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और एक किलो खरा इसके बैग में मैंने लोड कर
दिया है और इसकी फटी जा रही जय श्रीराम भाई ने यार बोला प्यार से तो हमने कहा
क्यों ना भाई का थोड़ा सा खर्च करवा जाए आप लोग देख के पता कर सकते हो क्या है
नवाब के शहर लखनऊ से तो फाइनली हम सीतापुर पहुंच ही
गए और यह है यहां का सीतापुर स्टेशन सभी भोलेनाथ के भक्तों को और सभी देखने वालों
को दोस्तो कल का बलग आ नहीं पाया क्योंकि का इशू आ गया था इसलिए कल का ब्लॉग शूट
नहीं कर पाए और कल की इतनी समस्या हुई ना कि हम लोग रात भर भटकते रहे क्यों रात
8:30 बजे हमने छोटा सा मं
दिर दिखा उसके आगे हमने टट लगा लिया और वहां पर कैसे रात
बिताई है अभी ऐसे रात पता नहीं कितनी बितानी पड़ेगी ऊपर से यह धूप य गर्मी ना
हालत खराब कर देती तो अलग परीक्षा ले रही है पूरा अपने वो लग रहा है कि तोड़ के
मारे क्या है ना हम लोग ऐसे ही सूखे हैं यह धूप हो और सुखा रही है भाई अभी हम शाह जलालपुर में थे और वहां
से निकले हैं नहा धो के बढ़िया फ्रेश होके और सुबह से यार धूप बहुत तेज हो जाती
है आज का हमारा जो टारगेट है व नहीं है ना आज 20 किमी हा 20 किमी समथ आया था एक महंत
के द्वारा वही आश्रम पर जाके देखत
े क्या सीन है बाकी भोलेनाथ के भरोसे चलते रहेंगे
हम लोग आज चल रहे हैं 20 किलोमीटर की आज हमारे पूरा टारगेट है देखते हैं 20
किलोमीटर से ज्यादा आज चलने का नहीं क्योंकि जो मत जी थे व हमको परसों मिले थे
और उन्होंने इनवाइट किया था खैराबाद सीतापुर के पास में ही है एक दो किलोमीटर
आगे पीछे होगा तो वहा आज हमारा स्टे का प्लान है हम दोनों का पहले ही बुला दिया
है कार्ड भी हमारे पास है हमने बोला जब भी आप वहां आ हमारे आश्रम पर रुक के एक बार
जरूर जाना फिलहाल अच्छे लोग मिलते रहते हैं और
वह अंकल जी मिले थे परसों व
ा वो भी जबरदस्त है जबरदस्त भाई उन्होंने तो कल
परसों से लेकर कल तक इतना फोन किया इतना बुलाया कल बोल रहे थे हम लोगों को रुक
जाओ हम लोग रुके नहीं अगर वहां रुक जाते ना
तो शायद इतना भटकना नहीं पड़ता और शद वा कर और भी हो सकता था और भी हो सकता और ये
भाई का एक ढाबा मिला तो हम लोगों ने सोचा क्यों ना चाय पीते हैं सुबह सुबह एक गर्म
सी क्यों और यह भाई ने बनाया यार
जबरदस्त तो एक कप चाय के बाद थोड़ा सा फोन चार्ज करेंगे फिर यहां से निकलेंगे धूप तो
बढ़ती जा रही है यार पर क्या करें चलना है तो धूप को इग्नोर करना
पड़ेगा सुबह की
चाय चाय वाले
हेलो यह तो चाय पीता नहीं है बस केवल चाय देखता है देख के इसका पेट भर जाता
है बट हम तो भाई चाय पीते हैं यह आ गई दूध वाली चाय और पीने के बाद फिर स्टार्ट
करेंगे यहां से अपनी यात्रा आगे की तरफ क्या सिस्टम बना रखा है देख रहे हो
मतलब ये सिस्टम है भाई हम लोगों का आ इसके चक्कर में हम लोग का पानी नहीं है
हमारे पास जो बोतल था ना उसम ने चना भिगो दिया और अभी पानी पीने के लिए हमारे पास
बोतल नहीं है और ना इधर आसपास कहीं पानी है देखते हैं फिर चने खाखा के प्यास बुजा
रहे हैं खा भी नहीं
था चाय पया था आगे और चलते जा रहा इस रो
सरी इस रोड प दूर दूर तक होटल नहीं है भाई चनी है और पानी भी
पीने के लिए रहने के लिए भी काफी ज्यादा प्रॉब्लम हुई रात को हम लोग इस जगह प रुके
बहुत ही ज्यादा दिक्कत हुई बस भोलेनाथ के सहारे काली माता की मंदिर में रुक गए अी
हम लोग बारा भारी चौराहे पर हैं चते हैं यहां और हैदराबाद यहां से बस नजदीक में ही
है भूख बहुत तेज लग रही थी यार हमने सोचा क्यों ना कुछ नाश्ता किया जाए अभी देखो
गरमागरम समोसे आ गए भाई ये करार से और यह तो हमारा पसंद है और हमारी फेवरेट चटनी है
यह
हट्टी वाली और इसकी है यह मीठी यार मुझे समोसे के साथ ना हट्टी चटनी अच्छी
लगती है यहां पर
आगे खैराबाद का जो सीतापुर का टोल गेट है ना ये सामने है आधा किलोमीटर आगे 500 मीटर
आगे दिखा रहा है अभी सीध पहुंचे नहीं थे यार और
दोपहर का टाइम हो गया कुछ खाया जाए भूख इतनी ज्यादा लगी ी आगे समोसे खाए फिर भी
भूख लग रही थी और इसका तो चलना मुश्किल हो रहा था और सबसे पहले इसका फेवरेट चीज जो
है वह चावल है तो हमने सोचा क्यों ना यहां पर इसको बिरयानी दिखी वैसे बेस बिरयानी
है बिरयानी के नाम से लोग दूसरा ही समझ लेते हैं इस
लिए बताना
पड़ता है कि बेस बिरयानी है भाई लंच चच करके निकले थे भाई हम लोग और धूप ज्यादा
थी एक बज रहे तो हमने कहा क्यों ना रेस्ट किया जाए थोड़ा सा छा होगा जबी चलेंगे तो
यहां पर आए तो एक आम का बाग इधर दिखा तो उस साइड में जब हम गए थे ना तो वहां पर
बाग पूरा जुताई हो रखी थी बाग की तो मिट्टी मिट्टी था इसलिए हम इस वाले बाग
में आ गए इसमें जुताई हुई नहीं है तो बिस्तर लगा लिया अपने ये और यहां पे थोड़ा
आराम करेंगे थोड़ी देर क्योंकि इसका पैर का हालत बहुत ज्यादा खराब हो रहा है देखो
इसके पैर में छाले हो रहे है
ं देख रहे हो कितना तगड़ा और इसमें भी तो इसको रेस्ट की
जरूरत थी इसलिए मैंने सोचा कि धूप भी ज्यादा हो रही है ना पसीने होते हैं तो
इससे और ज्यादा दिक्कत होती है इंफेक्शन हो सकता है तो इसलिए मैंने सो रेस्ट करते
हुए चलेंगे जब थोड़ा छाव होगा और पानी भी ले रखा है मैंने क्योंकि पानी
की सखत जरूरत पड़ती है भाई ऐसे टाइम में अगर पानी नहीं है तो कुछ भी नहीं है
फाइनली हम सीतापुर पहुंच ही गए हां और ये है यहां का सीतापुर स्टेशन जंक्शन है ये
और अभी इधर प्रोग्रेस है कार आगे है इसका बड़ा जंक्शन व सीतापुर जंक्शन दे
ख सकते हो
और हम यार बायपास से होकर निकले नहीं क्योंकि हम अंदर से होके जा रहे हैं शहर
के अंदर से सीतापुर क्योंकि मैं कभी आया नहीं सीतापुर तो मैं भी देखना चाहता हूं
सीतापुर कैसा है क्यों देख यार मेरे समझ में नहीं आ रहा सीतापुर नाम है पर मैंने
सर्च भी किया सीतापुर का कोई ऐसी खास चीज नहीं दिखी जिसके लिए सीतापुर इसका नाम
हो कुछ आईडिया है अगर किसी को सीतापुर के बारे में सीतापुर इसका नाम क्यों पड़ा तो
हमको कमेंट करके जरूर बताना सतापुर का जंक्शन का गेट देख र हो
सामने सीतापुर जंक्शन रेलवे स्टेशन पर आपका
स्वागत यहां प जिस तरह से यह ब ना हुआ है ना ऐसा लगता
नहीं कि यहां पर ज्यादा क्राउड होता हो क्या ले लिया क्या ले लिया थैंक य भैया थैंक
यू तो यह भाई सीतापुर में हमको मिले हेलो ब्रो जय श्री राम हर हर महादेव ज श्री राम
जय श्री राम भाई ने यार बोला प्यार से तो हमने कहा क्यों ना भाई का थोड़ा सा खर्च
करवा जाए क्यों क खालो
मुंह में लग गया मेरा ठंडा गरम दोनों नहीं ओनली ठंडा ठंडा तो अभी सीतापुर में तो हम लोगों का
एंट्री हुआ है पहले लोग ऐसे मिले हैं जिन्होने हम लोगों को इनवाइट किया है
क्यों क्या बोलते हैं कै
सा लगा मजा आया तो एक बार ये चोको
बार खाके देखते हैं और फिर क्रॉस करते हैं सीतापुर देखते हैं अब शाम होने वाला है
कहीं रुकने की जगह भी ढूंढनी पड़ेगी का एक किलो खीरा मिला और एक किलो खीरा इसके बैग
में मैंने लोड कर दिया है और इसकी फटी जा रही पीछे से यूपी में गुटका ज्यादा खाते हैं लोग
इसलिए लेकिन इधर खीरे बहुत बिक रहे है ना और अभी सस्ते
मिल अभी तो हम लोगों ने का एक दिया था वहा आप लोग देख के पता कर सकते हो क्या है
नवाबों के शहर लखनऊ से आता है कबाब पराठा इसको खाना नहीं आता भाई क्योंकि इसने ने
कभी खाया न
हीं कबाब प जदा खाया मैंने कबाब पराठा कब पराठ तो नहीं खाया लेकिन इसका
बाप खाया बेज रोल बरोल खा और यह भाई है तो भाई शुभ नाम
अ भाई अभी हम लोग को यही मिले थे सीतापुर में या हम लोग क्रस कर रहे थे भाई मिले
इनवाइट किया यार हमलोग को तो प्यार है भाई का यार सिस्टम है भाई का अपना सिस्टम है इसलिए तो पड़ रहा
है चलो आगे फिर मिलते हैं क्योंकि शाम हो रही है निकलना भी है यहां से र आज सीतापुर
के इस मंदिर में हम रुक रहे हैं बाबा नीम करौली नगर है ये और यह देख रहे हो मां
काली जी का मंदिर है और अपना रुकना आज यहीं पर
हो रहा है यार
इस मंदिर पर यह देखो माता जी की मंदिर है
सामने तो आज यहीं पर हम लोग रुक रहे हैं और कल यहां से हम निकलेंगे क्योंकि आज
यहीं प विश्राम करना है अब क्यों आप कहां से आए हो मैं हां मैं तो पृथ्वी से ही हू
पृथ्वी से हां तो तो अभी आज का ब्लॉग यहीं पर एंड करते
हैं और मिलते हैं आपको मॉर्निंग में सुबह एक नई उमंग और नए यात्रा के साथ तब
तक खुश रहिए मस्त रहिए और मिलते हैं सुबह
Comments
Happy journey ❤❤
HAR har mahadev 🚩🚩