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जॉन डेवी का शैक्षिक दर्शन | Education Philosophy John Dewey | उत्तराखंड LT 2024 Pedagogy| #JohnDewey

जॉन डीवी का शैक्षिक दर्शन | Education Philosophy John DV | उत्तराखंड LT 2024 Pedagogy| #JohnDewey उत्तराखंड LT 2024 भाग-1 सम्पूर्ण तैयारी | Unit-1 शिक्षा और दर्शन Uttarakhand LT 2024 Philosophy UK LT Pedagogy Complete Course | UK LT Teaching Aptitude Complete Course | UK LT GRADE UTTRAKHAND PEDAGOGY | LT PEDAGOGY | LT CDP जॉन डेवी का शैक्षिक दर्शन | Education Philosophy John Dewey | उत्तराखंड LT 2024 Pedagogy| #JohnDewey POLITICAL THEORY – John Dewey , John Dewey (western political thought), Philosophy of John Dewey : Greek philosopher in hindi, LT Pedagogy by Nitya Classes Uttarakhand LT pedagogy by Nitya Classes UK LT pedagogy by kamani Mam UK LT pedagogy by Nitya Classes Complete Political Thought of Plato | Plato Political Thought B.Ed 1st Year | प्लेटो PLATO का जीवन दर्शन | प्लेटो का शिक्षा दर्शन #ukltcdp #UKLTCDP #uKhindi #UKLTpedagogy #TLM #LTCDP #ltpedagogy Teaching Learning Materials for UKLT #utetcdppractice #utetmocktest #cdppyqs ✅ Join our Telegram: https://t.me/nityaclasses2 ------------------------------------------------------------------------------------------------------- ✅LT Maths https://www.youtube.com/playlist?list=PLTJrcREHaqzCD-4JsaWBAfwzPFQuH1IDW ✅UK LT Pedagogy : https://www.youtube.com/playlist?list=PLTJrcREHaqzCMlWb0Ry2sT-V2TsIjmI3v ✅ हिंदी साहित्य सम्पूर्ण for UK LT : https://www.youtube.com/playlist?list=PLTJrcREHaqzBcvSws15e9iXr6xx99U1Uq ✅ हिन्दी व्याकरण complete for UK LT : https://www.youtube.com/playlist?list=PLTJrcREHaqzBkMeSDkE17fwSv5wVHllj2 ✅ NCERT Based Hindi: https://www.youtube.com/playlist?list=PLTJrcREHaqzBkecPWRGS2OcNqHXmBAVuU ✅Hindi for CTET | UPTET/REET/TGT: https://youtube.com/playlist?list=PLTJrcREHaqzDT6tih82NNhCJfxMfaw3ma ✅हिंदी शिक्षणशास्त्र :https://youtube.com/playlist?list=PLTJrcREHaqzCg01F6eiw87VCLiwHgpTy1 ✅ हिंदी Online Paper Solution: https://youtube.com/playlist?list=PLTJrcREHaqzBcRKPeJCFjfPSOZKsP7gwf ✅ CTET SST Online PYQs Solution: https://youtube.com/playlist?list=PLTJrcREHaqzB5tms4NALOppQ8N4yJBjKN Facebook: https://www.facebook.com/nityaaclasses/ Follow Us on Instagram: https://www.instagram.com/nityaaclasses/?hl=en Thank for Watching Team Nitya Classes -------------------------------------------------------------------------------------------------------- #uklt #UKLTReasoning #ReasoningUKLT #ReasoningforUKLT #reasoningforLT #UKLTPAPER1 #ukltpaperI #uklt2024 #ukltpedagogy #cdpuptet2023 #uklt_PYQs #uptetcdp #nitya_classes #nityaclasses #lalitsir #kamanimam #kamanigautam

Nitya Classes

Streamed 1 day ago

गुड मॉर्निंग एवरीवन कैसे हैं आप सभी स्वागत है आप सभी का नित्य क्लासेस में मैं कामनी गौतम आप सभी का बहुत-बहुत स्वागत करती हूं नित्या क्लासेस के प्लेटफार्म पर तो गाइस आज जो हम जिस फिलोसोफर के बारे में बात करने वाले हैं वह वेस्टर्न फिलोसोफर है और 20वीं शताब्दी का एक ऐसा सितारा रहा जिसने एक आधुनिक शिक्षा में एक नया मूड दिया तो आज हम डिस्कस करेंगे जॉन डीवी पर और आप जानते हैं कि जॉन डीवी के बारे में आपने सीटेट में भी पढ़ा होगा यू टेट में भी पढ़ा होगा और जो भी आपका टेट एग्जाम रहा होगा सभी में पढ़ा होगा
तो आज हम चर्चा करने वाले हैं जॉन डीवी और इनके शिक्षक दर्शन शास्त्र पर क्या-क्या इन्होंने शैक्षिक अवधारणाएं इसमें रखी हैं और इनकी जो शैली है वह कैसी है साथ की साथ इन्होंने कौन-कौन सी फिलोसोफी अपनाई तो आज की क्लास होने वाली है जॉन डीवी के नाम तो जो भी क्लास में है सभी का बहुत-बहुत स्वागत नित्य क्लासेस के प्लेटफार्म पर तो प्लीज एक बार आप लिंक शेयर कर दीजिएगा और मुझे बताइएगा कि सब कुछ ठीक है वॉइस क्लियर है ओके है तो क्लास को हम आगे जारी रखते हैं तो सुधा अर्जुन रोबिन शीष पाल जो भी है क्लास में सभी क
ा स्वागत तो चलिए क्लास को करते हैं स्टार्ट तो सबसे पहले आप सभी की बारी क्योंकि आपसे ही जाना जाता है कि क्वेश्चन आपसे ही शुरू होता है क्या आप जानते हैं कि जॉन डीबी कहां के निवासी थे यदि आपको पता है तो आप अपना कमेंट में आंसर दीजिएगा ओके ओके संदीप तो जल्दी से बताइएगा जॉन डी भी कहां के निवासी थे तो आप क्या कहेंगे आंसर मिलेगा या नहीं अमेरिका शाबाश प्रवीण बहुत अच्छे तो देखिए जॉन डीवी की बात करें तो जॉन डीवी का जो जन्म हुआ था वो 18592 में हुआ था यह पड़ता है कहां अमेरिका में ठीक है अब हम बात करें तो ये
इन्होंने पीएसडी भी किया था दर्शन शास्त्र से और इनका मानना था कि बच्चे को इन्होंने जो अपनी शिक्षण पद्धति पर जो विचार दिए हैं ना उनका बस यही मानना था कि बच्चे को हम सिर्फ एक राय दे सकते हैं ठीक है हम बच्चे को सिर्फ एक सुझाव दे सकते हैं कि बेटा आपको यह काम ऐसे करना है लेकिन उस पर हम थोप नहीं सकते कि तुम्हें यह काम जबरदस्ती करना है यानी कि बच्चा रुचि के आधार पर और स्वयं अपनी इच्छा के आधार पर रुचि और इच्छा को इन्होंने बहुत ज्यादा मान्यता दी है कि बच्चा रुचि के आधार पर ही स्वयं कार्य करेगा उसकी स्वयं
की क्षमता है तो वह सीखेगा अन्यथा हम कितनी भी कोशिश कर ले वो नहीं सीख पाएगा तो इनके जो विचार रहे हैं उन्होंने बहुत ज्यादा प्रभावित किया है शैक्षिक दर्शन को तो चलिए देख लेते हैं इनके बारे में बिल्कुल स्वयं कर कर सीखना और बात करें तो उन्होंने व्यवहारवाद पर भी बल दिया है और बात करें तो यह प्रयोजनवाद के जनक भी रहे हैं अब इन्होंने भी ईश्वर शक्ति को नकारा है कि ईश्वर शक्ति में मैं विश्वास नहीं रखता यदि मैं व्यवहार करता हूं जिस भौतिक संसार में मैं हूं मैं उस पर विश्वास करता हूं मैं आज पर विश्वास करता हू
ं और मैं आने वाले भविष्य पर विश्वास करता हूं प्राचीन पहले भूतकाल में क्या हुआ है मुझे नहीं पता क्योंकि मैं उन चीजों पर विश्वास नहीं रखता जो सामने प्रत्यक्ष रूप से नहीं है तो चलिए देख लेते हैं कि जॉन डीवी के विचार क्या कहते हैं ठीक है तो कुछ देखिएगा पॉइंट टू पॉइंट मैं आपको बताऊंगी जॉन डीब का जन्म 18 देखिएगा से ही बन सकता है कहां हुआ था और कब हुआ था ओके चलिए बिल्कुल इन्होंने प्रयोग पर जब इन्होंने भौतिक संसार भौतिक जगत की बात कर रहे हैं भौतिक जगत में आप कोई भी कार्य तभी सही मानेंगे जब वोह प्रयोग उस
परे आप प्रयोग करेंगे क्योंकि प्रयोग द्वारा कोई भी कार्य जब किया जाता है ना तो वो तर्क के आधार पर होता है इसलिए इन्होंने प्रयोग पर भी बल दिया है चलिए तो यहां पर देखिए जॉन डीवी का जन्म था इसके अलावा विद्यालय शिक्षा इनकी कहां पर हुई थी इन्हीं के क्षेत्र वरली गठन में हुई थी एक सरकारी विद्यालय में हुई थी ठीक है इनके इसके उपरांत यदि हम देखें तो वरम विश्वविद्यालय में भी इन्होंने अध्ययन किया था यह क्वेश्चन भी आपका बन सकता है कि इनका जो विश्वविद्यालय था उसका नाम क्या था ठीक है क्योंकि ये क्वेश्चन पूछे ग
ए हैं बीएड टाइम पर इसके अलावा देखिएगा ॉन हॉकिंस ॉन हॉकिंस विश्वविद्यालय में उन्होंने ने पीएसडी की उपाधि भी प्राप्त की थी यहां से भी आपका क्वेश्चन बन सकता है कि जॉन डीवी को जो पीएसडी की उपाधि मिली थी दर्शन शास्त्र से वह किस विश्वविद्यालय से की थी तो जॉन हॉकिंस से की थी ठीक है पीएसडी की उपाधि तो ये चारों के चारों पॉइंट आपके वह पॉइंट है जो आपके एग्जाम में बन सकते हैं क्वेश्चन के रूप में ओके चलिए देखिए अब हम बात करेंगे डी भी 20वीं सदी के एक महान दार्शनिक रहे हैं महान विचारक भी रहे हैं और बात करें तो
ये एक मनोवैज्ञानिक के रूप में भी इन्होंने अपनी पहचान प्राप्त की है अब हम बात करें तो देखिएगा इन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में ऐसे महत्त्वपूर्ण योगदान दिए ऐसी विचारधाराएं बनाई कि बच्चे को आप बच्चे से ये मत कहो कि जैसा मैं कर रहा हूं वैसा करो बच्चे को यदि आप कोई भी कार्य देंगे यदि बच्चे के सामने कोई समस्या है तो उस समस्या को बच्चे को खुद सुलझाने दो वो पूरा प्रयास करेगा समस्या से निकलने का लेकिन हां आप यदि आपका कार्य है एक शिक्षक का कार्य है तो वह उसको गाइड कर सकता है व उसका मार्गदर्शन कर सकता है ठी
क है तो चलिए आप सभी के अपने अपने कमेंट इनके तीन बच्चे थे ओके बहुत बढ़िया आनंद आजय तीन बच्चों के बारे में भी आपने बता दिया है अब हम देखते हैं आगे तो सबसे पहले आपको पता होना चाहिए किस सदी से इनका संबंध है इनका जन्म कहां हुआ है कब इन्होंने पीएसटी की उपाधि प्राप्त की है ठीक है और आगे देखिएगा जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया और उनके विचारों को से प्रभावित होकर प्रकृतिवाद शिक्षा के रूप में भी इन्हें जाना जाता है पूछा जाता है कि प्रकृतिवाद शिक्षा के महान दार्शनिक कौन रहे हैं तो
वहां पर जॉन डीबी का नाम आता है ठीक है ओके भावना समझ में आया देखिए जो जो आपके एग्जाम में क्वेश्चन बन सकता है यह आपका हिंदी साहित्य नहीं है कि उनके पेरेंट्स का नाम पूछा जाए उ हां यदि इन्होंने अपने बच्चों पर कोई एक्सपेरिमेंट किया होता जैसे कि वाटसन ने किया है तो वहां पर पूछा जाता है लेकिन यहां पर क्या है कि इनके इनके बच्चों अपने बच्चों पर इन्होंने कौन सी फिलोसोफी अपना नहीं पूछा है तो हम इतना डिटेल में नहीं जाएंगे यदि इन्होंने अपनी बताया है कि इनके तीन बच्चे हैं तो कोई बात नहीं आप सभी को मतलब पता चल
गया हालांकि बच्चे वगैरह के बारे में नहीं पूछा जाता कि कितने बच्चे हैं ठीक है देखिए जॉन डीवी मिनेसोटा विश्वविद्यालय यानी कि इन्होंने जो दर्शन शास्त्र से जो भी शिक्षा प्राप्ति की थी दर्शन शास्त्र के आधार पर इन्होंने तीन विश्वविद्यालय में अपना शिक्षण शास्त्र अपनाया था यानी कि अध्ययन किया था एक पहला था मिनेसोटा विश्वविद्यालय पूछा जाता है पहला कौन सा है दूसरा था इनका मिशिगन विश्वविद्यालय और तीसरा था इनका शिकागो विश्वविद्यालय मोस्ट इंपोर्टेंट पूछा जाता है अदित शिकागो विश्वविद्यालय जिसमें इन्होंने दर्
शन शास्त्र विषय को पढ़ाया था ये मोस्ट इंपोर्टेंट है आपके एग्जाम में आए हुए मतलब जो फिलोसोफी का एग्जाम होता है उसमें अधिकतर ये क्वेश्चन आता है कि इन्होंने किस विश्वविद्यालय में में दर्शन शास्त्र का अध्ययन कराया था तो यह तीन इनके विश्वविद्यालय रहे हैं जिसमें इस विषय के ये क्या रहे हैं ये प्रोफेसर रहे ठीक है अब हम बात करें बिल्कुल रचनाएं बहुत बढ़िया रचनाओं के बारे में भी मैं बताऊंगी कौन-कौन सी इनकी रचनाएं रही है 1904 में भी ये कोलंबिया विश्वविद्यालय यानी कि कोलंबिया में दर्शन शास्त्र के प्रोफेसर भी
नियुक्त हुए और वहां पर इन्होंने 30 वर्ष तक अध्ययन कार्य किया तो यहां पर जो भी पॉइंट है ना वो आपके लिए बिल्कुल इंपोर्टेंट है आप एक बार भी पढ़ोगे ना आज की क्लास में और उसके बाद एक दो बार और पढ़ेंगे तो आपको अच्छे से समझ में आ जाएगा इनमें विश्व जो तीन मैंने बताया ना मिनेसोटा मिशिगन और शिकागो आप इनको प्लीज अच्छे से कर लीजिएगा क्योंकि क्वेश्चन कई बार बनता है इस पर ठीक है इसके अलावा 1904 में कोलंबिया में दर्शन शास्त्र के प्रोफेसर ये नियुक्त किए गए और 30 वर्षों तक ये इसी पद पे रहे अध्ययन कार्य किया अब
इसके अलावा इसके अलावा यदि हम देख देखिए प्लेलिस्ट में सारी वीडियो हैं आप एक बार देखिएगा एक जो भी क्लास होती है उसी दिन उसे प्लेलिस्ट में डाल दिया जाता है ठीक है तो मतलब इसका देखिएगा बना हुआ है मेरा एलटी पेडागोजी के नाम से होगा फिलोसोफी तो आप देखिए उसमें आपको सब कुछ मिलेगा ठीक है इनकी बहुत ज्यादा जैसा कि आप सभी ने बताया है कि इनकी कई रचनाएं रही है जिन्होंने उसपे शिक्षा के फील्ड में उसमें काम किया है तो वो रचनाएं कौन-कौन सी है देख लेते हैं ठीक है चलिए देखिए मोस्ट इंपोर्टेंट पॉइंट एक पॉइंट और प्रकृत
ि शल शिक्षा के जनक जॉन डीवी को माना जाता है और जॉन डी भी जैसा कि मैंने यहां पर बताया था कि सिकागो विश्वविद्यालय में ये प्रोफेसर भी रहे थे और उन इन्होंने क्या है 1844 में शिकागो में लर्निंग वाय डूइंग का प्रस्ताव रखा था यानी कि पूछा जा सकता है कि इन्होंने शिकागो में कब प्रस्ताव रखा था [संगीत] डूइंग यानी कि इन्होंने कर कर सीखने पर बल दिया था कि बच्चे को जब तक आप स्वयं नहीं करने देंगे वो कैसे सीखेगा ठीक है या तो हम उसे थोप या हम जबरदस्ती करेंगे और जबरदस्ती से कोई भी कार्य पूरा नहीं होता है तो पूछा ज
ा सकता है यहां से क्वेश्चन आपका बन सकता है तो आप इस पॉइंट को भी नोट कीजिएगा चलिए इसके अलावा चले हम तो देखिएगा डीवी की महानतम रचनाएं रही है जिसमें हम बात करें तो डेमोक्रेसी एंड एजुकेशन जो 1916 में इन्होंने प्रतिपादित की थी ठीक यहां तक क्लियर है किसी का कोई किसी को कोई प्रॉब्लम तो नहीं है ठीक है चलिए बिल्कुल करके सीखना संदीप जी अब हम बात करते हैं देखिए इनकी एक ऐसी रचना जो शिक्षा शास्त्र से जुड़ी हुई है जिसमें शिक्षा से संबंधित इन्होंने बहुत सारे विचार रखे हैं वो कौन सी पुस्तक है हालांकि पुस्तक इनक
ी एक नहीं है अनंत है ठीक है कम से कम 50 60 पुस्तकें इन्होंने मतलब उनकी रचना की थी लेकिन हमें 50 60 याद नहीं करनी है हमें वही याद करनी है जो आपके एग्जाम से रिले रिलेटेड है जो आपके एग्जाम में पूछा जा सकता है अब हम बात करें डीवी की महानतम यानी कि जॉन डीबी की जो महानतम रचना है वह है डेमोक्रेसी एंड एजुकेशन इसमें इन्होंने क्या बताया है कि दर्शन के बहुत सारे पक्षों पर बल दिया है और उन्होंने कहा है कि कि शिक्षा का एक मात्र उद्देश्य होता है एक बेहतर पीढ़ी का निर्माण करना एक हम ऐसी पीढ़ी का निर्माण करना ज
ो क्या भौतिक जो व्यवहार पर बल दे जो स्वयं किसी प्रयोग पर बल दे यानी कि इन्होंने कहा है कि जो बच्चे बेहतर पीढ़ी का हो सकती है क्या सिर्फ और सिर्फ हम उसे अपने भूतकाल से जोड़े रखें या फिर हम उसे अनुशासन जो भी हमारे अनुशासन है जो भी हमारे रीति रिवाज है उनको थोपे नहीं इन्होंने कहा है कि एक ऐसी पीढ़ी का निर्माण होना चाहिए जो जागरूक हो स्वयं किसी भी कार्य को करने में तो यहां पर यह भी आपसे पूछा जा सकता है कि बताइए वह कौन सी रचना है जिसमें शिक्षण शास्त्र की बहुत सारे महत्त्वपूर्ण बिंदुओं पर बल दिया तो वो
कौन सी है डेमोक्रेसी एंड एजुकेशन ठीक है चलिए यहां तक तो क्लियर होगा अब इसके अलावा हम बात करते हैं जॉन डेवी की शिक्षा संबंधी रचनाएं कौन-कौन सी रही हैं तो चलिए बहुत सारी रचनाएं हैं जिनको हम यहां पर समझेंगे तो मैं सब मैं आपको बार-बार कहूंगी कि आपको रटना नहीं है एक दो रचनाएं आपको देखनी है जो आपके एग्जाम से हैं हालांकि यदि आपको टाइम मिले तो आप इन सब रचनाओं को देखिएगा इनका सन भी देख सकते हैं स्कूल ऑफ टुमारो इंटरेस्ट एंड एफ इन एजुकेशन हाउ वि थिंग्स द चाइल्ड एंड द करिकुलम यानी कि इन्होंने बहुत सारी रचन
ाए देखिए मैंने कुछ ही रचनाओं को रखा है जो अधिकतर एग्जाम में पूछी गई है ठीक है चाहे वोह आपका फिलोसोफी का एग्जाम हो चाहे वो आपका सीटेट यानी कि जो भी टेट एग्जाम रहे उनमें यह टीचिंग एग्जाम में यह रचनाएं पूछी गई है वही रचनाएं आपके सामने हैं तो आपको दो चार बार इनको पढ़ना है अच्छा अच्छा यह बिलर का बड़ा सिस्टम खराब है एक सेकंड रुकिए प्लीज एक मिनट सि आनंद अब क्लियर है ना ओके ओके चलिए तो देखिए ये जितनी भी रचनाएं हैं आपको देखना होगा अब मैं बात करूं तो मोस्ट इंपोर्टेंट इनमें से कौन सी है जिनको आपको कई बार प
ढ़ना भी है समझना भी है तो गाइस पहली वाली द स्कूल एंड सोसाइटी हाउ वी थिंक्स यह भी अधिक पूछी गई है द चाइल्ड एंड द करिकुलम स्कूल ऑफ टुमारो डेमोक्रेसी मैंने आपको पहले ही बता दिया है ह्यूमन नेचर के बारे में भी इन्होंने बात की है ठीक है और यहां पर देखिए दो चार डेफिनेशन और दो चार रचनाएं और भी होंगी इनकी इन रचनाओं को भी आप देखिएगा जरूर ठीक है ये सारी की सारी वह रचनाएं हैं जो जॉन डीवी ने रची है जिसमें जॉन डीवी के स्वयं के विचार रहे हैं ठीक है चलिए नेटवर्क इशू मेरी तरफ तो नहीं है आपकी तरफ हो तो मैं नहीं क
ह सकती चलिए तो यहां तक तो कोई प्रॉब्लम नहीं होगी देखिए रचनाओं के बारे में डिटेल में हम नहीं जाएंगे क्योंकि डिटेल में जाने का मतलब यह है एक रचना के बारे में आप एक दिन में ही समझ पाएंगे इतना टाइम नहीं है तो इन रचनाओं को दो-चार बार आप देखिएगा तो आपको समझ में आ जाएगा ठीक है ओके हां देखिए र आंचल आंचल घबराने लगी कि इतनी सारी इतना सब कुछ आपने याद किया है और इतनी सी रचनाओं को देखकर आप कह रहे हो कि इतनी सारी कैसे याद करेंगे हो जाएगा जब आप दो-चार बार आप याद देखोगे ना तो आपसे हो जाएगा सारी मत रटिए मैंने पह
ले ही कह दिया है कि सारी नहीं रट है दो चार ही है जिनको आपको पढ़ना है ठीक है चलिए अब हम यहां पे चले तो देखिएगा अब हम बात करेंगे जॉन डीवी का शिक्षा दर्शन क्या है तो आप जानते हैं 20वीं शताब्दी से इनका संबंध रहा है तो आधुनिक युग के महान दार्शनिक बनकर उभरे थे और इन्होंने एक व्यवहार देखो इन्होने यथार्थवाद को व्यवहारवाद को अपनाया है ठीक है हम बात करें तो उन्होंने प्रयोजन वाद पर भी बल दिया है लेकिन इन्होंने आदर्शवाद को नहीं माना है आदर्शवाद आध्यात्म से जुड़ा है ईश्वर शक्ति से जुड़ा है तो उन्होंने आदर्शव
ाद को नकारा है तो देखिए यहां पर हम समझ लेते हैं जॉन डीवी आधुनिक युग के एक महान दार्शनिक और शिक्षाविद तथा विचारक रहे हैं ठीक है इसके अलावा जॉन डीवी की शिक्षा की जो अवधारणा रही है ना वो व्यवहारवादी दर्शन पर रही है व्यवहारवादी जिसमें आप व्यवहार करकर स्वयं को सिद्ध करते हैं कि आप कितने सही है आपको कितना आता है और व्यवहार के द्वारा किया गया कोई भी कार्य कहीं ना कहीं प्रूफ पैदा करता है कि बिल्कुल इस कार्य को हमने ऐसे किया है हमारे पास सबूत है यह काम सही है ठीक है तो ये व्यवहारवादी रहे इतना भी नोट कर ल
ीजिएगा और इसके अलावा हम बात करें तो डीवी का जो मानना था वो यही था कि ज्ञान कार्य जो होता है ना वो परिणामी होता है यानी कि आपने ज्ञान के आधार पर नॉलेज के आधार पर कोई भी कार्य किया है तो उसका रिजल्ट आप बिल्कुल आप उसका रिजल्ट आप मिलेगा आप उसको बता सकते हैं किसी को भी बता सकते हैं कि आपने किस किस तरीके से कार्य किया है और इनका मानना है कि वास्तविकता वही है जिस संसार में रहकर हम किसी कार्य को स्वयं करें उसे देखें जांचे उसकी पड़ताल करें यानी कि मेरा कहने का तात्पर्य यह है कि उन्होंने आध्यात्म को बिल्क
ुल नकारा है सिर्फ इन्होंने बल दिया है तो स्वयं कर कर सीखने पर ठीक है चलिए बिल्कुल पर्सनल एक्सपीरियंस बहुत बढ़िया आगे देखिएगा एक डेफिनेशन जो बहुत अधिक पूछी जाती है शिक्षा को परिभाषित करने के लिए जॉन डीवी ने कहा है कि शिक्षा अनुभवों की सतत पुनर संरचना है तो मोस्ट इंपोर्टेंट है यदि डेफिनेशन आ जाए तो आप इसको आप नोट कीजिएगा शिक्षा अनुभवों की सतत जो हमेशा बनी रहती है पुनर संरचना है एक और पॉइंट जैसे कि जॉन डी भी है ना जॉन का यह भी मानना था कि सत्य हमेशा ऐसा ही नहीं है कि सत्य हमेशा स्थाई रहे सत्य में भ
ी परिवर्तन किया जा सकता है कहने का तात्पर्य कि हम यह कहते ना कि सत्य कभी नहीं बदलता लेकिन जॉन टीवी ने कहा है कि यदि आप सत्य में कुछ बदलाव करना चाहते है ना तो वो बदल सकता है इसीलिए कहा है कि सत्य भी परिवर्तनशील है उसमें भी आप जैसे कि हमारी देखिएगा एजुकेशन लाइन में भी कितने सारे बदलाव देखने को मिले क्या जो पहले पढ़ाया जाता था वो गलत था नहीं था लेकिन बहुत सारे बदलाव हमने आज के टाइम में देखे जो पहले नहीं थे तो वो टाइम के अकॉर्डिंग जो बदलाव लाया जाता है वह परिवर्तन के आधार पर होता है यही परिवर्तन इन्
होंने बताया कि सत्य में भी परिवर्तन किया जा सकता है क्वेश्चन भी आ सकता है आपका शिक्षा के प्रति उनकी मुख्य अवधारणा उनकी पुस्तक मैंने आपको बता दिया है डेमोक्रेसी एंड एजुकेशन में बात करें तो देखिएगा एक्सपीरियंस एंड एजुकेशन में भी देखने को मिली है ठीक है हालांकि मोस्ट इंपोर्टेंट जो पूछा जाता है डेमोक्रेसी एंड एजु के बारे में बहुत अधिक पूछा जाता है जो डेफिनेशन में आपको जो भी रचनाएं मैं आपको बाद में बता रही हूं ना उनको तो आपको याद करना ही है डरिए नहीं कितनी सारी रचनाए 20 30 रचनाए कौन याद करेगा करने का
काम आपका ही है ठीक है बिल्कुल ये परिवर्तनशील रहे हैं सगुन ओके इसके अलावा देखें तो देखिए यहां पर आप देखेंगे कि जब हमारे सामने उनके अनुसार सत्य एक उपकरण है एक उपकरण का कार्य करता है कि हां भाई यह सही है लेकिन क्या हम इसमें बदलाव कर सकते हैं तो बिल्कुल सत्य उनके अनुसार सत्य एक उपकरण है जिसका उपयोग मनुष्य द्वारा अपनी समस्याओं का समाधान करने के लिए किया जाता है जब समस्याएं बदलती है तो सत्य भी बदलता है मैंने कहा ना आपको कि इन्होंने कहा था कि सत्य बदल सकता है जब समस्याएं बदलती है तो सत्य बदलता है तथा
देखिए शाश्वत यानी कि सदा रहने वाला सत्य नहीं हो सकता यदि आपने उसमें कोई बदलाव नहीं किया तो वो सत्य सत्य नहीं है ठीक है वो क्या है वो रटा रटा है जैसा आपने पहले से सीखा वैसा ही आपने बताया यदि आप कुछ बदलाव कर पा रहे हैं तो वह सत्य है और सत्य परिवर्तनशील है यह मानना है जॉन डीवी का क्लियर हुआ है कि नहीं एक बार बताइएगा समझ में आया सही से क्लियर सही से नजर नहीं आ रहा है मुझे लगता है कि यहां कोई प्रॉब्लम नहीं है एक बार मुझे बताइए स्क्रीन पर क्लियर है ना सब कुछ ठीक है मुझे लगता है कि समझ क्लियर है गुड्डी
प्लीज बता दीजिएगा चलिए ओके तो यहां पर इन पॉइंट को प्लीज नोट कीजिएगा कुछ ऐसे पॉइंट जो मैं आपको बार-बार जोर देकर बोल रही हूं कि इन पॉइंट को आपको विशेष कर ध्यान देना है तो उनको आप अच्छे से एक दो बार पढ़ेंगे ना तो बिल्कुल क्लियर हो जाएगा चलिए कुछ ऐसे पॉइंट पर डिस्कस कर लेते हैं जो जॉन डीवी ने प्रमुख तौर पर इन पर बल दिया है तो पहला तो है डीवी के अनुसार परिवर्तन शिक्षा का मौलिक सिद्धांत है यानी कि इन्होंने कहा है कि जीवन में परिवर्तन लाना ही सबसे मतलब जीवन में परिवर्तन नहीं लाए तो वो मनुष्य मनुष्य का
जीवन नहीं है वह सेम दूसरों के देखकर अनुकरण कर रहा है उसने अपनी लाइफ में कुछ नया नहीं सीखा है यानी कि इनका मानना है कि जीवन में यदि आप परिवर्तन लाते हैं तो व मौलिक है वो आपके स्वयं की विचार रहे हैं तो डीवी के अनुसार परिवर्तन शिक्षा का मौलिक सिद्धांत है ठीक है यह मुख्य बिंदु है इनका सत्य व्यक्ति के अनुसार परिवर्तित होता है मैंने अभी आपको बताया था कि सत्य में परिवर्तन किया जा सकता है और शिक्षा का मुख्य लक्ष्य बच्चों को अपने अनुभव से जीवन की समस्याओं के समाधान के लिए सक्षम बनाना है कहने का मतलब क्य
ा है तो समझिए कि शिक्षा का मुख्य लक्ष्य क्या है ऐसा नहीं है इन्होंने कहा था कि बच्चा जन्म से ही मतलब बच्चा जन्म से ही सक्रिय होता है और ऐसा नहीं कि जैसे-जैसे बच्चा बड़ा हुआ आपने अपने अनुभव बच्चे पर थोपना स्टार्ट कर दिया नहीं आप मार्गदर्शन का काम कर सकते हैं आप गाइड का काम कर सकते हैं लेकिन आप बच्चों पर विशेष प्रकार से अपने अपने मूल्यों को अपने विचारों को थोप नहीं सकते कहने का मतलब जैसे कि स्कूल में जब टीचर्स होते हैं तो बच्चों को बार-बार कहते हैं क्या बच्चों को बार-बार बोला जाता है कि बेटा अपनी
राइटिंग पे ना विशेषक ध्यान दिया करो अच्छा राइटिंग होगा तो मार्क्स अच्छे मिलेंगे ठीक है होता है ना सभी कहते हैं कि बेटा पॉट मतलब एक एक पॉइंट को ध्यान दो मात्राओं पर ध्यान दो और क्या कहते राइटिंग तो अच्छा होना चाहिए राइटिंग से भी नंबर अच्छा मिलता है हम बच्चों को सिर्फ सुझाव दे सकते हैं लेकिन उसे कूटकूट कर समझा नहीं सकते सकते हैं ठीक है क्योंकि बच्चे को पता है कि जो मेरा टीचर मुझे बता रहा है जो मेरे से बड़ा मुझे बता रहा है वो मेरे लिए सही है तो वो कोशिश भी करता है लेकिन कुछ ऐसा होता है कि जो हम बच्
चे पर जबरदस्ती थोपते हैं जबरदस्ती का मतलब क्या है कि कोई बच्चा मैथ में कमजोर है ठीक है और हम जबरदस्ती थोपे कि नहीं बेटा तुम्हें तो मैथ से ही आगे बढ़ना है तो वो हमारा थोपना बच्चे को आगे नहीं बढ़ने देगा बच्चे को कहीं ना कहीं वो वहीं पर धकेल देगा ऐसी दुनिया में धकेल का ना वो स्वयं आगे बढ़ेगा ना वो कुछ कर पाएगा तो क्लियर हुआ है समझ में आ गया य थोपना कौन सा होता है जिसमें बच्चा अपने आप मजबूत ना फील करे कि हां मैं इसमें नहीं बढ़ सकता हूं आगे ठीक है चलिए क्लियर है समझ में आया थोपा हुआ बिल्कुल अल्पकालीन
होता है अल्पकालीन क्या वो तो भविष्य को ही नष्ट कर देता है बहुत सारे सपने तो वहीं बिखर जाते हैं जब पेरेंट्स हमसे हमसे बहुत ज्यादा उम्मीद लगा लेते हैं कोई भी पेरेंट्स नहीं कहता है कि हमारा बच्चा टीचर बनेगा बड़े हो के उनके सपने इतने बड़े होते हैं कि आईएएस ऑफिसर बनेगा इंजीनियर बनेगा डॉक्टर बनेगा क्या हर घर में डॉक्टर इंजीनियर देखने को मिलता है तो उम्मीद वो लगाओ आप उम्मीद करो कि आपका बच्चा एक अच्छा नागरिक बने ठीक है पढ़ लिखकर कुछ बने तो लेकिन हमें उम्मीद ऐसी नहीं लगानी चाहिए इतना नहीं तोप चाहिए कि ब
च्चा प्रेशर में आकर वो कुछ भी ना बन पाए ठीक है तो यही है कि बच्चे पर हमें थोपना नहीं चाहिए शिक्षा का मुख्य लक्ष्य बच्चे को अपने अनुभव से जीवन की समस्याओं के समाधान के लिए सक्षम बनाना है ना कि थोपना है क्लियर हो चुका होगा यह पॉइंट अतः जॉन डीब को व्यवहारवादी विचारक भी कहा गया है व्यवहारवादी क्यों क्योंकि व्यवहारवाद में हम कोई भी कार्य स्वयं कर कर सीखते हैं क्लियर है ओके चलिए आगे देखें कोई पॉइंट भी मतलब कोई पॉइंट ऐसा नहीं रखा है जो ना छूटे इनके उद्देश्य क्या है शिक्षा के उद्देश्य की बात कर ले तो दे
खिए आप जैसा कि हमने इतना पढ़ा है उससे ही हम समझ सकते हैं कि इनके उद्देश्य क्या है सबसे पहले तो जितने भी विचारक रहे हैं जितने भी दार्शनिक रहे उन्होंने हमेशा बच्चों के भले के बारे में कहा है चाहे किसी ने आध्यात्मिक से जोड़कर कहा है तो किसी ने प्रकृति से जोड़कर तो किसी ने भौतिक जगत से जोड़कर अब हम बात करें तो यहां पर देखिएगा चलिए ऋणात्मक अधिगम ओके बच्चे का विकास शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य होता है बच्चे की शक्ति और क्षमता का विकास करना यानी कि बच्चे की शक्ति और क्षमता का विकास बच्चा जैसे जैसे ग्रो कर
ता है बच्चा जैसे-जैसे बढ़ता है तो उसका मानसिक विकास भी बढ़ता है ठीक है स्टार्टिंग में बच्चा बहुत ज्यादा आपने कहा ना जिज्ञासु बच्चे की जो प्रवृति होती है ना वो जिज्ञासु प्रवृति की होती है कैसे होता है क्यों होता है क्या सूरज हमारे साथ-साथ चलता है दीवारों पर छिपकली क्यों चलती है जमीन पे क्यों नहीं चलती है हम जमीन पे क्यों चलते हैं दीवारों पे क्यों नहीं चलते बहुत सारी ऐसी ऐसे विचार बच्चे के अंदर होते हैं जिनके आंसर देना भी मुश्किल हो जाता है ठीक है जैसे जैसे बच्चा बड़ा होता है उसकी समझ विकसित होती
है वो धीरे-धीरे अपने जो विचार होते हैं उनमें बदलाव लाता है वो जानता है कि यह रियलिटी है कि जो मनुष्य है वो दीवारों पर नहीं चल सकता है वो जमीन पर ही चल सकता है तो ऐसे विचार उसको और मान लीजिए बच्चे ने कहा कि मतलब आपने देखा होगा कि बहुत से पेरेंट बेटा उस रूम में मत जाना उस रूम में भूत रहता है आपने सुना होगा हम जब बच्चे को कहीं जाने से मना करते हैं तो बच्चे के अंदर एक डर पैदा कर देते हैं बेटा सामने वाले रूम में मत जाना बेटा पार्क में मत जाना वहां चुड़ैल रहती है तो ऐसे विचार जो होते हैं ना वो बच्चे क
ो अंदर से कमजोर कर देते हैं उसके अंदर चुड़ैल भूत वाली जो विचार धारणा होती है वो अंदर-अंदर उसको क्या है कमजोर करके रख देती है तो हमें बच्चे को यदि मना करना है तो सही पॉइंट पर आओ कि वहां पर आप क्यों मना कर रहे हैं जाने के लिए ऐसा नहीं कि आप उसको कहीं ना कहीं ऐसे अंधविश्वास में मतलब ऐसे अंधविश्वास को उसके अंदर जगा रहे हैं जो वो कहीं ना कहीं उसको परेशान करे समझ में आ रहा है मैं क्या कहना चाह रही हूं यानी कि बच्चे को वास्तविकता से संबंधित बताइए कि वहां पर ना भेजने का रीजन क्या है ना कि उसे चुड़ैल और
भूतों की कहानियां सुनाकर ठीक है हां डराना डरना चाहिए भी नहीं ओके चलिए बच्चे का विकास समझ गए होंगे कि बच्चे की शक्ति और क्षमता का विकास करना है और कैसे करना है आप में से काफी पेरेंट्स भी होंगे होंगे जिनके बच्चे होंगे और कुछ ऐसे भी होंगे भ हमारी शादी होगी शादी से पहले हमें जॉब भी लेना है तो उनको भी कहीं ना कहीं यहां से सीखने को मिलेगा कि भाई बच्चे को हमें कभी डराना नहीं है कहीं पर रोकना है कहीं कुछ समझाना तो बिल्कुल रि रियलिटी बतानी है ठीक है चलिए अब प्रत्येक बच्चे की अपनी विशेष क्षमता होती है देख
िए ऐसा नहीं है कि प्रत्येक बच्चा मेधावी हो हर बच्चा इंटेलिजेंट हो ये जरूरी नहीं है और हर बच्चा मूर्ख हो यह भी जरूरी नहीं है प्रत्येक बच्चे की अपनी प्रतिभा होती है इसी के आधार पर व्यक्तित्व विभिन्नता का भी ध्यान रखा जाता है ठीक है चलिए अनुभवी लोग हैं आप भी उनमें से एक हैं अनंत ओके चलिए प्रत्येक बच्चे की अपनी विशेष क्षमता होती है एक ही प्रकार के विकास का सिद्धांत लागू करना गलत हो जाएगा यदि हम क्लास में एक ही प्रकार का मान लीजिए टीचिंग मेथड अपनाएंगे तो गलत होगा क्यों कुछ बच्चे तो समझ पा रहे हैं और
कुछ नहीं समझ पा रहे हैं तो यह किसका मानना है यह है व्यक्तित्व विभिन्नता को ध्यान में रखकर ही हमें अपनी शिक्षण प्रक्रिया को आगे जा रखना है अन्यथा हमारा पढ़ाना व्यर्थ है और पढ़ाना हमेशा ऐसा होना चाहिए जिसमें सभी बच्चे प्रभावित हो चाहे वह कैसे भी हो तो यहां पर क्योंकि एक बच्चे का विकास दूसरे बच्चे से अलग होता है व्यक्तित्व विभिन्नता को दर्शाता है ठीक है यह पॉइंट क्लियर होगा बच्चे की क्षमता के अनुरूप अध्यापक को विकास को दिशा देनी चाहिए कि हमारा स्टूडेंट हमारे बच्चे कैसे आगे बढ़ सकते हैं एक ऐसी रणनीत
ि अपनानी चाहिए जिसमें सभी बच्चे प्रभावित हो क्लियर चलिए अब अब आगे देखें एक और पॉइंट मैंने कई उद्देश्य प्रजातांत्रिक व्यक्ति एवं समाज का सर्जन प्रजातांत्रिक आप जानते हैं प्रजातांत्रिक का मींस ही आप समझ गए होंगे प्रजातांत्रिक जिसमें प्रजा को अधिकार होता है कहने का तात्पर्य बच्चों को अधिकार होता है अपने क्वेश्चन अपनी समस्या अपने अध्यापक के सामने अपने बड़ों के सामने रखने का ठीक है और जब प्रजातांत्रिक माहौल पैदा करेंगे तो वहां पर एक ऐसे समाज का एक ऐसा समाज विकसित होगा जो सभ्य समाज होगा जो वर्तमान से
जुड़ेगा जो कहीं ना कहीं भविष्य के बारे में सोचने की कल्पना करेगा तो देखें यहां पर प्रयोजनवाद शिक्षा का लक्ष्य व्यक्ति में प्रजातांत्रिक मूल्य एवं आदर्शों को भरना प्रजातांत्रिक समाज की रचना करना जिसमें व्यक्ति व्यक्ति में विभिन्नता ना हो व्यक्ति व्यक्ति में विभिन्नता का मतलब क्या है यानी कि ऐसा नहीं है कि भाई मैं ही यहां पर बोल सकती हूं आपको अधिकार ना दूं नहीं वहां पर सभी समान है सभी को समान अवसर दिए जाएंगे सभी को अधिकार है अपनी-अपनी समस्या अपने-अपने विचार रखने का यह पॉइंट क्लियर हुआ है कि प्रजात
ांत्रिक समाज की रचना करना जिसमें व्यक्ति व्यक्ति में भिन्नता ना हो का मतलब सभी समान है सभी अपने हक के लिए लड़ सकते हैं ठीक है बिल्कुल बालक में प्रजातांत्रिक मूल्यों का विकास होना यह जॉन डीवी ने ही बताया है इसके अलावा प्रत्येक व्यक्ति स्वतंत्र रहता है प्रजातांत्रिक है तो स्वतंत्र रहेगा ठीक है एक दूसरे के सहयोग के लिए जब समाज का हिस्सा बनना चाहते हैं हम सामाजिक प्राणी बनेंगे तो एक दूसरे का सहयोग भी करेंगे ऐसा तो नहीं है कि भाई जो मुश्किल में है उसको छोड़ दो कि उसका व है मेरा कोई मतलब नहीं है उससे
तो हमें भाईचारा और सामाजिक नागरिक का अधिकार तभी मिलता है जब समाज के लोगों के साथ मिलते हैं उनका सहयोग करते हैं तो देखिएगा एक दूसरे का सहयोग करने को तत्पर रहे प्रत्येक व्यक्ति को अपनी इच्छा पूरी करने तथा क्षमता का विकास करने का भी अवसर मिले व्यक्तियों के मध्य समानता होनी चाहिए तो आपको प्रजातांत्रिक व्यक्ति एवं समाज का सर्जन समझ में आ चुका होगा क्लियर हुआ है या नहीं एक बार यस या नो बताइएगा क्लियर है एंजल आनंदी क्लियर है कोई भी पॉइंट प्लीज बताए दिक्कत तो नहीं है ना चलिए अब हम देखेंगे यहां पर भावी ज
ीवन की तैयारी अब भावी जीवन की तैयारी की बात करें तो जैसे कि आप एक भावी शिक्षक है ना बहुत कुछ आपने संघर्ष किया बहुत सारे पड़ाव से आप गुजरे और एक ऐसे भावी शिक्षक के रूप में आप पहचाने जाते हैं कि आने वाले समय में हर कोई कह देगा कि अंजू और अजय आंचल अभी काफी लोग तो अभी से ही आपको गुरुजी कहकर बोलने लगे होंगे गुरुजी मैडम क्योंकि कोई ना कोई आप देखिए प्राइवेट जॉब भी कर रहे हैं कुछ आप पार्ट टाइम जॉब के लिए घर पे भी ट्यूशन वगैरह दे रहे होंगे तो आपको मैडम और सर की उपाधि तो अभी से मिल गई होगी मिल गई होगी ना
तो यहां पर भावी जीवन की तैयारी अब यहां पर हम बात करें तो भावी जीवन की जो शिक्षा है ना वो व्यक्तिक और सामाजिक दोनों रूप में देखी जाती है ठीक है तो यहां पर हम देख लेते हैं प्रयोजनवाद शिक्षा इस अर्थ में उपयोगी है कि यह व्यक्ति को भावी जीवन हेतु तैयार करता है जैसे कि आप तैयार हो रहे हैं ठीक है आप शिक्षक और शिक्षिकाओं के रूप में ताकि वह अपनी आवश्यकताओं को पूरा करकर आत्म संतोष प्राप्त कर सके आत्म संतोष कब मिलेगा जब आपके मोहर लग जाएगी कि हां भाई गवर्नमेंट अधिकारी है ये और यह टीचर अब बन चुके हैं तो उसमे
ं आपको आत्म संतोष क मिलता है जो सपने आपने सजो ए हैं वो जब पूरे हो जाएं तो वह आत्म संतोष में बदल जाते हैं ठीक है भावी जीवन की शिक्षा व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन हेतु तैयार की जाती है व्यक्तिगत इसमें स्वयं की इच्छाएं होती हैं स्वयं की जरूरतें होती हैं और सामाजिक सामाजिक तो होंगी जब आप समाज का हिस्सा बनेंगे ठीक है चलिए अब आगे चले भावी जीवन समझ में आ चुका होगा आपको अब हम बात करते हैं जॉन डीबी के अनुसार शिक्षा प्रक्रिया कैसी है तो बताइए शिक्षा की प्रक्रिया कैसी है आप सभी जानते हैं कि जॉन डीवी ने शिक्षा
की प्रक्रिया को दो भागों में बांटा है एक है मनोवैज्ञानिक और दूसरा है सामाजिक ठीक है मनोवैज्ञानिक में हम बात करें तो मनोवैज्ञानिकों में उन्होंने रखा है कि बच्चे पर किसी भी प्रकार का दबाब मत डालिए बच्चे की रुचि के अनुसार बच्चे की क्षमता के अनुसार पाठ्यचर्या होनी चाहिए ठीक है ऐसा नहीं है कि हम बच्चे पे ला दें स्टार्टिंग से ही ला दें नहीं बच्चे की रुचि के अनुसार ही बच्चे का करिकुलम तैयार किया जाना चाहिए स्टार्टिंग में क्यों हम बच्चे को शब्द अर्थ नहीं पढ़ाते हैं क्यों बच्चे को नहीं पता शब्द अर्थ क्य
ा होता है बच्चे को नहीं पता वाक्यांश क्या होता है स्टार्टिंग में बच्चे को वर्णमाला से ही शुरुआत की कराई जाती है क्योंकि बच्चा अक्षर से ही शब्द बनाता है और शब्द से ही वाक्य बनाता है तो यहां पर देखिएगा डीवी के अनुसार शिक्षा प्रक्रिया को दो पक्षों में विभाजित किया है मनोवैज्ञानिक और सामाजिक मनोवैज्ञानिक की हम बात करें तो उसमें बच्चे की बच्चे की रुचि एवं क्षमता के अनुसार पाठ्यचर्या एवं शिक्षण विधि निर्धारित की जाती है जिसमें बचा बच्चे की रुचि को जानने का प्रयास किया जाता है साथ की साथ उसी के आधार पर
पाठ्यचर्या का निर्धारण किया जाता है समझ में आया चलिए अब हम बात करें दूसरा है हमारा सामाजिक सामाजिक में क्या होगा वही मूल्य होंगे जो एक भाईचारा सामूहिक संगठन को बढ़ावा देगा जो अपनेपन की भावना को बढ़ावा देगा तो वो क्या है सामाजिक पक्ष दोनों ही क्लियर हो चुके होंगे हालांकि सामाजिक चेतना में भाग ले सके सामाजिक नागरिक बन सके सामाजिक मूल्यों को पहचानना ये सामाजिक पक्ष में आएगा ठीक है चलिए आगे देखें आगे हम देखते हैं जॉन डीबी के अनुसार शिक्षा प्रक्रिया के सिद्धांत कौन-कौन से हैं तो चलिए इन्होंने सा चार
सिद्धांत रखे हैं और चार सिद्धांत हालांकि इन्होंने कई सिद्धांत रखे हैं लेकिन मैं यहां पर बताऊंगी आपको एक एक के बारे में क्लियर है जॉन डीवी बिल्कुल स्वतंत्रता बहुत अच्छे से इन्होंने एक पॉइंट रखा कि जॉन डीवी ने त्रि ध्रुवीय प्रक्रिया को अपनाया जिसमें शिक्षक पाठ्यक्रम और शिक्षार्थी शिक्षार्थी को माना है केंद्र बिंदु और जरिया क्या है जरिया है जो एक मार्गदर्शन देने का वह है शिक्षक का और किसके द्वारा दिया जा सकता है तो साधन के रूप में है पाठ्यचर्या ठीक है चलिए जॉन डीवी के अनुसार शिक्षा प्रक्रिया के सि
द्धांत यदि हम देखें तो पाठ्यक्रम को उपयोगिता पर आधारित होना चाहिए पाठ्यक्रम उपयोगिता उपयोगिता का संबंध समझ गए होंगे आप किस पर आधारित है पाठ्यचर्या बच्चे के विकास के विभिन्न सौपान की और उनकी रुचि और रुझान के आधार पर होनी चाहिए यदि बच्चे में रुचि नहीं है बच्चे में रुन नहीं है बच्चा समझने की कोशिश नहीं कर रहा तो वोह पाठ्यचर्या व्यर्थ मानी जाएगी यह मानना था जॉन डीवी का तो समझिए यहां पर बच्चों में चार प्रमुख यानी कि रुचियां देखी जा सकती हैं बात करने की इच्छा तथा विचारों का आदान प्रदान करना खोज करना औ
र त्मक अभिव्यक्ति पहला पॉइंट बच्चों में चार प्रकार की प्रमुख रुचि देखी जाती है सबसे पहला यहां पर बताया है कि बच्चे की बात करने की इच्छा कैसी है दूसरा है कि वो अपने विचारों का आदान प्रदान कैसे कर रहा है तीसरा है खोज रचनाए वो खोज किस प्रकार से कर रहा है कलात्मक अभिव्यक्ति वो अपनी कला का प्रदर्शन कैसे कर रहा है तो यहां पर आपसे पूछा जाए कि रुचि के आधार पर जॉन डीवी ने चार वो कौन-कौन से पॉइंट बताए हैं वो कौन-कौन से बिंदु बताए हैं तो आप इन पॉइंट को एक बार देख लीजिएगा याद कर लीजिएगा ठीक है बिल्कुल कलात्
मक अभिव्यक्ति बहुत अच्छे जतिन हालांकि बहुत आसान है मुझे लग रहा है कि जॉन डीब अब तक हमने पढ़े हैं ना उनमें सबसे आसान जॉन डीवी को समझना है अब हम पाठ चर्या की बात कर लेते हैं पाठ्यचर्या के बारे में पाठ्यचर्या कैसी होनी चाहिए तो पाठ्यचर्या का वही है कि जिसने बच्चे को पढ़ना है लिखना है गिनना है समझना है और मानवीय कौशल करने आए संगीत में निपुण हो साथ की साथ वह बहुत सारी शारीरिक गतिविधि करें तो ऐसी पाठ्यचर्या का निर्माण कराया है जॉन डेवी ने तो चलिए देखिएगा इन तत्वों द्वारा निर्धारित होने चाहिए जिसमें पढ
़ना लिखना गिनना गिनना मान गिनने का मतलब गणित से है ठीक है मानवीय कौशल संगीत और शारीरिक गतिविधि तथा अन्य कलाओं का अध्यापन के अंतर्गत इन्होंने पाठ्यचर्या को बताया कि पाठ्यचर्या में क्या-क्या शामिल होना चाहिए ओके चलिए एडम ने हां एडम ने दो प्रकार की जो शिक्षण प्रक्रिया बताई है जिसमें शिक्षक और शिक्षार्थी है ठीक है जॉन डीवी ने तीन प्रकार की बताई है इसके अलावा देखिए इनका ये भी मानना है कि ये सारे के सारे विषय में एक साथ बच्चे पर नहीं थोपने चाहिए बस वही है कि बच्चा जैसे जैसे बच्चे की सीखने की क्षमता हो
उसी प्रकार से बच्चे को सिखाना चाहिए सारे विश्व को एक साथ नहीं वर मानसिक विकास के विशेष स्तर पर उसकी आवश्यकता और इच्छा जाहिर हो तब पढ़ाया जाना चाहिए ठीक है लेकिन इस पर बहुत सारी आलोचना भी हुई है कि यदि हमने बच्चे की इच्छा प बच्चे को छोड़ दिया ना तो हो सकता है कि बच्चा सही दिशा पर ना चल पाए हो सकता है कि बच्चे का जो एक हमने लक्ष्य बनाया है ना कि बच्चे को क्या है शिक्षित बनाना है वो लक्ष्य बच्चे का ना बन पाए तो काफी आलोचनाएं भी इन पर हुई आलोचकों ने बिल्कुल इन परे बहुत सारे वाण भी रखे हैं तो यहां प
र इनका मानना था कि सारे विषय एक साथ ना पढ़ाकर बच्चे की इच्छा और उसकी आवश्यकता के अनुसार पढ़ाया जाए ठीक है अब हम बात कर रहे हैं देखिए पाठ्यचर्या लचीली होनी चाहिए जब आवश्यकता के अनुसार बताया तो लचीली तो अपने आप में ही होगी ठीक है यहां तक समझ में आया है या नहीं एक बार बता दीजिएगा आनंद गुड्डी अजय अब देखिएगा पाठ चर्या लचीली होनी चाहिए ताकि बच्चे रुचि और रुझान के आधार पर पर वर्तन करें और समझे भी पाठ्यचर्या को बच्चे के तत्कालिक अनुभवों से जुड़ा होना चाहिए यानी कि वर्तमान से जुड़ा होना चाहिए ऐसा नहीं कि
हमें भूतकाल के आधार पर बच्चों को कुछ समझाएं बच्चे को तत्कालीन अनुभव के आधार पर यदि बच्चे के सामने कोई समस्या है तो उस समस्या को बच्चे पर छोड़ दो कि बेटा कर जितना तेरे पे हो सकता है बच्चा करेगा कोशिश करेगा हो सकता है कि वो समस्या बच्चे पे ना सुलझे हो सकता है कि बहुत सारी गलती हो लेकिन ऐसा नहीं है कि बच्चा वहां पर हार मान लेगा हार कब नहीं मानेगा उसके साथ आप हैं उसके साथ उसका शिक्षक है उसके साथ उसके पेरेंट्स हैं तो बच्चा पाठ्यचर्या को बच्चे के तत्कालीन अनुभवों से जुड़ा होना चाहिए यहां तक संभव हो प
ाठ्यचर्या में उन्हीं विषयों को रखा जाए जो बच्चे के विकास और उसकी स्थिति से जोड़ने का प्रयास करता हो ठीक है चलिए बाकी ज्यादा जो भी है इनकी शिक्षण विधियां देख लेते हैं शिक्षण विधि कौन सी है तो सबसे मोस्ट तो वही है लर्निंग बाय डू यानी कि कर कर सीखना जब तक हम स्वयं कर कर नहीं सीखेंगे तब तक हम कुछ नहीं कर सकते बच्चे को नहीं सिखा सकते हम स्वयं भी नहीं सीख सकते यहां पर आप देखिए क्लास ले रहे हैं ठीक है इस क्लास में आप क्या है पढ़ भी रहे हो और सुन भी रहे हो लेकिन दोबारा जब आपने प्रयास नहीं किया तो आप नही
ं आगे बढ़ पाएंगे नहीं सीख पाएंगे तो कर कर सीखना बहुत जरूरी है क्योंकि जब तक हम स्वयं कर कर नहीं सीखते ना आप मान लीजिए मैंने एक एग्जांपल बहुत बार दिया है आपको कि आप जब डिशेस वगैरह लेते हैं आप खाने जाते हैं तो आपको भोजन बहुत टेस्टी लगता है ठीक है तो आपको वो टेस्टी लगेगा लेकिन आपसे कोई पूछ लिया जाए ना इसकी रेसिपी क्या है तो आप कहेंगे अरे मुझे नहीं पता लेकिन आपने उस भोजन की रेसिपी बना दी तो आप हजार बार सबको बता सकते हैं कि बेटा ये ऐसे ऐसे बनेगा बहुत टेस्टी बनता है जैसे हमारी माताएं बोलती हैं आपने दे
खा होगा कि हर मां अपनी बेटी को शिक्षा देती है कि बेटा खाना ऐसे बनता है इसमें ये सामग्री डल है इसमें ये नहीं डलते है तो बच्चे को कर कर सिखाना बहुत जरूरी है ठीक है खोज विधि बिल्कुल अगर बच्चा स्वयं कर कर कोई कोई विषय सीखता है तो वह सीखना अधिक प्रभावशाली माना गया है अध्यापक को यह नहीं चाहिए कि जीवन भर जितनी भी सूचना बच्चों पर हमें बच्चे को थोपी जाए नहीं बच्चे को प्रेरित किया जाना चाहिए कि बच्चा स्वयं कर कर सीखे ठीक है चलिए एकीकरण इन्होने एकीकरण पर भी बल दिया है एकीकरण पर बल कैसे दिया है तो चलिए देखे
ं तो देखिएगा बच्चे के जीवन उसकी क्रियाओं एवं पढ़े जाने वाले विषय जो भी व से पढ़ता है उनमें एकता होनी चाहिए कहने का मतलब यदि आप गणित पढ़ रहे हैं तो गणित का संबंध धीरे-धीरे साइंस के साथ भी होता है आप इतिहास पढ़ रहे हैं तो इतिहास का संबंध आपके साथ भूगोल से भी जोड़ता है आप हिंदी पढ़ रहे हैं तो हिंदी के साथ आप वो संस्कृत को भी जोड़ते हैं ठीक है तो यहां पर यही है कि बच्चे के जीवन बच्चे देखिएगा बच्चे के जीवन उसकी क्रियाएं क्रियाओं एवं पढ़े जाने वाले विषय वस्तु में एक के हो यानी कि एकता शामिल हो सभी विष
यों को उनकी क्रियाओं की इद्र जिससे कि बच्चे अभ्यस्त हो यानी कि उसका अभ्यास करें और अभ्यास के माध्यम पर वो सीखना पसंद करें तो उन्होंने एकीकरण पर भी बल दिया है ठीक है आगे हम देखें बाल केंद्रित शिक्षा पद्धति पर बल दिया है यानी कि बच्चे को केंद्र बिंदु माना है आप सभी जानते हैं ओके इसके अलावा योजना पद्धति योजना पद्धति जिसमें योजनाएं बनाई जाती हैं और योजनाएं कब बनाई जाती हैं पूर्व अनुभव के आधार पर कि आपने पूर्व में कितना सीख लिया है ठीक है तो देखिए योजना पद्धति डीवी के अनुसार योजना पद्धति का विकास हुआ
है जिससे छात्रों में उत्साह होता है आत्मविश्वास देखा जाता है आत्मनिर्भरता सहयोग तथा सामाजिक भाव का विकास भी देखना देखा जाता है क्योंकि योजना पद्धति में पहले ही योजना बनाई जाती हैं एक पूरा का पूरा शेड्यूल तैयार किया जाता है कि आपको किस पर कार्य करना है ठीक है और कई स्टेप पार करने होते हैं जो पहले से ही निर्धारित होते हैं तो योजना पद्धति पर भी इन्होंने बल दिया है ठीक है मुकुल चलिए आगे देखिएगा अब हम बात कर रहे लर्निंग बाय डूइंग मतलब डीवी का मानना है कि कोई भी मतलब छात्रों को केवल किताबों से पढ़कर
नहीं कहने का मतलब हमें किताब कीड़ा नहीं बनाना है हालांकि हर एक दार्शनिक यही चाहते हैं उनका जो थॉट रहा है वो यही रहा है उनकी सोच रही है वही कि बच्चे को हमेशा हमें किताबी कीड़ा नहीं बनाना है ठीक है बहुत से होते हैं पड़ाकू अब देखिए मैंने ऐसे भी एग्जांपल देखे हैं कि पूरे पूरे दिन किताबों में इस तरीके से किताब में कीड़ा लग जाता है ना उस तरीके से पूरे दिन ये भी पढ़ना है वो भी पढ़ना है और हो सकता है कि वो क्लास का टॉपर भी बन जाए लेकिन उसे सोशल अनुभव यदि नहीं है तो वो क्या है वो हर पक्ष यानी कि हर क्षेत
्र में क्या है सफलता हासिल नहीं कर सकता थ्री इडियट देखी होगी आपने उसमें अमीर खान का भी एग्जांपल देखा होगा कि हमें ज्ञान कहीं से भी मिल रहा हो ले लेना चाहिए पता नहीं किस समय कौन सा काम आ जाए ठीक है और एक ऐसा भी इसमें देखा होगा एक ऐसा कैरेक्टर भी दिखाया था जो बहुत ज्यादा क्या है किताबी कीड़ा था उसे नहीं पता कि जो स्वयं की नॉलेज होती है स्वयं के अनुभव होते हैं वो कैसे काम करते हैं तो किताबी कीड़ा बनना जरूरी नहीं है जॉन डेवी का भी मानना है ठीक है चलिए अनुभव द्वारा सीखना यानी कि वही स्वयं कर कर सीखना
गतिविधि का सिद्धांत भी यही कहता है कि आप जब तक गतिविधि जो लगातार आपको एक्टिविटी करने पर बल देती है जो लगातार आपको सक्रिय बनाती है तो ये इनके क्या है सिद्धांत रहे हैं ठीक है अब इसमें शिक्षक का दायित्व कैसा रहा है देखि शिक्षक के दायित्व की बात करें अजय प्रकाश बाकी सभी देखिएगा अब शिक्षक के दायित्व की बात करें तो आप सभी बताएंगे शिक्षक का जो दायित्व रहा है ना वो प्रमुख नहीं रहा है वो क्या है वो एक मित्र के रूप में रहा है एक सहायक के रूप में रहा है एक मार्गदर्शक के रूप में रहा है ठीक है तो यहां शिक्ष
क के दायित्व की बात करें तो शिक्षक ने बिल्कुल कह दिया है कि मेरा जो विद्यालय है यहां पर बच्चों को जो अधिकार है वो प्रजातांत्रिक है वो अपनी समस्याएं रखें वो अपने विचारों को रखें और यहां पर मेरी जरूरत होगी मैं बच्चों का साथ दूंगा तो इनका जो दायित्व रहा है वो सिर्फ बच्चों को मार्गदर्शन देने का रहा है उनकी सहायता करने का रहा है विद्यालय में ऐसे वातावरण का निर्माण करना जिससे बच्चों का सामाजिक व्यक्तित्व विकसित हो ताकि वह एक उत्तरदाई प्रजातांत्रिक नागरिक बन सकें इसीलिए कहा है कि जॉन डीवी ने त्रि ध्रुव
ीय प्रक्रिया का निर्माण किया था जिसने बच्चे को केंद्र बिंदु मानकर सहारा देने का कार्य किया किसके द्वारा शिक्षक के द्वारा और बच्चा कभी ना भूले बच्चा जीवन में उसको दोहराए बाद में अभ्यास करें उसके लिए उन्होंने पाठ्यक्रम को भी निर्धारित किया पाठ्यक्रम को भी मान्य माना तो इसीलिए जॉन डीबी के अनुसार त्रि ध्रुवीय प्रक्रिया का निर्माण हुआ ठीक है चलिए शिक्षक का व्यक्तित्व एवं कार्य प्रजातांत्रिक सिद्धांतों के आधारों पर होना चाहिए हमें पता है और यहां पर आप देखें प्रजातांत्रिक रहेंगे तो वही समानता स्वतंत्रत
ा देखने को मिलेगी आगे हम चलते हैं देखिएगा प्रजातांत्रिक का मतलब आप जानते हैं कि हर कोई अपनी रुचि विचारों को बता सकता है और उन पर लादा नहीं जा सकता शिक्षक के द्वारा बच्चों की रुचियां एवं व्यक्तित्व की विशेषताओं को देखते हुए पाठ्यचर्या बिल्कुल देखिए यहां पर कहने का मतलब यही है कि पाठ्यचर्या का निर्माण जो एक अध्यापक के द्वारा होता है वो व्यक्ति यानी कि प्रत्येक बच्चे की वक्तृत्व रुचियां के आधार पर होना चाहिए कि बच्चा कितना सीख सकता है इस एज में आकर ठीक है जैसा कि आजकल भी होता है हम बच्चे को क्या है
एक्टिविटी के माध्यम से सिखाने की कोशिश करते हैं खेल-खेल के माध्यम से सिखाने की कोशिश करते हैं वही लोगों का मानना भी है वही दर्शको उन्होने भी कहा है ठीक है चलिए तो ये पॉइंट तो ऐसे हैं लास्ट यही कि अध्यापक को लगातार बच्चों की व्यक्तित्व विभिन्नता का ध्यान में रखकर बच्चों को कार्य कराना चाहिए बिल्कुल चलिए अब यहां पर अनुशासन कैसा होना चाहिए चलिए हम जितने भी फिलोसोफी जितने भी हम फिलोसोफर के बारे में जाने हैं सबने अपने अपने तरीके से अनुशासन बताया है तो आप बताइए जॉन डीवी के अनुसार अनुशासन कैसा हो सकता
है बताएंगे आप में से कोई अनुशासन कैसा होना चाहिए देखिए अनुशासन का मतलब यह नहीं है कि बच्चे को दंड देना है बच्चे को अपना कार्य थोपना है कोई भी कार्य भार जो बच्चा यहां पर सीखने आता है स्कूल में बच्चे को हम एक ऐसा सभ्य नागरिक बनाना है जो बच्चे में क्या है आदर्श भाव पैदा करें साथ की साथ वो अपनी शक्तियों के बारे में जाने अपनी बाह्य शक्तियों के बारे में जाने ठीक है और यहां पर बस कोई भी कड़े नियम बच्चे पर लागू ना किए जाएं जिससे कि बच्चा मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर हो ठीक है चलिए बिल्कुल एक ऐसा माहौ
ल तैयार किया जाए जिसमें बच्चा एक दूसरे को देखे उनके साथ संपर्क में आए जिससे सामाजिक भावना भी पैदा हो बच्चे के अंदर सामाजिक सहयोग की भावना भी पैदा हो और आपस में मिलकर जुलकर बहुत कुछ सीखे सिखाए तो यहां पर देखिएगा अनुशासन की बात करें यहां पर तो अगर बच्चे के ऊपर वर्णित योजनाओं के अनुसार हम कार्य करें विद्यालय में अनुशासन बना रहता है कठिनाई तब होती है जब वाह्य शक्तियां द्वारा बच्चों को अपनी प्राकृतिक इच्छाओं को प्रकट करने से रोका जाता है इसलिए बच्चों को प्राकृतिक इच्छा जो बच्चे की स्वयं की इच्छा है उ
से मत रोकिए बच्चा कर रहा है बच्चा को सीखना चाहता है तो उसे सीखने दीजिए बच्चा कहता है कि मुझे डांस में अपना भविष्य बनाना है तो आप उसको मौका तो दीजिए आप देखिए कि वो कितना कर सकता है यदि बच्चा कहता है कि मुझे क्रिकेट में जाना है तो उसे जाने दीजिए आप देखिए कि वह कितना कर सकता है क्यों जो बच्चे की इच्छा होगी बच्चा उसमें 100% देता है पूरी कोशिश करता है करने की ठीक है तो बच्चे की प्राकृतिक इच्छाओं को नहीं रोकना चाहिए इसके अलावा बच्चों को ऐसा सामाजिक वातावरण तैयार कराना चाहिए जिसमें उसमें आत्म अनुशासन क
ी भावना विकसित हो तो आप यहां पर क्लियर कर चुके होंगे कि अनुशासन कैसा होना चाहिए जो बच्चों पर थोपा ना जाए बच्चा स्वयं जागरूक हो बच्चा स्वयं सीखे और बच्चा स्वयं उसका पालन करे ठीक है ओके बिल्कुल स्व अनुशासन चलिए अब देखिए यहां पर शांत वातावरण बस यही है कि शांत वातावरण ऐसा नहीं कि बच्चा बिल्कुल शांत बिल्कुल हम हमारे टाइम में क्या होता था फिंगर यहां पर रखो आई क्लोज करो हेड डाउन करो बिल्कुल यह अनुशासन नहीं होता है यदि आपको शांत वातावरण चाहिए तो वहां पर बच्चे को कुछ ना कुछ ऐसी एक्टिविटी कराओ जो कि कहीं
ना कहीं उनको कुछ सीखने का मौका दे ठीक है तो यहां पर ऐसा नहीं कि शांत वातावरण में बच्चे को दंडित किया जाए झगड़े कर मतलब बच्चा आपस में लड़ रहा है तो उसे पिटाई की जाए नहीं शांत वातावरण ऐसा होना चाहिए जो देखिएगा शांत वातावरण अच्छे शीघ्र कार्यों के लिए आवश्यक है पर शांति एक साधन है साध्य नहीं है ठीक है शांति एक साधन तो है आप बच्चों को शांत करा सकते हैं लेकिन शांति के आधार पे वो एक साध्य नहीं माना गया है साध्य कब है जब आप बच्चों को एक्टिव रखने के लिए प्रेरित करेंगे आप बच्चों को स्वयं मौका देंगे कि बच्
चा चलो जो भी आपको आता है आप बताइए आपको कितना कुछ आता है तो यहां पर बस यही बताया गया है कि माहौल ऐसा मिले जिसमें बच्चा अनुशासन स्वयं अपने आप करना सीखे अनुशासन क्या है उसके बारे में जाने चलिए जॉन डीवी का आधुनिक शिक्षा पर प्रभाव तो चलिए आधुनिक शिक्षा से जुड़े हैं 20वीं शताब्दी से जुड़े हैं तो इनका शिक्षा का क्या प्रभाव रहा है देख लेते हैं ठीक है हां हम पिटे तो नहीं है लेकिन यह सब बहुत कुछ फेस किया है जो कर सकते थे आज के बच्चे जो कर सकते हैं हमने बहुत लेट सीखा है तो बस समय-समय पर रणनीति चेंज हुई है
पढ़ने का पढ़ाने का क्रम चेंज हुआ है तो बदलाव तो है ही और अच्छा है यह बदलाव बहुत अच्छा है देखिए डीवी का आधुनिक शिक्षा पर प्रभाव शिक्षा के उद्देश्यों पर प्रभाव पड़ा है जिसमें सामाजिक गुणों का विकास भी जॉन डीवी के कारण शिक्षा में महत्त्वपूर्ण माना जाता है ऐसा नहीं कि उन्होंने समाज के लिए नहीं सोचा उन्होंने कहा है कि बच्चा ि तुम शिक्षित है तो शिक्षित होने के साथ-साथ ें सामाजिक भी बनना चाहिए समाज के लोगों के साथ जुड़ना चाहिए जब तक हम समाज के साथ नहीं जुड़ेंगे समाज का कल्याण कैसे होगा एक विकसित देश की
कल्पना हम कैसे कर सकते हैं तो बस शिक्षा के उद्देश्यों पर प्रभाव साथ की साथ शिक्षण विधियों पर प्रभाव जो भी हमने शिक्षण विधियां देखी है जिसमें बच्चा स्वयं कर कर सीख रहा है वो प्रभाव इन्होंने बताए हैं ठीक है भाई शिक्षण विधियों का प्रभाव क्या है कि बच्चा रुचि के अनुसार सीख रहा है अपने रुझान के अनुसार अपनी आवश्यकता के अनुसार सीख रहा है तो ये आधुनिक शिक्षण पर जो भी प्रभाव पड़ा है वो मैंने यहां पर रखा है प्रोजेक्ट विधि को भी डीवी के विचारों का ही फल माना गया है यानी कि जो योजना पद्धति है क्योंकि इसमें
भी बच्चा क्या होता है स्वयं कर कर सीखता है तो ये उन लोगों के लिए है जो पीडीएफ की डिमांड करते हैं अब बात करते हैं पाठ्यचर्या पर प्रभाव तो पाठ्यचर्या पर प्रभाव जितना भी हमने पढ़ा है ना तो मुझे नहीं लगता जितना भी हमने समझा है उसमें पाठ्यचर्या का प्रभाव क्या होगा पाठ्यचर्या का प्रभाव वही होगा कि बच्चे पर बच्चों पर जोर मत दीजिए बच्चा एक खुली किताब है तो उसे खुली किताब ही रहने दीजिए बच्चे के जो विचार हैं उसको बिल्कुल आप सुनिए समझिए यानी किन के अनुसार क्या है पाठ्यचर्या एक ऐसी होनी चाहिए जिसमें बच्चे
का शारीरिक विकास के साथ-साथ उसका मानसिक विकास भी हो उसका भाषा क्मक विकास भी हो तो यहां पर देखिएगा डीवी के अनुसार मानव श्रम को पाठ्यचर्या में स्थान दिया गया है यह शिक्षा का एक महत्त्वपूर्ण पक्ष भी माना है जिसमें विभिन्न प्रकार के खेल वस्तुओं विभिन्न प्रकार के उपकरण के उपयोग के आधार पर जोड़ दिया जाता है ठीक है पाठ्यचर्या का प्रभाव कैसा है क्योंकि पाठ्यचर्या यदि हम ऐसी रखें जो बच्चे की एज के अनुसार हो बच्चे की मानसिक शक्ति के अनुसार हो तो बच्चा अच्छे से सीख सकता है दूसरा है अनुशासन पर प्रभाव मैंने
बता ही दिया है इसके बारे में आपको ठीक है सार्वजनिक शिक्षा यदि हम सामाजिक शिक्षा को जोड़ना चाहते हैं तो सार्वजनिक शिक्षा होनी चाहिए और सार्वजनिक शिक्षा में क्या है सार्वजनिक शिक्षा किसे कहते हैं अच्छा ज्यादा जल्दी तो नहीं हो रहा है क्योंकि ऐसे पॉइंट बार-बार रिपीट हुए हैं आज की क्लास में जो हमने पहले समझ लिए हैं ठीक है सार्वजनिक शिक्षा की हम बात करें तो अपने आदर्शों के बारे में अपने विचारों के बारे में सार्वजनिक शिक्षा अनिवार्य मानी गई है ठीक है जो सभी व्यक्ति के समान अधिकार को बढ़ावा देती है समान
अधिकार के लिए संकेत करती है ठीक है अब देखिए जो भी जो विचार रहे हैं ना वह मैंने आपको पहले ही बता दिए हैं कि जॉन डी भी सामाजिक प्रक्रिया के आधार पर कहा है इन्होंने शिक्षा को ना तो साध्य है और ना ही मनुष्य जीवन की तैयारी का साधन है बहुत बड़ा पॉइंट यहां से समझ लीजिएगा एक मतलब जॉन डी भी मानते हैं कि शिक्षा को ना तो साध्य और ना ही मनुष्य जीवन की तैयारी का साधन ही है यानी कि यह तो स्वयं जीवन है और जब जीवन है तो हमारा साधन हमारा कार्य हमारी सोच हमारा व्यवहार निरंतर परिवर्तनशील रहेगा निरंतर उसमें बदलाव
आएगा तो उन्होंने जॉन डीवी ने शिक्षा संबंधी बदलाव में अपने विचार में यही रखा है कि मनुष्य परिवर्तनशील है मनुष्य समय समय पर अपने आप में परिवर्तन करता आया है और परिवर्तन कब करेगा जब वो स्वयं कर कर सीखेगा तो यही उनके शैक्षिक विचार रहे हैं ठीक है एक पॉइंट नोट कर लीजिएगा मनुष्य पूछा जाता है कि जॉन डीवी के अनुसार क्या बच्चा कोरा कागज है तो बिल्कुल नहीं है जॉन डीबी के अनुसार जॉन डीबी ने कहा है कि बच्चा जन्म से ही कुछ ऐसी शक्तियों के साथ इस दुनिया में प्रवेश करता है जो जैसे कि बच्चे को कोई नहीं सिखाता कि
उसे भूख लगने पर क्या मां को पता है कि मेरे बच्चे को कब भूख लगी है संकेत कब मिलता है जब बच्चा रोता है तो कहा गया है कि जॉन डीवी ने कहा है कि बच्चा कुछ शक्तियों के पास साथ पैदा होता है इस दुनिया में भूख लगने पर रोना दर्द होने पर भी रोना ठीक है यदि कोई सहानुभूति जता रहा है तो स्माइल करना बच्चे को कोई नहीं सिखाता है लेकिन यह बच्चा स्वयं अब मतलब जन्म के साथ ही अपने साथ ऐसी शक्तियों के साथ आता है इस दुनिया में तो मनुष्य को जन्मजात शक्तियां लेकर पैदा होता है सामाजिक चेतना में भाग लेने से इन शक्तियों म
ें विकास होता है यह पॉइंट मोस्ट इंपोर्टेंट था चलिए अब हम आते हैं यहां पर मनोवैज्ञानिक और सामाजिक पक्ष मैंने पहले ही बता दिए हैं आपको मनोवैज्ञानिक पक्ष कौन से थे सामाजिक पक्ष कौन से हैं ठीक है कुछ पॉइंट हैं जो इसमें दोबारा दो-दो बार नोट हो गए हैं शारीरिक मानसिक सामाजिक विकास इसके बारे में भी हमने चर्चा कर ली है कोई भी पॉइंट आपको लगे कि यस मैम आप दोबारा रिपीट कीजिए तो आप मुझे बता दीजिएगा मुझे नहीं लगता कि आशिक क्लास में कोई भी ऐसा पॉइंट रहा होगा जो आपको समझ में नहीं आया होगा शारीरिक विकास में बच्च
े के हर एक पक्ष बच्चे को संतुलित आहार देना बच्चे को मतलब बिल्कुल खुला छोड़ना ऐसा नहीं कि हर टाइम ये मत करो वो मत करो मतलब हर एक चीज पर मानसिक विकास सामाजिक विकास पर इन्होंने बल दिया है ठीक है इसके अलावा यदि हम बात करें कुछ ऐसे पॉइंट है जो मेरी क्लास में आज बार-बार नोट हो गए हैं ठीक है लेकिन कोई नहीं ये हमने यहां पर सब कुछ पढ़ लिया है जॉन डीबी के अनुसार पाठ्यक्रम क्या होगा यहां पर आप देख सकते हैं जो पीडीएफ की डिमांड करते हैं ना उनको दो दो बार मिल जाएगा हालांकि हम बार-बार नहीं पढ़ेंगे इस टॉपिक पर
ठीक है अच्छा समझ में आ गया है किसी को कोई भी प्रॉब्लम हो तो प्लीज बताइएगा यह हमारा हो चुका है कंप्लीट अब हम बात करेंगे देखिए रुचि और प्रयास जब तक हमारी रुचि नहीं होगी प्रयास नहीं करेंगे तो हम कोई भी कार्य नहीं कर सकते हैं ठीक है अब हम आते हैं शिक्षक का स्थान कौन सा है हालांकि मैंने आपको पहले भी बता दिया है शिक्षक समाज का सेवक है एक सेवक ही तो हैं हम हम सेवक हैं हम क्या है अपने समाज की रक्षा करना चाहते हैं उनके भले के बारे में सोचना चाहते हैं हां एमसीक्यू बिल्कुल बहुत जल्दी थक गए कि बहुत हो गया म
ैडम एमसीक्यू कराइए बिल्कुल कराएंगे शिक्षक समाज का सेवक है उन्हें विद्यालय में एक ऐसा वातावरण निर्माण करना चाहिए जिसमें पलकर बालक के सामाजिक भावात्मक शारीरिक मानसिक सभी पक्षों को विकसित किया जा सके चलिए तो गाइस आज की क्लास में हमारा कुछ हां अब आते हैं हमारे एमसीक्यू तो चलिए एमसीक्यू के लिए तैयार हो जाइए पहला प्रश्न आपके सामने देखिए जनप भाषा की साहित्य की क्लास बात कर रहे हैं ना रीना वो देखिए बहुत जल्द जैसा कि मैं अभी बन कुछ देखिए इसी बार न्यू ऐड हुआ है और तभी हमने क्लासेस आपकी स्टार्ट किए है तो क
ुछ ऐसे टॉपिक है जिनको मैं बना जैसे-जैसे मुझे टाइम मिल पा रहा है क्योंकि एक साथ यदि मैं आज सेही स्टार्ट कर दूं तो बीच में बार-बार ब्रेक मैं नहीं चाहती कि आपका हो तो उस बीच में हम वो क्लासेस ले रहे हैं जो आपको पहले से आता है जैसे कि हमारा आदि काल कंप्लीट हुआ है आज भक्ति काल स्टार्ट होगा भक्ति काल आपका पूरा कराने के बाद आपकी जो जन जो आपका उत्तराखंड से रिलेटेड है ना साहित्य वो मैं आपको कराऊंगा में जॉन डीवी का जन्म कब हुआ था जल्दी से बताइएगा 1849 में 59 में 69 में 79 में तो हो जाइए तैयार जल्दी से दीज
िएगा आंसर और बताइएगा कि आपके सही जवाब क्या होने वाले हैं तैयार हो जाइएगा आंचल प्लेटो के एमसीक्यू कराए तो हैं कराए हैं मैंने हर एक प्लेटो मैंने कराया तो आपको एमसीक्यू भी कराया चलिए तो बहुत अच्छे से मिला है आप सभी का जवाब और आपके आंसर में मिला है कि 1890 जवाब यानी कि बी ऑप्शन जॉन डीवी का जन्म अमेरिका में हुआ था कब हुआ था 18591 में हुआ था बिल्कुल सही चलिए आगे देखिएगा दूसरा प्रश्न जॉन डीबी को किस उपाधि से सम्मानित किया था तो आपके सामने बीएड एम एड पीएचडी या फिर एमफिल तो जल्दी से देखिएगा और बताइएगा क्
या होगा आंसर जॉन डीबी को वह कौन सी उपाधि मिली थी जिसके लिए उनको सम्मानित किया था तो आप क्या कहेंगे उन्होंने दर्शन शास्त्र से क्या किया था पीएसडी किया था हॉकिंस विश्वविद्यालय से किया था तो यहां पर बिल्कुल आपका राइट आंसर होगा सी ऑप्शन जैसा कि आप सभी ने दिया है बिल्कुल सही जवाब है चलिए सी ऑप्शन एकदम सही है आगे देखिएगा क्वेश्चन नंबर थर्ड प्रकृति शल शिक्षा के जनक कौन हैं महात्मा गांधी जॉन डीबी रविंद्रनाथ टैगोर अल्बर्ट तो आपका ना आप किसको बताएंगे प्रकृति शल शिक्षा के जनक चार विकल्प आपके सामने जल्दी से
देखिए और जवाब दीजिएगा तो प्रकृति से शिक्षा आ जाए प्रयोजनवाद आ जाए तो नाम किसका आएगा जॉन डीवी का आएगा बिल्कुल सही जवाब के रूप में आप सभी का मुझे मिला है आंसर शाबास बहुत बढ़िया बी आंसर बिल्कुल सही है चलिए अब हम बात करते हैं चौथा प्रश्न जॉन डीवी ने कहां दर्शन शास्त्र पढ़ाया था हार्वर्ड विश्वविद्यालय में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय शिकागो या फिर कैंब्रिज विश्वविद्यालय तो जल्दी से देखिएगा और बताइएगा कि कहां पर उन्होंने दर्शन शास्त्र को पढ़ाया था तो आप क्या कहना चाहेंगे आप कहेंगे कि जॉन डीवी ने शिकागो वि
श्वविद्यालय में दर्शन शास्त्र के मतलब दर्शन शास्त्र का अध्ययन कराया यानी कि सी आंसर बहुत अच्छे से दिया है आप सभी ने सी आंसर मिलेगा बिल्कुल सही आंसर के रूप में चलिए आगे चले तो चलते हैं हम च पांचवा प्रश्न जॉन डीवी की शिक्षा संबंधी महानतम रचना कौन सी है द स्कूल एंड सोसाइटी द चाइल्ड एंड द करिकुलम हाउ वी थिंग्स या फिर डेमोक्रेसी एंड एजुकेशन तो जल्दी से देखिए और बताइए कि क्या कहना चाहेंगे आप क्या देंगे आप आंसर तो यहां पर आपने दिया है जवाब और आंसर की बात करें तो क्या होना चाहिए शाबास आनंद प्रवीण बहुत ब
ढ़िया अनीता तो आप कहेंगे डेमोक्रेसी एंड एजुकेशन यानी कि चौथा ऑप्शन यहां पर बिल्कुल आपका सही है और बहुत अच्छे से आप सभी ने दिया है जवाब तो राइट आंसर होता है हमारा डी ऑप्शन चलिए आगे देखेंगे हम क्वेश्चन नंबर सिक्स जॉन डीबी ने किस विषय में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की थी तो अर्थशास्त्र दर्शन शास्त्र भौतिक विज्ञान या फिर इतिहास तो आसान है आप जानते हैं पीएसडी की उपाधि किस सब्जेक्ट से की थी तो आपका आंसर मिलेगा कि यहां पर आपका राइट आंसर होना चाहिए कौन सा राइट आंसर होगा आपका बी ऑप्शन फिलोसोफी बिल्कुल सही ज
वाब बी ऑप्शन होता है आपका करेक्ट आंसर चलिए जॉन डीवी किस विश्वविद्यालय में दर्शन शास्त्र के प्रोफेसर रहे थे हालांकि देखिएगा क्वेश्चन कोलंबिया हार्वर्ड शिकागो या ऑक्सफोर्ड तो क्या मिलेगा आंसर आंसर प्लीज तो यहां पर आपका आंसर आंसर में मिला है आपका जवाब और देखें तो आपका आंसर क्या कहता है चलिए अब यहां पर आपने कहा है किस विद्यालय में नियुक्त हुए थे क्या सी ऑप्शन करेक्ट है यहां पर देख लीजिएगा एक बार अब हम बात करते हैं मैंने आपको दो मतलब तीन बताया था कि उन्होंने कहां पर स्टार्ट किया था ठीक है अब देखिएगा
कहां पर पढ़ाया था ठीक है उन वो जिन्होंने 30 साल तक अध्ययन कार्य किया था वो था शिकागो ठीक है लेकिन जॉन डीवी किस विश्वविद्यालय में दर्शन शास्त्र के प्रोफेसर थे जो नियुक्त हुए थे तो वहां पर आपका सी ऑप्शन क्या है क्या सी ऑप्शन सही जवाब है ऑक्सफर्ड देखिएगा एक सेकंड रुकिए ऑक्सफोर्ड गलत हो जाएगा हार्वर्ड विश्वविद्यालय गलत होगा तो सही कौन सा होगा गाइज राइट आंसर होगा कोलंबिया विश्वविद्यालय 1904 में तो यहां पर आपका राइट आंसर होगा ए ऑप्शन 1904 में जॉन डीवी कोलंबिया विश्वविद्यालय में दर्शन शास्त्र के प्रोफे
सर नियुक्त हुए थे तो सी नहीं होगा ठीक है राइट आंसर ए ऑप्शन सही जवाब है चलिए आगे देखिएगा जॉन डीवी का संबंध किस शिक्षा दर्शन से है आदर्शवाद प्रकृतिवाद यथार्थवाद या फिर भौतिकवाद तो क्या कहना चाहेंगे आप जल्दी से बताइएगा और आंसर दीजिएगा आंसर प्लीज कोई बात नहीं हां जिन्होंने ए बताया था उनका सही है तो बताइएगा जल्दी से जॉन डीवी का संबंध किस शिक्षा दर्शन से है तो क्या क्या मिलेगा आंसर यहां पर भी बी सी किया जा रहा है जो कि एक आंसर होना चाहिए प्रकृतिवाद प्रयोजनवाद बिल्कुल राइट आंसर जिन्होंने भी दिया है बी
ऑप्शन करेक्ट है ठीक है ए ऑप्शन बिल्कुल सही जवाब है चलिए देखिएगा क्वेश्चन नंबर नाइन जॉन डीवी द्वारा प्रतिपादित लर्निंग वाय डूइंग का अर्थ क्या है पुस्तकों के माध्यम से सीखना शिक्षकों के लक्षर सुनकर सीखना प्रयोगात्मक और व्यवहारिक अनुभव के माध्यम से सीखना या इंटरनेट से जानकारी प्राप्त कर कर सीखना तो बस कर दीजिएगा कमेंट और बताइएगा कि आपका जवाब क्या होने वाला है तो जल्दी से बताएं जॉन डीवी के द्वारा प्रतिपादित लर्निंग बाय डूइंग का अर्थ क्या है बच्चों करके सीखो ठीक है कर कर सीखने का जो फल मिलता है ना उस
का स्वाद ही अलग होता है यह मानना था जॉन डीवी का तो बिल्कुल सी ऑप्शन होगा सही जवाब के रूप में और आप सभी ने दिया है प्रयोग करो कर कर सीखो बिल्कुल सही होगा सी और यहां पर आपका सी ऑप्शन करेक्ट है चलिए क्वेश्चन नंबर 10 जॉन डीवी के अनुसार शिक्षा का मुख्य उद्देश्य क्या है व्यक्तित्व का विकास ज्ञान का संचय परीक्षा में उच्च अंक प्राप्त करना या फिर आप कहे तो विज्ञ आता प्राप्त करना तो देखिएगा और बताइएगा जॉन डीपी के अनुसार शिक्षा का मुख्य उद्देश्य क्या हो सकता है तो क्या कहना चाहेंगे आप अलकनंदा और दीप दीप सि
खा आप सभी का आंसर मिला है ए ऑप्शन के रूप में अपने व्यक्तित्व का निर्माण करना व्यक्तित्व का विकास करना की पहचान करना अपने आप को जानना यानी कि फर्स्ट ऑप्शन होता है आपका बिल्कुल सही आंसर मिला है आप सभी का चलिए देखिएगा क्वेश्चन नंबर 11 जॉन डीवी की कौन सी पुस्तक उनके शिक्षा दर्शन का मूल मानी गई है द चाइल्ड एंड द करिकुलम एजुकेशन एंड डेमोक्रेसी डेमोक्रेसी एंड एजुकेशन या फिर एक्सपीरियंस एंड एजुकेशन तो आप क्या कहना चाहेंगे देखिए और बताइए कि आपका जवाब क्या होना चाहिए तो यहां पर आपके आंसर और आंसर में मिला
है कि सी ऑप्शन होगा डेमोक्रेसी एंड एजुकेशन बिल्कुल सही आंसर तो राइट आंसर आपका होता है सी ऑप्शन जो कि आप सभी ने दे ही दिया है बिल्कुल सही है चलिए आगे देखते हैं क्वेश्चन नंबर 12 जॉन डीवी के अनुसार शिक्षा का सामाजिक पक्ष क्या दर्शाता है व्यक्तिगत विकास परीक्षाओं की तैयारी सामाजिक जीवन में भागीदारी व्यवसायिक परीक्षण तो जल्दी से देखिएगा का जॉन डीवी के अनुसार जो सामाजिक पक्ष है ना वो क्या दर्शाने का प्रयास करता है तो ऐसा नहीं कि व्यक्तिगत विकास स्वयं के विकास की बात करें तो परीक्षाओं की तैयारी सामाजिक
जीवन में भागीदारी तो आपका आंसर सी ऑप्शन यहां पर सही होता है ठीक है चलिए जॉन डीवी का जन्म कहां हुआ था न्यू देखिएगा न्यूयॉर्क देखिएगा वरमन वर्ली गटन भी बोलते हैं बस्टन या शिकागो तो बताइएगा शिकागो में हुआ था बस्टन में हुआ था वरमोंट में हुआ था या न्यूक में हुआ था तो चार ऑप्शन आपके सामने और आप जानते हैं कि यहां पर आपका आंसर क्या होना चाहिए अमेरिका वर्ली गटन यानी कि बी ऑप्शन होगा यहां पर आपका सही जवाब बिल्कुल सही आंसर बी ऑप्शन एकदम करेक्ट है चलिए देखिएगा क्वेश्चन नंबर 14 जॉन डीवी ने किस विश्वविद्यालय
से बीए की उपाधि प्राप्त की थी चलिए बताइए तो हारवर्ड विश्वविद्यालय वरमोंट विश्वविद्यालय जॉन हि हॉकिंस विश्वविद्यालय या कोलंबिया विश्वविद्यालय तो पूछा है यहां पर बीए की उपाधि मैंने पढ़ाया है ये तो बताइएगा सुभा क्या होना सुधा क्या होना चाहिए आंसर इसमें अब देखें कि क्या मिलता है आपका आंसर क्या बात है बी फॉर वर मंट बहुत बढ़िया शाबाश तो बीसी मत करो बीए का आ जाए ना तो आपको क्या या रखना है बी से बीए और बी से वर मंट तो यानी कि आपका आंसर हो जाएगा बी ऑप्शन वरमोंट विश्वविद्यालय ठीक है बिल्कुल बी आंसर होगा
क्लियर तो यहां पर आप सभी ने बी आंसर दिया है जिन्होंने बी ऑप्शन दिया है वोह सही है आगे देखते हैं क्वेश्चन नंबर 15 जॉन डीवी किस दार्शनिक से प्रभावित थे जिनके दर्शन पर उन्होंने शोध किया था तो हीगल कांट प्लेटो डॉर्विन तो आप देखिए और बताइएगा यह तो मैडम आपने नहीं बताया चलिए देखते हैं कि कितनों के आंसर होते हैं यहां पर सही क्वेश्चन नंबर 15 आपके सामने है और आप बताइए कि आपका आंसर क्या होना चाहिए तो यहां पर चलेगा ए बी सीडी का पूरी तगड़ी ल वो कहते दिगड़ी लगने वाली है ए बी सी डी आप करने वाले हैं तो देखते है
ं यहां पर आपका कौन सा ऑप्शन होता है सही तो जब जॉन डीवी ने दर्शन शास्त्र पर पीएसडी की थी ना तो वह किसके विचारों से सबसे ज्यादा प्रभावित थे क्या वह डार्विन के विचारों से हुए थे तो डी ऑप्शन वालों आप सभी का जवाब होता है गलत डी आंसर होता है हमारा गलत बात करें प्लेटो प्लेटो भी गलत होगा और हीगल भी गलत होगा राइट आंसर होगा कांट यानी कि बी ऑप्शन आपका होगा यहां पर सही जवाब गलत हो जाएगा दीपांकर बी आंसर होगा इसका सही कांट यानी कि जॉन डीवी ने कांट के विचार धारणा पर आधारित होकर दर्शन शास्त्र पर पीएचडी की थी और
इसी के आधार पर इनको उपाधि भी मिली थी ठीक है तो राइट आंसर क्या हो जाएगा आपका बी ऑप्शन क्लियर है बी आंसर बिल्कुल सही है जॉन ड्यू ने कांट के दर्शन पर शोध किया था और उस पर पीएसटीवी की उपाधि भी इनको मिली थी क्लियर है चलिए आगे देखें डेमोक्रेसी एंड एजुकेशन पुस्तक किसने लिखी तो यहां तो आपको पता है ठीक है यहां आपको पता है कि हम जॉन डीवी को पढ़ रहे हैं तो जॉन डीवी ही होगा तो ये हमें कब पढ़नी है कब के लिए समझना है जब एग्जाम में ये क्वेश्चन आ जाए तो आप भटके नहीं तो ज मतलब देखिएगा डेमोक्रेसी एंड एजुकेशन किस
के द्वारा रचित है तो आप सभी जानते हैं कि डीवी के द्वारा है तो सी ऑप्शन आपका सही जवाब होगा ठीक है चलिए क्वेश्चन नंबर 17 जॉन डीवी की शिक्षा की अवधारणा किस दर्शन पर आधारित है तो जल्दी से देखिए और बताइए नैतिक वाद व्यवहारवाद आदर्शवाद या यथार्थवाद तो आप क्या कहना चाहेंगे क्वेश्चन नंबर 17 जल्दी से बताइएगा कि आपका आंसर क्या होना चाहिए तो आपने देखिए मैंने आपको बताया प्रकृतिवाद प्रयोजनवाद और व्यवहारवाद पे इन्होंने बल दिया है ना तो बी ऑप्शन होगा इसका सही जवाब राइट आंसर बी ऑप्शन होगा व्यवहारवाद ठीक है चलिए
देखिएगा क्वेश्चन नंबर 18 जॉन डीबी का कौन सा सिद्धांत शिक्षण में कर कर सीखने पर बल देता है प्रोजेक्ट विधि योजना विधि बाल केंद्रित पद्धति या एकीकरण तो आप जल्दी से बताइएगा कि कौन सा विकल्प होगा यहां पर सही आंसर के रूप में तो क्या मिलेगा आपका आंसर जल्दी से देख लेते हैं कि वह कौन सा सिद्धांत है जो कर कर सीखने पर बल देता है तो आप क्या कहना चाहेंगे क्वेश्चन आपके सामने 18 आपका आंसर क्या मिलेगा चलिए तो देखिए अब यहां पर ए बी सीडी योज बाल केंद्रित पद्धति तो बच्चे को केंद्र मानकर बनाई जाती है ठीक है बाल कें
द्रित शिक्षा पद्धति जिसमें बच्चा केंद्र होता है केंद्र बिंदु होता है लेकिन क्वेश्चन है कि वह कौन सी शिक्षण पद्धति है जो कर कर सीखने पर बल देती है तो आपका आंसर योजना पद्धति योजना पद्धति में योजनाएं पहले से ही प्लान कर ली जाती हैं ठीक है और जब हमारे सामने क्या है जब हमारे टीचर हमें प्रोजेक्ट देते हैं ना कि बेटा यह प्रोजेक्ट तुम्हें दिया गया है इस परे कार्य करो तो हम स्वयं कर करर सीखते हैं हम स्वयं प्रोजेक्ट पर पूरा का पूरा विचार करते हैं फिर कार्य करते हैं तो राइट आंसर आपका फर्स्ट ऑप्शन होगा जॉन ड
ीवी ने शिक्षण में कर कर सीखने का महत्व जोड़ दिया किस पर प्रोजेक्ट विधि में हालांकि योजना विधि में भी हो सकता है लेकिन योजना विधि में हम पहले से ही प्लानिंग कर कर चलते हैं कि हमें ये ये करना है और प्रोजेक्ट विधि में हम स्वयं कार्य कर कर कार्य करते हैं तो आपका यहां पर ए ऑप्शन होगा करेक्ट ठीक है और बाल केंद्र शिक्षा पद्धति तो बच्चे को केंद्र बनाती है क्लियर चलिए आगे देखिएगा क्वेश्चन अ क्वेश्चन नंबर 19 नहीं है इसमें ओके जॉन डीवी की लर्निंग बाय डूइंग की अवधारणा किस विद्यालय से जुड़ी हुई है तो ये तो स
भी को पता होगा तो बस जल्दी से कमेंट कर दीजिएगा और जवाब दीजिएगा यहां पर हमने पूछा है कि पहले भी मैंने बताया है लर्निंग वई डूइंग की जो अवधारणा है वो किस विश्वविद्यालय में में जोड़ दिया था कि बच्चा कर कर सीखने पर बल दे तो क्या कहना चाहेंगे आप शिकागो बिल्कुल शिकागो विश्वविद्यालय शाबाश बहुत बढ़िया तो कोलंबिया इनको अ जो कंफ्यूज हो रहे हो ना कि कोलंबिया दे रहे हो कभी हार्वर्ड दे रहे हो तो उसमें कंफ्यूज मत हुइए यहां पर एक दो बार आप पढ़ेंगे ना स्वयं मैंने कहा स्वयं कर कर सीखेंगे ना तो आपको अच्छे से समझ म
ें आएगा तो बी आंसर आपका सही जवाब है तो आज की क्लास में हमने क्या सीखा आज की क्लास में हमने सीखा कि हमें पक्का पक्का या पीडीएफ मिल जाए तो वो हमें कोई का का नहीं है हम बुक से बुक से भी हम स्वयं पढ़ेंगे यहां पर भी हम आए हैं इस क्लास को जब हम बार-बार देखेंगे स्वयं देखेंगे तो ही कर पाएंगे तो बस इस क्लास से भी हमें कुछ सीखने को मिला आज से और कोशिश करो आप स्वयं कर कर सीखो तो आपको बहुत ज्यादा बेनिफिट मिलेगा बहुत ज्यादा वो आपके साथ रहेगा भी लंबे समय तक आपके माइंड में रहेगा तो चलिए आज हमारी क्लास होती है
कंप्लीट कैसी रही क्लास यदि क्लास आपको अच्छी लगी हो तो क्या करना है अभी तक देखिए स्टार्टिंग से लास्ट तक मैं कभी नहीं कहती कि आप लाइक कीजिए ठीक है मैं नहीं चाहती कि आपका फोकस हटे आप लाइक करने के लिए थोड़ा सा अपने आपको अपना मतलब आप हटे नहीं यदि आपको मेरा पढ़ा है वो अच्छा लगा है समझ में आया है तो प्लीज आप लाइक कीजिए और अधिक से अधिक आप क्लास में आए डेली क्लास में आए अधिक से अधिक कोशिश करें आप लाइव जुड़ने की और प्लीज सेशन को अधिक से अधिक शेयर करें और आप पहली बार जुड़े हैं तो चैनल को सब्सक्राइब भी कर स
कते हैं थैंक यू थैंक यू सो मच और आज की क्लास हिंदी वालों सुन लीजिएगा जो मेरे साथ 11:00 बजे जुड़ते हैं हिंदी वाले तो उनकी जो क्लास है वो 11 बजे नहीं है 11:30 बजे है थोड़ा सा टाइम का इशू रहता है आधे घंटे की क्लास में आधे घंटे का जो टाइम मुझे मिलता है ना तो वो मुझे कुछ भी नहीं कर मैं उस बीच में कुछ नहीं कर पाती इसलिए मैंने 11:30 बजे रखा है आगे से 11:30 बजे ही रहेगा और आज की क्लास भी 11:30 बजे रहेगी 4 बजे वाली क्लास का कोई भी टाइम चेंज नहीं है तो 11:30 बजे आना है ठीक है तो थैंक यू सो मच यदि आपको क्ल
ास अच्छी लगी हो तो प्लीज आप मेहनत कीजिए स्वयं मेहनत कीजिए नोट्स बनाइए जो भी मैं आपको पीडीएफ देती हूं आप उसको ऐसे करके मत निकालिए आप उसके स्वयं नोट्स बनाएंगे ना जो भी पॉइंट आपको लगता है कि हां इसको मैं भूल सकती हूं या भूल सकता हूं आप उसे नोट कीजिए जो लग रहा है कि हां यह तो हमें पता है आप उसे छोड़ दीजिए तो आपको बहुत कुछ मिलेगा सीखने को ठीक है तो चलिए थैंक यू सो मच और अच्छे से तैयारी करते रहिए जोश बढ़ना चाहिए टाइम धीरे-धीरे हमारा कम हो रहा है तो प्लीज ज्यादा फोकस करें आप अपनी स्टडी पर थैंक यू सो मच

Comments

@badarphadi9945

मैम आपका प्रयास बहुत ही सराहनीय है आगे भी नियमित जारी रखें। आज की क्लास बेहतरीन लगी मैम। Tnq मैम 🙏🙏

@poonamsarkar7598

Mam ek like to banta h mam ki videos ko share kre and like kre plz dosto

@Get.YouTub.Views.891

you have your own car , room , everything . good for you 😊

@bhuvaneshwarirawat5291

Good morning mam

@gusainanisha2114

Ma'am pranaam 🙏 really ma'am aap bahut achha padhate hain jaldi samjh me aata h aapka padhaya hua thankyou ma'am 🙏

@aashutoshkhurana1765

मैंम आपका कार्य बहुत ही सराहनीय है और मैं आपके इस कार्य के लिए दिल से धन्यवाद करता हूं❤❤❤❤❤❤❤

@artinegi2756

Nice session.mam

@sonamnayak9849

Very nice, thankyou mam

@deeptipatwal3498

Very interesting class Thanks Ma'am

@NeelamBhatt-pr2id

Aapka bahut bahut shukriya mam and sir j

@mohdgulfam6709

Mam ap ek best educator he ❤ mam pdf sath sath dal diya kre bus ek request he apse ...❤

@KrishGoswami-wq3jp

Very nice class mam

@rasana_aswal

Thanku so much mam

@lalithsingh8688

Very nice class mam🙏

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Thankyou mam Get well soon 💐💐

@mahisingh6394

Thanks for amazing class

@namasterudraprayag4211

Nice video mam 🙏🙏

@arti4396

good evening mam

@preetinaksh3244

Thank you so much ma'am 🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼👍👍👍👍