पे यह फिल्म यहां पे उनकी क्रांति नीतियों का पूरी तरह से खुलासा करती हुई दिखाई देने वाली है वहीं पर रणदीप हुड्डा ने फिल्म में सावरकर की भूमिका निभाई है वहीं पर फिल्म बताती है कि कि क
ैसे अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए सावरकर के सोच के साथ आगे बढ़ रहे थे उनके संगठन को मजबूत कर रहे थे साथ ही साथ उन्होने सफल होते हुए कई सारे यहां पे कार्य किए हुई फिल्म स्वतंत्र वीर सावरकर की कहानी जो है आपको प्लेग महामारी से यहां पे शुरू होती नजर आएगी सावरकर के पिता दोस्तों प्लेग महामत के जो कि प्रति सावरकर का यहां पे बचपन से ही काफी ज्यादा द्वेष देखने को मिलता है वहीं पे दोस्तों बड़े होने के बाद देश की आजादी के लिए अभिनव भारत सीक्रेट सोसाइटी का यहां पे भी यह यहां पे गठन भी करते हैं स
ंगठन में दोस्तों यहां पे देश के उन युवाओं को यहां पे जोड़ा जाता है जो भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराना चाहते हैं इस फिल्म के वजह से वकालत की पढ़ाई के लिए वह लंदन भी जाते हैं वहां से दोस्तों अपने संगठन को काफी ज्यादा मजबूत करने की कोशिश करते हैं वजह से दोस्तों वहां पे उनकी काला पानी की सजा हो जाती है वहीं पे दोस्तों काला पानी से सजा काटकर आने के बाद उन्हें महात्मा गांधी की हत्या की साजिश में शामिल होने के जुर्म में गिरफ्तार भी यहां पे कर लिया जाता है लेकिन दोस्तों सबूत के अभाव में उनको य
हां पे रिहा भी कर दिया जाता है उसके बाद यहां पे सावरकर के जीवन के अंश ने पहेलियों की दिखाने की काफी ज्यादा कोशिश इस फिल्म में की गई है जोर से इस बात की है कि गांधी की अहिंसा विचारधारा से बिल्कुल प्रभावित ये नहीं थे वह गांधी की इज्जत करते थे लेकिन उनकी विचारधारा को व बिल्कुल यहां पे विरोध करते हुए नजर आते हैं जहां पे फिल्म में सुभाष चंद्र बोस और सावरकर की विचारधारा के साथ यह भी बताया गया है कि कैसे राष्ट्रवाद की राजनीति विचारधारा को यहां पे विकसित करने का बहुत बड़ा वीर सावरकर को जाता है वहीं पे क
हानी में रणदीप हुड्डा ने उत्कर्ष के साथ मिलकर लिखी है इस फिल्म को जिस तरह से हुड्डा ने शोध किया है उसका पूरा सर फिल्म को आपको देखने को मिलने वाला है वहीं पे पूरी फिल्म रणदीप हुड्डा के कंधे पर यहां पे टिकी हुई है स्वतंत्र वीर सावार करर जो कि भूमिका में यहां पे रड डी हुड्डा है और वहीं पे काया परिवर्तन करते हुए नजर आ रहे है वो बहुत यहां पे प्रभावी है जब भी वे यहां पे पर्दे पर आते हैं वह अपना एक अलग यहां पे प्रभाव छोड़ते हुए नजर आते हैं वही सावरकर की भूमिका को उनके पर्दे पर पूरी तरह से जीवंत यहां पे
कर दिया है फिल्म सावरकी की पत्नी यशोदाबाई की भूमिका में जहां पे अंकिता लो यहां पे बन गया है रणदीप हुड्डा फिल्म को स्वतंत्र वीर सावरकर इतिहास के दोस्तों उन पन्नों को विस्तार से लिखने की इस फिल्म में पूरी तरह से कोशिश की गई है जिसे बनाने वालों के मुताबिक एक योजना के तहत दोस्तों इस फिल्म को मार दिए गए हु किल्ड हिज स्टोरी के टैग लाइन से इस मूवी को सिनेमा घरों में रिलीज किया गया है वहीं पर दोस्तों अगर फिल्म भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नायकों में शामिल जो कि दामोदर सावरकर के जीवन पे यह फिल्म यहां पे
उनकी क्रांति नीतियों का पूरी तरह से खुलासा करती हुई दिखाई देने वाली है वहीं पर रणदीप हुड्डा ने फिल्म में सावरकर की भूमिका निभाई है वहीं पर फिल्म बताती है कि कैसे अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए सावरकर के सोच के साथ आगे बढ़ रहे थे उनके संगठन को मजबूत कर रहे थे साथ ही साथ उन्होने सफल होते हुए कई सारे यहां पे कार्य किए वई फिल्म स्वतंत्र वीर सावरकर की कहानी जो है आपको प्लेग महामारी से यहां पे शुरू होती नजर आएगी सावरकर के पिता दोस्तों प्लेग महामारी से संक्रमित है और यह फिल्म आपको अंग्रेज पु
लिस अधिकारी सावरकर के पिता सहित यहां पे दोस्तों प्लैग महा जो कि यहां पे बीमारी फैली हुई थी उस समय महामारी से संक्रम ति जो कि हम इस फिल्म की कहानी आपको बता रहे हैं कि आपको ऐसी गुलामी से आजाद कराना ना चाहते हैं इस फिल्म के वजह से वकालत की पढ़ाई के लिए वह लंदन भी जाते हैं वहां से दोस्तों अपने संगठन को काफी ज्यादा मजबूत करने की कोशिश करते हैं वजह से दोस्तों वहां पे उनकी काला पानी की सजा हो जाती है वहीं पे दोस्तों काला पानी से सजा काटकर आने के बाद उन्हें महात्मा गांधी की हत्या की साजिश में शामिल होने
के जुर्म में गिरफ्तार भी यहां पे कर लिया जाता है लेकिन दोस्तों सबूत के अभाव में उनको यहां पे रिहा भी कर दिया जाता है उसके बाद यहां पे सावरकर के जीवन के अंश ने पहेलियों की दिखाने की काफी ज्यादा कोशिश इस फिल्म में की गई है जोर से इस बात की है कि गांधी की अहिंसा विचारधारा से बिल्कुल प्रभावित यह नहीं थी वह गांधी की इज्जत करते थे लेकिन उनकी विचारधारा का वो बिल्कुल यहां पे विरोध करते हुए नजर आते हैं जहां पे फिल्म में सुभाष चंद्र बोस और सावरकर की विचारधारा के साथ यह भी बताया गया है कि कैसे राष्ट्रवाद
की राजनीति विचारधारा को यहां पे विकसित करने का बहुत बड़ा वीर सावरकर को जाता है वहीं पर कहानी में रड दवी हुड्डा ने उत्कर्ष के साथ मिलकर लिखी है इस फिल्म को जिस तरह से हुड्डा ने शूट किया है उसका पूरा असर इस फिल्म को आपको देखने को मिलने वाला है वहीं पर पूरी फिल्म रड दीप हुड्डा के कंधे पर यहां पे टिकी हुई है स्वतंत्र वीर सावार करर जो कि भूमिका में यहां पे रदी हुड्डा है और वहीं पे काया परिवर्तन करते हुए नजर आ रहे वो बहुत यहां पे प्रभावी हैं जब भी वे यहां पे पर्दे पर आते हैं वह अपना एक अलग यहां पे प्र
भाव छोड़ते हुए नजर आते हैं वही प सावरकर की तो यहां पे निर्माता निर्देशक यानी कि सब कुछ इन्होंने ही इस फिल्म में किया है और लेख खक भी यहां पे बन गया हैं रणदीप हुड्डा फिल्म को स्वातंत्र वीर सावरकर इतिहास के दोस्तों उन पन्नों को विस्तार से लिखने की इस फिल्म में पूरी तरह से कोशिश की गई है जिसे बनाने वालों के मुताबिक एक योजना के तहत दोस्तों इस फिल्म को मार दिए गए हु किल्ड हिज स्टोरी के टैग लाइन से इस मूवी को सिनेमा घरों में रिलीज किया गया है वहीं पे दोस्तों अगर फिल्म भारतीय स्वतंत्र संग्राम के नायकों
में शामिल जो कि दामोदर सावरकर के जीवन पे यह फिल्म यहां पे उनकी क्रांति नीतियों को पूरी तरह से खुलासा करती हुई दिखाई देने वाली है वहीं पर रणदीप हुड्डा ने फिल्म में सावरकर की भूमिका निभाई है वहीं पर फिल्म बताती है कि कैसे अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए सावरकर के सोच के साथ आगे बढ़ रहे थे उनके संगठन को मजबूत कर रहे थे साथ ही साथ उने सफल होते हुए कई सारे यहां पे कार्य किए वई फिल्म स्वतंत्र वीर सावरकर की कहानी जो है आपको प्लेग महामारी से यहां पे शुरू होती नजर आएगी चला देते हैं और साथ ही सा
थ दोस्तों यहां पे अंग्रेज हुकूमत के जो कि प्रति सावरकर का यहां पे बचपन से ही काफी ज्यादा द्वेष देखने को मिलता है वहीं पे दोस्तों बड़े होने के बाद देश की आजादी के लिए अभिनव भारत सीक्रेट सोसाइटी का यहां पे भी ये यहां पे गठन भी करते हैं संगठन में दोस्तों यहां पे देश के उन युवाओं को यहां पे जोड़ा जाता है जो भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराना चाहते हैं इस फिल्म के वजह से वकालत की पढ़ाई के लिए वह लंदन भी जाते हैं वहां से दोस्तों अपने संगठन को काफी ज्यादा मजबूत करने की कोशिश करते हैं वजह से दोस्
तों वहां पे उनकी काला पानी की सजा हो जाती है वहीं पे दोस्तों काला पानी से सजा काटक आने के बाद उन्हें महात्मा गांधी की हत्या की साजिश में शामिल होने के जुर्म में गिरफ्तार भी यहां पे कर लिया जाता है लेकिन दोस्तों सबूत के अभाव में उनको यहां पे रिहा भी कर दिया जाता है उसके बाद यहां पे सावरकर के जीवन के अंश ने पहेलियों की दिखाने की काफी ज्यादा कोशिश इस फिल्म में की गई है जोर से इस बात की है कि गांधी की अहिंसा विचारधारा से बिल्कुल प्रभावित ये नहीं थे वह गांधी की इज्जत करते थे लेकिन उनकी विचारधारा का व
ो बिल्कुल यहां पे विरोध करते हुए नजर आते हैं जहां पे फिल्म में सुभाष चंद्र बोस और सावरकर की विचारधारा के साथ यह भी बताया गया है कि कैसे राष्ट्रवाद की राजनीति विचारधारा को यहां पे विकसित करने का बहुत बड़ा वीर सावरकर को जाता है वहीं पर कहानी में रणदीप हुड्डा ने उत्कर्ष के साथ मिलकर लिखी है इस फिल्म को जिस तरह से हुड्डा ने शूट किया है उसका पूरा असर इस फिल्म को आपको देखने को मिलने वाला है वहीं पर पूरी फिल्म रणदीप हुड्डा के कंधे पर यहां पे टिकी हुई है स्वतंत्र वीर सावार करर जो कि भूमिका में यहां पे र
ेड्डी हुड्डा है और वहीं पे काया परिवर्तन करते हुए नजर आ रहा है वो बहुत यहां पे प्रभावी हैं जब भी वे यहां पे पर्दे पर आते हैं वह अपना एक अलग यहां पे प्रभाव छोड़ते हुए नजर आते हैं वही डबी हुड्डा फिल्म को स्वतंत्र वीर सावरकर इतिहास के दोस्तों उन पन्नों को विस्तार से लिखने की इस फिल्म में पूरी तरह से कोशिश की गई है जिसे बनाने वालों के मुताबिक एक योजना के तहत दोस्तों इस फिल्म को मार दिए गए हु किल्ड हिज स्टोरी के टैग लाइन से इस मूवी को सिनेमा घरों में रिलीज किया गया है वहीं पे दोस्तों अगर फिल्म भारतीय
स्वतंत्र संग्राम के नायकों में शामिल जो कि दामोदर सावरकर के जीवन पे यह फिल्म यहां पे उनकी क्रांति नीतियों का पूरी तरह से खुलासा करती हुई दिखाई देने वाली है वहीं पर रणदीप हुड्डा ने फिल्म में सावरकर की भूमिका निभाई है वहीं पे फिल्म बताती है कि कैसे अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए सावरकर के पिता दोस्तों प्लेग महामारी से संक्रमित हैं और और यह फिल्म आपको अंग्रेज पुलिस अधिकारी सावरकर के पिता सहित यहां पे दोस्तों प्लैग महा जो कि यहां पे बीमारी फैली हुई थी उस समय महामारी से संक्रमित जो कि हम इ
स फिल्म की कहानी आपको बता रहे हैं कि आपको ऐसे की जो हिस्टोरिकल फिल्म आपको ये देखने को मिलेगी महामारी से दोस्तों यहां पे संक्रमित तमाम लोग यहां पे जिंदा जला देते हैं और साथ ही साथ दोस्तों यहां पे अंग्रेज हुकूमत के जो कि प्रति सावरकर क हां पे बचपन से ही काफी ज्यादा द्वेष देखने को मिलता है वहीं पे दोस्तों बड़े होने के बाद देश की आजादी के लिए अभिनव भारत सीक्रेट सोसाइटी का यहां पे भी ये यहां पे गठन भी करते हैं संगठन में दोस्तों यहां पे देश के उन युवाओं को यहां पे जोड़ा जाता है जो भारत को अंग्रेजों की
गुलामी से आजाद कराना चाहते हैं इस फिल्म के वजह से वकालत की पढ़ाई के लिए वह लंदन भी जाते हैं वहां से दोस्तों अपने संगठन को काफी ज्यादा मजबूत करने की कोशिश करते हैं वजह से दोस्तों वहां पे उनकी काला पानी की सजा हो जाती है वहीं पे दोस्तों काला पानी से सजा काटकर आने के बाद उन्हें महात्मा गांधी की की हत्या की साजिश में शामिल होने के जुर्म में गिरफ्तार भी यहां पे कर लिया जाता है लेकिन दोस्तों सबूत के अभाव में उनको यहां पे रिहा भी कर दिया जाता है उसके बाद यहां पे सावरकर के जीवन के अंश ने पहेलियों की दि
खाने की काफी ज्यादा कोशिश इस फिल्म में की गई है जोर से इस बात की है कि गांधी की अहिंसा विचारधारा से बिल्कुल प्रभावित ये नहीं थे वह गांधी की इज्जत करते थे लेकिन उनकी विचारधारा का वो बिल्कुल यहां पे विरोध करते हुए नजर आते हैं जहां पे फिल्म में सुभाष चंद्र बोस और सावरकर की विचार विधारा के साथ यह भी बताया गया है कि कैसे राष्ट्रवाद की राजनीति विचारधारा को यहां पर विकसित करने का बहुत बड़ा वीर सावरकर को जाता है वहीं पर कहानी में रणदीप हुड्डा ने उत्कर्ष के साथ मिलकर लिखी है इस फिल्म को जिस तरह से हुड्डा
ने शूट किया है उसका पूरा असर इस फिल्म को आपको देखने को मिलने वाला है वहीं पर पूरी फिल्म रणदीप हुड्डा के कंधे पर यहां पे टिकी हुई है स्वतंत्र वीर सावार करर जो कि भूमिका में यहां पे रड डीप हुड्डा है और वहीं पे काया परिवर्तन करते हुए नजर आ र वो बहुत यहां पे प्रभावी हैं जब भी वे यहां पे पर्दे पर आते हैं वह अपना एक अलग यहां पे प्रभाव छोड़ते हुए नजर आते हैं वही सावरकर की भूमिका को उनके पर्दे पर पूरी तरह से जीवंत यहां पे कर दिया है फिल्म में सावरकी की पत्नी यशोदाबाई की भूमिका में जहां पे अंकिता लोखंडे
आपको देखने को मिलने वाली है क्योंकि ऑन स्क्रीन का इनको मौका मिल गया है इससे तो अगर बात करें तो स्टारिंग में रणदीप हुड्डा मेन लीडिंग स्टारिंग में देखने को मिलेंगे साथ ही साथ दोस्तों उनके साथ अंकिता लोखंडे भी इस फिल्म में आपको देखने को मिल मिलने वाली है वहीं पे मूवी को 20 करोड़ के बजट में बनाया गया है अब बात करते हैं जहां पर दोस्तों रणदीप हुड्डा अभिनेता से दोस्तों यहां पे निर्माता निर्देशक यानी कि सब कुछ इन्होंने ही इस फिल्म में किया है और लेखक भी यहां पे बन गए हैं रणदीप हुड्डा फिल्म को स्वातंत्र
वीर सावरकर इतिहास के दोस्तों उन पन्नों को विस्तार से लिखने की इस फिल्म में पूरी तरह से कोशिश की गई है जिसे बनाने वालों के मुताबिक एक योजना के तहत दोस्तों इस फिल्म को मार दिए गए हु किल्ड हिज स्टोरी के टैग लाइन से इस मूवी को सिनेमा घरों में रिलीज किया गया है वहीं पर दोस्तों अगर फिल्म भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नायकों में शामिल जो कि दामोदर सावरकर के जीवन पे यह फिल्म यहां पे उनकी क्रांति नीतियों का पूरी तरह से खुलासा करती हुई दिखाई देने वाली है वहीं पर रणदीप हुड्डा ने फिल्म में सावरकर की भूमिका
निभाई है वहीं पर फिल्म बताती है कि कैसे अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए सावरकर के सोच के साथ आगे बढ़ रहे थे उनके संगठन को मजबूत कर रहे थे साथ ही साथ उसने सफल होते हुए कई सारे यहां पे कार्य किए हुए फिल्म स्वतंत्र वीर सावरकर की कहानी जो है आपको प्लेग महामारी से यहां पे शुरू होती नजर आएगी सावरकर के पिता दोस्तों प्लेग महामारी से संक्रमित इस फिल्म के वजह से वकालत की पढ़ाई के लिए वह लंदन भी जाते हैं वहां से दोस्तों अपने संगठन को काफी ज्यादा मजबूत करने की कोशिश करते हैं वजह से दोस्तों वहां पे
उनकी काला पानी की सजा हो जाती है वहीं पे दोस्तों काला पानी से सजा काटकर आने के के बाद उन्हें महात्मा गांधी की हत्या की साजिश में शामिल होने के जुर्म में गिरफ्तार भी यहां पे कर लिया जाता है लेकिन दोस्तों सबूत के अभाव में उनको यहां पे रिहा भी कर दिया जाता है उसके बाद यहां पे सावरकर के जीवन के अंश ने पहेलियों की दिखाने की काफी ज्यादा कोशिश इस फिल्म में की गई है जोर से इस बात की है कि गांधी की अहिंसा विचारधारा से बिल्कुल प्रभावित ये नहीं थे वह गांधी की इज्जत करते थे लेकिन उनकी विचारधारा का वो बिल्कु
ल यहां पे विरोध करते हुए नजर आते हैं जहां पे फिल्म में सुभाष चंद्र बोस और सावरकर की विचारधारा के साथ यह भी बताया गया है कि कैसे राष्ट्रवाद की राजनीति विचारधारा को यहां पर विकसित करने का बहुत बड़ा वीर सावरकर को जाता है वहीं पर कहानी में रड दुई हुड्डा ने उत्कर्ष के साथ मिलकर लिखी है इस फिल्म को जिस तरह से हुड्डा ने शोध किया है उसका पूरा असर इस फिल्म को आपको देखने को मिलने वाला है वहीं पर पूरी फिल्म रणदीप हुड्डा के कंधे पर यहां पे टिकी हुई है स्वतंत्र वीर सावार करर जो कि भूमिका में यहां पे रणदीप हु
ड्डा है और वहीं पे काया परिवर्तन करते हुए नजर आ र वो बहुत यहां पे प्रभावी हैं जब भी वे यहां पे पर्दे पर आते हैं वह अपना एक अलग यहां पे प्रभाव छोड़ते हुए नजर आते हैं वही सावरकर की भूमिका को उनके पर्दे पर पूरी तरह से जीवंत यहां पे कर दिया है फिल्म में सावरकर की पत्नी यशोदाबाई की भूमिका में जहां पे अंकिता लोखंडे आपको देखने को मिलने वाली है क्योंकि ऑन स्क्रीन का इनको मौका मिल गया है इस फिल्म के तहत उन्होंने दोस्तों अपनी भूमिका के साथ पूरी तरह से साथ ही साथ दोस्तों उनके साथ अंकिता लोखंडे भी इस फिल्म
में आपको देखने को मिलने वाली हैं वहीं पे मूवी को 20 करोड़ के बजट में बनाया गया है अब बात करते हैं जहां पे दोस्तों रणदीप हुड्डा अभिनेता से दोस्तों यहां पे निर्माता निर्देशक यानी कि सब कुछ इन्होंने ही इस फिल्म में किया है और लेखक भी यहां पे बन गया हैं रणदीप हुड्डा फिल्म को स्वातंत्र वीर सावरकर इतिहास के दोस्तों उन पन्नों को विस्तार से लिखने की इस फिल्म में पूरी तरह से कोशिश की गई है जिसे बनाने वालों के मुताबिक एक योजना के तहत दोस्तों इस फिल्म को मार दिए गए हु किल्ड हिज स्टोरी के टैग लाइन से इस मूव
ी को सिनेमा घरों में रिलीज किया गया है वहीं पे दोस्तों अगर फिल्म भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नायकों में शामिल जो कि दामोदर सावरकर के जीवन पे यह फिल्म यहां पे उनकी क्रांति नीतियों का पूरी तरह से खुलासा करती हुई दिखाई देने वाली है वहीं पर रणदीप हुड्डा ने फिल्म में सावरकर की भूमिका निभाई है वहीं पर फिल्म बताती है कि कैसे अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए सावरकर के सोच के साथ आगे बढ़ रहे थे उनके संगठन को मजबूत कर रहे थे साथ के साथ उसने सफल होते हुए कई सारे यहां पे कार्य किए हुए फिल्म पे संक्
रमित तमाम लोग यहां पे जिंदा जला देते हैं और साथ ही साथ दोस्तों यहां पे अंग्रेज हुकूमत के जो कि प्रति सावरकर का यहां पे बचपन से ही काफी ज्यादा द्वेष देखने को मिलता है वहीं पे दोस्तों बड़े होने के बाद देश की आजादी के लिए अभिनव भारत सीक्रेट सोसाइटी का यहां पे भी ये यहां पे गठन भी करते हैं संगठन में दोस्तों यहां पे देश के उन युवाओं को यहां पे जोड़ा जाता है जो भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराना चाहते हैं इस फिल्म के वजह से वकालत की पढ़ाई के लिए वह लंदन भी जाते हैं वहां से दोस्तों अपने संगठन को
काफी ज्यादा मजबूत करने की कोशिश करते हैं वजह से दोस्तों वहां पे उनकी काला पानी की सजा हो जाती है वहीं पे दोस्तों काला पानी से सजा काटक आने के बाद उन्हें महात्मा गांधी की हत्या की साजिश में शामिल होने के जुर्म में गिरफ्तार भी यहां पे कर लिया जाता है लेकिन दोस्तों सबूत के अभाव में उनको यहां पे रिहा भी कर दिया जाता है उसके बाद यहां पे सावरकर के जीवन के अंश ने पहेलियों की दिखाने की की काफी ज्यादा कोशिश इस फिल्म में की गई है जोर से इस बात की है कि गांधी की अहिंसा विचारधारा से बिल्कुल प्रभावित यह नही
ं थे वह गांधी की इज्जत करते थे लेकिन उनकी विचारधारा का वो बिल्कुल यहां पे विरोध करते हुए नजर आते हैं जहां पे फिल्म में सुभाष चंद्र बोस और सावरकर की विचारधारा के साथ यह भी बताया गया है कि कैसे राष्ट्रवाद की राजनीति विचारधारा को यहां पर विकसित करने का बहुत बड़ा वीर सावरकर को जाता है वहीं पर कहानी में रड दुवी हुड्डा ने उत्कर्ष के साथ मिलकर ी है इस फिल्म को जिस तरह से हुड्डा ने शूट किया है उसका पूरा असर इस फिल्म को आपको देखने को मिलने वाला है वहीं पर पूरी फिल्म रणदीप हुड्डा के कंधे पर यहां पे टिकी ह
ुई है स्वतंत्र वीर सावार करर जो कि भूमिका में यहां पे रडी हुड्डा है और वहीं पे काया परिवर्तन करते हुए नजर आ रहा है वो बहुत यहां पे प्रभावी हैं जब भी वे यहां पे पर्दे पर आते हैं वह अपना एक अलग यहां पे प्रभाव छोड़ते हुए नजर आते हैं वही सावरकर की भूमिका को उनके पर्दे पर पूरी तरह से जीवंत यहां पे कर दिया है फिल्म में सावरकी की पत्नी यशोदाबाई की भूमिका में जहां पे अंकिता लोखंडे आपको देखने को मिलने वाली है क्योंकि ऑन स्क्रीन का इनको मौका मिल गया है इस फिल्म के तहत उन्होंने दोस्तों अपनी भूमिका के साथ प
ूरी तरह से न्याय करने की कोशिश भी इस फिल्म के द्वारा की है सावरकर के बड़े भाई की भूमिका की मूवी को सिनेमा घरों में रिलीज किया गया है वहीं पे दोस्तों अगर फिल्म भारतीय स्वतंत्र संग्राम के नायकों में शामिल जो कि दामोदर सावरकर के जीवन पे यह फिल्म यहां पे उनकी क्रांति नीतियों का पूरी तरह से खुलासा करती हुई दिखाई देने वाली है वहीं पर रणदीप हुड्डा ने फिल्म में सावरकर की भूमिका निभाई है वहीं पर फिल्म बताती है कि कैसे अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए सावरकर के सोच के साथ आगे बढ़ रहे थे उनके संगठन
को मजबूत कर रहे थे साथ ही साथ उने सफल होते हुए कई सारे यहां पे कार्य किए हुए फिल्म स्वतंत्र वीर सावरकर की कहानी जो है आपको प्लेग महामारी से यहां पे शुरू होती नजर आएगी सावरकर के पिता दोस्तों प्लेग महामारी से संक्रमित है और यह फिल्म आपको अंग्रेज पुलिस अधिकारी सावरकर के पिता सहित यहां पे दोस्तों प्लैग महा जो कि यहां पे बीमारी फैली हुई थी उस समय महामारी से संक्रमित जो कि हम इस फिल्म की कहानी आपको बता रहे हैं कि आपको ऐसे की जो हिस्टोरिकल फिल्म आपको ये देखने को मिलेगी महामारी से दोस्तों यहां पे संक्र
मित तमाम लोग यहां पे जिंदा जला देते हैं और साथ ही साथ दोस्तों यहां पे अंग्रेज हुकूमत के जो कि प्रति सावरकर का यहां पे बचपन से ही काफी ज्यादा द्वेष देखने को मिलता है वहीं पे दोस्तों बड़े होने के बाद देश की आजादी के लिए अभिनव भारत सीक्रेट सोसाइटी का यहां पे भी ये यहां पे गठन भी करते हैं संगठन में दोस्तों यहां पे देश के उन युवाओं को यहां पे जोड़ा जाता है जो भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराना चाहते हैं इस फिल्म के वजह से वकालत की पढ़ाई के लिए वह लंदन भी जाते हैं वहां से दोस्तों अपने संगठन को
काफी ज्यादा मजबूत करने की कोशिश करते हैं वजह से दोस्तों वहां पे उनकी काला पानी की सजा हो जाती है वहीं पे दोस्तों काला पानी से सजा काट करर आने के बाद उन्हें महात्मा गांधी की हत्या की साजिश में शामिल होने के जुर्म में गिरफ्तार भी यहां पे कर लिया जाता है लेकिन दोस्तों सबूत के अभाव में उनको यहां पे रिहा भी कर दिया जाता है उसके बाद यहां पे सावरकर के जीवन के अंश ने पहेलियों की दिखाने की काफी ज्यादा कोशिश इस फिल्म में की गई है जोर से इस बात की है कि गांधी की अहिंसा विचारधारा से बिल्कुल प्रभावित ये नहीं
थे वह गांधी की इज्जत करते थे लेकिन उनकी विचारधारा का वो बिल्कुल यहां पे विरोध करते हुए नजर आते हैं जहां पे फिल्म में सुभाष चंद्र बोस और सावरकर की विचारधारा के साथ यह भी बताया गया है कि कैसे राष्ट्रवाद की राजनीति विचारधारा को यहां पे विकसित करने का बहुत बड़ा वीर सावरकर को जाता है वहीं पे कहानी में रड द्वीप हुड्डा ने उत्कर्ष के साथ मिलकर लिखी है इस फिल्म को जिस तरह से हुड्डा ने शोध किया है उसका पूरा सरफ फिल्म को आपको देखने को मिलने वाला है वहीं पे पूरी फिल्म रणदीप हुड्डा के कंधे पर यहां पे टिकी ह
ुई है स्वतंत्र वीर सावार करर जो कि भूमिका में यहां पे रड डी हुड्डा है और वहीं पे काया परिवर्तन करते हुए नजर आ रहे है वो बहुत यहां पे प्रभावी हैं जब भी वे यहां पे के पर्दे पर आते हैं वह अपना एक अलग यहां पे प्रभाव छोड़ते हुए नजर आते हैं वहीं सावरकर की भूमिका को उनके पर्दे पर पूरी तरह से जीवंत यहां पे कर दिया है फिल्म में सावरकी की पत्नी यशोदाबाई की भूमिका में जहां पे अंकिता लोखंडे आपको देखने को मिलने वाली है क्योंकि ऑन स्क्रीन कनको मौका मिल गया है इस फिल्म के तहत उन्होंने दोस्तों अपनी भूम अब बात क
रते हैं जहां पे दोस्तों रणदीप हुड्डा अभिनेता से दोस्तों यहां पे निर्माता निर्देशक यानी कि सब कुछ इन्होंने ही इस फिल्म में किया है और लेखक भी यहां पे बन गए हैं रणदीप हुड्डा फिल्म को स्वतंत्र वीर सावरकर इतिहास के दोस्तों उन पन्नों को विस्तार से लिखने की इस फिल्म में पूरी तरह से कोशिश की गई है जिसे बनाने वालों के मुताबिक एक योजना के तहत दोस्तों इस फिल्म को मार दिए गए हु किल्ड हिज स्टोरी के टैग लाइन से इस मूवी को सिनेमा घरों में रिलीज किया गया है वहीं पर दोस्तों अगर फिल्म भारतीय स्वतंत्र संग्राम के
नायकों में शामिल जो कि दामोदर सावरकर के जीवन पे यह फिल्म यहां पर उनकी क्रांति नीतियों का पूरी तरह से खुलासा करती हुई दिखाई देने वाली है वहीं पर रणदीप हुड्डा ने फिल्म में सावरकर की भूमिका निभाई है वहीं पर फिल्म बताती है कि कैसे अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए बीमारी से संक्रमित है और यह फिल्म आपको अंग्रेज पुलिस अधिकारी सावरकर के पिता सहित यहां पे दोस्तों प्लैग महा जो कि यहां पे बीमारी फैली हुई थी उस समय महामारी से संक्रमित जो कि हम इस फिल्म की कहानी आपको बता रहे हैं कि आपको ऐसे की जो हिस
्टोरिकल फिल्म आपको ये देखने को मिलेगी महामारी से दोस्तों यहां पे शंकर में तमाम लोग यहां पे जिंदा जला देते हैं और साथ ही साथ दोस्तों यहां पे अंग्रेज हुकूमत के जो कि प्रति सावरकर का यहां पे बचपन से ही काफी ज्यादा द्वेष देखने को मिलता है वहीं पे दोस्तों बड़े होने के बाद देश की आजादी के लिए अभिनव भारत सीक्रेट सोसाइटी का यहां पे भी ये यहां पे गठन भी करते हैं संगठन में दोस्तों यहां पे देश के उन युवाओं को यहां पे जोड़ा जाता है जो भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराना चाहते हैं इस फिल्म के वजह से वक
ालत की पढ़ाई के लिए वह लंदन भी जाते हैं वहां से दोस्तों अपने संगठन को काफी ज्यादा मजबूत करने की कोशिश करते हैं वजह से दोस्तों वहां पे उनकी काला पानी की सजा हो जाती है वहीं पे दोस्तों काला पानी से सजा काट कर आने के बाद उन्हें महात्मा गांधी की हत्या की साजिश में शामिल होने के जुर्म में गिरफ्तार भी यहां पे कर लिया जाता है लेकिन दोस्तों सबूत के अभाव में उनको यहां पे रिहा भी कर दिया जाता है उसके बाद यहां पे सावरकर के जीवन के अंश ने पहेलियों की दिखाने की काफी ज्यादा कोशिश इस फिल्म में की गई है जोर से
इस बात की है कि गांधी की हिंसा विचारधारा से बिल्कुल प्रभावित यह नहीं थे वह गांधी की इज्जत करते थे लेकिन उनकी विचारधारा का वो बिल्कुल यहां पे विरोध करते हुए नजर आते हैं जहां पे फिल्म में सुभाष चंद्र बोस और सावकर की विचारधारा के साथ यह भी बताया गया है कि कैसे राष्ट्रवाद की राजनीति विचारधारा को यहां पे विकसित करने का बहुत बड़ा वीर सावरकर को जाता है वहीं पे कहानी में रड दवी हुड्डा ने उत्कर्ष के साथ मिलकर लिखी है इस फिल्म को जिस तरह से हुड्डा ने शोध किया है उसका पूरा असर इस फिल्म को आपको देखने को मिल
ने वाला है वहीं पे पूरी फिल्म रणदीप हुड्डा के कंधे पर यहां पे टिकी हुई है स्वतंत्र वीर सावार करर जो कि भूमिका में यहां पे रडी हुड्डा है और वहीं पे काया परिवर्तन करते हुए नजर आ रहा है वो बहुत यहां पे प्रभावी हैं जब भी वे यहां पे पर्दे पर आते हैं वह अपना एक अलग यहां पे प्रभाव छोड़ते हुए नजर आते हैं वहीं सावरकर की भूमिका को उनके पर्दे पर पूरी तरह से जीवंत यहां पे कर दिया है फिल्म में सावरकर की पत्नी यशोदाबाई की भूमिका में जहां पे अंकिता लोखंडे आपको देखने को मिलने वाली है क्योंकि ऑन स्क्रीन फम का इन
को मौका मिल गया है इस फिल्म के तहत उन्होंने दोस्तों अपनी भूमिका के साथ पूरी तरह से न्याय करने की कोशिश भी इस फिल्म के द्वारा की है चावरकर के बड़े भाई की भूमिका की बात करें तो अमित शियाल जो है वहां पे अभिनय करते हुए आपको इस फिल्म में देखने कोने को मिलने वाली है वहीं पे मूवी को 20 करोड़ के बजट में बनाया गया है अब बात करते हैं जहां पे दोस्तों रणदीप हुड्डा अभिनेता से दोस्तों यहां पे निर्माता निर्देशक यानी कि सब कुछ इन्होंने ही इस फिल्म में किया है और लेखक भी यहां पे बन गए हैं रणदीप हुड्डा फिल्म को स
्वतंत्र वीर सावरकर इतिहास के दोस्तों उन पन्नों को विस्तार से लिखने की इस फिल्म में पूरी तरह से कोशिश की गई है जिसे बनाने वालों के मुताबिक एक योजना के तहत दोस्तों इस फिल्म को मार दिए गए हु किल्ड हिज स्टोरी के टैग लाइन से इस मूवी को सिनेमा घरों में रिलीज किया गया है वहीं पे दोस्तों अगर फिल्म भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नायकों में शामिल जो कि दामोदर सावरकर के जीवन पे यह फिल्म यहां पे उनकी क्रांति नीतियों का पूरी तरह से खुलासा करती हुई दिखाई देने वाली है वहीं पर रणदीप हुड्डा ने फिल्म में सावरकर की
भूमिका निभाई है वहीं पर फिल्म बताती है कि कैसे अंग्रेजों की और यह फिल्म आपको अंग्रेज पुलिस अधिकारी सावरकर के पिता सहित यहां पे दोस्तों प्लैग महा जो कि यहां पे बीमारी फैली हुई थी उस समय महामारी से संक्रमित जो कि हम इस फिल्म की कहानी आपको बता रहे हैं कि आपको ऐसे की जो हिस्टोरिकल फिल्म आपको यह देखने को मिलेगी महामारी से दोस्तों यहां पे संक्रमित तमाम लोग यहां पे जिंदा जला देते हैं और साथ ही साथ दोस्तों यहां पे अंग्रेज हुकूमत के जो कि प्रति सावरकर का यहां पे बचपन से ही काफी ज्यादा द्वेष देखने को मिलत
ा है वहीं पे दोस्तों बड़े होने के बाद देश की आजादी के लिए अभिनव भारत सीक्रेट सोसाइटी का यहां पे भी ये यहां पे गठन भी करते हैं संगठन में दोस्तों यहां पे देश के उन युवाओं को यहां पे जोड़ा जाता है जो भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराना चाहते हैं इस फिल्म के वजह से वकालत की पढ़ाई के लिए वह लंदन भी जाते हैं वहां से दोस्तों अपने संगठन को काफी ज्यादा मजबूत करने की कोशिश करते हैं वजह से दोस्तों वहां पे उनकी काला पानी की सजा हो जाती है वहीं पे दोस्तों काला पानी से सजा काटकर आने के बाद उन्हें महात्म
ा गांधी की हत्या की साजिश में शामिल होने के जुर्म में गिरफ्तार भी यहां पे कर लिया जाता है लेकिन दोस्तों सबूत के अभाव में उनको यहां पे रिहा भी कर दिया जाता है उसके बाद यहां पे सावरकर के जीवन के अंश ने पहेलियों की दिखाने की काफी ज्यादा कोशिश इस फिल्म में की गई है जोर से इस बात की है कि गांधी की अहिंसा विचारधारा से बिल्कुल प्रभावित ये नहीं थे वह गांधी की इज्जत करते थे लेकिन उनकी विचारधारा का वो बिल्कुल यहां पे विरोध करते हुए नजर आते हैं जहां पे फिल्म में सुभाष चंद्र बोस और सावरकर की विचारधारा के सा
थ यह भी बताया गया है कि कैसे राष्ट्रवाद की राजनीति विचारधारा को यहां पे विकसित करने का बहुत बड़ा वीर सावरकर को जाता है वहीं पे कहानी में रणदीप हुड्डा ने उत्कर्ष के साथ मिलकर लिखी है इस फिल्म को जिस तरह से हुड्डा ने शोध किया है उसका पूरा असर इस फिल्म को आपको देखने को मिलने वाला है वहीं पे पूरी फिल्म रणदीप हुड्डा के कंधे पर यहां पे टिकी हुई है स्वतंत्र वीर सावकर जो कि भूमिका में यहां पे रडी हुड्डा है और वहीं पे काया परिवर्तन करते हुए नजर आ रहा है वो बहुत यहां पे प्रभावी हैं जब भी वे यहां पे पर्दे
पर आते हैं वह अपना एक अलग यहां पे प्रभाव छोड़ते हुए नजर आते हैं वहीं सावरकर की भूमिका को उनके पर्दे पर पूरी तरह से जीवंत यहां पे कर दिया है फिल्म में सावरकी की पत्नी यशोदाबाई की भूमिका में जहां पे अंकिता लोखंडे आपको देखने को मिलने वाली है क्योंकि ऑन स्क्रीन का इनको मौका मिल गया है इस फिल्म के तहत उन्होंने दोस्तों अपनी भूमिका के साथ पूरी तरह से न्याय करने की कोशिश भी इस फिल्म के द्वारा की है सावरकर के बड़े भाई की भूमिका की बात करें तो अमित शियाल जो है वहां पे अभिनय करते हुए आपको इस फिल्म में देखन
े को मिलेंगे वहीं पे हुड्डा मानते भी है कि बाबा सावरकर की कहानी अपने आप में एक अलग फिल्म बनती रहती रणदीप हुड्डा अभिनेता से दोस्तों यहां पे निर्माता निर्देशक यानी कि सब कुछ इन्होंने ही इस फिल्म में किया है और लेखक भी यहां पे बन गए हैं रणदीप हुड्डा फिल्म को स्वतंत्र वीर सावरकर इतिहास के दोस्तों उन पन्नों को विस्तार से लिखने की इस फिल्म में पूरी तरह से कोशिश की गई है जिसे बनाने वालों के मुताबिक एक योजना के तहत दोस्तों इस फिल्म को मार दिए गए हु किल्ड हिज स्टोरी के टैग लाइन से इस मूवी को सिनेमा घरों
में रिलीज किया गया है वहीं पे दोस्तों अगर फिल्म भारतीय स्वतंत्र संग्रा हुड्डा ने फिल्म में सावरकर की भूमिका निभाई है वहीं पर फिल्म बताती है कि कैसे अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए सावरकर के सोच के साथ आगे बढ़ रहे थे उनके संगठन को मजबूत कर रहे थे साथ ही साथ उने सफल होते हुए कई सारे यहां पे कार्य किए हुए फिल्म स्वतंत्र वीर सावरकर की कहानी जो है आपको प्लेग महामारी से यहां पे शुरू होती नजर आएगी सावरकर के पिता दोस्तों प्लेग महामारी से संक्रमित है और यह फिल्म आपको अंग्रेज पुलिस अधिकारी सावरकर
के पिता सहित यहां पे दोस्तों प्लैग महा जो कि यहां पे बीमारी फैली हुई थी उस समय महामारी से संक्रमित जो कि हम इस फिल्म की कहानी आपको बता रहे हैं कि आपको ऐसे की जो हिस्टोरिकल फिल्म आपको यह देखने को मिलेगी महामारी से दोस्तों यहां पे संक्रमित तमाम लोग यहां पे जिंदा जला देते हैं और साथ ही साथ दोस्तों यहां पे अंग्रेज हुकूमत के जो कि प्रति सावरकर क हां पे बचपन से ही काफी ज्यादा द्वेष देखने को मिलता है वहीं पे दोस्तों बड़े होने के बाद देश की आजादी के लिए अभिनव भारत सीक्रेट सोसाइटी का यहां पे भी ये यहां
पे गठन भी करते हैं संगठन में दोस्तों यहां पे देश के उन युवाओं को यहां पे जोड़ा जाता है जो भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराना चाहते हैं इस फिल्म के वजह से वकालत की पढ़ाई के लिए वह लंदन भी जाते हैं वहां से दोस्तों अपने संगठन को काफी ज्यादा मजबूत करने की कोशिश करते हैं वजह से दोस्तों वहां पे उनकी काला पानी की सजा हो जाती है वहीं पे दोस्तों काला पानी से सजा काटकर आने के बाद उन्हें महात्मा गांधी की हत्या की साजिश में शामिल होने के जुर्म में गिरफ्तार भी यहां पे कर लिया जाता है लेकिन दोस्तों सबू
त के अभाव में उनको यहां पे रिहा भी कर दिया जाता है उसके बाद यहां पे सावरकर के जीवन के अंश ने पहेलियों की दिखाने की काफी ज्यादा कोशिश इस फिल्म में की गई है जोर से इस बात की है कि गांधी की अहिंसा विचारधारा से बिल्कुल प्रभावित ये नहीं थे वह गांधी की इज्जत करते थे लेकिन उनकी विचारधारा का वो बिल्कुल यहां पे विरोध करते हुए नजर आते हैं जहां पे फिल्म में सुभाष चंद्र बोस और सावरकर की विचारधारा के साथ यह भी बताया गया है कि कैसे राष्ट्रवाद की राजनीति विचारधारा को यहां पे विकसित करने का बहुत बड़ा वीर सावरकर
को जाता है वहीं पे कहानी में रणदीप हुड्डा ने उत्कर्ष के साथ मिलकर लिखी है इस फिल्म को जिस तरह से हुड्डा ने शोध किया है उसका पूरा असर इस फिल्म को आपको देखने को मिलने वाला है वहीं पर पूरी फिल्म रणदीप हुड्डा के कंधे पर यहां पे टिकी हुई है स्वतंत्र वीर सावार करर जो कि भूमिका में यहां पे रड डीफ हुड्डा है और वहीं पे काया परिवर्तन करते हुए नजर आ र है वो बहुत यहां पे प्रभावी है जब भी वे यहां पे पर्दे पर आते हैं वह अपना एक अलग यहां पे प्रभाव छोड़ते हुए नजर आते हैं वही सावरकर की भूमिका को उनके पर्दे पर प
ूरी तरह से जीवंत यहां पे कर दिया है फिल्म सावरकी की पत्नी यशोदाबाई की भूमिका में जहां पर अंकिता लोखंडे आपको देखने को मिल मिलने वाली है क्योंकि ऑन स्क्रीन का इनको मौका मिल गया है इस फिल्म के तहत उन्होंने दोस्तों अपनी भूमिका के साथ पूरी तरह से न्याय करने की कोशिश भी इस फिल्म के द्वारा की है चावरकर के बड़े भाई की भूमिका की बात करें तो अमित शियाल जो है वहां पर साथ दोस्तों उनके साथ अंकिता लोखंडे भी इस फिल्म में आपको देखने को मिलने वाली हैं वहीं पे मूवी को 20 करोड़ के बजट में बनाया गया है अब बात करते
हैं जहां पे दोस्तों रणदीप हुड्डा अभिनेता से दोस्तों यहां पे निर्माता निर्देशक यानी कि सब कुछ इन्होंने ही इस फिल्म में किया है और लेखक भी यहां पे बन गए हैं रणदीप हुड्डा फिल्म को स्वतंत्र वीर सावरकर इतिहास के दोस्तों उन पन्नों को विस्तार से लिखने की इस फिल्म में पूरी तरह से कोशिश की गई है जिसे बनाने वालों के मुताबिक एक योजना के तहत दोस्तों इस फिल्म को मार दिए गए हु किल्ड हिज स्टोरी के टैग लाइन से इस मूवी को सिनेमा घरों में रिलीज किया गया है वहीं पे दोस्तों अगर फिल्म भारतीय स्वतंत्र संग्राम के नायक
ों में शामिल जो कि दामोदर सावरकर के जीवन पे यह फिल्म यहां पे उनकी क्रांति नीतियों का पूरी तरह से खुलासा करती हुई दिखाई देने वाली है वहीं पर रणदीप हुड्डा ने फिल्म में सावरकर की भूमिका निभाई है वहीं पे फिल्म बताती है कि कैसे अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए सावरकर के सोच के साथ आगे बढ़ रहे थे उनके संगठन को मजबूत कर रहे थे सारी सावरकर के पिता सहित यहां पे दोस्तों प्लैग महा जो कि यहां पे बीमारी फैली हुई थी उस समय महामारी से संक्रमित जो कि हम इस फिल्म की कहानी आपको बता रहे हैं कि आपको ऐसे की
जो हिस्टोरिकल फिल्म आपको ये देखने को मिलेगी महामारी से दोस्तों यहां पे संक्रमित तमाम लोग यहां पे जिंदा जला देते हैं और साथ ही साथ दोस्तों यहां पे अंग्रेज हुकूमत के जो कि प्रति सावरकर का यहां पे बचपन से ही काफी ज्यादा द्वेष देखने को मिलता है वहीं पे दोस्तों बड़े होने के बाद देश की आजादी के लिए अभिनव भारत सीक्रेट सोसाइटी का यहां पे भी ये यहां पे गठन भी करते हैं संगठन में दोस्तों यहां पे देश के उन युवाओं को यहां पे जोड़ा जाता है जो भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराना चाहते हैं इस फिल्म के वजह
से वकालत की पढ़ाई के लिए वह लंदन भी जाते हैं वहां से दोस्तों अपने संगठन को काफी ज्यादा मजबूत करने की कोशिश करते हैं वजह से दोस्तों वहां पे उनकी काला पानी की सजा हो जाती है वहीं पे दोस्तों काला पानी से सजा काटकर आने के बाद उन्हें महात्मा गांधी की हत्या की साजिश में शामिल होने के जुर्म में गिरफ्तार भी यहां पे कर लिया जाता है लेकिन दोस्तों सबूत के अभाव में उनको यहां पे रिहा भी कर दिया जाता है उसके बाद यहां पे सावरकर के जीवन के अंश ने पहेलियों की दिखाने की काफी ज्यादा कोशिश इस फिल्म में की गई है जो
र से इस बात की है कि गांधी की अहिंसा विचारधारा से बिल्कुल प्रभावित यह नहीं थे वह गांधी की इज्जत करते थे लेकिन उनकी विचारधारा का वो बिल्कुल यहां पे विरोध करते हुए नजर आते हैं जहां पे फिल्म में सुभाष चंद्र बोस और सावरकर की विचारधारा के साथ यह भी बताया गया है कि कैसे राष्ट्रवाद की राजनीति विचारधारा को यहां पे विकसित करने का बहुत बड़ा वीर सावरकर को जाता है वहीं पर कहानी में रणदीप हुड्डा ने उत्कर्ष के साथ मिलकर लिखी है इस फिल्म को जिस तरह से हुड्डा ने शोट किया है उसका पूरा असर इस फिल्म को आपको देखने
को मिलने वाला है वहीं पर पूरी फिल्म रणदीप हुड्डा के कंधे पर यहां पे टिकी हुई है स्वतंत्र वीर सावार करर जो कि भूमिका में यहां पे रडी हुड्डा है और वहीं पे काया परिवर्तन करते हुए नजर आ रहा है वो बहुत यहां पे प्रभावी हैं जब भी वे यहां पे पर्दे पर आते हैं वह अपना एक अलग यहां पे प्रभाव छोड़ते हुए नजर आते हैं वही सावरकर की भूमिका को उनके पर्दे पर पूरी तरह से जीवंत यहां पे कर दिया है फिल्म में सावरकी की पत्नी यशोदाबाई की भूमिका में जहां पे अंकिता लोखंडे आपको देखने को मिलने वाली है क्योंकि ऑन स्क्रीन का
इनको मौका मिल गया है इस फिल्म के तहत उन्होंने दोस्तों अपनी भूमिका के साथ पूरी तरह से न्याय करने की कोशिश भी इस फिल्म के द्वारा की है सावरकर के बड़े भाई की भूमिका की बात करें तो अमित शियाल जो है वहां पे अभिनय करते हुए आपको इस फिल्म में देखने को मिलेंगे वहीं पे हुड्डा मानते नहीं है कि बाबा सावरकर की कहानी अपने आप में एक अलग फिल्म बनती रहती

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