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अल्बानिया में कुदरत पर मंडराता ख़तरा [Will Albania's lagoon survive?]। DW Documentary हिन्दी

नार्ता लगून के अल्बानियाई नेचर रिज़र्व में फ्लैमिंगो पक्षी का निवास ख़तरे में है. पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए यहां अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाया जाना है. लेकिन इसकी कीमत चुकानी होगी यूरोप के आख़िरी बचे प्राकृतिक स्थलों में से एक, पक्षियों के बसेरे को. अल्बानिया में यूरोप के पहले प्राकृतिक नदियों वाले राष्ट्रीय उद्यानों में शामिल इस रिज़र्व के बिल्कुल करीब एक बड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाया जाना है. अल्बानियाई सरकार के अनुसार, यह देश में पर्यटकों की संख्या बढ़ाएगा और रोज़गार पैदा करेगा. लेकिन अल्बानिया के पर्यावरण संरक्षण संगठन के लिए काम करने वाले ज़िडयोन वोर्प्सी ने चेतावनी दी है कि इस विशाल और अछूते दलदली इलाके के बीच में एक हवाई अड्डे का निर्माण यूरोप के आख़िरी बचे प्राकृतिक वादियों में से एक को नष्ट कर देगा. वह ख़ास तौर पर नार्ता लगून इलाके में रहने और प्रजनन करने वाली पक्षियों की दुर्लभ प्रजातियों के बारे में चिंतित हैं, जिन्हें वह नियमित रूप से गिनते और सूचीबद्ध करते हैं. चाहे दुर्लभ पेलिकन हों, फ्लैमिंगो या लुप्तप्राय प्रजातियाँ जैसे वुड सैंडपाइपर या कर्लू, वे सभी इस प्रोजेक्ट के कारण ख़तरे में पड़ जाएंगे. हालांकि नार्ता लगून को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संरक्षण प्राप्त है, लेकिन निर्माण फिर भी चालू है. ज़िडियोन वोर्प्सी और PPNEA (प्रोटेक्शन एण्ड प्रिज़र्वेशन ऑफ नैचुरल एनवायरनमेंट इन अल्बानिया) के अधिकारियों का तर्क है कि वियोसा-नार्ता संरक्षित क्षेत्र में हवाई अड्डा परियोजना, अल्बानिया के अपने कानूनों के खिलाफ है और जैव विविधता की सुरक्षा पर इस देश द्वारा किए गए अंतरराष्ट्रीय समझौतों का भी उल्लंघन है. उन्होंने परियोजना के खिलाफ मुकदमा दायर किया है और उन्हें विदेशी प्रकृति संरक्षण संगठनों का समर्थन मिल रहा है. क्या वे अब भी निर्माण रोक सकते हैं? यह समय के खिलाफ रेस लगाने जैसा है क्योंकि हवाई अड्डे का काम 2025 तक पूरा करने की योजना है. #dwdocumentaryहिन्दी #dwहिन्दी #albania #flamingo ---------------------------------------------------------------------------------------- अगर आपको वीडियो पसंद आया और आगे भी ऐसी दिलचस्प वीडियो देखना चाहते हैं तो हमें सब्सक्राइब करना मत भूलिए. विज्ञान, तकनीक, सेहत और पर्यावरण से जुड़े वीडियो देखने के लिए हमारे चैनल DW हिन्दी को फॉलो करे: @dwhindi और डॉयचे वेले की सोशल मीडिया नेटिकेट नीतियों को यहां पढ़ें: https://p.dw.com/p/MF1G

DW Documentary हिन्दी

9 hours ago

हर साल योनी नार्ता लगून में पक्षियों की गिनती करने आते हैं. हर दिन हमें यहां लगभग 2000 से लेकर 4000 पक्षी दिखते हैं. अगर यहां आसपास हवाई जहाज़ उड़ने लगे तो यह बिल्कुल मुसीबत बन जाएगा. पास में ही सरकार एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बना रही है. इस नेचर रिज़र्व के ठीक बीचों-बीच. इसकी वजह ज्यादा पर्यटकों को आकर्षित करना है. आखिरकार यह गैर-कानूनी है. लोगों से कोई विचार-विमर्श नहीं विशेषज्ञों की कोई राय नहीं, पर्यावरण पर इसके असर की कोई सोच नहीं और भी बहुत सी बातें जिन्हें नज़रअंदाज़ किया गया है. क्या यो
नी और उनकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी हवाईअड्डे को पूरा होने से रोक सकेगी? ज़िडियोन वोर्प्सी उनके दोस्त उन्हें प्यार से योनी बुलाते हैं. योनी को पक्षियों की तस्वीरें लेना पसंद है. वह उन्हें गिनते भी हैं यह उनका काम है. वह पर्यावरण संरक्षण के लिए सक्रिय एनजीओ "प्रोटेक्शन एण्ड प्रिज़र्वेशन ऑफ नैचुरल एनवायरनमेंट इन अल्बानिया" या संक्षेप में कहें तो पीपनिया (PPNEA) के लिए काम करते हैं. वह यहां तीन हफ्ते से हैं. उसके काम में बड़े धीरज की ज़रूरत होती है. कभी-कभी किसी दुर्लभ प्रजाति की पक्षी को खोजने में क
ई दिन लग जाते हैं. हाँ मैं बचपन से ही अपने धैर्य के लिए जाना जाता हूं. मैं उन दिनों बास्केटबॉल खेला करता था और मेरे प्रोफेसर मुझसे और मेरी टीम से मेरी तरह ही धैर्यवान होने को कहते और यह भी कि मुझे ये हुनर दूसरों को भी सिखाना चाहिए. वह डालमेशियन पेलिकन पक्षी के बारे में परेशान हैं. वे खाने की तलाश में यहां आते हैं और सीधे उसी इलाके के ऊपर से उड़ान भरते हैं जहां हवाई अड्डा बनाने की योजना तैयार हुई है. एक ऐसी प्रजाति जो वापस दिखने तो लगी है लेकिन उसके विलुप्त होने का ख़तरा अभी भी टला नहीं है. वो कल
फिर ख़तरे में होगी क्योंकि उसके मुख्य निवास में से एक तक पहुंचना उसके लिए मुश्किल हो जाएगा. पेलिकन के लिए लंबी उड़ान भरना मुश्किल है और ये इस इलाके में उड़ने वाले विमानों के लिए भी ख़तरा होगा. कई सालों से योनी और उनका संगठन इस लगून में सभी देशी और प्रवासी पक्षियों की गिनती कर रहे हैं. यहां 200 से ज़्यादा प्रजातियां हैं और उनकी संख्या बढ़ रही है. यह इलाका पूरे यूरोप में पक्षियों की दुर्लभ प्रजातियों के संरक्षण के लिहाज़ से खास है. लेकिन योनी का कहना है कि अल्बानिया की सरकार को इसकी कोई परवाह नहीं
. सरकार को भी ये सारे डेटा भेजे जाते हैं ताकि वो इसके प्रबंधन को और बेहतर कर सकें. लेकिन ऐसा लगता है जैसे वो कभी इस पर ध्यान नहीं देते, इसे देखते भी नहीं ऐसा लगता है कि वह आंकड़े फैसले लेने वाले सरकारी दफ्तरों में कहीं धूल खा रहे हैं. इसके अलावा हम तिराना विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों और छात्रों से मिलते हैं. कई सालों से जीवविज्ञानी और भूविज्ञानी यहां से कुछ ही दूरी पर भूमध्य सागर में मिलने वाली वियोसा नदी पर डाटा इकट्ठा कर रहे हैं. वे यह साबित करना चाह रहे हैं कि यह इलाका इकॉलोजी के लिहाज़ से कितन
ा विविधता भरा है. देखो वहाँ कितने प्लेगाडिस फाल्सीनेलस हैं. अरे वाह बहुत बड़े हैं. वे चमकदार आइबिस हैं. वे आम प्लेगाडिस से दोगुने होते हैं. प्रोफेसर फर्डिनेंड बेगो बता रहे हैं कि यह इलाका कुछ प्रजातियों के लिए बेहद ख़ास है. यह इलाका देखने में उतना ख़ास नहीं लगता लेकिन यह उनका घर है. स्वेरनेक के दक्षिण में स्थित ये फ्रेशवाटर रिज़र्व ही ऐसी एकमात्र जगह है जहां वे ज़िंदा रह सकते हैं. क्या ग्लॉसी आइबिस को खाया जा सकता है? हाँ खा सकते हैं लेकिन यह बहुत बदबूदार होता है और इसका स्वाद भी अच्छा नहीं होता
. पहले आपको इसे मैरिनेट करना होगा. प्रोफेसर अलेको मिहो और उनके साथियों को इस बात के बहुत से संकेत मिले हैं कि यह इलाका इकॉलोजिकली काफी सेहतमंद है. उन्हें योनी का डाटा भी मालूम है. पिछले कुछ सालों में यह इलाका कई मायनों में वापस सुधरा है. जैसे पक्षियों और प्रजातियों की संख्या बढ़ रही है. इसे हम साबित भी कर सकते हैं, क्योंकि इनकी गिनती हर साल की जाती है. और यही वजह है कि हम इस इलाके को संरक्षित करने पर ज़ोर दे रहे हैं. वे एक पत्रकार से बात कर रहे हैं और उनके काम का समर्थन करने वाले उन विदेशी रिसर्
चरों के बारे में बता रहे हैं. मुझे ख़ुशी है कि उनमें से कुछ लोग हमारे साथ जुड़े हैं. इस बार गर्मियों में ऑस्ट्रेलियाई सहकर्मी टेपेलीन के पहाड़ों में होंगे. वियना से एक प्रोफेसर हमारे साथ जुड़े हैं, और वे हमें डाटा का विश्लेषण करने और उसे संक्षेप में पेश करने में हमारी मदद करेंगे. उन सबका लक्ष्य एक ही है. वे नार्ता लगून को हाल ही में बने वियोसा वाइल्ड रिवर नेशनल पार्क का हिस्सा बनते देखना चाहते हैं. अगर वे इस वियोसा रिवर डेल्टा को राष्ट्रीय पार्क में शामिल करवाने में कामयाब होते हैं, तो हवाई अड्डे
का काम रुक जाएगा. यह तट इस समूह के भूवैज्ञानिकों के लिए एक खज़ाना है. हवा और लहरों द्वारा गढ़ी गईं नरम चट्टानें. लगातार होते बदलाव यूरोप के दूसरे विश्वविद्यालय भी इस कमाल के तटीय इलाके में रुचि रखते हैं जिसके बारे में प्रोफेसर कर्किश दुर्मिशी अपने छात्रों को बता रहे हैं. उनके स्टूडेंट्स हमारे पास आते हैं और हमारे यहाँ से स्टूडेंट उनके यहाँ डिप्लोमा करने जाते हैं. हम उन्हें संयुक्त रूप से डिग्री देते हैं. हमने अल्बानियाई जर्मन बेल्जियम और फ़्रेंच संयुक्त पीएचडी कार्यक्रम भी चलाए हैं. वो एक-दूसरे
से अच्छी तरह जुड़े हुए हैं. उन्हें उम्मीद है कि इस तरह वे इस इलाके को बचा पाएंगे. योनी के पीपनिया (PPNEA) संगठन ने हवाई अड्डे के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए दूसरे संगठनों के साथ हाथ मिलाया है. वे इस पूरी प्रक्रिया में की गई गलतियों का हवाला देते हैं. उनके मुताबिक इस विवादित इलाके को बैकडेट से नेचर रिजर्व से हटाया गया है. विमान के उड़ने और उतरने के लिए तीन किलोमीटर से ज्यादा लम्बा रनवे बनना है. टर्मिनल अब बनने ही वाला है जहाँ 20 लाख से ज्यादा यात्री हर साल उतर सकेंगे. ईयू की ओर से भी इस प्रो
जेक्ट की आलोचना हुई है. यूरोपीय संसद से सांसदों की प्रतिक्रियाएँ आई हैं. उन्होंने आयोग से पूछा है कि संरक्षित इलाके में हो रहे इस निर्माण को रोकने के लिए क्या किया जाए. मैं भी कुछ कहने आ रहा हूं आप कुछ कहना चाहते हैं? नहीं-नहीं. मैं क्या कहूँगा? एक नागरिक के तौर पर ज़रूर कहता. अगर यहाँ काम ना कर रहा होता तो कुछ न कुछ जरूर कहता. आप कमाल हैं. बेहतर है मुझसे मत ही पूछिए वरना मैं काम से निकाला जाऊंगा. ओके गार्ड अपने बॉस को बुलाने की कोशिश करता है, लेकिन वे अचानक गायब हो गए हैं. हालाँकि उसके पास भी क
हने के लिए बहुत कुछ है. मगर यकीनन निजी तौर पर. अगर उन्होंने आपको नौकरी से निकाल भी दिया तो हम आपके लिए काम ढूंढ देंगे. पर तुम कहाँ मिलोगे? मैं आपको अपना नंबर दे दूंगा. बहुत से लोग हवाई अड्डे की खुलकर आलोचना करने का साहस नहीं करते. वे सरकार से बहुत डरते हैं. हवाईअड्डा 2025 की शुरुआत तक पूरा हो जाना चाहिए. मैं कहूँगा हम पर सरकार का दबाव भी रहा है. वियोसा नेशनल पार्क बनाने की घोषणा वाले भाषण में प्रधानमंत्री सीधे तौर पर हवाई अड्डे के खिलाफ रहे लोगों की ओर इशारा कर उन्हें ऐसी बातें न करने की सलाह दे
रहे थे. उनका कहना था कि हवाई अड्डा तो हर हाल में बनेगा ही. तो लोगों को इसे बंद करवाने जैसी बातें करके सरकार को नाराज़ नहीं करना चाहिए. योनी और उनके साथियों ने निर्माण स्थल पर कई बार विरोध प्रदर्शन किया है. वहाँ तकरीबन 200 लोग हवाई अड्डे का विरोध कर रहे थे और कह रहे थे कि वो प्रकृति को बचाना चाहते हैं. अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने इसमें काफी रुचि दिखाई. इस खबर को कई जगह प्रकाशित किया गया और यह पूरी दुनिया में चर्चा का विषय रहा. अमेरिका से लोगों ने हमसे संपर्क किया, ऑस्ट्रेलिया और पूरे यूरोप में इसे छ
ापा गया. लेकिन अल्बानियाई मीडिया ने अब तक उन पर ध्यान नहीं दिया है. आसपास के गांवों के लोग इस विरोध प्रदर्शन से खुश नहीं हैं. उनका मानना है कि हवाई अड्डा बनने से उनकी ज़िंदगी बेहतर होगी. बेजेत देलीयू जैसे बाकी कुछ लोग कोई राय नहीं बना पा रहे हैं. जब उन्होंने हवाईपट्टी बनानी शुरू की तो कई बार हमारी बिजली और पानी रोक दी गई. हमें मरम्मत के लिए खुद ही पैसे देने पड़े, सरकार की तरफ से एक पैसा भी नहीं मिला. तभी वित्त मंत्री अर्बेन मालाय आए. उन्हें वोट चाहिए था वह चुनाव जीतना चाहते थे. उन्हें वोट मिले और
हमने सोचा कि शायद अब कुछ बदलेगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ बल्कि और भी बदतर हो गया. हवाई अड्डे के पास स्थित अर्केनी गांव में ज्यादातर बुजुर्ग रहते हैं. उनके बच्चे जर्मनी, इटली, फ़्रांस चले गए हैं. ज़विट सेलीमी को उम्मीद है कि हवाईअड्डा बनने के बाद वो वापस लौटेंगे. मैंने अपने बड़े बेटे से बात की मैंने उससे पूछा कि क्या वह अल्बानिया आ रहा है. मैंने कहा कि अब अब जबकि बिल्कुल हमारे दरवाजे पर हवाई अड्डा हो गया है, क्या तुम वापस आ रहे हो? इस सरकार ने प्रधानमंत्री ने और कंस्ट्रक्शन कंपनी ने बढ़िया काम किया है.
ज़ोई बार्दी 77 साल की हैं. उन्हें उम्मीद है कि हवाईअड्डा उनकी रोजमर्रा की ज़िंदगी को कुछ आसान बना देगा. हमारे लिए सड़कें बनाई गई हैं, हवाई अड्डा बनाया गया है. जब विदेश से कोई सीधा यहाँ उतर सकता है तो वो तिराना क्यों उतरे? यह वाकई अच्छा है. जर्मनी से रिश्तेदार आएंगे. जर्मनी से मेरी भतीजी और भतीजे आ सकेंगे. बहुत ही अच्छा किया. मैं बहुत ज़्यादा खुश हूँ. इधर पीपनिया (PPNEA) के सदस्यों के लिए यह समय नए घोंसले ढूँढने का है. हर साल अप्रैल से जून तक वे यह देखने निकलते हैं कि नार्ता लगून में किन पक्षियों
ने अपने अंडे दिए हैं. कीचड़ से सनी ज़मीन कई पक्षियों के निवास के लिए बहुत ज़रूरी है. उनके घोंसले का ज़्यादातर हिस्सा अच्छी तरह से छिपा हुआ होता है. उन्होंने देखा कि कई प्रजनन स्थल भावी हवाई अड्डे के ठीक बगल में हैं. जब हवाई अड्डा पूरा हो जाएगा तब लोगों को एहसास होगा कि सरकार और मीडिया का ये दावा कि ओह यह तो उससे बहुत दूरी पर है उसके आस पास नहीं दरअसल सच नहीं है. हम देख सकते हैं कि वो कितना करीब है. पक्षी यहाँ अंडे देते हैं क्योंकि यह इलाका बिल्कुल शांत है. एक बार यहाँ शोर और रोशनी होने लगेगी तो
सब ख़त्म हो जाएगा सब कुछ. यह तीसरा जल बेसिन है. अगले जल बेसिन से हवाई अड्डे का टर्मिनल केवल 50 मीटर की दूरी पर है और इस इलाके में प्रजनन करने वाले पक्षियों के घोंसले केवल 100 या 200 मीटर की दूरी पर. अभी तक कोई घोंसला नहीं मिला, केवल खाना तलाशते पेलिकन दिखे हैं. बाकी सभी लगता है अच्छे से छुपे हुए हैं. तभी आखिरकार ये देखो यहाँ एक घोंसला है. यह केंटिश प्लोवर का लगता है. आम तौर पर उनके तीन अंडे होते हैं. कम से कम ये तो है कि वो घोंसले बना रहे हैं. उन्हें ढूंढना मुश्किल होता जा रहा है, क्योंकि उनके प
ास घोंसला बनाने के लिए कोई तय जगह नहीं हैं. वे असल घोंसले नहीं बनाते जिन्हें पहचानना आसान हो. मैं इस घोंसले पर पहचान लगा कर रख दूंगा. अच्छा है. बेहतर होगा हम यहाँ से चलें ताकि उन्हें कोई परेशानी न हो. योनी इस इलाके को देखने आए अमेरिकी छात्रों के सामने एक प्रेजेंटेशन देने वाले हैं. वह हवाई अड्डे के साथ-साथ तट के किनारे चलने वाली दूसरी निर्माण परियोजनाओं के बारे में भी बोलेंगे जिनकी योजना सरकार बना रही है. यही प्लान है. हम देख रहे हैं तटरेखा पर अब पहले जैसी शांति नहीं रही. दूसरी ओर एक मरीना है और
एक शहर है इसलिए आप ये सारी इमारतें, ये बुनियादी ढांचा देख पा रहे हैं. अल्बानियाई पर्यटन और पर्यावरण मंत्रालय ने इंटरव्यू देने से मना कर दिया लेकिन कहा कि वह प्रकृति को ध्यान में रख रहा है. यहां तक कि प्रधानमंत्री एदी रामा ने भी आश्वासन दिया कि इस प्रोजेक्ट में पर्यावरण से जुड़ी कोई समस्या नहीं हैं. व्लोरे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा म्यूनिख हवाई अड्डे द्वारा संचालित होगा. अगर पर्यावरण संबंधी कोई चिंता होती तो म्यूनिख हवाई अड्डा हमारा साथ नहीं देता. यह बात कि म्यूनिख हवाई अड्डा व्लोरे के अंतर्राष्ट्
रीय हवाई अड्डे को संचालित करेगा अहम है बहुत ज्यादा अहम. अल्बानियाई मीडिया में म्यूनिख की भागीदारी के चर्चे होना एक आम बात है. लेकिन यह पूरा सच बाहर नहीं आता. क्योंकि योनी के मुताबिक हवाई अड्डे की योजनाओं के बारे में कोई सार्वजनिक बहस हुई ही नहीं है और झूठी सूचना की उम्र लंबी होती है. किसी भी पार्टी के साथ कोई बातचीत हुई ही नहीं है क्योंकि हमारे साथ कोई इस मुद्दे पर बात ही नहीं करना चाहता था. इसलिए गैर सरकारी संगठनों के लिए प्रॉपेगैंडा के इस बड़े जाल से लड़ना बेहद मुश्किल है. इनसे लड़कर जीतने का ए
कमात्र तरीका अब दूसरी पर्यावरण संरक्षण एजेंसियों और वैज्ञानिकों के पास है. योनी लगातार उनके संपर्क में हैं. प्रोफेसर और छात्र लगातार डेटा इकट्ठा कर रहे हैं. वे एक शोधपत्र तैयार कर रहे हैं जिससे उन्हें उम्मीद है कि सरकार इस इलाके के संरक्षण के लिए राज़ी हो जाएगी. अगर वहाँ एयरपोर्ट बना तो यह पूरा हैबिटैट गंभीर रूप से प्रभावित हो जाएगा. हवाईअड्डा ठीक से नहीं चलेगा और एयर कॉरिडोर की वजह से नार्ता लगून के ऊपर से गुजरने की कोशिश करने वाले किसी भी पक्षी लिए मुश्किल खड़ी होगी. मुझे लगता है कि हवाई अड्डा
अल्बानिया के विकास के लिए जरूरी है. लेकिन हमें पर्यावरण विशेषज्ञों से राय ज़रूर लेनी चाहिए. ये विशेषज्ञों को ही तय करने देना चाहिए कि कोई इलाका उपयुक्त है या नहीं. अब मामला अदालत में है. और हमें उम्मीद है कि कोर्ट जल्द ही सही फैसला लेगा. कई अलग-अलग पौधे यहां पाए जाने वाले जैव विविधता की झलक देते हैं. कई साल पहले, यहां के प्रोफेसरों ने वियोसा नदी पर बांधों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी. यह उनकी पहली लड़ाई नहीं है. कुछ साल पहले जब हमने वियोसा के लिए बोलना शुरु किया तो आसपास के लोग हंसते थे. तुम वियोसा को
बचाओगे? और उस समय बड़ी-बड़ी कंपनियां बांध बनाने लगी थीं. और अब 10 साल बाद हमें विरोध करने से रोका जा रहा है लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदायों के सहयोग से हम लोग तब तक विरोध जारी रखेंगे जब तक सरकार जाग नहीं जाती और सहयोग नहीं करती. आज उनके साथ देश की पर्यटन एजेंसी के एक सदस्य भी आए हैं. एर्विन बूज़ी का मानना है कि हवाईअड्डा बनाया जाना चाहिए, लेकिन कुछ इस तरह कि प्रकृति के साथ सामंजस्य भी बना रहे. बेशक पानी, बिजली, सड़कें और दूसरे बुनियादी ढांचों को बनाए बगैर काम नहीं चलेगा. पर्यटन के लिए हवाई अड्डों का
बनना बेहद जरूरी है. लेकिन हमें यहाँ की प्राकृतिक खूबसूरती को बनाए रखने के लिए भी कोई उचित समाधान ढूँढना होगा. लेकिन प्रोफेसरों का मानना है कि यह इलाका बड़े पैमाने पर पर्यटन के लिए सही नहीं है. सतह के नीचे की ज़मीन स्थिर नहीं है यह लगातार बदल रही है. इसे वियोसा नदी पर बना डेल्टा मान लेते हैं. जब धाराएँ तेज़ होंगी तो नदी दिशा बदल लेगी. अपने आखिरी छोर तक बहने के बजाय, फिर नदी फूट पड़ेगी और एक नया डेल्टा बना लेगी. जैसे-जैसे नए रास्ते बनते हैं, पुराने मिटने लगते हैं. इसे ही हम जियोमॉर्फोलोजी कहते हैं
. यही पृथ्वी और समुद्र के बीच का संघर्ष है. जलवायु परिवर्तन ने भी अपनी छाप छोड़ी है. प्रोफ़ेसर बेगो कहते हैं कि समुद्र का जलस्तर भी लगातार बढ़ रहा है. पम्पिंग स्टेशन होने से भी बहुत फर्क नहीं पड़ेगा. यहाँ तक कि अगर आप इस तरह के पंप खरीद भी लेते हैं तो भी पानी को वापस समुद्र में नहीं डाल सकेंगे क्योंकि समुद्रतल यहाँ होगा और पम्पिंग स्टेशन यहाँ होगा. इसलिए आप जो भी कोशिश कर लें कामयाब नहीं होंगे. और हवाई अड्डे के इलाके के साथ-साथ ये तटीय इलाका जो आज समुद्र तल से नीचे है, वो पूरा जलमग्न हो जाएगा. इ
से पम्पिंग स्टेशन की मदद से ऐसा बनाए रखा जा रहा है. लेकिन जब वो काम करना बंद कर देंगे तब सरकार कह देगी कि हालात चरम सीमा पर हैं और काबू से बाहर हैं. वो जनता और निवेशकों से बहाना बना देंगे कि हमने तो कोशिश की ही थी लेकिन ये आपदा की वजह से हुआ. हो सकता है कि कुदरत आखिरकार इस हवाई अड्डे को निगल ले. व्लोरे शहर नार्ता लगून के ठीक दक्षिण में है. यह तेज़ी से पर्यटन स्थल बनता जा रहा है. सिनसिनाटी का एक छात्र गुट बहुत देर से यहाँ योनी का इंतज़ार कर रहा है. आप जानते हैं कि व्लोरे में एक बहुत बड़ा हवाई अड्ड
ा बन रहा है. और एक समुदाय इसके समर्थन में है तो दूसरा विरोध में योनी आज आपके सामने कुछ मुद्दों पर अपनी बात रखेंगे. गुड मॉर्निंग व्लोरे योनी बताते हैं कि उन्हें क्यों लगता है कि हवाई अड्डे की योजना कानून के खिलाफ है और उस योजना के खिलाफ कोर्ट में याचिका क्यों दायर की गई है. उनका कहना है इस इलाके को संरक्षित प्राकृतिक क्षेत्र से रेट्रोएक्टिवली यानी पूर्वप्रभाव से बाहर कर दिया गया है. आप वो पट्टी देख सकते हैं जो रनवे की तरह दिख रही है. इसे हटा दिया गया है और संरक्षित इलाके के बीच में है. तो इसके चा
रों ओर सब कुछ नेचर प्रिज़र्व एरिया का हिस्सा है, सिवाए इस भाग के. योनी इसे जरूरी मानते हैं कि पूरी दुनिया को इस बारे में पता चले कि वहाँ क्या हो रहा है. वह केवल अदालत पर निर्भर नहीं रहना चाहते. यहाँ से कुछ ही दूर उत्तर में कारावास्ता लगून है पेलिकन का घर जिन्हें वहां तक पहुँचने के लिए नियमित रूप से हवाई अड्डे को पार करना होगा. उसकी देखभाल करने वाला अर्दियान कोरची, योनी का पुराना दोस्त है. वे अक्सर डालमेशियन पेलिकन की तलाश में एक साथ निकलते हैं. यहीं पर योनी ने पहली बार पक्षियों और पर्यावरण को बच
ाने की लड़ाई लड़ी थी. और यहीं पर वह इस बात पर नज़र रखने के लिए आते रहते हैं कि लुप्तप्राय प्रजातियों की सुरक्षा कैसे हो रही है. पेलिकन वो पहली प्रजाति है जिसके लिए मैंने 2016 के आखिर और 2017 में पहली बार काम करना शुरु किया. और मैं उस प्रोजेक्ट का को-ऑर्डिनेटर था जिसमें उनकी आबादी फिर से बहाल करने की कोशिश हो रही थी. उस प्लेटफॉर्म पर जाना चाहोगे? हाँ जरूर. पेलिकन बहुत डरपोक होते हैं, वे बस इतना ही करीब आ सकते हैं. यह अल्बानिया का एकमात्र इलाका है जहाँ प्रजनन होता है और आजकल उसका मौसम है. हाल के व
र्षों में पेलिकन की आबादी में सुधार हुआ है और पर्यावरणविदों को इस पर गर्व है . जब हमने शुरुआत की थी तबसे काफी कुछ बदला है. बिल्कुल, 2014 की बात करें तो उस वक्त केवल 37 घोंसले थे और अब लगभग 70 हैं. यह लगभग दोगुना हुआ है. ये उम्मीद भरा है. एक छोटा और कम आवाज़ वाला ड्रोन शोधकर्ताओं को इस कालोनी को करीब से देखने का मौका देता है. वे जितना मुमकिन हो सके उन्हें परेशान नहीं करना चाहते हैं. अगर लोग लगातार उनके खाने-पीने रहने की जगहों पर जाते रहेंगे तो वे परेशान हो जाएंगे. पर्यटकों को ये पक्षी बेहद पसंद आ
ते हैं लेकिन हम इस पर कड़ी नजर रखते हैं कि इलाके में कितने पर्यटकों को आने दें. इतने बड़े पैमाने पर पर्यटन और एक बड़ा हवाई अड्डा इन पेलिकन की सुरक्षा के लिए की गई सारी मेहनत पर पानी फेर देगा. दो मामले अभी अदालत में हैं, लेकिन यह साफ नहीं है कि अदालतें अपना फैसला कब सुनाएंगी. इसमें वक्त लग सकता है. पक्षियों और प्रकृति के लिए लड़ना अक्सर एक मुश्किल लड़ाई होती है. लेकिन इसी जगह योनी को इसके लिए ताकत मिलती है. यहीं पर आकर उन्हें फिर याद आता है कि वह किसके लिए लड़ रहे है. हम जानते हैं कि यह सालों-साल
चलता रहेगा. लेकिन हमेशा हमारी ज़िंदगी में कुछ ऐसा ज़रूर होता है जो हमें पुराने पलों में जाने का हौसला देता है और इस पल में, मैं यहाँ हूँ. मुझे पक्का यकीन है कि इस जगह की लड़ाई बल्कि सभी प्राकृतिक जगहों की लड़ाई जारी रहेगी.

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