होली वाला दिन था तो मैंने भांग पी और फिर
उस भांग ने जो मुझे पिया मैं इतना भंड हो गया था मैं अपने घर
जाके अपना ही नाम चल्ला रहा था तो फिर मेरे पापा आए और कहते कि बेटा
वो तो नहीं है क्योंकि होली वाला दिन था तो पापा भी
भंड थे मैंने कहा ठीक है अंकल मैं चला
गया पर कॉलोनी का एक चक्कर लगा के वापस आ गया पापा अभी भी वही खड़े अब पापा कह र
बेटा तेरे से ना कोई मिलने आया था देख शायद यहीं तक गया होगा फिर मैं
देखने गया अपने आप को मैं देखने गया अपने दोस्त सचिन के पास
जिसके साथ भांग पी थी वो तो अलग ही रॉकेट बना
हुआ था और मैं घर गया सचिन के सचिन
दीवार के सामने खड़े होके ऐसे कर रहा मैं कहा भाई ये क्या कर रहा है तू कह
रहा तुझे दिख नहीं रहा क्या मैं कहा भाई दिख तो रहा है पर समझ नहीं आ रहा कह रहा
समझ तो मुझे भी नहीं आ रहा y
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