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YAKSHINI NEW EPISODE - 847 | HINDI HORROR STORIES | @StoriesFeelEnjoy | YAKSHINI LATEST PODCAST

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4 months ago

[संगीत] डायना फिर पूछती है और फिर अंत करने के बाद क्या करोगे क्या उसके बाद तुम सबके सामने आओगे काली पोशाक वाला आदमी खामोश ही रहता है उसकी आंखों को देखकर साफ समझ आ रहा था कि डायना के इस सवाल का जवाब उसके पास खुद मौजूद नहीं था उसे खुद ही नहीं पता था कि वह काले साई के अंत के बाद कभी किसी के सामने आएगा भी या नहीं डायना फिर बोल पड़ती है तुम्हें नहीं बताना कि क्या करोगे तो मत बताओ पर कम से कम यही बता दो कि तुम मेरे सामने यह नकाब पहनकर क्यों घूमते हो मुझे तो पता ही है कि तुम कौन हो और मैंने तो तुम्हारा
चेहरा देखा है ना फिर मेरे सामने नकाब पहनकर घूमने की क्या जरूरत है काली पोशाक वाला आदमी डायना के सवाल का जवाब देते हुए कहता है डायना क्योंकि सिर्फ तुम्हें पता है कि मैं कौन हूं बाकियों को नहीं और मैं नहीं चाहता कि मेरी पहचान कोई और जाने इस सफर में कब कौन मिल जाए कुछ कह नहीं स सकते इसलिए सावधानी बरतनी जरूरी है डायना तुरंत पलट कर कहती है तो फिर मैं भी तुम्हारी तरह यह काला नकाब पहन लू क्योंकि किसी को यह भी तो पता नहीं चलना चाहिए ना कि मैं तुम्हारा साथ दे रही थी वरना लोग मुझे भी गलत समझने लग जाएंगे
डायना खुराफात भरे अंदाज में कहती है एक काम करती हूं मैं भी तुम्हारी तरह यह काला नकाब यह काला पोशाक पहन लेती हूं फिर दोदो काला पोशाक वाले हो जाएंगे काली पोशाक वाला आदमी भारी लहजे में कहता है इसकी कोई जरूरत नहीं है डायना तुम जैसी हो वैसी ही रहो काली पोशाक वाला आदमी पहली बार डायना से इतनी बातें कर रहा था और डायना के सवालों के जवाब दे रहा था वह जानती थी यही सही मौका था उसके मन में चल रहे कई सारे सवालों के बारे में उस काली पोशाक वाले आदमी से पूछने का डायना अगले ही पल पूछ पड़ती है अब इतना बता दिया है
तो यह भी बता दो कि तुम यक्षिणी मेरा मतलब यामिनी के दोस्त हो या दुश्मन काली पोशाक वाला हैरानी के साथ कहता है मतलब डायना काली पोशाक वाले आदमी को समझाते हुए कहती है मतलब यह कि तुम ही थे ना जिसने उस रात घाट पर यामिनी की पीठ पर ककड़ से वार किया था और तुम ही तो थे ना जिसने उस रात उस काले साय से उसकी जान बचाई थी तो एक तरफ तो तुम उसकी जान बचा भी रहे हो और दूसरी तरफ उसे मार भी रहे हो तो अब तुम ही मुझे बता दो कि वो यामिनी तुम्हारी दोस्त है या दुश्मन काला पोशाक वाला आदमी डायना के सवाल का कुछ जवाब नहीं देता
है बस खामोशी के साथ दूसरी तरफ अपनी नजरे कर लेता है ताकि उसे उसके सवाल का जवाब ना देना पड़े डायना मुंह बनाते हुए कहती है लो शुरू हो गई खामोशियों की कहानी जब भी कुछ पूछती हो बस खामोशी ही रहते हो कभी जवाब नहीं देते हो अगर यह दोस्त और दुश्मन वाली बात नहीं बतानी तो यही बता दो कि तुम यह सब कब से कर रहे हो तुमने कब से यह काला पोशाक पहन कर रखा है काला पोशाक वाला आदमी अभी भी डायना की सवाल का कुछ जवाब नहीं देता है खामोशी बैठा रहता है डायना मुंह बनाते हुए कहती है ओहो फिर खामोशी चलो यह भी नहीं बताना तो मत
बताओ यही बता दो कि तुम्हारे पास यह वज्र कहां से आया यह किसने दिया तुम्हें वह काला काला पोशाक वाला आदमी अभी भी खामोश ही रहता है डायना को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे उसके मन में जितने भी सवाल थे वह आज सारे उस काली पोशाक वाले आदमी से पूछने वाली थी उसे उम्मीद थी कि उसके किसी ना किसी सवाल का जवाब तो उसे जरूर मिल जाएगा इसी उम्मीद के साथ डायना फिर काली पोशाक वाले आदमी से पूछ पड़ती है यह भी नहीं बताना तो मत बताओ पर कम से कम यही बता दो कि तुम्हारे साथ और कौन-कौन है या फिर तुम अकेले ही यह सब कर रहे हो काला प
ोशाक वाला आदमी अभी भी खामोश ही रहता है डायना फिर बोल पड़ती है यामिनी बता रही थी कि उसका ताज तुमने ही उसे दिया था तुम्हारे पास उसका ताज डायना अपना सवाल पूरा करती उससे पहले ही काला पोशाक वाला आदमी डायना को चुप रहने का इशारा करते हुए कहता है चुप हो जाओ डायना कितने सवाल करोगी डायना मुंह बनाते हुए कहती है सिर्फ सवाल ही तो कर सकती हूं मैं मुझे उसके जवाब कहां पर मिलते हैं काला पोशाक वाला आदमी कहता है तुम्हें थकान हो रही थी ना डायना तो तुम आराम करो सवाल पूछने से भी दिमाग थकता ही है और तुम्हें आराम की जर
ूरत है कल रात फिर हमें कालगल में निकलना है डायना काला पोशाक वाले आदमी की बातों को नजरअंदाज करते हुए फिर बोल पड़ती है मैं कर लूंगी आराम पर तुम मेरे कम से कम किसी सवाल का तो जवाब दे दो कब से पूछ रही हूं यह सवाल पर तुम कभी मेरे किसी सवाल का जवाब नहीं देते हो हमेशा खामोश ही रहते हो काला पोशाक वाला आदमी डायना की आंखों में देखते हुए कहता है मेरी खामोशी ने हमेशा तुम्हारे सारे सवालों के जवाब दिए डायना जिस वक्त तुम मेरी खामोशी पढ़ लोगी उस वक्त तुम्हें तुम्हारे सारे सवालों के जवाब मिल जाएंगे इतना कहकर काल
ा पोशाक वाला आदमी अपनी जगह पर से उठता है और डायना से कुछ दूर जाने लग जाता है डायना वहीं पर बैठी रहती है और उसके कानों में उस काला पोशाक की खामोशी पढने वाली ही बात घूमते रहती है वह यही सोचती रहती है कि आखिर उसके कहने का क्या मतलब था यही सोचते सोचते डायना की कब आंख लग जाती है उसे पता ही नहीं चलता है और वह पेड़ से टिककर ही सो जाती है काला पोशाक वाला आदमी भी डायना से कुछ दूरी पर ही बैठा हुआ था और उसे सोते हुए देख रहा था काला पोशाक वाले आदमी को देखकर साफ समझ आ रहा था कि वह डायना के बारे में ही सोच रह
ा था काला पोशाक वाला आदमी खुद से कहता है एक दिन तुम्हें तुम्हारे सारे सवालों के जवाब मिलेंगे डायना पर शायद तब तक मैं ना रहूं सुबह हो गई थी युग और यामिनी महादेव के मंदिर जाने के लिए ग्रेव यार्ड कोठी से निकल चुके थे वह रास्ते में थे तारा से मिलने की खुशी में यामिनी तो बहुत खुश नजर आ रही थी पर युग के मन में कुछ और ही चल रहा था वह कुछ परेशान लग रहा था जैसे उसका मन नहीं था याम के साथ मंदिर जाने का पर उसके दबाव बनाने के कारण वह ना चाहते हुए भी उसे यामिनी के साथ जाना पड़ रहा था युग अपने कदम आगे बढ़ाते
हुए कहता है यामिनी मुझे अभी भी कुछ ठीक नहीं लग रहा है वहां पर जाना यामिनी युग का हाथ थाम हुए अपने कदम बढ़ाते हुए कहती है युग बाबू मैं हूं ना आपके साथ फिर आप क्यों घबरा रहे हैं कुछ नहीं होने वाला है चलिए आप मेरे साथ युग हिचकिचाहट के साथ कहता है पर यामिनी युग अपनी बात पूरी करता उससे पहले ही यामिनी उसे ठोकते हुए कहती मैंने कहा ना युग बाबू मैं हूं आपके साथ अब आप कुछ और मत सोचिए चुपचाप चलिए मेरे साथ महादेव है ना हमारे साथ वो सब ठीक ही करेंगे कुछ बुरा नहीं होने देंगे यामिनी के कहने पर युग पलटक कुछ नही
ं कहता है चुपचाप उसके पीछे-पीछे चलते रहता है कुछ ही देर में वह दोनों मंदिर पहुंच जाते हैं युग मंदिर की सीढ़ियों के पास रुकते हुए ही यामिनी से कहता है बस यामिनी मेरा साथ यहीं तक था अब तुम यहां से अकेले जाओ यामिनी जानती थी कि अगर वह युग पर दबाव बनाने की कोशिश करें तब भी युग उसकी बात नहीं मानेगा इसलिए वह युग की तरफ देखकर प्यारी सी मुस्कान देती है और अकेले मंदिर की सीढ़ियां चढ़ने लग जाती है जब यामिनी मंदिर के अंदर पहुंचती है तो देखती है कि गर्भ गृह के अंदर ही कार्तिक पुजारी और तारा दोनों एक दूसरे के
आमने सामने बैठे हुए थे उनके साइड में ही विष्णु भगवान की एक मूर्ति थी जिस पर पारिजात के फूलों की माला चढ़ी हुई थी कार्तिक पुजारी मंत्रों का जाप करे जा रहे थे मंदिर के अंदर इस वक्त कार्तिक पुजारी और तारा के अलावा कोई और मौजूद नहीं था जैसे ही कार्तिक पुजारी का मंत्रों का जाप खत्म होता है कार्तिक पुजारी तारा से कहते हैं शंख उठाओ तारा बेटी और उसे बचाने का फिर एक बार प्रयत्न करो कार्तिक पुजारी के कहने पर तारा शंख को उठाती है और उसे बचाने की कोशिश करती है पर इस बार भी तारा से शंख नहीं बच पाता है उसमें
से कोई आवाज नहीं निकलती है शंख से आवाज ना निकलने के कारण तारा तो मायूस होती है उसके साथ ही कार्तिक पुजारी का भी मुंह छोटा सा हो जाता है उनके चेहरे पर भी मायूसी नजर आ रही थी कार्तिक पुजारी खुद से धीरे से बड़बड़ आते हैं इतनी आराधना कर रहे हैं पर फिर भी सफल नहीं हो पा रहे हैं पता नहीं कहां पर क्या कमी रह रही है कार्तिक पुजारी इस बारे में सोच ही रहे थे कि तभी तारा को एक महक आने लग जाती है कमल के फूलों की महक जो कहीं और से नहीं बल्कि यामिनी के बदन में से आ रही थी तारा के नथु तक जैसे ही वह महक पहुंचत
ी है तारा उस ओर मुड़ जाती है जिस ओर यामिनी खड़ी हुई थी तारा ने यामिनी को महक से ही पहचान लिया था कि यामिनी वहां पर आ चुकी थी और इस बात का आभास होते ही उसके चेहरे पर एक अलग ही मुस्कान आ गई थी कार्तिक पुजारी ने आराधना के दरमियान इस तरह तारा का मन विचलित होते हुए कभी नहीं देखा था इसलिए वह भी उस तरफ देखने लग जाते हैं जिस तरफ तारा ने अपना मुंह मोड़ा था व यामिनी को वहां पर देखकर कुछ खुश हो जाते हैं कार्तिक पुजारी अपनी जगह पर से खड़े होते हुए कहते हैं यामिनी बेटी तो मां गई यामिनी गर्भ ग्रे में अंदर की
तरफ अपने कदम बढ़ाते हुए कहती है मुझे तो आना ही था पुजारी जी मैं भल आप तारा बेटी से मिलने के लिए कैसे नहीं आती यही सब कहते कहते यामिनी तारा और कार्तिक पुजारी के पास पहुंच जाती है यामिनी अपने घुटनों के बल बैठकर तारा से बड़े प्यार से कहती है कैसी हो मेरी तारा बेटी इतना कहकर यामिनी तारा के दोनों काल चूमने लग जाती है उसे लाट दुलार करने लग जाती है तारा भी मुस्कुराने लग जाती है क्योंकि ना ही वह कुछ बोल सकती थी ना ही देख सकती थी बस अपने चेहरे के हावभाव से जवाब दे सकती थी कुछ देर तक यामिनी खुद ही तारा से
बातें करती रहती है और उ से प्यार करते रहती है कार्तिक पुजारी अपनी जगह पर से उठते हुए तारा से कहते हैं तारा बेटी तुम यहीं पर आराधना करो मैं तुम्हारी यामिनी दीदी से कुछ बातें करके अभी वापस आता हूं तारा बस हां में अपना सिर हिला देती है यामिनी भी तारा के पास से उठने लग जाती है और कार्तिक पुजारी के साथ गर्भगृह से चलते हुए बाहर की तरफ आने लग जाती है कार्तिक पुजारी चलते हुए यामिनी से कहते हैं कैसी हो यामिनी यामिनी पलट कर कहती है मैं ठीक हूं पुजारी जी आप कैसे कार्तिक पुजारी कहते हैं मैं भी महादेव की कृ
पा से बिल्कुल ठीक हूं यामिनी यामिनी खामोश रहती है पलटकर कुछ नहीं कहती है ऐसा लग रहा था जैसे वह कार्तिक पुजारी से कुछ पूछना तो चाहती थी पर काफी हिचकिचाहट पुजारी से पूछे या नहीं कार्तिक पुजारी अपने कदम बढ़ाते हुए यामिनी से फिर बोल पड़ते हैं मुझे पता है यामिनी तुम यहां पर सिर्फ तारा से मिलने के लिए नहीं आई हो किसी दूसरे कार्य से आई हो तुम निसंकोच मुझसे पूछ सकती हो जो तुम्हें पूछना है इसमें इतनी घबराने वाली कोई बात नहीं है याम ने हिचक चाते हुए कार्तिक पुजारी से कहती है मैं तारा के कार्य से ही आई हूं
पुजारी जी और मैं तारा के बारे में ही आपसे पूछना चाहती हूं कार्तिक पुजारी तुरंत पलट कर कहते हैं हां तो पूछो ना यामिनी बेटी क्या पूछना है तुम्हें तारा के बारे में यामिनी अगले ही पल कार्तिक पुजारी से पूछ पड़ती है यही पुजारी जी की तारा में कुछ बदलाव आया आप अपने उद्देश्य में कहां तक पहुंचे कार्तिक पुजारी कुछ मायूसी के साथ कहते हैं तारा में अब तक तो कोई बदलाव नहीं आया है यामिनी बेटी तारा अभी भी वैसी ही है जैसे पहले थी मुझे तो लगता है मैं अपने उद्देश्य की तरफ जरा सा भी नहीं बढ़ा हूं आज भी वहीं पर हूं
जहां पर पहले था कार्तिक पुजारी का जवाब सुनकर यामिनी भी कुछ उदास हो जाती है पर अगले ही पल वह उत्साहित होते हुए बोल पड़ती है अगर आप कुछ नहीं कर पा रहे तो मुझे एक बार प्रयास करने की कोशिश करने दीजिए ना आखिर उस दिन सबसे पहले मुझे ही तो तारा के बारे में पता चला था और फिर मैंने ही तो आपको सब कुछ बताया था पुजारी जी जैसे ही यामिनी की जुबान पर यह बात आती है उसकी आंखों के सामने वह पल चलने लग जाते हैं जिसके बारे में वह कार्तिक पुजारी से जिक्र कर रही थी यामिनी अतीत की यादों में खो जाती है वह अतीत की यादें ज
ब वह कार्तिक पुजारी की कुटिया में रहती थी बाकी सबके साथ इस वक्त तारा कुटिया के अंदर चारपाई पर लेटी हुई थी और उसके पास ही पलक खड़ी हुई थी जिसने अपने हाथ में एक मिट्टी का कटोरा पकड़ कर रखा हुआ था जिसके अंदर जड़ी बूटियों को महीन पीस कर तैयार किया गया लेप रखा हुआ था जिसे उसने कार्तिक पुजारी के कहने पर तारा के हाथ पैरों में लगाने के लिए तैयार किया था अमावस्या की रात को बीते एक हफ्ता हो चुका था और तारा को होश भी आ चुका था पर इस वक्त वह इतनी ज्यादा कमजोर थी कि अपने पैरों पर ठीक से खड़ी तक नहीं हो पा रह
ी थी ना ही उसके हाथ ठीक से काम करते थे यही कारण था कि कार्तिक पुजारी ने सुबह शाम तारा के हाथ पैर पर लेप लगाने का काम पलक को देकर रखा हुआ था और इस वक्त वह तारा को लेप लगाने के लिए ही उस उस कमरे में आई थी इस वक्त कमरे के अंदर तारा और पलक के सिवा कोई और मौजूद नहीं था पलक तारा को लेप लगाना शुरू करती उससे पहले ही उस कमरे के अंदर यामिनी आ जाती है और वह झट से पलक को रोकते हुए बोल पड़ती है रुक जाओ पलक तारा को लेप मत लगाओ पलक मुंह बनाते हुए यामिनी से कहती है लेप नहीं लगाऊं पर क्यों यामिनी सदियों से है पु
रानी ये है यक्षण की कहानी यक्षिणी एक आग है यक्षिणी तेरा ख्वाब [संगीत] है

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