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जानलेवा गैसें: मीथेन लीक की पड़ताल [Tracking methane leaks] | DW Documentary हिन्दी

दुनिया भर में शोधकर्ता वातावरण में मीथेन का बढ़ता घनत्व दर्ज कर रहे हैं. जलवायु परिवर्तन का ये सबसे बड़ा गुनहगार, तापमान में वृद्धि के लगभग 25 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार है. लेकिन मीथेन गैस आ कहाँ से रही है? क्या शहरों के नैचुरल गैस नेटवर्क से मीथेन रिस रही है? पाइपलाइनों से? या तेल और गैस को निकालने की प्रक्रिया में ऐसा हो रहा है? मीथेन के कई स्रोत हैं - जिनमें प्राकृतिक स्रोत भी शामिल हैं. यह जंगल की आग में और वेटलैन्ड्स में वनस्पति के गलने से भी निकलती है. लैंडफिल, फैक्ट्री फार्मिंग और जलाने या खाना पकाने में हुए लकड़ी के इस्तेमाल से भी दुनिया भर में बड़ी मात्रा में मीथेन का उत्पादन होता है. लेकिन अब तो ये वैज्ञानिक रूप से साबित हो चुका है कि वायुमंडल में मीथेन के कंसंट्रेशन में मौजूदा वृद्धि का लगभग 40 प्रतिशत प्राकृतिक गैस के कारण है. एक बात तय है कि अगर हमें अपने जलवायु की रक्षा करनी है तो पृथ्वी के वायुमंडल में मीथेन के बढ़ते कंसंट्रेशन को जल्दी से जल्दी रोकना होगा. यह फिल्म अमेरिका, नीदरलैंड, जर्मनी और फ्रांस में सुराग खोजती है और शोधकर्ताओं को विशेष कैमरों, उपग्रह से मिली तस्वीरों और विस्तृत डेटा विश्लेषण की मदद से, मीथेन कैसे और कहां से रिस कर बाहर आ रही है, इसका एक-एक कर सबूत तैयार करते ध्यान से देखती है. खराब रखरखाव वाले गैस और तेल उत्पादन कारखानों में होने वाला रिसाव इसका बहुत बड़ा कारण है. हालांकि मीथेन रिसाव के लिए प्लांट्स की चौबीसों घंटे निगरानी करने की तकनीक पहले से ही मौजूद है, लेकिन गैस और तेल उद्योग यह जरूरी निवेश करने के लिए बहुत इच्छुक नहीं दिखता. इसके बावजूद कि बहुत ज़्यादा मीथेन रिसाव के कारण कंपनियां को अपना कीमती उत्पाद बड़ी मात्रा में खोना पड़ता है. हर साल 80 मिलियन टन से अधिक खतरनाक गैस तेल और गैस कारखानों से वायुमंडल में चली जाती है. यह काफी हद तक जर्मनी और फ्रांस दोनों में प्राकृतिक गैस की वार्षिक खपत के बराबर है. अगर जर्मनी और यूरोपीय संघ अपने जलवायु लक्ष्यों तक पहुंचने और ग्लोबल वार्मिंग रोकने को लेकर गंभीर हैं, तो उन्हें अपनी प्राकृतिक गैस की खपत को बड़े पैमाने पर कम करना होगा और प्राकृतिक गैस उत्पादन को साफ करने के लिए शीर्ष कंपनियों और उत्पादकों को दबाव डालना होगा. #DWDocumentaryहिन्दी #DWहिन्दी #methane #naturalgas #emission ---------------------------------------------- अगर आपको वीडियो पसंद आया और आगे भी ऐसी दिलचस्प वीडियो देखना चाहते हैं तो हमें सब्सक्राइब करना मत भूलिए. विज्ञान, तकनीक, सेहत और पर्यावरण से जुड़े वीडियो देखने के लिए हमारे चैनल DW हिन्दी को फॉलो करे: @dwhindi और डॉयचे वेले की सोशल मीडिया नेटिकेट नीतियों को यहां पढ़ें: https://p.dw.com/p/MF1G

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4 months ago

लगभग 3 हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित सुगश्पित्से अपने सुंदर नज़ारे और जर्मनी की सबसे साफ हवा के लिए जानी जाती है. चोटी पर स्थित है देश का सबसे बड़ा पर्यावरण अनुसंधान केंद्र. यहां मौजूद है एक ऑब्ज़र्वेटरी जो पूरे साल पृथ्वी के वायुमंडल में मौजूद शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैसों पर नजर रखती है. इसके और गहरे विश्लेषण के लिए, कार्ल्सरुहे इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के भौतिक विज्ञानी राल्फ सुसमन सूर्य की रोशनी को कैद करते हैं. और इसे सोने से लिपे हुए आईने के ज़रिए पहाड़ पर स्थित उस स्टेशन के भीतर की ओर भेजते हैं. तो
पृथ्वी के नाज़ुक वातावरण की स्थिति क्या है? प्रयोगशाला में, एक स्पेक्ट्रोमीटर रोशनी को अलग करता है और उसके अलग-अलग वेवलेंथ का विश्लेषण करता है. हर दिन 140 मापों के साथ, टीम को वायुमंडल की संरचना की बहुत ही सटीक जानकारी मिलती है. मार्कुस, चलो हम अभी के सौर मापों को एक बार देख लेते हैं. कई सालों से वो ग्रीनहाउस गैसों के बढ़ते कंसंट्रेशन को देखते आ रहे हैं. आज सब ठीक रहा यह सूरज की रोशनी है और आप ये फिंगरप्रिंट्स देख सकते हैं. सोलर स्पेक्ट्रम में हर गैस एक खास तरह की लाइन बनाती है. स्पेक्ट्रम में न
ीले अंतराल जितने गहरे होंगे, गैस उतनी ही अधिक मापी जाएगी. हाँ, यही डबल लाइन, अगर वहाँ ज़ूम करो थोड़ा वो दो लाइनें वह बढ़ते मीथेन को लेकर बहुत परेशान हैं. मीथेन बहुत खतरनाक ग्लोबल वार्मर है. एक तरफ आपको लगता है कि इससे कोई नुकसान नहीं है क्योंकि यह दस सालों के भीतर वायुमंडल से गायब हो जाती है, कार्बन डाइऑक्साइड के बिल्कुल विपरीत, जो हजारों सालों तक मौजूद रहती है. इसलिए आपको लग सकता है कि यह नुकसान नहीं करती होगी जबकि दूसरी ओर, उन दस सालों में जब मीथेन वायुमंडल में रहती है, ग्रीनहाउस इफेक्ट में इसका
योगदान कार्बन डाइऑक्साइड से कम से कम 100 गुना ज्यादा होता है. C02 के बाद, मानव द्वारा सबसे ज्यादा पैदा की जाने वाली ग्रीनहाउस गैस मीथेन ही है और आज तक हुए ग्लोबल वार्मिंग में इसका योगदान लगभग एक चौथाई है. तो यह रंगहीन, गंधहीन गैस दरअसल आती कहां से है? कुछ प्राकृतिक स्रोत हैं. वेटलैंड्स में, ऑर्गैनिक पदार्थ के गलने से मीथेन बाहर निकलती है, और यह जंगल की आग से भी निकलती है. लेकिन औद्योगिक युग की शुरुआत के बाद से मीथेन गैस के बनने का सबसे बड़ा कारण इंसान हैं. बड़ी मात्रा में लाइव स्टॉक फ़ार्मिंग और फ
ॉसिल फुएल्स को निकालने और उसके इस्तेमाल में इसका बहुत ज्यादा उत्सर्जन होता है. मीथेन प्राकृतिक गैस में मुख्य रूप से पायी जाती है. मानव गतिविधि ने वातावरण में मीथेन के कंसंट्रेशन को दोगुना से भी ज्यादा बढ़ा दिया है. इसका कितना हिस्सा फॉसिल फुएल्स के कारण है? और पिछले 15 सालों में शोध में पाए गए इसकी तेज गति से बढ़ने के क्या कारण हो सकते हैं? राल्फ़ सुसमन इस राज को समझने के लिए, एक दूसरी गैस ईथेन को मापते हैं. मीथेन के बाद ईथेन प्राकृतिक गैस में सबसे ज्यादा पायी जाती है. लेकिन खेती में, पशुपालन में
, ईथेन का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं है. तो हुआ ये कि 2007 में मीथेन तेजी से बढ़ी, जबकि उसी समय अचानक ईथेन भी बहुत तेजी से बढ़ती है. और 2007 से अब तक की गणना करें तो पूरे वायुमंडल में इसके कंसंट्रेशन में 40 फीसद की बढ़ोतरी दिखती है जो कि तेल और गैस उत्पादन के कारण है. अंतरराष्ट्रीय शोध यह दिखा रहे हैं कि 80 मिलियन टन से अधिक मीथेन, प्राकृतिक गैस के रूप में वायुमंडल में आती जा रही है. हर साल, ये कैसे मुमकिन है? हमने जलवायु पर प्रभाव डालने वाले इन उत्सर्जनों के स्रोत की खोज में एक विस्तृत जांच शुरू की. प्
राकृतिक गैस, कथित रूप से स्वच्छ ईंधन का उपयोग यूरोप के लगभग एक तिहाई घरों, दफ्तरों और दुकानों को गर्म करने के लिए किया जाता है. मांग को पूरा करने के लिए, गैस पाइपलाइनों का एक भूमिगत नेटवर्क हमारे शहरों में फैला हुआ है. क्या इस वितरण प्रणाली से रिसने वाली प्राकृतिक गैस पर किसी का ध्यान नहीं जाता? ऊटरेख्त की डच यूनिवर्सिटी के थोमस रोयकमन इसका पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं. उनके अमेरिकी सहयोगियों द्वारा लिए गए मापों ने जलवायु वैज्ञानिकों को यूरोप में सबूत खोजने के लिए प्रेरित किया है. उनकी वैन ऐसी
तकनीक से लैस है जो मीथेन के अंशों के लिए आसपास की हवा का लगातार मुआयना करती रहती है. दोनों शोधकर्ता मीथेन के असामान्य रूप से बहुत अधिक कंसंट्रेशन की खोज में, ऊटरेख्त की सड़कों पर गाड़ी दौड़ा रहे हैं. बहुत ज्यादा देर नहीं हुई थी कि अलर्ट बजता है. अरे वाह, क्या बात है. ये रहा, बढ़िया रीडिंग से पता चलता है कि मीथेन के स्तर में अचानक उछाल आया है. क्या आस-पास प्राकृतिक गैस का रिसाव है? अब उन्हें पैदल ही चलना होगा ताकि समझ आ सके कि ये रंगहीन और गंधहीन गैस दरअसल कहां से आ रही है? अपने मोबाइल डिटेक्टर के स
हारे, वे धीरे-धीरे स्रोत की तरफ बढ़ते हैं. ये खतरनाक ग्रीनहाउस गैस फुटपाथ की दरारों से रिस रही है. चूंकि ईथेन और मीथेन के स्तर को एक साथ मापा जाता है, वे तुरंत प्राकृतिक गैस को मीथेन के दूसरे स्रोतों, जैसे खराब पानी से अलग कर सकते हैं. नाले के ठीक पास, कंसंट्रेशन इतना ज्यादा है कि विस्फोट का खतरा हो सकता है. यहाँ बहुत ज्यादा है. है न? यह साफ है कि नैचुरल गैस रिस रही है. ये हमेशा मिल जाते हैं. व्यावहारिक रूप से हर बार दौरे पर हमें कुछ रिसाव मिलते हैं. अब हम गैस नेटवर्क ऑपरेटर को इसकी रिपोर्ट करेंग
े, उन्हें सूचित करेंगे कि शायद यहां गैस का रिसाव हो रहा है, और वे यहाँ पर खोद कर सटीक तौर पर पता लगा सकते हैं कि रिसाव कहाँ है. बेशक हम उसे ऊपर से नहीं समझ सकते, हम केवल उस जगह तक पहुँच सकते हैं जहाँ से वह वायुमंडल में फैल रही है. इस बार, थोमस रोयकमन को दूसरी सड़कों पर और भी रिसाव मिले, हालांकि उनमें से कोई भी इतना ज्यादा नहीं था कि वहाँ रहने वालों के लिए खतरा पैदा हो. स्थानीय गैस सप्लायर को इन सभी रिसावों का पता नहीं है, हालाँकि वे खुद पाइपों की जाँच करते हैं. गैस आपूर्तिकर्ता अलग-अलग समय पर सड
़कों की निगरानी करते हैं. यह इस बात पर निर्भर करता है कि उन्होंने पाइपलाइन में किस प्रकार की सामग्री का इस्तेमाल किया है. आम तौर पर साल में एक बार जांच होती है, लेकिन यह हर तीन या पांच साल में भी हो सकती है. इसका मतलब है कि अगर इस तरह का रिसाव होता है और इसका पता जल्द नहीं लगता तो इसकी मरम्मत कर, उसके रिसाव को रोकने में महीनों या सालों भी लग सकते हैं. रोयकमन और दूसरे विश्वविद्यालयों के कई शोधकर्ता अब तक पूरे यूरोप के 11 शहरों में मीथेन रिसाव का पता लगा रहे हैं. पता यह चला कि हर जगह यह कीमती प्रा
कृतिक गैस ग्रिड से बाहर जा रही है. अब अगर गैस सप्लायर लगातार और ज्यादा निगरानी करें तो इसे काफी हद तक रोका जा सकता है. लेकिन उनकी जांच से यह बात भी साफ होती है कि नगर निगम गैस नेटवर्क, प्राकृतिक गैस के रूप में निकलने वाले 80 मिलियन टन मीथेन के शायद एक छोटे हिस्से के लिए ही जिम्मेदार हैं. तो बाकी कहां से आ रहा है? पेरिस में, हम एक ऐसी कंपनी का दौरा करते हैं जो वैश्विक ऊर्जा और पर्यावरण की छानबीन की एक्सपर्ट है. स्टार्टअप काइरोस की स्थापना तेल और गैस क्षेत्र में कंपनियों और निवेशकों को सलाह देने क
े लिए की गई थी. इसके संस्थापकों में से एक अंत्वान हाल्फ पहले अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी में मुख्य विश्लेषक थे. काइरोस में, वह अपने ग्राहकों को तेल और गैस के निकाले जाने, उसके व्यापार और खपत संबंधी सटीक और बेहतर डेटा मुहैया कराते हैं. लेकिन उनके कुछ ग्राहक इस प्रक्रिया के दौरान मीथेन के रिसाव संबंधी सवाल पूछने लगे. डेटा विश्लेषकों की उनकी टीम ने सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी के आधार पर जांच की. यूरोपीय पर्यावरण उपग्रह सेंटिनल-5पी अक्टूबर 2017 से पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है. उसके बोर्ड पर लगे उ
पकरण ओजोन और फॉर्मेलडिहाइड के साथ-साथ मीथेन जैसे प्रदूषकों को मापते हैं. दिन में एक बार, यह दुनिया भर में मीथेन का कंसंट्रेशन दिखाता है. लेकिन यह पिछले कुछ सालों के प्राकृतिक स्रोतों और कृषि और उद्योग जैसे मानव निर्मित स्रोतों से निकली कुल मीथेन को मापता है. क्या वर्तमान में प्राकृतिक गैस के रूप में वायुमंडल में घुल रही मीथेन का पता भी इस विशाल डेटा के आधार पर लगाया जा सकता है? इसमें आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस मॉडलिंग का काम बहुत ज्यादा है. आपको मीथेन की समझ होनी चाहिए, तेल उद्योग की समझ होनी चाहिए.
आपको यह भी पता होना चाहिए कि मौसम और हवा का पैटर्न मीथेन के प्रसार को कैसे प्रभावित करता है. तब हम सारे इनपुट्स को जोड़कर एक एल्गोरिदम विकसित करते हैं जो शुरुआती डेटा को प्रोसेस कर सके. पेरिस में डेटा विशेषज्ञों ने हाल ही में वो काम कर दिखाया जो पहले नामुमकिन था. उन्होंने कंप्यूटर प्रोग्राम की मदद से उन खास जगहों की पहचान कर ली जहां से प्राकृतिक-गैस मीथेन निकलती है. ये दुनिया भर में मौजूद हैं, खास तौर पर वहाँ जहां प्राकृतिक गैस और तेल के प्रमुख उत्पादन स्थल हैं. मीथेन एक समस्या है और यह बहुत नका
रात्मक है. लंबे समय से मीथेन को लेकर एक तरह का रक्षात्मक रवैया रहा है. नहीं, नहीं, हमारे यहाँ मीथेन उत्सर्जित नहीं होती. नहीं वे माप सही नहीं हो सकते. मैं सही कह रहा हूं. मेरे यहाँ कोई दिक्कत नहीं. और कई उत्पादकों में अभी भी पारदर्शिता की कमी है, जिनमें कुछ बड़े नाम भी शामिल हैं. क्या यह बात जर्मनी की कंपनियों पर भी लागू होती है? देश में स्थित ऐसे लगभग 1100 उत्पादन के ठिकानों में से एक तक हम पहुँच पाए. तेल की दिग्गज कंपनी एक्सॉन के मना कर देने के बाद, हमने जर्मनी की सबसे बड़ी तेल और गैस कंपनी, वि
ंटरशाल डेया के साथ बातचीत की. आखिरकार, हमें ब्रेमेन के पूर्व में एक गैस उत्पादन वाली जगह का दौरा करने की इजाजत मिली. क्या यहां से बड़ी मात्रा में निकलने वाली मीथेन पर किसी का ध्यान नहीं जाता? विंटरशाल डेया ने हाल ही में इस समस्या पर गौर करना शुरू किया है. यह साल में एक बार खुद ही किसी तरह के रिसाव का पता लगाने के लिए उत्पादन वाली जगहों की जाँच कर लेता है, जो उसने 2021 के अंत में जर्मनी में पहली बार किया था. समस्या वाली संभावित जगहों का पता लगाने के लिए गैस वाले संवेदनशील कैमरों का उपयोग किया जात
ा है. गैस सिलेंडर का इस्तेमाल करते हुए, तकनीशियन मार्सेल वान डे कूलविक दिखाते हैं कि कैमरा कैसे काम करता है. ऑप्टिकल गैस डिटेक्शन इस तथ्य पर आधारित है कि गैसें वायुमंडल के रेडिएशन को सोख लेती हैं और इंफ्रारेड की मदद से दिखने लगती हैं. सामान्य वीडियो तकनीक से देखने पर गैस दिखाई नहीं पड़ती मगर इंफ्रारेड मोड में यह काले धुएं सी दिखाई पड़ती है. तकनीशियन व्यवस्थित रूप से प्लांट के अंदर रिसाव की तलाश कर रहे हैं. सैकड़ों वॉल्व, कनेक्शन और पाइपलाइनों की जांच की जानी है. गैस कैमरे के अलावा, बेहद सटीक तौर प
र जाँच करने वाला स्नीफिंग मीटर छोटे से छोटे रिसाव की खोज करता है. कंपनी का कहना है कि ऐसे प्लांट के दो दिनों के निरीक्षण के दौरान भी आमतौर पर कुछ छोटे-मोटे लीक का पता चल ही जाता है. हमारे मुआयने के दौरान गैस कैमरा कुछ भी दर्ज नहीं करता. ऐसी तस्वीरें कंपनियों को ज्यादा पसंद नहीं आतीं. कंपनियाँ सच में उत्सर्जन को कम करने की कोशिश कर रही हैं. लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि आप उनकी हर बात पर यकीन करें. और इसीलिए स्वतंत्र रूप से माप लेना और सही ढंग से परीक्षण की गई तकनीकों को स्थापित करना जरूरी है, ताकि
कंपनियां वास्तव में विश्वसनीय डेटा दे सकें. तो कहने का मतलब ये है कि मीथेन की मात्रा अभी भी बढ़ रही है और पिछले साल तो ये सबसे ज्यादा थी. फिर वायुमंडल में पाई गई लाखों टन प्राकृतिक गैस कहाँ से आती है? अगर हम स्वतंत्र रूप से लिए गए माप को आधार मानें तो जर्मनी से नहीं. ये काबिले तारीफ है कि तेल और गैस की वैश्विक निकासी का 0.1 प्रतिशत से भी कम यहाँ से होता है. वैश्विक उत्पादन में पूरे यूरोप का योगदान केवल 5 प्रतिशत है. तो इससे ये कहा जा सकता है कि विश्व स्तर पर तेल और गैस से मीथेन के उत्सर्जन में यू
रोप की हिस्सेदारी फिर भी कम होगी. तेल और गैस के मुख्य भंडार रूस और पूर्व सोवियत संघ के दूसरे देशों में पाए जाते हैं. और साथ ही मध्य पूर्व में, जहाँ पर्शियन गल्फ में प्रमुख उत्पादक भी शामिल हैं. पिछले 15 वर्षों में, खासकर उत्तरी अमेरिका में, उत्पादन काफी बढ़ा है. दुनिया का लगभग एक चौथाई तेल और प्राकृतिक गैस अब यहीं उत्पादित होती है. इसका ज्यादातर हिस्सा दक्षिण-पश्चिमी अमेरिका में स्थित तथाकथित पर्मियन बेसिन में है. टेक्सास और न्यू मैक्सिको के बीच का यह सीमावर्ती इलाका इस अरबों डॉलर के उद्योग के वै
श्विक केंद्रों में से एक है. लगभग 40 प्रतिशत अमेरिकी तेल का उत्पादन यहीं होता है, और 2011 के बाद से इस इलाके में प्राकृतिक गैस का उत्पादन 350 प्रतिशत बढ़ गया है. 2022 की पहली छमाही में उत्पादन में नए रिकॉर्ड की घोषणा की गई. पर्मियन बेसिन में एक लाख से अधिक तेल के कुएं हैं. जहाँ तक नज़र जाती है, इन मशीनों के अलावा कुछ नहीं दिखता. उत्पादन के दौरान मीथेन सहित कितनी प्राकृतिक गैस रिसती है? कोलोरैडो स्टेट यूनिवर्सिटी का एक शोध स्थल केवल इसी सवाल का जवाब ढूँढने में लगा हुआ है. एक दशक से ज्यादा वक्त से
, इंजीनियर डैनियल सिम्मरले कारखानों में हो रहे मीथेन के रिसाव का पता लगाने के तरीकों को बेहतर करने की कोशिश में लगे हुए हैं. इसके लिए उन्होंने एक अनूठी परीक्षण तकनीक बनाई है. यह पहली नज़र में सामान्य तेल और गैस के निकास वाली जगह जैसा दिखता है मगर असल में वह केवल उसके जैसी दिखने वाली बनावट है. यहां प्राकृतिक गैस जमीन से नहीं निकलती, बल्कि ट्रक द्वारा पहुंचाई जाती है. इसे अंदरूनी पाइपलाइनों के ज़रिए पूरी साइट पर भेजकर अपने मन मुताबिक छोड़ा जा सकता है. इससे शोधकर्ताओं को मापने वाले उपकरणों का परीक्षण
करने और तेल और गैस उत्पादन में रिसाव का पता लगाने में तकनीशियनों को प्रशिक्षित करने में मदद मिलती है. उस वर्टिकल पाइप को देखो. वहाँ हॉरिज़ॉन्टली एक छोटा सा वॉल्व निकला हुआ है. वे अब ऐसी प्रणाली के कमजोर बिंदुओं के बारे में बहुत कुछ जानते हैं. शायद पिछले पांच सालों में जो बड़ी चीज बदली है, वह यह है कि जब हम पांच साल पहले रिसाव की बात करते थे, तो लोगों का ध्यान छोटी-छोटी बातों पर होता था, जैसे ये जोड़ या वो जोड़ या कोई उपकरण. लोगों का ध्यान वहीं जाता था. लेकिन पिछले पांच, छह सालों में हमने जो सीखा ह
ै वह यह कि बड़ी समस्या की ओर तो हम पांच साल पहले देख ही नहीं रहे थे, जिनमें वॉल्व के फेल होने या किसी प्रक्रिया के फेल होने के कारण बहुत बड़ी मात्रा में उत्सर्जन होता है और फिर गैस का बड़ा गुबार दिखता है. आप उन साइटों को चलाने वाली कंपनियों की बात कर रहे हैं. और रेगुलेटर्स, कंपनियाँ जो साइट चलाती हैं, रेगुलेटर्स जो इन योजनाओं को बनाने में शामिल थे. मैं तो यहाँ तक कहूंगा कि जिन एनजीओ को एमिशन का ध्यान रखना था उन्हें दरअसल फ्रीक्वेंसी और आकार की समझ थी ही नहीं. बड़ी मात्रा में गैस का पर्यावरण में चु
पचाप घुलते जाना क्या यही वातावरण में भारी मात्रा में बढ़ती मीथेन का कारण है? हम इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ ऑयल एंड गैस प्रोड्यूसर्स की ओर रुख करते हैं, जिसकी महासचिव इमान हिल से हम एक इंटरव्यू के लिए ह्यूस्टन में मिलते हैं. हम आज यहां मीथेन के बारे में बात करने आए हैं. मेरा मतलब है कि, तेल और गैस उद्योग बहुत बड़ा है और अंतरराष्ट्रीय स्तर का है. तो क्या आपको उन सबका प्रतिनिधि मान सकता हूँ? मैं दावे से ये कह सकती हूं कि हम अपने उद्योग का प्रतिनिधित्व करते हैं, और हमारे यहाँ पूरी दुनिया से लोग हैं. हम अप
नी सदस्यता और उनकी सदस्यता का काफी खयाल रखते हैं और जितना हो सके विश्व स्तर पर सजग रहते हैं ताकि अपने सदस्यों को वो टूलकिट मुहैया करवा सकें जिससे मीथेन के मौजूदा उत्सर्जन के संबंध में जितना मुमकिन हो सके, उतना सटीक बेसलाइन तैयार किया जा सके और फिर उन्हें टूलकिट के रूप में डिलिवरेबल्स मुहैया करवाकर मीथेन उत्सर्जन में कटौती की योजनाओं को लेकर प्रोत्साहित करें. और दरअसल, इस क्षेत्र में कोई भी ऐसा नहीं है जो इस पर विश्वास नहीं करता हो. ऐसी एक भी सदस्य कंपनी नहीं है जिसके बारे में मुझे पता हो, जो यह
नहीं मानती हो कि यह उनके लिए सबसे बड़ी प्राथमिकता है और जो काम वे कर रहे हैं उसके एजेंडे में सबसे ऊपर है. यह सुनने में शानदार लगता है. लेकिन अमेरिका में जिन कंपनियों से हमने संपर्क किया उनमें से कोई भी हमें अपनी उत्पादन वाली जगहें दिखाने को तैयार नहीं है. हमें एक के बाद एक मना कर दिया गया. क्या बड़ी मात्रा में हो रहे मीथेन उत्सर्जन पर सच में किसी का ध्यान नहीं है? हम इंवायरनमेंटल डिफेंस फंड, ईडीएफ जो कि एक गैर-सरकारी पर्यावरण संगठन है, उसके स्वतंत्र शोधकर्ताओं, वैज्ञानिकों से संपर्क करते हैं. इस ख
ास कैमरे की मदद से, यह हेलीकॉप्टर आज यहां दक्षिण-पश्चिमी अमेरिका में मीथेन उत्सर्जन की खोज करेगा, और इसके सभी निष्कर्षों को ईडीएफ विशेषज्ञ डेविड लियोन व्यवस्थित रूप से दर्ज कर लेंगे. हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल अक्सर अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी भी करती है. ईडीएफ ने इसे फाउंडेशन को मिले अनुदान और डोनेशन के पैसे से अपने शोध के लिए किराए पर लिया है. आज पर्यावरणविद् साइट का निरीक्षण करेंगे और मीथेन के रिसाव को खुद देखेंगे. वैज्ञानिकों के अनुसार चुने गए क्रम में हेलीकॉप्टर आज 60 से अधिक उत्पादन वाली ज
गहों का दौरा करेगा. ये दल ऐसी जगहों पर जाएगा जहां गैस और तेल दोनों निकाले जाते हैं. गैस कैमरा, इंफ्रारेड की मदद से मीथेन का पता लगा सकता है. मिल गया! एक टैंक के इमरजेंसी वेंट से लगातार मीथेन निकल रही है. हेलीकॉप्टर चालक दल ने इस खोज की सूचना ग्राउंड स्टेशन को दी है. अब ईडीएफ शोधकर्ता चल पड़े हैं. सौभाग्य से, वे साइट के बहुत करीब पहुंचने में कामयाब हुए. अक्सर बोरहोल तक केवल निजी सड़कों से ही पहुंचा जा सकता है और आम जनता के लिए यह बंद होता है. इस उत्पादन करने वाले कुएं के पास भी, बाकी अधिकतर जगहों
की तरह लोग नहीं हैं. फिर भी, ईडीएफ शोधकर्ता रिग से सुरक्षित दूरी बनाए रखते हैं ताकि अवैध रूप से साइट में प्रवेश न हो. इस दूरी से भी, यह खास कैमरा बाहर निकलने वाली गैस का पता लगा लेगा. पता लगाना आसान है. तो इस साइट पर, हम टैंक के ऊपर लगेइन वॉल्वों से लगातार मीथेन निकलती देख रहे हैं. तो मेरे हिसाब से, यह उपकरण एक सेपरेटर है और यह तेल और गैस को अलग करता है. और अगर यह ठीकठाक काम कर रहा है, तो यहाँ से तेल टैंकों में जाएगा और गैस पाइपलाइन में जाएगी ताकि इसे ग्राहकों को बेचा जा सके. लेकिन हमें लगता है
कि हुआ ये कि सेपरेटर में एक वॉल्व फंस गया होगा और इसलिए गैस पाइपलाइनों में जाने के बजाय टैंक में और फिर बाहर वायुमंडल में जा रही है. इसलिए इससे न केवल मीथेन बाहर निकल रही है, बल्कि कंपनी को उत्पाद का नुकसान भी हो रहा है. इसलिए कंपनियों के लिए भी उपकरणों को ठीक करना दरअसल जरूरी है. जैसे इस मामले में, सेपरेटर अगर वहाँ से उत्सर्जन रोक लेंगे तो वे ज़्यादा प्राकृतिक गैस बेच पाएंगे. और यह खोज आज की आखिरी खोज नहीं है. चालक दल ने एक के बाद एक खराब वॉल्व और टैंकों में रिसाव का पता लगाया. और खराब फ्लेयर क
ा भी जहां अतिरिक्त प्राकृतिक गैस आधी-अधूरी जलती है. हाँ यह एक बहुत ही आम समस्या है. तो दो सबसे बड़े मुद्दे जो हमारे सामने हैं वे हैं टैंकों से असामान्य रूप से होने वाले रिसाव और बिना जले फ्लेयर्स. इसलिए हम पर्मियन बेसिन में कुल उत्सर्जन को मापने से लेकर अलग-अलग साइटों पर उत्सर्जन को मापने तक, विभिन्न पैमानों पर कई प्रकार के माप लेते हैं. इंवायरनमेंटल डिफेंस फंड वह काम कर रहा है जो सरकार को करना चाहिए था. दो साल से शोधकर्ता टेक्सास और न्यू मैक्सिको में डेटा जमा कर रहे हैं. बड़े क्षेत्रों को विमान
द्वारा स्कैन किया गया. वायोमिंग यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों को सभी निजी उत्पादन स्थलों और सेंट्रल गैस प्रोसेसिंग प्लांट्स से हो रहे रिसाव संबंधी दस्तावेज बनाने का काम सौंपा गया. ईडीएफ के लिए मीथेन का पता लगाने वाले मिशनों पर हेलीकॉप्टर को बार-बार भेजा गया. बिना जले हुए फ्लेयर्स से बहुत मात्रा में मीथेन निकलती है. फ़्लेयर का इस्तेमाल तेल उत्पादन के वक्त निकली अतिरिक्त गैस को जलाने के लिए किया जाता है, जो गैस के लिए ट्रांसपोर्ट पाइपलाइन बनाने की तुलना में एक सस्ता समाधान है. लेकिन बुझे हुए या ख़रा
ब फ्लेयर्स नुकसानदेह ग्रीनहाउस गैस को सीधे वायुमंडल में छोड़ते हैं. शोधकर्ताओं को और ऐसी कई घटनाओं का पता लगा. ईडीएफ और उसके सहयोगियों ने जो सबूत जुटाए हैं, वे जबरदस्त हैं. लेकिन इस उद्योग के लिए वो उसके खिलाफ हैं. जाहिर तौर पर कंपनियों के दावे से दस से पंद्रह गुना ज्यादा मीथेन दक्षिण-पश्चिमी अमेरिका में छोड़ी जा रही है. ईडीएफ लगातार अपने निष्कर्षों को ऑनलाइन अपडेट करता है, साथ ही इससे जुड़े ऑपरेटरों को सूचित भी करता है. उनकी प्रतिक्रियाएँ अलग-अलग होती हैं. कई ऑपरेटर अब यह पता लगाने की कोशिश कर रह
े हैं कि वास्तव में इन रिसावों की वजह क्या है और फिर यह भी कि इसे बार-बार होने से कैसे रोक सकते हैं. लेकिन अभी भी बहुत सी कंपनियां हैं जो माप नहीं लेतीं मगर उनको सच में यह पता लगाने की जरूरत है कि यह रिसाव कहाँ से हो रहा है ताकि वो उसे कम करना शुरु कर दें. कोलोरैडो स्टेट यूनिवर्सिटी के डैनियल सिम्मरले को भी ऐसे ही अनुभव हुए हैं. फैट टेल्स के बारे में क्या कहना चाहेंगे? भारी मात्रा में उत्सर्जन का क्या? इन सबके बारे में क्या किया जा सकता है? जहां बड़ी मात्रा में गैस निकलती है, वहाँ के लिए दो बातें
कहना चाहूँगा, पहली बात इस बात को मानना कि ऐसा हो रहा है, ठीक है? कई बेसिनों के ऊपर से जाते विमान या सेटेलाइट इस बात को जोर देकर कहने लगे हैं कि उत्सर्जन हो रहा है. पाँच साल पहले लोग ये मानने को तैयार ही नहीं होते थे कि ऐसा कुछ होता भी है. ओके? तो इसलिए पहला काम जागरूकता है. हमने सीएसयू एमईटीईसी के डैन सिम्मरले से बात की. और उन्होंने मुझे बताया कि ऑपरेटर अक्सर हैरत में पड़ जाते हैं कि इतना उत्सर्जन? खासकर अगर हेवी टेल की बात हो. ऐसा लगता है कि आपसे जुड़ी कई कंपनियों को शायद उनके उत्सर्जन के बारे म
ें बहुत कुछ पता ही नहीं है. मैं इस पर आपसे असहमत हूँ. और वाकई होना चाहूँगी. और मैं डैन के बारे में या उनके काम के बारे में कुछ नहीं बोल सकती. मैं अगर कुछ बोल सकती हूँ तो वो है हमारा अपना काम, हमारी आपस की बातें और हमारे सदस्य कंपनियों के काम करने का तरीका. ऐसा लगता है कि तेल और गैस उद्योग की कई कंपनियां अभी भी मानने को तैयार नहीं हैं. लेकिन इन नए खुलासों से उन पर दबाव पड़ रहा है. फ्रांस की डेटा विश्लेषण कंपनी काइरोस में, विशेषज्ञों ने अपने तरीके में सुधार किया है. अब वे रोज पर्यावरण उपग्रहों से म
िलने वाले सामान्य डेटा से भी सभी कंपनियों और प्लांट्स की पहचान कर सकते हैं. ये पीली धारियां बेहद लंबी मीथेन गैस के गुबार हैं. एक-एक जगह से हर घंटे कई टन मीथेन गैस वायुमंडल में घुल रही है. और विश्लेषक दुनिया भर में व्यावहारिक रूप से सभी प्रमुख तेल और गैस उत्पादन क्षेत्रों में ऐसे बड़े उत्सर्जकों का पता लगा रहे हैं. यह बहुत ज्यादा है. हमने अपने काम की शुरुआत में सोचा था कि हम हर साल शायद एक दर्जन बार ऐसा करेंगे. लेकिन हम कभी-कभी एक दिन में एक दर्जन बार ऐसा करते हैं. एक हफ्ते में तो हमेशा दर्जन से ज
्यादा बार ऐसा करना पड़ता है. तो ऐसा बार-बार, कई बार होता है. यह थोड़ा रुक रुक कर होता है. वे बहुत लंबे समय तक नहीं टिकते हैं. लेकिन कुछ ही घंटों में, ये बड़े उत्सर्जक हजारों कारों के सालाना कार्बन के बराबर उत्सर्जन कर देते हैं. 2022 की शुरुआत में दक्षिण-पश्चिमी अमेरिका में उत्सर्जन में एक तिहाई बढ़ोत्तरी आ गयी. विश्लेषक मध्य पूर्व और रूस में भी सुपर-एमिटर ढूंढ रहे हैं. उद्योग जगत ने इन खुलासों पर सवाल उठाया है. शुरुआत में, जब उपग्रहों ने उत्सर्जन के स्तर का खुलासा करना शुरू किया जो कि कंपनियों की र
िपोर्ट से काफी ज्यादा था, तो थोड़ा अविश्वास, थोड़ी मुश्किलें और फिर इस बात को नकारने की मुहिम चली. अब हम उस बात से आगे बढ़ चुके हैं. अब हम एक कड़वी सच्चाई का सामना कर रहे हैं, जो कि एक समस्या है, एक चुनौती है, क्योंकि इसका उद्योग पर बुरा असर पड़ता है. लेकिन यह एक अवसर भी है क्योंकि बहुत कुछ किया जा सकता है, जल्दी किया जा सकता है, सस्ते में किया जा सकता है, और इस तरह से किया जा सकता है कि उस बात पर भरोसा किया जा सके. तकनीकी समाधान पहले से ही मौजूद हैं जैसा कि कोलोरैडो स्टेट यूनिवर्सिटी में देखा गया
है. डैनियल सिम्मरले और उनके सहयोगी हमें माप की वो तकनीक दिखाते हैं जिससे मीथेन उत्सर्जन का सस्ते में और जल्दी पता लगाया जा सके. कई अलग-अलग निर्माता आजकल अपने कैम्पस में अपने सेंसर और कैमरों का परीक्षण कर रहे हैं. अभी तक जैसा चलता आया है, उसके उलट उद्देश्य यह है कि उत्पादन सुविधाओं और पाइपलाइनों की चौबीसों घंटे व्यापक निगरानी की जा सके. परीक्षण जहां तक हो सके असल समस्या के करीब हो, इसके लिए शोधकर्ता एक सीक्रेट टेस्ट प्रोटोकॉल चला रहे हैं. जिसमें कई दिनों तक, वे बार-बार अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग मा
त्रा में मीथेन गैस छोड़ते हैं. लेकिन निगरानी करने वालों को यह नहीं पता होता कि कब, कहां और कितनी मात्रा में गैस छोड़ी जाएगी. यह तकनीक वहाँ के ऑपरेटर को तुरंत सचेत करने के काबिल होनी चाहिए, ताकि वे मीथेन रिसाव को रोक सकें. यह काम करता है. कैमरे में मीथेन दिख जाती है. तो क्या मुश्किलें खत्म हो गईं? मेरा काम रिसाव का पता लगाना और मरम्मत करना ही है, इसलिए मुझे रिसाव का पता झट से लगा लेना चाहिए. है न? लेकिन असल में, रिसाव का पता लगाना उत्सर्जन को कम करने का शायद सबसे खराब तरीका है. ठीक है? यह तीर के क
मान से छूटने के बाद उस पर विचार करने जैसा है. तो दरअसल होना ये चाहिए कि अपनी प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिए अपने रिसाव का पता लगाने वाली जानकारी का इस्तेमाल करें. इसलिए उत्सर्जन को कम करने का सही तरीका यह है कि अपनी साइट पर ध्यान दें उसका डिज़ाइन, उत्सर्जन को कम से कम होने देने वाला होना चाहिए. और फिर आप आखिर में, इन सबके बावजूद बचे हुए थोड़े-बहुत रिसाव का पता लगाने की कोशिश करें. जर्मनी में, ऐसे लगातार निगरानी वाले तरीके अभी तक इस्तेमाल में नहीं हैं. तेल और गैस कंपनियाँ अब तक छोटे रिसावों को ढू
ँढने में वक्त लगाती हैं और वो भी साल में एक बार. इसलिए उनसे भी मीथेन के उत्सर्जन की अनदेखी हो ही रही होगी. अभी भी दोनों में अंतर है मतलब असल में हो रहे उत्सर्जन और हम जिस उत्सर्जन की रिपोर्ट कर रहे हैं, उसमें अभी भी अंतर है. और हम अब इस अंतर को कम करने के लिए काम कर रहे हैं. इस संबंध में, उत्सर्जन के और भी स्रोतों को ढूँढा गया है, ऐसे स्रोत जिनके बारे में हमें पहले कोई भी जानकारी नहीं थी. लेकिन यकीनन हम इस अंतर को कम करेंगे और इसकी पहल हो चुकी है. हम समझते हैं, और हम सुधार करना चाहते हैं. बर्लिन
में एक नॉन-प्रॉफ़िट ऑर्गेनाइज़ेशन इस इंडस्ट्री की गतिविधियों पर बारीकी से नजर रख रहा है. जर्मनी स्थित इंवायरनमेंटल एक्शन, कुछ समय से तेल और गैस कारखानों से हो रहे मीथेन उत्सर्जन के खिलाफ अधिक सिलसिलेवार कार्रवाई की मांग कर रहा है. हम इसके कार्यकारी निदेशक, साशा मुलर क्रेनर से कंपनियों के प्रयासों के बारे में पूछते हैं. यह अच्छा है कि अब उद्योग की ओर से खुद ही एक पहल हो रही है जिसमें कहा गया है कि हम समस्या का आकलन करना चाहते हैं. लेकिन खुद से की गई इस पहल के अलावा, हमें यकीनन कानूनी नियमों की भी
जरूरत है, क्योंकि आखिरकार यह उन कार्रवाईयों को लेकर है जिसमें पैसा खर्च होता है. और जब खुद अपनी बात पर खरे उतरने की बात आएगी, तो इसमें कोई बंधन नहीं होगा, यह खुद से कही गई बात है, और मीथेन की कटौती के महंगे उपाय शायद नहीं किए जाएंगे. इसलिए हमें यहां स्पष्ट कानून की जरूरत है. इस संगठन ने इस बात की आलोचना की है कि जर्मनी में कंपनियां अपने मीथेन उत्सर्जन को मापने के लिए भी बाध्य नहीं हैं. यूरोपीय संघ, एक समान मीथेन रणनीति पर काम कर रहा है, लेकिन यह विषय सालों से अंदर ही अंदर चलता आ रहा है. प्रस्ताव
के मसौदे के अनुसार कंपनियों को अपने उत्सर्जन को मापना चाहिए. और यह दावे के साथ बताना चाहिए कि प्राकृतिक गैस को जानबूझकर नहीं छोड़ा जा रहा. कई देशों में रखरखाव के दौरान यह अभी भी आम बात है. लेकिन उससे निपटने का एक और तरीका है. यहां, लंबी दूरी वाला नेटवर्क ऑपरेटर ओजीई एक सक्रिय गैस पाइपलाइन पर एक नया कंप्रेसर स्टेशन बना रहा है, जो प्राकृतिक गैस से भरा है. सबसे करीब, जहां पाइप बंद किया जा सकता है वह जगह, 17 किलोमीटर दूर है. पाइपलाइन को सुरक्षित रूप से खोलने के लिए, पांच सौ टन से अधिक प्राकृतिक गैस
को इस हिस्से से हटाया जाना चाहिए. इस 17 किलोमीटर लंबे पाइपलाइन के हिस्से में, जिसे बंद कर दिया गया है और अब खाली किया जा रहा है, जिनमें से प्राकृतिक गैस निकाली जा रही है, वहाँ से एक साल के लिए 530 सिंगल-फैमिली वाले घरों में गैस पहुंचाई जा सकती है. जबकि आज से लगभग 10-15 साल पहले, इसे वायुमंडल में छोड़ दिया गया होता. रूस जैसी जगहों पर जहां यह अब भी आम है, मीथेन के सेटेलाइट इमेजरी में एक सुपर-एमिटर दिखाई देता है. ऐसे ट्रकों में निवेश करके, ओजीई ने अपने खर्चे को बहुत कम कर दिया है. मोबाइल कंप्रेसर प
ाइपलाइन सेक्शनों के बीच प्राकृतिक गैस को एक जगह से दूसरी जगह भेजने के लिए भारी दबाव का इस्तेमाल करते हैं. अब गैस बर्बाद नहीं होती. उत्सर्जन को नियंत्रित करने के केवल आर्थिक फायदे नहीं हैं. ईयू की मीथेन संबंधी पहल में कई जरूरी चीजें शामिल हैं. पहली बार, ईयू में मीथेन उत्सर्जन को एक खास मानक के रूप में दर्ज, रिपोर्ट और सत्यापित भी किया जाना है. लेकिन अभी भी बहुत सी महत्वपूर्ण चीजें गायब हैं. सबसे खास बात यह कि अधिकांश प्राकृतिक गैसों का उत्पादन यूरोपीय संघ में नहीं होता है, बल्कि ये मंगाई जाती हैं
. और मीथेन का ज्यादातर उत्सर्जन यूरोपीय संघ के भीतर नहीं, बल्कि उत्पादक देशों में होता है. यूरोपीय संघ अपनी प्राकृतिक गैस की जरूरतों का केवल एक छोटा सा हिस्सा ही अपने उत्पादन से पूरा कर सकता है. बड़े आपूर्तिकर्ता नॉर्वे और रूस हैं, जिन्होंने यूक्रेन युद्ध से पहले यूरोप की लगभग चालीस प्रतिशत गैस की आपूर्ति की थी. लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि जर्मनी और यूरोपीय संघ ने अपनी गैस कहां से मंगाई है, आज तक सप्लायरों के मीथेन उत्सर्जन पर उनका बहुत कम या कोई नियंत्रण नहीं रहा है. फिर भी यह बात तो तय ह
ै कि अगर हम ग्लोबल वॉर्मिंग से निपटना चाहते हैं तो स्वच्छ उत्पादन के लिए बेहतर मानक तय होने जरूरी हैं. यूरोपीय संघ को दरअसल अपने यहाँ आयात की जाने वाली प्राकृतिक गैस के लिए निश्चित तौर पर लेबलिंग शुरू करनी होगी. और आपको बारीकी से जांच करनी होगी. क्या ऑपरेशन पारदर्शी हैं? उत्पादन के दौरान कितनी मीथेन रिसती है? क्या यह जलवायु के अनुकूल है? ऊर्जा से जुड़ी अपनी जरूरतों को पूरा करने की होड़ में, हम अपनी जलवायु को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते. कभी-कभी मुझे लगता है कि जलवायु पर किसी का ध्यान ही नहीं है. हमारे
शोध का निष्कर्ष यह रहा कि साल-दर-साल 80 मिलियन टन से अधिक मीथेन प्राकृतिक गैस के रूप में वायुमंडल में घुलती है. यह सब रोका जा सकता है. यह गैस ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनती है और साथ ही हमारा एक कीमती ऊर्जा का स्रोत बर्बाद होता है. जब आपको लगता है कि पूरे उद्योग और परिवहन क्षेत्रों को पुनर्गठन की जरूरत है तब आपको बेबसी का एहसास होता है. और इसे निजी तौर पर किया भी नहीं जा सकता है, यह केवल राजनीतिक स्तर पर मुमकिन है. और उसके बाद इसे विश्व स्तर पर लागू करना होगा, फिर से राजनीतिक रूप से भी, और हम सब
जानते ही हैं कि वैश्विक राजनीति में संयुक्त कार्रवाई अभी थोड़ी सीमित है. इसलिए केवल यह आशा कर सकते हैं कि कुछ मामलों में प्रगति होगी और महत्वपूर्ण रूप से होगी. हमारे पास ज्यादा वक्त नहीं बचा है.

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